Chapter 3 मुद्रा और साख Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

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Chapter 3 मुद्रा और साख Question Answer Class 10 अर्थशास्त्र Hindi Medium

मुद्रा और साख Important Questions

अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आधुनिक मुद्रा बहुमूल्य धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया गया है?

उत्तर

आधुनिक मुद्रा बहुमूल्य धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती हैं।


प्रश्न 2. भारत में नोट कौन जारी करता है?

उत्तर

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया।


प्रश्न 3. बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लागों व जरूरतमंद लागों के बीच मध्यस्थता का काम किस प्रकार करते हैं?

उत्तर

अतिरिक्त मुद्रा को ट्टण के रूप में प्रदान करके।


प्रश्न 4. बैंक से क्या अभिप्राय है?

उत्तर

बैंक वह संस्था है जो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से जमा स्वीकार करती है तथा जो लोगों को ऋण देती है।


प्रश्न 5. बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत क्या है?

उत्तर

कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर।


प्रश्न 6. वस्तु विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं?

उत्तर

वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं एवं सेवाओं के बदले वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है।


प्रश्न 7. मुद्रा विनिमय का माघ्यम क्यों हैं?

उत्तर

मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करने के कारण।


प्रश्न 8. चेक से आप क्या समझते हैं?

उत्तर

चेक एक ऐसा कागज है, जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के व्यक्ति को रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।


प्रश्न 9. मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों कहा जाता है?

उत्तर

मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, अतः इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।


प्रश्न 10. औपचारिक वित्तीय संस्थाएँ कौनसी हैं?

उत्तर

वाणिज्यिक बैंक, सहकारी समितियाँ, ग्रामीण बैंक, औपचारिक वित्तीय संस्थाएँ हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. साख के औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र की विशेषताएँ बताइये। 

उत्तर

साख के औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र की विशेषताएँ:

साख के औपचारिक क्षेत्र

साख के अनौपचारिक क्षेत्र

बैंक, सहकारी समितियों पूर्व निश्चित ब्याज दर

महाजन, साहूकार, रिश्तेदार अनिश्चित व अधिक ब्याज दर

उधार लेने वाले का शोषण

उधार लेने वाले का शोषण होता है। 

ऋण वापसी के लिए अनावश्यक दबाब नहीं। 

कर्ज-जाल में फंसने की संभावना।


प्रश्न 2. ऋण अथवा उधार के कोई दो महत्त्व बताइए।

उत्तर

ऋण अथवा उधार के दो महत्त्व:

  1. ऋण से लोग अपनी व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करते हैं। 
  2. ऋण लोगों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होते हैं। 


प्रश्न 3. मुद्रा क्या है? आधुनिक भारतीय मुद्रा की किन्हीं तीन विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर

मुद्रा से अभिप्राय उस वस्तु से है जिसका सामान्य विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता है।

विशेषताएँ

  • भारत में आधुनिक मुद्रा करेंसी, कागज के नोट व सिक्के हैं। 
  • भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा जारी करता है। 
  • भारत में मुद्रा सौदों के लिए अधिकृत है। 


प्रश्न 4. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, क्या-क्या कार्य करता है ? 

उत्तर

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्य:

  • सरकार की ओर से मुद्रा जारी करता है। 
  • बैंको व समितियों की कार्य प्रणाली पर नज़र रखता है। 
  • ब्याज की दरों व ऋण की शर्तों पर निगरानी रखता है। 
  • बैंक कितना नकद शेष अपने पास रखे हुए हैं इसकी सूचना रखता है। 
  • ऋण किस प्रकार वितरित किये जा रहे हैं इस पर नज़र रखता है।


प्रश्न 5. वस्तु विनिमय प्रणाली की कोई तीन सीमाएँ बताइये? 

