Notes of Science in Hindi for Class 10 Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक विज्ञान 


इस अध्याय में विषय
  • कार्बन एवं उनके यौगिक
  • सहसंयोजी यौगिकों के भौतिक गुण
  • कार्बन के अपररूप
  • कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति
  • संतृप्त और असंतृप्त कार्बनिक यौगिक
  • विषम परमाणु एवं प्रकार्यात्मक समूह
  • कार्बन यौगिको की नाम पद्धति
  • कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म
  • ऐथनॉल और एथेनॉइक अम्ल
  • एस्टरीकरण अभिक्रिया
  • साबुन और अपमार्जक

Ch 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Class 10 विज्ञान Notes

कार्बन एवं उनके यौगिक

  • कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्व है।
  • कार्बन भूपर्पटी में खनिज के रूप में 0.02% उपस्थित है। वायुमंडल में यह कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में 0.03% उपस्थित है।
  • सभी सजीव संरचनायें कार्बन पर आधारित हैं।
  • कागज, प्लास्टिक, चमड़े और रबड़ में कार्बन होता है।

कार्बन में सह संयोजी आबंध

कार्बन की परमाणु संख्या 6 है तथा इलैक्टॉनिक विन्यास 2, 4 है।

उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए कार्बन का परमाणु:

1. 4 इलैक्ट्रॉन प्राप्त कर सकता है, परंतु नाभिक के लिए 4 अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन धारण करना कठिन है।

2. 4 इलैक्ट्रॉन छोड़ सकता है, परंतु इसके लिए अत्याधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी।

  • इस प्रकार कार्बन के परमाणु के लिए 4 इलैक्ट्रॉन प्राप्त करना या खो देना अत्यंत कठिन होता है।
  • कार्बन परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास अन्य परमाणुओं के साथ संयोजकता इलैक्ट्रॉन की साझेदारी करके प्राप्त करता है।
  • H,O,N एवं Cl जैसे तत्व के परमाणु इलैक्ट्रॉन साझेदारी करने में सक्ष्म है। दोनों संयोजी इलैक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के बाह्य कक्षों से सम्बद्ध जाते हैं, जिससे वे निष्क्रिय गैस की संरचना प्राप्त करते हैं।


H2, O2, N, अणुओं के निर्माण के चित्र:

(i) H2 अणु


(ii) O2 अणु

(iii) N2 अणु

(iv) H2O, NH3, CO2 और H2S

सहसंयोजी यौगिकों के भौतिक गुण

  • सहसंयोजी यौगिकों के क्वथनांक एवं गलनांक कम होते हैं क्योंकि इनके बीच अन्तराअणुक बल कम होता है।
  • सामान्यतः ये अणु विद्युत के कुचालक होते है क्योंकि आवेशित कण नहीं बनते।

कार्बन के अपररूप:

(i) हीरा प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से आबंध बनाता है।

(ii) ग्रेफाइट प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से आबंध बनाता है। चौथा संयोजी इलैक्ट्रॉन मुक्त गति करने में सक्षम होना है। अतः ग्रेफाइड विद्युत का सुचालक है।

(iii) फूलरीन सबसे छोटे फूलरीन में 60 कार्बन परमाणु होते हैं।

उपयोग:

  • हीरा: आभूषण, तापमापी इत्यादि के निर्माण में ।
  • ग्रेफाइट: शुष्क स्नेहक, पेंसिल की लीड, इलैक्ट्रॉन बनाने में।

इन अपररूपों के रासायिनक गुण एकसमान होते हैं लेकिन भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं।

हीरे तथा ग्रेफाइट में अंतर

हीरा

ग्रेफाइट

यह कठोरतम प्राकृतिक पदार्थ है।

यह कोमल होता है।

हीरा विद्युत का कुचालक और ऊष्मा का सुचालक होता है।

ग्रेफाइट विद्युत और ऊष्मा का सुचालक होता है।

हीरा पारदर्शी होता है।

ग्रेफाइट अपारदर्शी होता है।


कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति

सहसंयाजी बंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता है। इसके तीन कारक हैं।

  1. शृंखलन
  2. चतु: संयोजकता
  3. समावयवन

(1) शृंखलन: कार्बन के परमाणु अपने मध्य आबंध बनाते हैं। इसी प्रकार सिलिकॉन श्रंखलन करता है। जिसमें 7 या 8 परमाणओं तक की श्रंखला होती है।

