Chapter 4 पानी रे पानी Chapter Explanation for Class 7 Hindi NCERT मल्हार

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Summary of Chapter 4 पानी रे पानी Class 7 Hindi

पानी रे पानी के लेखक अनुपम मिश्र हैं। यह कहानी नई एनसीईआरटी कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक मल्हार में शामिल है। यह पाठ हमें समझाता है कि पानी हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है और इसे बचाने के लिए हमें क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। लेखक ने पानी की तुलना धरती की गुल्लक में जमा होने वाले खजाने से की है और बताया है कि तालाब, झीलें और नदियाँ इस खजाने को बढ़ाने में सहायक होती हैं। यह पाठ हमें अकाल और बाढ़ जैसी समस्याओं से बचने के लिए जल संरक्षण के उपाय सिखाता है। हमने इसका NCERT Solutions of पानी रे पानी भी दिया जिसको पढ़कर बच्चें अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास कर सकते हैं।


पानी रे पानी कहानी की मुख्य घटनाएँ

  • जल-चक्र का चित्रण: समुद्र से भाप बनना, बादल बनना, बारिश होना और पानी का फिर समुद्र में मिलना।
  • पानी की कमी: गर्मी में नल सूखना, मोटर लगाकर पानी खींचना, पानी बिकने लगना।
  • पानी की अधिकता: बारिश के समय बाढ़ आना, घर-स्कूल-सड़क सब डूब जाना।
  • पुराने जलस्रोतों का नुकसान: तालाबों और झीलों को नष्ट करना।
  • समाधान का सुझाव: जलस्रोतों की रक्षा करना और जल-चक्र को सही ढंग से समझना।

पानी रे पानी का सार Explanation

पानी रे पानी पाठ में लेखक अनुपम मिश्र जल-चक्र और पानी की कमी की समस्या को बहुत सरल और रोचक तरीके से समझाते हैं। वे बताते हैं कि जल-चक्र प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें समुद्र का पानी भाप बनकर बादल बनता है, फिर बारिश के रूप में धरती पर आता है और नदियों के रास्ते वापस समुद्र में चला जाता है। यह चक्र किताबों में तो बहुत सुंदर लगता है, लेकिन असल जिंदगी में पानी का एक अजीब चक्कर बन गया है।

शहरों, गाँवों, स्कूलों, खेतों और कारखानों में पानी की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। नलों में पानी समय पर नहीं आता, और जब आता है तो देर रात या सुबह जल्दी। नल खोलने पर सिर्फ साँय-साँय की आवाज आती है। इस कमी को पूरा करने के लिए लोग मोटर लगाकर पानी खींचते हैं, जिससे आसपास के घरों का पानी कम हो जाता है। इससे झगड़े भी होने लगते हैं। बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में भी पानी की कमी लोगों को परेशान करती है। गर्मियों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।

वहीं, बारिश के मौसम में इतना पानी बरसता है कि सड़कें, घर और स्कूल पानी में डूबजाते हैं। बाढ़ आती है, जो गाँवों और शहरों को नुकसान पहुँचाती है। लेखक कहते हैं कि अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अगर हम जल-चक्र को ठीक से समझें और पानी को सही तरीके से संभालें, तो इन समस्याओं से बच सकते हैं।

लेखक पानी की तुलना पैसे से करते हैं और धरती को एक बड़ी गुल्लक बताते हैं। जैसे हम गुल्लक में पैसे जमा करते हैं, वैसे ही बारिश के पानी को तालाबों, झीलों और नदियों में जमा करना चाहिए। यह पानी धीरे-धीरे जमीन के नीचे भूजल भंडार में जाता है, जो साल भर हमारे काम आता है। लेकिन हमने लालच में तालाबों को कचरे से भर दिया और उन पर मकान, बाजार और स्टेडियम बना दिए। इस गलती की सजा अब हमें मिल रही है—गर्मियों में नल सूख जाते हैं और बारिश में बस्तियाँ डूब जाती हैं।

लेखक सुझाव देते हैं कि हमें जल-चक्र को समझना होगा। बारिश का पानी तालाबों और झीलों में जमा करना होगा, भूजल भंडार को सुरक्षित रखना होगा और जलस्रोतों की अच्छे से देखभाल करनी होगी। तभी हम पानी की कमी से बच सकते हैं। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो पानी के चक्कर में फँसते चले जाएँगे।


पानी रे पानी कहानी से शिक्षा

यह पाठ हमें सिखाता है कि जल ही जीवन है और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। हमें अपने पुराने तालाबों, झीलों और नदियों को बचाना चाहिए। बारिश के पानी को संचित कर धरती के जल भंडार को भरना चाहिए ताकि हमें भविष्य में पानी की कमी या बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े। हमें अपनी धरती को एक बड़ी गुल्लक की तरह समझकर उसमें पानी बचाना चाहिए।

शब्दार्थ

  • जल-चक्र: पानी का प्राकृतिक चक्र, जिसमें पानी भाप बनकर बादल बनता है, बारिश के रूप में गिरता है और नदियों के रास्ते समुद्र में जाता है।
  • गुल्लक: मिट्टी या धातु का बर्तन, जिसमें पैसे जमा किए जाते हैं।
  • भूजल: जमीन के नीचे जमा पानी।
  • अकाल: सूखा, जब पानी की बहुत कमी हो।
  • बाढ़: बारिश के कारण पानी का ज्यादा बहाव, जिससे बस्तियाँ डूब जाती हैं।
  • जलस्रोत: पानी के स्रोत, जैसे नदियाँ, तालाब, झील।
  • वर्षा: बारिश।
  • मोटर: पानी खींचने की मशीन।
  • कमी: कमी, अभाव।
  • खजाना: जमा हुआ धन या संसाधन।
  • लालच: ज्यादा पाने की इच्छा।
  • सँभालना: देखभाल करना, सुरक्षित रखना।
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