Class 7 Hindi Chapter 2 तीन बुद्धिमान Questions Answers NCERT मल्हार
Chapter 2 तीन बुद्धिमान Class 7 NCERT Solutions
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे (क) लोककथा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए।
(1) लोककथा में पिता ने अपने बेटों से 'धन संचय करने' को कहा। उनकी इस बात का क्या अर्थ हो सकता है?
- खेती-बारी करना और धन इकट्ठा करना
- पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना
- ऊँट का व्यापार करना
- गाँव छोड़कर किसी नगर में जाकर बसना
उत्तर
पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना (*)
विश्लेषण: पिता ने अपने बेटों को सलाह दी कि वे रुपये-पैसे और सोने-चाँदी के बजाय पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि को संचित करें। यह धन उन्हें कभी कमी नहीं महसूस होने देगा। इसलिए सही उत्तर "पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना" है।
(2) तीनों भाइयों ने अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में बहुत कुछ बता दिया। इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
- बुद्धि का प्रयोग करके ऊँट के बारे में सब-कुछ बताया जा सकता है।
- समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है। (*)
- किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है। (*)
- ऊँट के बारे में जानने के लिए दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।
उत्तर
समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है। (*)
समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है। (*)
विश्लेषण: भाइयों ने अपने अवलोकन और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में सटीक जानकारी दी। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि सावधानीपूर्वक निरीक्षण और बुद्धि किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत होती है। इसलिए दो उत्तर सही हैं।
(3) राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर विश्वास क्यों किया?
- भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया। (*)
- राजा को ऊँट के स्वामी की बातों पर संदेह था।
- राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी। (*)
- भाइयों ने राजा को अपनी बात में उलझा लिया था।
उत्तर
भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।
राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।
विश्लेषण: राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर तब विश्वास किया जब उन्होंने तर्क के साथ ऊँट और पेटी के बारे में सही-सही बताया। साथ ही, राजा ने पेटी की जाँच करके उनकी बात की पुष्टि की। इसलिए दो उत्तर सही हैं।
(4) लोककथा के पात्रों और घटनाओं के आधार पर, राजा के निर्णय के पीछे कौन-सा मूल्य छिपा है?
- दोषी को कड़ा से कड़ा दंड देना हर समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।
- अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए। (*)
- राजा की प्रत्येक बात और निर्णय को सदा सही माना जाना चाहिए।
- ऊँट की चोरी के निर्णय के लिए सेवक की बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।
उत्तर
अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए। (*)
विश्लेषण: राजा ने भाइयों को दोषी ठहराने से पहले उनकी बुद्धिमत्ता की जाँच की और सही निर्णय लिया। इससे यह मूल्य सामने आता है कि बिना जाँच के किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने भिन्न-भिन्न उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें।
उत्तर
मैंने उपरोक्त उत्तर इसलिए चुने क्योंकि लोककथा में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि भाइयों की पैनी दृष्टि और बुद्धि ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। उनके पिता ने उन्हें यही सलाह दी थी, और उन्होंने उसी का उपयोग करके ऊँट और पेटी के बारे में सटीक जानकारी दी। राजा ने भी उनकी बातों को तर्क और जाँच के आधार पर सही माना। अपने मित्रों के साथ चर्चा में मैं यह समझाऊँगा कि कहानी का मुख्य संदेश बुद्धि और अवलोकन की शक्ति है, और यही कारण है कि मैंने ये उत्तर चुने।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-
(क) "रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।"
उत्तर
अर्थ: इस पंक्ति में पिता अपने बेटों को समझाते हैं कि सच्चा धन पैसा या सोना-चाँदी नहीं, बल्कि पैनी दृष्टि (सावधानी से देखने की क्षमता) और तीव्र बुद्धि (समझ और तर्क की शक्ति) है। यह धन कभी खत्म नहीं होता और जीवन में हर कमी को पूरा करता है। इससे व्यक्ति हमेशा दूसरों से बेहतर स्थिति में रहता है।
विचार: यह पंक्ति मुझे बहुत प्रेरणादायक लगती है क्योंकि यह बताती है कि ज्ञान और समझ ही सबसे मूल्यवान संपत्ति है। इससे हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
(ख) "हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए।"
उत्तर
अर्थ: इस पंक्ति में पिता बेटों को सलाह देते हैं कि वे अपने आसपास की हर चीज़ और परिस्थिति को ध्यानपूर्वक देखें और पूरी तरह समझने की कोशिश करें। कोई भी बात उनकी नजर से नहीं छूटनी चाहिए।
विचार: यह पंक्ति सिखाती है कि हमें हमेशा जागरूक और सतर्क रहना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और मुश्किल परिस्थितियों में सही निर्णय ले सकते हैं।
(ग) "हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।"
उत्तर
अर्थ: इस पंक्ति में भाइयों ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही अपने आसपास की चीजों को ध्यानपूर्वक देखने और समझने की आदत डाली। इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत और समय लगाया।
विचार: यह पंक्ति हमें सिखाती है कि किसी भी कौशल को विकसित करने के लिए समय और मेहनत की जरूरत होती है। भाइयों की तरह हमें भी अपने अवलोकन और सोच को बेहतर बनाने के लिए अभ्यास करना चाहिए।
मिलकर करें मिलान
स्तंभ 1 के वाक्यों को स्तंभ 2 के उपयुक्त वाक्यों से सुमेलित करें:
उत्तर:
सोच-विचार के लिए
(क) तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था?