(2) चतु: संयोजकता: कार्बन परमाणु की संयोजकता 4 है। जिसके कारण यह परमाणु O, H, N, S, Cl तथा अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ सहसंयोजी आबंध बनाने में सक्ष्म है। कार्बन परमाणु के छोटे आकार के कारण इलैट्रॉन के सहभागी युग्मों को नाभिक मजबूती से पकड़े रहता है। फलस्वरूप, ये यौगिक अतिशय रूप से स्थायी होते हैं।


संतृप्त और असंतृप्त कार्बनिक यौगिक

कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिकों को हाइड्रोकार्बन कहते हैं।

कार्बनिक पदार्थ में द्वि-आबंध/त्रि-आबंध बनाने हेतु, कम-से-कम दो कार्बन परमाणुओं की आवश्यकता होती है। अत: एल्किन और एल्काइन समूहों के प्रथम सदस्य में दो कार्बन परमाणु होते हैं।

(i) एथेन (संतृप्त हाइडोकार्बन) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना

(ii) एथीन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना (C2H6)

(iii) थाइन की इलैक्ट्रॉन बिंदु संरचना


कार्बन एवं हाइड्रोजन के संतृप्त यौगिकों के सूत्र एवं संरचनायें (C2H4) तालिका-1

तालिका-2

तालिका-3

संरचना के आधार पर हाईड्रोकार्बन के उदाहरण


संरचनात्मक समावयव: वे यौगिक जिनके आणविक सूत्र तो समान होते हैं पंरतु संरचना भिन्न होती हैं।

उदाहरण के लिए ब्यूटेन के समावयवः

विषम परमाणु एवं प्रकार्यात्मक समूह

हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में यह तत्व एक या अधिक हाइड्रोजन को इस प्रकार प्रतिस्थापि करते हैं कि कार्बन की संयोजकता संतुष्ट रहती है। ऐसे तत्वों को विषम परमाणु कहते हैं।

  • यह विषम परमाणु या विभिन्न परमाणुओं का समूह जो कार्बन यौगिकों को अभिक्रियाशीलता तथा विशिष्ट गुण प्रदान करते हैं, प्रकार्यात्मक समूह कहलाते हैं ।

समजातीय श्रेणी

  • यौगिकों की वह शृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन एक ही प्रकार के प्रकार्यात्मक समूह द्वारा प्रतिस्थापित होता है उदाहरण एल्कोहल CH3OH, C2H5OH, C3H7OH, C4H9OH
  • समजातीय श्रेणी के उत्तरोतर सदस्यों में –CH2 का अंतर तथा 14 द्रव्यमान इकाई का अंतर होता है।
  • इन सदस्यों को प्रकार्यात्मक समूह विशिष्टतायें प्रदान करता है फलस्वरूप ये सदस्य समान रसायनिक गुणधर्म तथा भिन्न भौतिक गुणधर्म दर्शाते हैं।
  • सदस्यों के अणु द्रव्यमान में अंतर होने के कारण इनके भौतिक गुणधर्मों में अंतर आता है।
  • अणु द्रव्यमान के बढ़ने के कारण सदस्यों का गलनांक एवं क्वथनांक बढ़ता है ।


कार्बन यौगिको की नाम पद्धति

  • यौगिक में कार्बन परमाणुओं की संख्या ज्ञात करो ।
  • प्रकार्यात्मक समूह को पूर्वलग्न या अनुलग्न के साथ दर्शाओ।

प्रकार्यात्मक/समूह

अनुलग्न

पूर्वलग्न

ऐल्कील/द्वि-आबंध

— ene

 

ऐल्कील/त्रि-आबंध

— yne

 

ऐल्कॉहॉल

— ol

 

ऐल्डीहाइड

— al

 

कीटोन

— one

 

कार्बोक्सिलिक अम्ल

— oic acid

 

क्लोरीन

 

क्लोरो


यदि एक अनुलग्न लगाया जाना है तब अंत का 'e' हटाया जाता है। जैसे मेथेनॉल (Methanol)
Methane – e → Methan + ol = Methanol


कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म

1. दहनः सामान्यत

ये यौगिक वायु (ऑक्सीजन) में दहित होकर कार्बन डाइऑक्साइड, जल उत्पन्न करते हैं। तथा प्रचुर मात्रा में ऊष्मा एवं प्रकाश को मुक्त करते हैं।

  • संतृप्त हाइड्रोकार्बन वायु की प्रचुर मात्रा में जलने पर नीली ज्वाला तथा वायु की सीमित आपूर्ति में कज्जल ज्वाला उत्पन्न करते है ।
  • असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का वायु में दहन करने पर कज्जली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।
  • कोयले तथा पैट्रोलियम के दहन द्वारा सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड निर्मित होते हैं जो अम्लीय वर्षा के लिये उत्तरदायी हैं ।

 

2. ऑक्सीकरण

ऑक्सीकारक के रूप में अम्लीय पोटाशियम डाइक्रोमेट तथा क्षारीय पोटाशिम परमैंगनेट का उपयोग कर एल्कोहॉल के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल उत्पन्न होते है।


3. संकलन अभिक्रिया

निकैल, पैलडियम या प्लैटिनम की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जो अपने द्वि-/त्रि-आबंध के कारण अधिक क्रियाशील होते हैं। हाइड्रोजन के साथ जुडकर संतृप्त हाइड्रोकार्बन निर्मित करते हैं। इस प्रक्रम को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।

इस प्रक्रम द्वारा वनस्पति तेल को वनस्पति घी में परिवर्तित किया जाता है।

इस प्रक्रम द्वारा विकृतगंधिता को धीमा किया जाता है।

संतृप्त वसीय अम्ल स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं। भोजन पकाने के लिये असंतृप्त वसीय तेलों का उपयोग करना चाहिये।


4. प्रतिस्थापन अभिक्रिया

संतृप्त हाइड्रोकार्बन में, कार्बन में साथ जुड़े हाइड्रोजन को प्रकाश अथवा ऊष्मा की उपस्थिति में अन्य परमाणु का अणु से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।


महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक: ऐथनॉल और एथेनॉइक अम्ल

ऐथेनॉल

गलनांक 156 K

क्वथनांक 351 K

एथेनॉल

जल में घुलनशील

जलाने वाला स्वाद

तनु ऐथेनॉल के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं हो सकती हैं तथा शुद्ध ऐथेनॉल की थोड़ी सी मात्रा भी प्राणघातक सिद्ध हो सकती है।

ऐथेनॉल के रासानियक गुणधर्म

C2H5OH की सोडियम के साथ अभिक्रिया में सोडियम इथॉक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न होती है।

सांद्र H2SO4 के साथ 443K के तापमान पर ऐथेनॉल के निर्जलीकरण द्वारा एथीन उत्पन्न होती है।


ऐथेनॉल के उपयोग:

  • वाहनों के रेडियेटर में एंटीफ्रीज के रूप में
  • पारदर्शी साबुन निर्माण में
  • अल्कोहलिक पेयों में
  • प्रयोगशाला में अभिकारिक रूप में
  • दवाओं तथा टॉनिकों में


ऐथेनोइक अम्ल (CH3COOH)/ऐसिटिक अम्ल

  • ऐसिटिक अम्ल का 3-4% का जलीय विलयन सिरका कहलाता है।
  • परिशुद्ध ऐसिटिक अम्ल को ग्लैश्ल ऐसिटिक अम्ल कहते हैं।

ऐथेनोइक अम्ल की अभिक्रिया तथा उत्पाद:

  • सोडियम (Na) के साथ: सोडियम ऐथेनोऐट एवं हाइड्रोजन गैस
  • सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) के साथ: सोडियम ऐथेनोऐट एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
  • सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) के साथ: सोडियम ऐथेनोऐट, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल
  • एथेनॉल (सांद्र H2SO4 की उपस्थित में) CH3– CH2– OH के साथ: ऐस्टर तथा जल

एस्टरीकरण अभिक्रिया

कार्बोक्सिलिक अम्ल सांद्र सल्फ्लूरिक अम्ल की उपस्थिति में एल्कोहॉल के साथ अभिक्रिया कर मृदुगंध वाले पदार्थ एस्टर बनाते है।


