Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

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Chapter 3 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium

जाति, धर्म और लैंगिक मसले Important Questions

अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. साम्प्रदायिक राजनीति का क्या अर्थ है?

उत्तर

जब राजनीति में और धर्मों की तुलना में एक धर्म की श्रेष्ठता दर्शायी जाए तो इसे साम्प्रदायिक राजनीति कहते हैं।


प्रश्न 2. लिंगानुपात किस कहते हैं?

उत्तर

प्रत्येक 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं |


प्रश्न 3. जातिवाद से क्या आशय है?

उत्तर

जब राजनेता चुनावी लाभ के लिए जातिगत चेतना उकेरकर उसका लाभ उठाने का प्रयास करते हैं, तो इस प्रक्रिया को जातिवाद कहा जाता है।


प्रश्न 4. नारीवाद का क्या अर्थ है?

उत्तर

नारीवाद एक विचार है जो यह कहता है कि स्त्रियों को भी समाज में वही स्थिति प्राप्त हो जो पुरुषों को प्राप्त है।


प्रश्न 5. नारीवादी आन्दोलन किसे कहते है ?

उत्तर

वह आन्दोलन जो स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार दिलाने के लिए चलाए गए थे, नारीवादी आंदोलन कहे जाते हैं।


प्रश्न 6. श्रम के लैंगिक विभाजन से क्या आशय है?

उत्तर

काम के बँटवारे का वह तरीका जिसमें घर के अन्दर के सारे काम परिवार की औरतें करती हैं और बाहर के काम पुरुष।


प्रश्न 7. श्रम के लैंगिक विभाजन का क्या परिणाम निकला?

उत्तर

इससे महिलाएँ तो घर की चारदीवारी में सिमट कर रह गयीं और बाहर का सार्वजनिक जीवन पुरुषों के कब्जे में आ गया।


प्रश्न 8. लैंगिक असमानता का आधार क्या है?

उत्तर

लैंगिक असमानता का आधार है-प्रचलित रूढ़ छवियाँ और तयशुदा सामाजिक भूमिकाएँ।


प्रश्न 9. पेशागत स्थानापन्न किसे कहते हैं?

उत्तर

जब एक व्यक्ति अपने पेशे को बदलता है अर्थात् एक पेशे को छोड़कर दूसरे पेशे को अपना लेता है तो इसे पेशागत स्थानापन्न कहते हैं।


प्रश्न 10. पारिवारिक कानूनों का क्या अर्थ है?

उत्तर

पारिवारिक कानून वे कानून हैं जो पारिवारिक मसलों-विवाह, गोद, तलाक, उत्तराधिकार आदि को हल करने के लिए बने हों।


प्रश्न 11. विश्व के किन देशों में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर काफी ऊँचा है?

उत्तर

स्वीडन, नार्वे और फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों में।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कारण बताइए। 

उत्तर:

  • महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का अभाव है।
  • पुरूष अभी भी महिलाओं को आगे आने नहीं देते। 
  • राजनीतिक दल महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुपात में टिकट नहीं देते। 
  • महिलाओं की साक्षरता दर भी कम है।


प्रश्न 2. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की विशेषताएँ लिखिए। देश की आबादी में उनके प्रतिशत क्या हैं ? 

उत्तर

अनुसूचित जातियाँ : वे जातियाँ जो हिन्दू सामाजिक व्यवस्था में उच्च जातियों से अलग और अछूत मानी जाती हैं तथा जिनका अपेक्षित विकास नहीं हुआ है। 

अनुसूचित जनजातियाँ : ऐसा समुदाय जो साधारणतया पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में रहते हैं और जिनका बाकी समाज से अधिक मेलजोल नहीं है। साथ ही उनका विकास नहीं हुआ है। अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 16.2 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 8.2 प्रतिशत है।


प्रश्न 3. भारत में महिलाओं की निम्न और दयनीय स्थित के लिए उत्तरदायी किन्ही तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए |

उत्तर

भारत में महिलाओं की निम्न और दयनीय स्थित के लिए उत्तरदायी कारण:

  • शिक्षा में महिलाओं का निम्न स्तर |
  • महिलाओं में लैंगिक असमानता का होना |
  • राजनीति में महिलाओं की उपेक्षा |
  • महिलाओं के साथ सामाजिक भेदभाव |


प्रश्न 4. क्यों महिलाओं द्वारा किये जाने वाले कार्य दिखते नहीं अथवा उन्हें पहचान प्राप्त नहीं होती?

उत्तर

महिलाएँ घरेलू कार्य करती हैं जिसके एवज में उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता है, जबकि पुरुष बाहर जाकर उन्हीं कार्यों को करके पैसा कमाकर लाता है। पैसा कमाने से पुरुषों को पहचान प्राप्त होती है और महिलाओं को घरेल कार्यों के कोई पैसा न मिलने के कारण उन्हें पहचान प्राप्त नहीं होती है।


प्रश्न 5. जाति पर विशेष ध्यान देने से राजनीति में नकारात्मक परिणाम कैसे आ सकते हैं ?

उत्तर

केवल जाति की पहचान पर आधारित राजनीति, लोकतंत्र में बहुत स्वस्थ नहीं है। 

  • यह गरीबी, विकास और भष्टाचार जैसे अन्य महत्व के मुद्दों से ध्यान हटा सकता है। 
  • जातीय विभाजन से तनाव, संघर्ष और यहां तक कि हिंसा भी होती है।


प्रश्न 6. भारत सरकार ने नारी असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं ? 