उत्तरः
उन्होंने रास्ते पर मिले चिन्हों, घास की दिशा, पैरों के निशानों, और पेटी की आवाज़ जैसे संकेतों का सूक्ष्म निरीक्षण किया। इसी तीव्र बुद्धि और अवलोकन शक्ति से उन्होंने ऊँट, सवारों और वस्तुओं के बारे में सही अनुमान लगाया।
(ख) आपके अनुसार इस लोककथा में सबसे अधिक महत्व किस बात को दिया गया है- तार्किक सोच, अवलोकन या सत्यवादिता? लोककथा के आधार पर समझाइए।
उत्तर
अवलोकन सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरी कहानी में भाइयों ने हर घटना, वस्तु और निशान का गहराई से निरीक्षण किया और वहीं से निष्कर्ष निकाला। उन्होंने बिना देखे सब कुछ जान लिया, यह उनकी पैनी दृष्टि और अभ्यास का परिणाम था।
(ग) लोककथा में राजा ने पहले भाइयों पर संदेह किया लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। राजा की सोच क्यों बदल गई?
उत्तर
राजा की सोच इसलिए बदली क्योंकि:
- भाइयों ने पेटी में कच्चे अनार के बारे में सही अनुमान लगाया, जिसे राजा ने जाँचकर सत्यापित किया।
- भाइयों ने तर्क के साथ समझाया कि उन्होंने ऊँट के बारे में कैसे जाना, जैसे पैरों के निशान, घास की स्थिति, और जूतों के निशान।
- उनकी बुद्धिमत्ता और सच्चाई ने राजा को प्रभावित किया, और उसने महसूस किया कि वे चोर नहीं, बल्कि असाधारण बुद्धिमान लोग हैं।
(घ) ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर तुरंत संदेह क्यों किया? आपके विचार से उसे क्या करना चाहिए था जिससे उसे अपना ऊँट मिल जाता?
उत्तर
ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर संदेह किया क्योकि:
- भाइयों ने ऊँट के बारे में ऐसी सटीक जानकारी दी (जैसे उसका आकार, एक आँख से न देखना, और उस पर सवार महिला और बच्चा), जो बिना देखे कोई नहीं बता सकता था।
- स्वामी को लगा कि इतनी जानकारी केवल चोर ही दे सकते हैं, क्योंकि उसने स्वयं इस बारे में कुछ नहीं बताया था।
हमें क्या करना चाहिए:
- स्वामी को भाइयों पर संदेह करने के बजाय उनकी सलाह मानकर उस दिशा में जाना चाहिए था, जहाँ उन्होंने ऊँट के जाने की बात कही थी।
- उसे भाइयों से और जानकारी माँगनी चाहिए थी, जैसे निशानों के आधार पर ऊँट कहाँ जा सकता है।
- वह भाइयों की मदद ले सकता था, क्योंकि उनकी पैनी दृष्टि से ऊँट को खोजने में आसानी होती।
(ङ) पिता ने बेटों को "दूसरे प्रकार का धन" संचित करने की सलाह क्यों दी? इससे पिता के बारे में क्या-क्या पता चलता है?
