Chapter 5 नहीं होना बीमार Chapter Explanation for Class 7 Hindi NCERT मल्हार
Summary of Chapter 5 नहीं होना बीमार Class 7 Hindi
पानी रे पानी के लेखक स्वयं प्रकाश हैं। यह कहानी नई एनसीईआरटी कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक मल्हार में शामिल है। यह कहानी बताती है कि झूठ बोलकर स्कूल से छुट्टी लेना कितना गलत हो सकता है। यह बच्चों को ईमानदारी, मेहनत और जिम्मेदारी का महत्व सिखाती है। साथ ही, यह दिखाती है कि बीमारी का बहाना बनाना आसान लग सकता है, लेकिन इसके परिणाम बोरियत, भूख और पछतावे के रूप में सामने आते हैं। हमने इसका NCERT Solutions of नहीं होना बीमार भी दिया जिसको पढ़कर बच्चें अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास कर सकते हैं।
नहीं होना बीमार कहानी की मुख्य घटनाएँ
- नानी के साथ अस्पताल जाना और वहाँ का शांत वातावरण देखना।
- बीमार होने का सपना देखना।
- स्कूल से छुट्टी के लिए झूठ बोलना और बीमार होने का बहाना बनाना।
- घर में अकेले रहना, ऊबना और भूख से परेशान होना।
- मन में खाने और खेलने की इच्छा होना।
- एहसास होना कि बीमार होने में कोई मजा नहीं है।
- भविष्य में कभी झूठ न बोलने का निश्चय करना।
नहीं होना बीमार का सार Explanation
कहानी नहीं होना बीमार एक बच्चे की शरारत भरी कहानी है, जो स्वयं प्रकाश ने बहुत ही रोचक और मजेदार तरीके से लिखी है। यह कहानी एक छोटे बच्चे के दृष्टिकोण से है, जो स्कूल जाने से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाता है, लेकिन उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
कहानी की शुरुआत तब होती है जब बच्चा अपनी नानी के साथ पड़ोसी सुधाकर काका को देखने अस्पताल जाता है। यह उसका अस्पताल जाने का पहला अनुभव था। वहाँ उसे अस्पताल का माहौल बहुत अच्छा लगता था। साफ-सुथरे बिस्तर, हरे पेड़, शांति और कोई शोर नहीं था, जो उसे बहुत आकर्षित करता था। सुधाकर काका को नानी द्वारा साबूदाने की खीर खिलाई जाती थी, जिसे देखकर बच्चा सोचता था कि बीमार होना कितना मजेदार है। उसे लगता था कि बीमार लोग बिना मेहनत के आराम करते हैं और स्वादिष्ट खाना खाते हैं। वह सोचता था, "काश! मैं सुधाकर काका की जगह होता!"
कुछ दिन बाद बच्चे का स्कूल जाने का मन नहीं करता था। उसने होमवर्क भी नहीं किया था और उसे डर था कि स्कूल में सजा मिलेगी। वह सोचता था कि बीमारी का बहाना बनाकर स्कूल से छुट्टी ले लेगा। वह रजाई में लेटा रहता था और नानी को कहता था कि उसे सिरदर्द, पेट दर्द और बुखार है। नानी उसकी बात मान लेती थी और नानाजी को बुलाती थी। नानाजी उसका माथा छूते थे और नब्ज देखकर कहते थे कि बुखार नहीं है, लेकिन फिर भी उसे कड़वी दवा और काढ़ा पीने को देते थे। वे कहते थे कि उसे आज कुछ खाना नहीं देना है, सिर्फ आराम करना है।
बच्चा रजाई में पड़ा-पड़ा दिनभर बोर होता था। वह घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाताथा, जैसे छोटे मामा का नहाना, कुसुम मौसी का कॉलेज जाना और मन्नू का जूता ढूँढ़ना। धीरे-धीरे घर में सब चले जाते थे और वह अकेला रह जाता था। उसे भूख लगती थी, लेकिन वह नानी से कुछ मांगने से डरता था क्योंकि नानाजी कहते थे कि भूखे रहने से बीमारी ठीक होती है। वह साबूदाने की खीर, कचौड़ी, गोलगप्पे और बेसन की चिक्की जैसी चीजों के बारे में सोचता रहता था। उसे लगता था कि साबूदाने की खीर सिर्फ बीमारी या उपवास में ही क्यों बनती है।
दिन बढ़ने पर उसे और बोरियत होती थी। उसकी पीठ लेटे-लेटे दुखने लगती थी। वह बाहर की चहल-पहल देखना चाहता था, लेकिन बीमारी का बहाना बनाए रखने के लिए लेटा रहता था। दोपहर में मन्नू स्कूल से आता था और परिवार खाना खाने बैठता था। बच्चा रसोई से दाल-चावल, तली हुई हरी मिर्च और आम की खुशबू सूंघता था। वह चुपके से रसोई तक जाता था और देखता था कि मन्नू आम चूस रहा है। उसे गुस्सा, जलन और पछतावा होता था कि उसने बीमारी का बहाना क्यों बनाया।
आखिरकार, उसे दिनभर भूखा रहना पड़ता था। वह थक जाता था और सोचता था कि स्कूल जाना बेहतर था। उसे सजा मिलती तो भी रिसेस में नमक-मिर्च वाले अमरूद खाने को मिलते। वह पछताता था और फैसला करता था कि अब वह कभी स्कूल से छुट्टी लेने के लिए बीमारी का बहाना नहीं बनाएगा।
कहानी से शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि झूठ बोलना बुरी आदत है। बीमारी का बहाना बनाना केवल परेशानी और दुख लाता है। हमें हमेशा सच बोलना चाहिए और अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए। स्वस्थ रहना और स्कूल या काम पर जाना जीवन का सही तरीका है।
शब्दार्थ
- वॉर्ड: अस्पताल का कमरा, जहाँ मरीज रहते हैं।
- सिरहाना: बिस्तर का वह हिस्सा, जहाँ सिर रखा जाता है।
- गुनगुना: धीमी और अस्पष्ट आवाज में बात करना।
- नर्स: मरीजों की देखभाल करने वाली महिला।
- साबूदाने: सागो के पेड़ से बनने वाला खाने का दाना, जो बीमारी या उपवास में खाया जाता है।
- रजाई: रुई भरा हुआ गर्म ओढ़ने का कंबल।
- काढ़ा: जड़ी-बूटियों को उबालकर बनाया गया पेय, जो बीमारी में पिया जाता है।
- पुड़िया: दवा की छोटी पोटली।
- आहट: हल्की आवाज, जैसे कदमों की।
- विकार: शरीर या मन की खराबी, जैसे बीमारी।
- बघार: तड़का, जैसे दाल में जीरा और हींग डालना।
- कुदन: मन में जलन या दुख की भावना।