उत्तर

वस्तु विनिमय प्रणाली की तीन सीमाएँ:

  • वस्तु विनिमय के लिए दोहरे संयोग की शर्त का पूरा होना आवश्यक। 
  • धन या मूल्य के संचयन में कठिनाई। 
  • अविभाज्य वस्तुओं का विनिमय कठिन। 
  • वस्तुओं को भविष्य में प्रयोग के लिए (संग्रहित करना लम्बे समय तक) कठिन। 
  • सेवाओं का मूल्य निर्धारण व विनिमय में कठिनाई।


प्रश्न 6. ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों से ऋण लेने के कोई दो लाभ बताइए।

उत्तर

सहकारी समितियों से ऋण लेने के दो लाभ:

  • सहकारी समितियों से लोगों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध हो जाता है तथा शर्ते भी आसान होती हैं।
  • सहकारी समितियों से ऋण लेने से साहूकारों एवं महाजनों के शोषण से बचा जा सकता है। 


प्रश्न 7. कर्ज-जाल कब उत्पन्न होता है ? उदाहरण देकर बताइए।

उत्तर

कर्ज-जाल उत्पन्न होता है जब कर्जदार अपना पिछला ऋण चुकाने में असमर्थ होता है।

  • पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज ले लेता है। 
  • उसे ऋण अदायगी के लिए अपनी परिसम्पत्ति बेचनी पड़ जाती है। 
  • उसकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाती है।


प्रश्न 8.  ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की गतिविधियाँ बढ़ाने हेतु कोई तीन सुझाव दीजिए। 

उत्तर

ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की गतिविधियाँ बढ़ाने हेतु तीन सुझाव निम्न प्रकार हैं:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए।
  • सहकारी समितियों द्वारा सभी लोगों को ऋण प्रदान किया जाना चाहिए। ऋणों में गरीब परिवारों का हिस्सा बढ़ाना चाहिए।
  • अधिकाधिक लोगों को सहकारी समितियों से जोड़ा जाना चाहिए तथा सरकार को भी इनकी स्थापना में योगदान देना चाहिए।


प्रश्न 9. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूह संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है ? 

उत्तर

  • गरीबों को संगठित रूप में कार्य के लिए प्रेरित करना।
  • स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना। 
  • शोषण से बचाना।
  • कर्जदारों को ऋण-जाल से बचाना। 
  • स्वावलंवन व रोजगार


प्रश्न 10. बैंकों की ऋण सम्बन्धी गतिविधि को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

बैंक लोगों से उनकी अतिरिक्त बचतों को उनका खाता बैंक में खोलकर जमाओं के रूप में स्वीकार करते हैं। बैंक इन्हीं जमाओं के माध्यम से लोगों को ऋण प्रदान करने का कार्य करता है। बैंक जमाओं पर कम ब्याज देते हैं तथा ऊँची दर पर लोगों को ऋण देते हैं। इन जमाओं का कुछ भाग बैंक जमाओं के रूप में रखकर शेष राशि को बैंक जरूरतमंद लोगों को उधार दे देते हैं, बैंक इन लोगों से ऋण पर ब्याज वसूल करता है। ऋण प्रदान करना बैंक का महत्त्वपूर्ण कार्य है जिससे बैंक को आय प्राप्त होती है।


प्रश्न 11 भारत में औपचारिक ऋण क्षेत्रक को विस्तृत करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर

  • अनौपचारिक स्रोतों से ऋण प्राप्ति आसान होती है परन्तु शोषण अधिक होता है।
  • ब्याज की दरें अनिश्चित व उच्च होती हैं। 
  • गरीब, अशिक्षित लोग आसानी से ऋण जाल में फंस जाते हैं। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में साहूकारों पर निर्भरता 
  • ऋण सरलता से उपलब्ध करवाना।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर

वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्याएँ निम्न प्रकार हैं:

  • वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव पाया जाता है, जिससे सन्तोषजनक व्यवहार नहीं हो पाता एवं लेन-देन में भी अधिक समय लगता है।
  • वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य निर्धारण में अत्यन्त कठिनाई आती है। .
  • वस्तु विनिमय प्रणाली में विभाज्यात्मकता का अभाव पाया जाता है अर्थात् अविभाज्यता की स्थिति में लेनदेन में काफी कठिनाई आती है।
  • वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं को संग्रह करने में अत्यन्त कठिनाई आती है।


प्रश्न 2. आपके अनुसार औपचारिक तथा अनौपचारिक साख में कौनसी साख श्रेष्ठ है तथा क्यों?