जलीय अपघटन

एस्टर, अम्ल या क्षारक के साथ अभिक्रिया करके प्रारंभिक ऐल्कोहॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते हैं।

एस्टर का क्षारीय जलीय अपघटन साबुनीकरण कहलाता है।


साबुन और अपमार्जक

  • साबुन लंबी श्रंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटाशियम लवण होते हैं।
  • साबुन केवल मृदु जल के साथ सफाई क्रिया करते हैं तथा कठोर जल के साथ प्रभावहीन होते हैं।
  • अपमार्जक: लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल के अमोनियम एवं सल्फोनेट लवण होते हैं। अपमार्जक मृदु तथा कठोर जल के साथ सफाई प्रक्रिया सकते है |
  • साबुन के अणु में जलरागी एवं जलविरागी समूह होते हैं।

साबुन अणु में

  1. जलरागी सिरा (आयनिक भाग)
  2. जलविरागी सिरा (लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला)

साबुन की सफाई प्रक्रिया

  • अधिकांश मैल तैलीय होता है तथा जलविरागी छोर इस मैल के साथ जुड़ जाता है।
  • जल के अणु जलरागी छोर पर साबुन के अणु को घेर लेते हैं।
  • फलस्वरूप साबुन के अणु मिसेली संरचना बनाते हैं।
  • इस प्रक्रिया में साबुन के अणु और तैलिय मैल का पायस बनता है तथा विभिन्न भौतिक विधियों जैसे पटकना, डंडे से पीटना, ब्रुश से रगड़ना आदि की सहायता से वस्त्र साफ होता है।

अघुलनशील पदार्थ/स्कम

  • कठोर जल में प्रयुक्त मैग्नीशियम तथा कैल्शियम के लवण साबुन के जलराग भार से अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ या स्कम बनाते हैं। जिसके कारण सफाई प्रक्रिया बाधित होती है।
  • अपमार्जक के अणु का आवेशित सिरा कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों को साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते, फलस्वरूप सफाई प्रक्रिया प्रभावशाली रूप से संपन्न होती है।
  •  साबुन पूर्णतया जैव-निम्नकरणीय होते है। जबकि अपमार्जक नहीं । साबुन पर्यावरण हितैषी होते हैं लेकिन अपमार्जक नहीं।

संक्षेप में

  • कार्बन सर्वतोमुखी तत्व (अधातु) है।
  • O, N, H तथा Cl जैसी अधातुओं के समान कार्बन का परमाणु संयोजी इलैक्टॉन की साझेदारी करता है।
  • शृंखलन, समावयन और चतुःसंयोजकता के फलस्वरूप कार्बन अधिक यौगिकों का निर्माण करता है।
  • कार्बन एकल, द्वि- और त्रि - आबध बनाता है।
  • कार्बन एवं हाइडोजन मिलकर हाइडोकार्बन बनाते है । जो संतृप्त या असंतृप्त हो सकते है।
  • संरचना के आधर पर हाइडोकार्बन सीधी श्रंखला वाले, शाखित श्रंखला वाले अथवा चक्रीय हो सकते है।
  • एक ही अणु में अलग-अलग संरचनात्मक व्यवस्था संभव होती है।, इसे समावयन कहते है।
  • हाइडोकार्बन में, विषम परमाणु हाइडोजन को प्रतिस्थापित करते है। तथा उस यौगिक की रसायनिक गुणधर्मों को निर्धारित करते हैं।
  • समजातीय श्रेणी में सदस्यों की रसायनिक विशिष्टतायें एकसमान तथा भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं।
  • कार्बन आधारित वाले यौगिक अच्छे इंधन होते है ।
  • ऐथेनॉल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। यह क्रियाशील धातुओं के साथ अभिक्रिया करता है। निर्जलीकरण के पश्चात् यह ऐथीन गैस बनाता है।
  • ऐथेनोइक अम्ल एक अन्य महत्वपूर्ण यौगिक है। यह ऐथेनॉल के साथ अभिक्रिया करके मृदु-गंध वाले एस्टर बनाता है।
  • सफाई प्रक्रिया के लिये साबुन एवं अपमार्जक का उपयोग होता है। अपमार्जक मृदु एवं कठोर जल के साथ प्रभावशाली रूप से सफाई अभिक्रिया करते हैं।
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