उत्तर
पिता ने यह सलाह दी क्योंकि:
- पिता निर्धन थे और उनके पास रुपये-पैसे या धन-दौलत नहीं था। इसलिए उन्होंने बेटों को सलाह दी कि वे पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि को संचित करें, जो सच्चा और स्थायी धन है।
- वे चाहते थे कि उनके बेटे जीवन में किसी पर निर्भर न रहें और अपनी बुद्धि से हर समस्या का समाधान करें।
पिता के बारे में हमें यह पता चलता है कि:
- बुद्धिमान: पिता को जीवन का गहरा ज्ञान था कि बुद्धि और अवलोकन ही सबसे बड़ा धन है।
- दूरदर्शी: उन्होंने बेटों को भविष्य के लिए ऐसी सलाह दी जो उन्हें हमेशा काम आएगी।
- प्रेरणादायक: उन्होंने निर्धनता के बावजूद अपने बेटों को आत्मविश्वास और मेहनत का पाठ पढ़ाया।
- सकारात्मक: उन्होंने कमी को कमजोरी नहीं माना, बल्कि बेटों को भावनाओं की ओर मार्गदर्शन किया।
(च) राजा ने भाइयों की परीक्षा लेने के लिए पेटी का उपयोग किया। इस परीक्षा से राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के बारे में क्या-क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
उत्तर
राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के निष्कर्ष:
- निष्पक्ष: राजा ने भाइयों को तुरंत दोषी नहीं ठहराया, बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता की जाँच की। यह दिखाता है कि वह निष्पक्ष निर्णय लेता था।
- जिज्ञासु: वह भाइयों की असाधारण बुद्धि को परखना चाहता था, इसलिए उसने पेटी की परीक्षा आयोजित की।
- तार्किक: राजा ने भाइयों के उत्तरों की तर्क और प्रमाण के आधार पर जाँच की, जैसे पेटी में कच्चा अनार देखकर उनकी बात की पुष्टि की।।
- प्रशंसक: भाइयों की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उसने उनकी तारीफ की और उन्हें अपने दरबार में रख लिया।
- निर्णय लेने में सावधान: उसने जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि पूरी जाँच के बाद फैसला किया।
(छ) आप इस लोककथा के भाइयों की किस विशेषता को अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर
मैं भाइयों की पैनी दृष्टि और अवलोकन की विशेषता को अपनाना चाहूँगा।
क्योंकि:
- अवलोकन की शक्ति से मैं अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दे सकूँगा, जिससे मुझे समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने और हल करने में मदद मिलेगी।
- यह विशेषता मुझे तार्किक सोच और सही निर्णय लेने में सहायता देगी, जैसा कि भाइयों ने ऊँट और पेटी के बारे में किया।
- इससे मैं अपने जीवन में अधिक जागरूक और आत्मविश्वास से भरा रहूँगा।
अनुमान और कल्पना से
(क) यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो इस लोककथा का क्या परिणाम होता?
उत्तर
यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो:
- भाइयों को सजा मिलती, जैसे जेल या दंड, और उनकी बुद्धिमत्ता का कोई मूल्य नहीं रहता।
- कहानी का संदेश बदल जाता, और यह दिखाया जाता कि बुद्धि और सच्चाई की जीत नहीं होती।
- ऊँट का स्वामी भी अपना ऊँट नहीं खोज पाता, क्योंकि भाइयों की सलाह नहीं मिलती।
- राजा की छवि एक अन्यायी शासक की बन जाती, और लोककथा का नैतिक मूल्य (निष्पक्षता और बुद्धि की शक्ति) खो जाता।
(ख) यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत किस प्रकार होता? अपने विचार व्यक्त करें।
उत्तर
यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो:
- राजा को भाइयों की बुद्धिमत्ता पर संदेह हो जाता, और वह उन्हें चोर मान लेता।
- भाइयों को सजा मिल सकती थी या उन्हें अपनी सच्चाई साबित करने के लिए और परीक्षा देनी पड़ती।
- कहानी का अंत दुखद हो सकता था, और भाइयों की बुद्धि की प्रशंसा नहीं होती।
- ऊँट के स्वामी को भी उसकी संपत्ति नहीं मिलती, क्योंकि राजा भाइयों की सलाह पर भरोसा नहीं करता।
(ग) लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था?