उत्तर

हमारे अनुसार औपचारिक तथा अनौपचारिक साख में औपचारिक साख श्रेष्ठ है। इसका मुख्य कारण हम औपचारिक साख की अच्छाइयों तथा अनौपचारिक साख की कमियों के रूप में निम्न प्रकार बता सकते हैं-

औपचारिक साख के गुण:

  • औपचारिक स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
  • इसमें लम्बे समय तक के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
  • भारत में औपचारिक साख स्रोतों पर भारतीय रिजर्व बैंक का नियन्त्रण रहता है। 
  • औपचारिक साख में ऋणी का शोषण नहीं किया जाता है। 
  • इसमें सरकारी नियमों तथा विनियमों का ध्यान रखा जाता है। 

अनौपचारिक साख की कमियाँ:

  • अनौपचारिक स्रोतों द्वारा सामान्यतः ऊँची ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 
  • इसमें कर्जदारों का अनेक प्रकार से शोषण किया जाता है। 
  • इसमें सरकारी नियन्त्रण का भी अभाव पाया जाता है। 


प्रश्न 3. शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक व अनौपचारिक साख के योगदान की तुलना कीजिए। औपचारिक क्षेत्र के ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।

उत्तर

शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक व अनौपचारिक साख के योगदान की तुलना:

  • औपचारिक ऋणदाताओं की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्रक के ज्यादातर ऋणदाता कहीं अधिक ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेना कर्ज लेने वाले को अधिक महँगा पड़ता है।
  • शहरी क्षेत्र के निर्धन परिवारों की कर्जो की 85 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं, जबकि शहरी अमीरों के केवल 10 प्रतिशत कर्ज अनौपचारिक स्रोतों से पूरे होते हैं।
  • शहरी क्षेत्र के निर्धन परिवारों की कर्ज की केवल 15 प्रतिशत जरूरतें ही औपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं जबकि शहरी अमीरों की 90 प्रतिशत कर्जे की जरूरतें औपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।

औपचारिक क्षेत्र के ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु सुझाव:

  • गरीबों को, विशेषकर महिलाओं को छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों में संगठित करके और उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करके, एक-दो वर्ष बाद यह समूह बैंक से ऋण लेने के योग्य हो जाता है। इस प्रकार यह समूह बैंक से ऋण लेकर उसे अपने समूह के सदस्यों को उचित ब्याज पर कर्ज दे सकता है।
  • औपचारिक क्षेत्र के कुल ऋणों में वृद्धि हो तथा बैंकों व सहकारी समितियों इत्यादि से गरीबों को मिलने वाले औपचारिक ऋण का हिस्सा बढ़ाना चाहिए।


प्रश्न 4. साख की दो विभिन्न स्थितियाँ बताइए एवं बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर

साख की दो स्थितियाँ साख की दो विभिन्न स्थितियाँ हैं:

  1. सकारात्मक साख की स्थिति 
  2. नकारात्मक साख की स्थिति।

1. सकारात्मक साख की स्थिति सकारात्मक साख की स्थिति वह है जब ऋण लेने से व्यक्ति की आय बढ़ती है। उदाहरण के लिए सलीम उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के द्वारा पूरा करता है। ऋण उसे उत्पादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर पूरा करने में मदद करता है और वह अपनी कमाई को बढ़ा पाता है। इस प्रकार ऋण या साख एक सकारात्मक भूमिका निभाता है।

2. नकारात्मक साख की स्थिति-जब ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है, जहाँ से बाहर निकलना काफी कष्टदायक होता है। इसे आम भाषा में कर्जजाल कहा जाता है। इसमें ऋणी ऋण के भुगतान में अपनी स्वयं की सम्पत्ति भी खो देता है। इसे साख की नकारात्मक स्थिति कहा जाता है।

बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते:

  • बैंक से कर्ज लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागजांतों की जरूरत पड़ती है। 
  • कर्ज लेने से पहले व्यक्ति को बैंक को अपनी आय के प्रामाणिक स्रोत दिखाने पड़ते हैं।
  • इसके अतिरिक्त उसे ऋणाधार देना पड़ता है।

जैसे-गृह ऋण के लिए मेघा ने बैंक को अपने वेतन तथा नौकरी सम्बन्धी रिकॉर्ड प्रस्तुत किए और बैंक ने नये घर के सभी कागजात ऋणाधार के रूप में रखकर ऋण दिया।


प्रश्न 5. एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर

एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

  • विनिमय में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा विनिमय माध्यम के रूप में अपनाई जाती है। इसलिए हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा के बदले वस्तुओं तथा सेवाओं को आसानी से क्रय-विक्रय कर सकते हैं।
  • व्यापार में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा के द्वारा व्यापारिक क्रियाएँ सरलतापूर्वक पूरी की जाती हैं, क्योंकि मुद्रा की सहायता से एक स्थान से वस्तुओं का क्रय करके इन्हें दूसरे स्थान पर विक्रय किया जा सकता है।
  • बजट निर्माण में मुद्रा की भूमिका सरकारी व्यय तथा प्राप्तियों का माप मुद्रा में किया जाता है, जिसके द्वारा करों की दर, ऋण पर ब्याज संबंधित आर्थिक नीतियाँ सरलतापूर्वक बनाई जाती हैं। बजट को भी मुद्रा में ही प्रदर्शित किया जाता है।
  • राष्ट्रीय आय के मापन में मुद्रा की भूमिका देश की राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है जो कि देश के निवासियों का जीवन स्तर प्रदर्शित करती है। मुद्रा के बिना राष्ट्रीय आय की गणना कठिन है एवं जीवन स्तर भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
  • उत्पादन में मुद्रा की भूमिका उत्पादन प्रक्रिया में एक उद्यमी उत्पादन के विभिन्न साधनों को उनकी सेवाओं के बदले मुद्रा में आसानी से भुगतान करता है जैसे भूमि पर लगान, मजदूरों को मजदूरी, पूँजी पर ब्याज तथा उद्यम पर लाभ। 


प्रश्न 6. भारत में ग्रामीण परिवारों के साख के चार प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर

भारत में ग्रामीण परिवारों के साख के चार प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:

  • साहूकार-साहूकार उधार पर पैसा देने को अपना द्वितीय व्यवसाय समझते हैं। उनके उधार देने की प्रक्रिया सरल है तथा वे अनुत्पादक उद्देश्य के लिए भी उधार देते हैं। इनकी ब्याज दर बहुत अधिक होती है।
  • सहकारी समितियाँ-सहकारी समितियाँ कम ब्याज दरों पर कृषि कार्य हेतु तथा अन्य प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती हैं।
  • ग्रामीण बैंक-ये लोगों को कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं लेकिन इसमें अधिक औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। ये लम्बे समय तक ऋण उपलब्ध करवाते हैं।
  • रिश्तेदार व मित्र समय-समय पर रिश्तेदारों व मित्रों से भी ऋण उपलब्ध होता है। इस स्रोत से ऋण लेना अत्यन्त सरल होता है।


प्रश्न 7. स्वयं सहायता समूह के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर

स्वयं सहायता समूह के महत्व को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है:

  • स्वयं सहायता समूह कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं। 
  • सदस्यों को समयानुसार विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं के लिए एक उचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है।
  • स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को छोटी-छोटी आवश्यकताओं हेतु अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर नहीं होना पड़ता तथा साहूकारों एवं महाजनों के शोषण से उन्हें मुक्ति मिलती है।
  • इन समूहों में विकास के मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। 
  • इसके अलावा ये समूह ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करने में मदद करते हैं। 
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