उत्तर
लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था:
- भूख और थकान: भाइयों के पास पहले ही खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था और वे थके हुए थे। ऊँट की खोज में उन्हें और अधिक भूख और थकान झेलनी पड़ती।
- रास्ते की कठिनाई: वे सुनसान घाटियों और ऊँचे पहाड़ों से गुजर चुके थे। खोज में उन्हें और मुश्किल रास्तों से गुजरना पड़ता।
- खतरा: जंगल या सुनसान इलाकों में जंगली जानवरों या लुटेरों का खतरा हो सकता था।
- स्वामी का संदेह: ऊँट का स्वामी उन पर और अधिक संदेह करता, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़तीं।
- संसाधनों की कमी: उनके पास पैसे या अन्य साधन नहीं थे, जिससे खोज में परेशानी होती।
(घ) यदि राजा के स्थान पर आप होते तो भाइयों की परीक्षा लेने के लिए किस प्रकार के सवाल या गतिविधियाँ करते? अपनी कल्पना साझा करें।
उत्तर
यदि मैं राजा होता, तो भाइयों की परीक्षा के लिए मैं निम्नलिखित सवाल या गतिविधियाँ करता:
- गुप्त वस्तु पहचान: मैं एक बंद कमरे में तीन अलग-अलग वस्तुएँ रखता, जैसे एक फल, एक कपड़ा, और एक गहना। भाइयों को बिना देखे, केवल कमरे के बाहर के निशानों जैसे गंध, आवाज़ या पैरों के निशान देखकर वस्तुओं का अनुमान लगाना होता।
- कहानी पूरा करना: मैं एक अधूरी कहानी सुनाता, जिसमें कुछ हिस्से छूट जाते। भाइयों को अपनी समझ और तर्क से उस कहानी के छूटे हुए भाग को पूरा करना होता।
- रहस्यमय निशान: मैं महल के बगीचे में कुछ नकली निशान बनवाता, जैसे टूटे पत्ते, मिट्टी पर पैरों के निशान, या बिखरे हुए फूल। भाइयों को इन निशानों से यह बताना होता कि वहाँ क्या हुआ था।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में 'बुद्धि' से जुड़े शब्द:
उत्तर
लोककथा को सुनाना
लोककथा के लिखित रूप में आने से पहले कहानियों का प्रचलन मौखिक रूप में ही पीडी-दर-पीडी चलता था। इसमें कहानी सुनने-सुनाने और याद रखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। कहानी कहने या सुनाने वाला इस तरह से कहानी सुनाता था कि सुनने वालों को रोचक लगे। इसमें कहानी सुनने वालों को आनंद तो आता ही था, कथा उन्हें याद भी हो जाती थी।
अब आप अपने समूह के साथ मिलकर इस लोककथा को रोचक ढंग से सुनाइए। लोककथा को प्रभावशाली और रोचक रूप में सुनाने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जो लोककथा को और भी आकर्षक बना सकते हैं-
उत्तर
हम अपने समूह के साथ मिलकर लोककथा को इस प्रकार रोचक ढंग से सुनाएँगे:
- स्वर में उतार-चढ़ाव: जब भाइयों को ऊँट के स्वामी राजा के पास ले जाता है, तो आवाज़ में रहस्यमय और तनावपूर्ण बदलाव लाएँगे।
- भावनाओं का प्रदर्शन: राजा के आश्चर्य को उत्साह और हैरानी के साथ व्यक्त करेंगे।
- पात्रों के अलग-अलग स्वर: बड़े भाई के लिए गंभीर, मझले भाई के लिए आत्मविश्वासी, और छोटे भाई के लिए उत्साही स्वर अपनाएँगे।
- शारीरिक अभिव्यक्ति: ऊँट के निशान बताते समय हाथों और शरीर की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, जैसे जमीन की ओर इशारा।
- हास्य: जब भाइयों ने पेटी में कच्चा अनार होने का अनुमान लगाया, तो हल्की मुस्कान और मज़ेदार अंदाज में प्रस्तुत करेंगे।
- विवरणात्मक भाषा: बगीचे, सड़क, और महल का ऐसा चित्रण करेंगे कि श्रोता आँखें बंद करके भी वहाँ की कल्पना कर सकें।
- रोचक मोड़: पेटी खोलने से पहले कुछ देर रुकर पूछेंगे, "क्या आप जानना चाहते हैं कि पेटी में क्या था?"
- संवादों को स्पष्ट बनाना: भाइयों और राजा के संवादों को जीवंत और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करेंगे।
कारक
नीचे दिए गए बाक्य को ध्यान से पढ़िए-
"भाइयों जवाब दिया।"
यह वाक्य कुछ अटपटा लग रहा है न? अब नीचे दिए गए वाक्य को पढ़िए-
"भाइयों ने जवाब दिया।"
इन दोनों वाक्यों में अंतर समझ में आया? बिलकुल सही पहचाना आपनेः दूसरे वाक्य में 'ने' शब्द 'भाइयों और 'जवाब दिया' के बीच संबंध को जोड़ रहा है। संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाले शब्दों के ऐसे रूपों को कारक या परसर्ग कहते हैं। कारक शब्दों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
नीचे दिए गए वाक्यों में कारक लिखकर इन्हें पूरा कीजिए-
- "हमने तो तुम्हारे ऊँट ____ देखा तक नहीं", भाइयों ____ परेशान होते हुए कहा।
- मैं अपने रेवड़ों ____ पहाड़ों ____ लिये जा रहा था", उसने कहा, "और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे ____ साथ एक बड़े-से ऊँट ____ मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।"
- राजा ____ उसी समय अपने मंत्री ____ बुलाया और उसके कान ____ कुछ फुसफुसाया।
- यह सुनकर राजा ____ पेटी ____ पास लाने ____ आदेश दिया। सेवकों ____ तुरंत आदेश ____ पालन किया। राजा ____ सेवकों ____ पेटी खोलने ____ कहा।
उत्तर
- "हमने तो तुम्हारे ऊँट को देखा तक नहीं", भाइयों ने परेशान होते हुए कहा।
- मैं अपने रेवड़ों को पहाड़ों पर लिये जा रहा था", उसने कहा, "और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे के साथ एक बड़े-से ऊँट पर मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।"
- राजा ने उसी समय अपने मंत्री को बुलाया और उसके कान में कुछ फुसफुसाया।
- यह सुनकर राजा ने पेटी को पास लाने का आदेश दिया। सेवकों ने तुरंत आदेश का पालन किया। राजा ने सेवकों से पेटी खोलने के लिए कहा।
सूचनापत्र
कल्पना कीजिए कि आप इस लोककथा के वह घुड़सवार हैं जिसका ऊँट खो गया है। आप अपने ऊँट को खोजने के लिए एक सूचना कागज पर लिखकर पूरे शहर में जगह-जगह चिपकाना चाहते हैं। अपनी कल्पना और लोककथा में दी गई जानकारी के आधार पर एक सूचनापत्र लिखिए।
उत्तर
सूचनापत्र
खोया हुआ ऊँट - सूचना
सभी नगरवासियों से विनम्र अनुरोध है कि मेरे खोए हुए ऊँट को खोजने में कृपया सहायता करें।
विवरण
- ऊँट का प्रकार: बहुत बड़ा ऊँट, भूरे रंग का।
- विशेषता: एक आँख से नहीं देखता (दाईं आँख खराब)।
- सवार: मेरी पत्नी और छोटा बेटा ऊँट पर सवार थे।
- खोने का स्थान: नगर के निकट सुनसान रास्ते पर।
- खोने का समय: कुछ दिन पहले।
संपर्क: यदि आपको ऊँट या मेरे परिवार के बारे में कोई जानकारी मिले, तो कृपया मुझे नगर के मुख्य चौक पर मिलें या राजा के महल में संदेश भेजें।
इनाम: जो भी मेरे ऊँट और परिवार को सुरक्षित लौटाने में मदद करेगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा।
धन्यवाद,
[आपका नाम]
घुड़सवार
पाठ से आगे
आपकी बात
1. लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। क्या आपने कभी अपनी पैनी दृष्टि का प्रयोग किसी समस्या को हल करने के लिए किया है? उस समस्या और आपके द्वारा दिए गए हल के विषय में लिखिए।
उत्तर
हाँ, मैंने एक बार अपनी पैनी दृष्टि का उपयोग किया। मेरे घर में टीवी अचानक बंद हो गया था। सबको लगा कि यह खराब हो गया है। लेकिन मैंने ध्यान से देखा कि टीवी का प्लग ढीला था और बिजली का कनेक्शन ठीक नहीं था। मैंने प्लग को ठीक किया, और टीवी फिर से चालू हो गया।
2. लोककथा में बताया गया है कि भाइयों ने "बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली।" यदि आपने ऐसा किया है तो आपको अपने जीवन में इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर
मैंने भी बचपन से छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की आदत बनाई है। इसके कारण मुझे कई फायदे मिलते हैं:
- बेहतर सीखना: स्कूल में मैं शिक्षक की हर बात ध्यान से सुनता हूँ, जिससे मुझे पढ़ाई अच्छे से समझ आती है और मैं अच्छे अंक प्राप्त करता हूँ।
- समस्याओं का समाधान: जब भी कुछ खो जाता है, तो मैं ध्यान से सोचता हूँ कि आखिरी बार उसे कहाँ देखा था। इससे वह चीज़ जल्दी मिल जाती है।
- जागरूकता: मैं अपने आस-पास की परिस्थितियों को बेहतर समझ पाता हूँ, जैसे मौसम में बदलाव या किसी के मन की भावनाएँ।
- सावधानी: छोटी-छोटी बातों को समझकर मैं गलतियों से बच पाता हूँ और सही निर्णय ले पाता हूँ।
3. लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, जैसे- भूख, थकान और पैरों में छाले। आप अपने दैनिक जीवन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करते हैं? लिखिए।
उत्तर
मेरे दैनिक जीवन में मुझे कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
- समय की कमी: स्कूल, होमवर्क, खेल-कूद और आराम के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।
- पढ़ाई का दबाव: कुछ विषय, जैसे गणित और विज्ञान, समझने में मुश्किल लगते हैं।
- थकान: दिनभर की पढ़ाई और अन्य कामों के बाद मैं बहुत थक जाता हूँ।
- छोटी-मोटी परेशानियाँ: जैसे बारिश में स्कूल जाना या बस के देर से आने पर इंतजार करना।
4. भाइयों ने बिना देखे ही ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताई। क्या आपको लगता है कि अनुभव और की समझ से देखे बिना भी सही निर्णय लिया जा सकता है? क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?
उत्तर
हाँ, मुझे लगता है कि अनुभव और समझ से बिना देखे भी सही निर्णय लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक बार मेरी माँ ने मुझसे कहा कि मैंने उनका पर्स गलत जगह रख दिया। मैंने सोचा और याद किया कि मैंने उसे सोफे के पास देखा था। बिना दोबारा देखे मैंने उन्हें बताया, और पर्स वहीँ मिला।
विश्लेषण: अनुभव और याददाश्त से हम सही अनुमान लगा सकते हैं, जैसा कि भाइयों ने किया।
5. जब ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर शंका की तो भाइयों ने बिना गुस्सा किए शांति से उत्तर दिया। क्या आपको लगता है कि कभी किसी को संदेह होने पर हमें भी शांत रहकर उत्तर देना चाहिए? क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? ऐसे में आपने क्या किया?
उत्तर
हाँ, मुझे लगता है कि जब किसी को संदेह हो तो हमें शांत रहकर समझदारी से उत्तर देना चाहिए। ऐसा करने से गलतफहमी खत्म होती है और बात साफ हो जाती है। एक बार मेरी सहेली ने मुझ पर गलतफहमी जताई थी कि मैंने उसका काम पूरा नहीं किया, लेकिन मैंने शांत रहकर पूरा सच समझाया। इससे वह मेरी बात मान गई और हमारा रिश्ता और मजबूत हो गया।
6. राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया। क्या आपको कभी किसी की सोच, समझ या किसी विशेष कौशल को देखकर आश्चर्य हुआ है? क्या आपने कभी किसी से कुछ ऐसा सीखा है जो आपके लिए बिलकुल नया और चौकाने वाला हो?
उत्तर
हाँ, मुझे अपने शिक्षक की गणित समझाने की कला देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने एक जटिल सवाल को इतने आसान तरीके से समझाया कि मुझे तुरंत समझ आ गया। मैंने उनसे सीखा कि किसी भी मुश्किल चीज को आसान बनाने के लिए उसे छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ना चाहिए। यह मेरे लिए नया और उपयोगी था।
7. लोककथा में पिता ने अपने बेटों को यह सलाह दी कि वे समझ और ज्ञान जमा करें। क्या आपको कभी किसी बड़े व्यक्ति से ऐसी कोई सलाह मिली है जो आपके जीवन में उपयोगी रही हो? क्या आप भी अपने अनुभव से किसी को ऐसी सलाह देंगे?
उत्तर
मेरे दादाजी ने मुझे यह सलाह दी थी कि हमेशा मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए क्योंकि ये गुण जीवन में बहुत मदद करते हैं। यह सलाह मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुई, क्योंकि स्कूल में मेहनत करने से मेरे अंक बेहतर हुए और मैं अपनी पढ़ाई में सफल हुआ। मैं भी अपने छोटे भाई को यही सलाह देता हूँ कि वह पढ़ाई में पूरी मेहनत करे और हमेशा सच बोलें।
8. भाइयों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के होते हुए भी सदा सच्चाई का साथ दिया। क्या आपको लगता है कि सदा सच बोलना महत्वपूर्ण है, भले ही स्थिति कठिन क्यों न हो? क्या आपको किसी समय ऐसा लगा है कि आपकी सच्चाई ने आपको समस्याओं से बाहर निकाला हो?
उत्तर
हाँ, मुझे लगता है कि सच्चाई हमेशा बोलनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। सच बोलने से लोगों का विश्वास बढ़ता है और समस्याएँ जल्दी हल हो जाती हैं। एक बार मैंने गलती से अपनी माँ का गिलास तोड़ दिया था। मैं डर गया था, लेकिन मैंने ईमानदारी से सच बता दिया। माँ ने मुझे डाँटा, लेकिन बाद में मेरी सच्चाई की तारीफ की और मुझे माफ कर दिया।
ध्यान से देखना-सुनना-अनुभव करना
अचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।"
इस लोककथा में तीनों भाई आसपास की प्रत्येक घटना, वस्तु आदि को ध्यान से देखते, सुनते, सूंघते और अनुभव करते हैं अर्थात् अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पाँच होती हैं- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। आँख से देखकर, कान से सुनाकर, नाक से सूपकर, जीभ से चखकर और त्वचा से स्पर्श करके हम किसी वस्तु के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आइए, अब एक खेल खेलते हैं जिसमें आपको अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का उपयोग करने के अवसर मिलेंगे।
(क) हाँ' या 'नहीं' प्रश्न-उत्तर खेल
चरण-
- एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाकर दिखाई देने वाली किसी एक वस्तु या स्थान का नाम चुनेगा। कक्षा के भीतर से भी कोई नाम चुना जा सकता है।
- विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और उस नाम को एक कागज पर लिख लेगा। लेकिन ध्यान रहे, वह कागज पर लिखे नाम को किसी को न दिखाए।
- अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से उस वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर केवल 'हाँ' या 'नहीं' में दिया जाएगा।
उदाहरण के लिए-
- क्या इस वस्तु का उपयोग कक्षा में होता है?
- क्या यह खाने-पीने की चीज है?
- क्या यह लकड़ी से बनी है?
- ज्या यह बिजली से चलती है?
सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न ही पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें सोच-समझकर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे उस वस्तु का नाम पत्ता कर सकें।
यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी वस्तु का सही अनुमान लगा लेते हैं तो वे जीत जाएँगे।
अब दूसरे विद्यार्थी को बाहर भेजकर गतिविधि दोहराएँगे।
गतिविधि के अंत में सभी मिलकर इस खेल से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करें।
उत्तर
हम इस खेल को निम्नलिखित तरीके से खेलेंगे:
चरण:
- वस्तु का चयन: एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाएगा और एक वस्तु का नाम चुनेगा, जैसे "किताब"। वह कक्षा के अंदर की वस्तु, जैसे "बोर्ड" या "पंखा", भी चुन सकता है। इससे खेल शुरू होता है और जिज्ञासा बढ़ती है।
- नाम लिखना: विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और चुनी गई वस्तु, जैसे "किताब", का नाम एक कागज पर लिखेगा। वह इस कागज को किसी को नहीं दिखाएगा ताकि रहस्य बना रहे।
- प्रश्न पूछना: अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे। प्रत्येक प्रश्न का जवाब केवल "हाँ" या "नहीं" में होगा। उदाहरण: "क्या यह कक्षा में उपयोग होता है?" या "क्या यह कागज से बना है?"
- प्रश्नों का उदाहरण: विद्यार्थी ऐसे प्रश्न पूछेंगे जो वस्तु को पहचानने में मदद करें। जैसे:
- क्या यह वस्तु कक्षा में उपयोग होती है? (हाँ)
- क्या यह खाने-पीने की चीज है? (नहीं)
- क्या यह कागज से बना है? (हाँ)
- क्या यह पढ़ने के लिए है? (हाँ)
- प्रश्नों की सीमा: सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न पूछ सकते हैं। उन्हें सोच-समझकर चतुर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे कम से कम प्रश्नों में वस्तु का नाम, जैसे "किताब", पता कर सकें।
- जीत का नियम: यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी सही अनुमान लगा लेते हैं, जैसे "किताब", तो वे जीत जाएँगे। यह उनकी तार्किक सोच और अवलोकन कौशल को दर्शाता है।
- गतिविधि दोहराना: जीत के बाद, एक नया विद्यार्थी बाहर जाकर दूसरी वस्तु चुनेगा, और खेल फिर से शुरू होगा। इससे सभी को खेलने और सीखने का मौका मिलेगा।
- अनुभव पर चर्चा: गतिविधि के अंत में सभी विद्यार्थी मिलकर अपने अनुभव साझा करेंगे। हम चर्चा करेंगे कि कौन से प्रश्न सबसे उपयोगी थे, जैसे "क्या यह जीवित है?" जिसने वस्तु की श्रेणी स्पष्ट की। कुछ प्रश्न, जैसे "क्या यह नीले रंग का है?", कम उपयोगी थे। यह खेल हमें सिखाता है कि सही प्रश्न पूछने से तेजी से जवाब मिलता है, जैसा कि लोककथा में भाइयों ने अपनी पैनी दृष्टि से किया।
(ख) गतिविधि- 'स्पर्श, गंध और स्वाद से पहचानना'
- एक बैले या डिब्बे में (सावधानीपूर्वक एवं सुरक्षित) विभिन्न वस्तुएँ (जैसे- फल, फूल, मसाले, खिलौने, कपड़े, किताब, गुड आदि) रखें।
- विद्यार्थियों को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध या स्वाद का उपयोग करके वस्तु की पहचान करनी होगी और उसका नाम बताना होगा।
- बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाकर उसकी आँखों पर पट्टी बाँध।
- उसे डिब्बे से एक वस्तु दी जाए। विद्यार्थी उसे छूकर, सुपकर, चखकर पहचानने का प्रयास करेंगे।
- सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने उस बस्तु को कैसे पहचाना।
- एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का अवसर मिलेगा।
- अंत में सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँ और उनके बारे में चर्चा करें कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन लगा।
उत्तर
हम इस गतिविधि को निम्नलिखित तरीके से करेंगे:
- वस्तुओं का चयन और तैयारी: हम एक डिब्बे में सावधानीपूर्वक और सुरक्षित वस्तुएँ रखेंगे, जैसे सेब (फल), गुलाब (फूल), इलाइची (मसाला), छोटा प्लास्टिक का खिलौना, सूती कपड़ा, किताब, और गुड़। ये वस्तुएँ ऐसी होंगी जिन्हें छूना, सूँघना, या चखना सुरक्षित हो।
- पट्टी बाँधकर पहचान: प्रत्येक विद्यार्थी को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध, या स्वाद का उपयोग करके डिब्बे से दी गई वस्तु की पहचान करनी होगी। उन्हें वस्तु का नाम बताना होगा, जैसे "यह सेब है"।
- बारी-बारी से भागीदारी: हम बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाएँगे और उनकी आँखों पर पट्टी बाँधेंगे। इससे सभी को समान अवसर मिलेगा और गतिविधि रोचक बनी रहेगी।
- वस्तु देना और पहचानना: प्रत्येक विद्यार्थी को डिब्बे से एक वस्तु दी जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर सेब दिया गया, तो विद्यार्थी उसे छूकर (गोल और चिकना), सूँघकर (हल्की मिठास), या चखकर।
- पहचान का तरीका बताना: सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने वस्तु को कैसे पहचाना। उदाहरण के लिए, "मैंने सेब को उसके चिकने स्पर्श और हल्की मीठी गंध से पहचाना।" इससे हमें उनकी सोच और इंद्रियों के उपयोग को समझने में मदद मिलेगी।
- सभी को अवसर: एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का मौका मिलेगा। उदाहरण के लिए, एक को सेब, दूसरे को इलाइची, तीसरे को किताब, आदि। इससे सभी को विभिन्न अनुभव मिलेंगे।
- चर्चा और प्रदर्शन: अंत में, हम सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँगे और चर्चा करेंगे कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन था। उदाहरण के लिए, सेब और इलाइची को उनकी मजबूत गंध के कारण पहचानना आसान था, लेकिन खिलौना कठिन था क्योंकि उसकी कोई गंध नहीं थी। हम यह भी चर्चा करेंगे कि कौन सी इंद्रिय (स्पर्श, गंध, या स्वाद) सबसे उपयोगी थी।
अनुभव: यह गतिविधि बहुत मजेदार और शिक्षाप्रद थी। इसने हमें सिखाया कि हम अपनी इंद्रियों का उपयोग करके बिना देखे भी बहुत कुछ जान सकते हैं, जैसा कि लोककथा में भाइयों ने किया। सेब और गुड़ जैसी वस्तुओं को पहचानना आसान था क्योंकि उनकी गंध और स्वाद मजबूत थे, लेकिन किताब और कपड़े को पहचानना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि उनकी गंध कम थी। इस गतिविधि ने हमें धैर्य, जागरूकता, और अपनी इंद्रियों पर भरोसा करना सिखाया।
आज की पहेली
आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अभआपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत हैं जहाँ आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे। संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-
1. कौन है यह प्राणी?
संकेत:
- इसकी लंबी पूँछ होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपटी रहती है।
- इसका मुख्य आहार कीट और छोटे जीव होते हैं जिन्हें यह चुपके से पकड़ता है।
- यह प्राणी अपने परिवेश में घुल-मिल जाता है और अपनी रंगत को बदल सकता है।
- इसके पास तेज आँखें होती हैं जो चारों दिशाओं में देख सकती हैं।
उत्तर
गिरगिट
विश्लेषण: गिरगिट की पूँछ लंबी और लिपटने वाली होती है, यह कीट खाता है, रंग बदल सकता है, और इसकी आँखें चारों ओर देख सकती हैं।
2. रंगीन डिब्बे
संकेत
- लाल डिब्बा नीले डिब्बे के पास है।
- हरा डिब्बा पीले डिब्बे के पास नहीं है।
- पीला डिब्बा लाल डिब्बे के पास नहीं है।
- हरा डिब्बा लाल डिब्बे के पास है।
उत्तर
पीले डिब्बे के बराबर में नीला डिब्बा है।
विश्लेषण: चार डिब्बे एक सीध में हैं: स्थान 1, 2, 3, 4।
- संकेत 1: लाल (R) नीले (B) के पास है।
- संकेत 4: हरा (G) लाल (R) के पास है।
- संकेत 3: पीला (Y) लाल (R) के पास नहीं है।
- संकेत 2: हरा (G) पीले (Y) के पास नहीं है।
- संभव क्रम: G, R, B, Y (स्थान 1: G, स्थान 2: R, स्थान 3: B, स्थान 4: Y)।
- यहाँ पीला (Y) स्थान 4 पर है, और इसके बराबर नीला (B) स्थान 3 पर है।
- सभी संकेत संतुष्ट होते हैं:
- R और B पास-पास (2 और 3)।
- G और R पास-पास (1 और 2)।
- Y और R पास नहीं (4 और 2)।
- G और Y पास नहीं (1 और 4)।
इसलिए, पीले डिब्बे के बराबर नीला डिब्बा है।