उत्तर

भारत सरकार ने नारी असमानता को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • दहेज को अवैध घोषित करना।
  • पारिवारिक सम्पत्तियों में स्त्री-पुरूष को बराबर हक। 
  • कन्या भ्रूण हत्या को कानूनन अपराध घोषित करना। 
  • समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक का प्रावधान। 
  • नारी शिक्षा पर विशेष जोर देना। 
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसी योजना।


प्रश्न 7. महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता देश के विकास के लिए आवश्यक है | इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए किन्ही चार कदमों का उल्लेख कीजिए |

उत्तर

  • राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना |
  • राजनीति में महिलाओं को 33% सीटों पर आरक्षण देना |
  • 2006 में घरेलु हिंसा निवारक अधिनियम लाना|
  • 1961 का दहेज़ निषेध अधिनियम |
  • कन्याभ्रूण हत्या को क़ानूनी अपराध घोषित करना |


प्रश्न 8. धर्म और राजनीति के सम्बन्ध में गाँधीजी के क्या विचार थे?

उत्तर

महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म को कभी भी राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता। धर्म से उनका अभिप्राय नैतिक मूल्यों से था जो सभी धर्मों से जुड़े हैं। गाँधीजी का मानना था कि राजनीति धर्म द्वारा स्थापित मूल्यों से निर्देशित होनी चाहिए।


प्रश्न 9. भारतीय विधायिका में महिलाओं का अनुपात क्या है ? विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है ? 

उत्तर

लोक सभा 2019 में महिलाएं 14 प्रतिशत है। राज्य विधानसभाओं में महिलाएं 5 प्रतिशत है।

  • विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए, महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण कानूनी रूप से पंचायतों की तरह बाध्यकारी होना चाहिए।
  • पंचायत में 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 
  • कुछ राज्य जहां महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें पहले से ही आरक्षित हैं, वे हैं बिहार, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश।


प्रश्न 10. साम्प्रदायिकता से क्या अभिप्राय है?

उत्तर

साम्प्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अन्य समूहों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास करते हैं। इस मानसिकता के अनुसार या तो एक धार्मिक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के वर्चस्व में रहना होगा अथवा फिर उनके लिए अलग राष्ट्र बनाना होगा।


प्रश्न 11. आधुनिक भारत में जाति और जाति व्यवस्था में बदलाव के पीछे का कारण बताएं। 

उत्तर

आधुनिक भारत में जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण महान परिवर्तन हुए हैं

  • आर्थिक विकास 
  • बड़े पैमाने पर शहरीकरण 
  • साक्षरता और शिक्षा का विकास 
  • व्यावसायिक गतिशीलता
  • गांव में जमींदारों की स्थिति का कमजोर होना।


प्रश्न 12. सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने वाले तीन तथ्यों का उल्लेख कीजिए |

उत्तर

  1. एक धर्म को अन्य धर्मों से बेहतर मानना |
  2. धर्म के आधार पर वोट बैंक का निर्माण करना |
  3. राजनैतिक दलों द्वारा धार्मिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देना |
  4. कट्टरपंथी विचारधारा |


प्रश्न 13. साम्प्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।

उत्तर

सांप्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूप निम्नलिखित है:

  • साम्प्रदायिकता के आधार पर राजनीति करने वाले लोग या राजनेता |
  • सम्प्रदाय के आधार पर राजनितिक दलों का अलग-अलग खेमों में बंट जाना |
  • राजनितिक लाभ के लिए सांप्रदायिक हिंसा या टकराव उत्पन्न होना |
  • सांप्रदायिक दिशा में राजनीति की गतिशीलता |
  • धार्मिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण |


प्रश्न 14. साम्प्रदायिकता का समाज पर पड़ने वाले तीन प्रमुख दुष्प्रभावों का उल्लेख कीजिए |

उत्तर

  • विभिन्न धार्मिक गुटों में लड़ाई झगड़ा का होना |
  • यह लोकतंत्र और राजनीति को प्रभावित करता है जिसमें अधिकांश मतदाता साम्प्रदायिकता के आधार पर चुनाव करते है |
  • कई साम्प्रदायिकता ताकतें अपनी भड़काऊ भाषण से समाज में लड़ाई -दंगे फैलवाते है |


प्रश्न 15. जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं किये जा सकते। कारण लिखिए। 

उत्तर

  • मतदाताओं में जागरूकता – कई बार मतदाता जातीय भावना से ऊपर उठकर मतदान करते हैं। 
  • मतदाताओं द्वारा अपने आर्थिक हितों और राजनीतिक दलों को प्राथमिकता। 
  • किसी एक संसदीय क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत न होना।
  • मतदाताओं द्वारा विभिन्न आधारों पर मतदान करना। 


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. नारीवादी आंदोलन किस कहते हैं ? इसकी विशेषताओं और प्रभाव को बताइए? 

उत्तर

महिलाओं के राजीतिक और वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने, उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की माँग और उनके व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन में बराबरी की मांग करने वाले आंदोलन को नारीवादी आंदोलन कहते हैं। 

विशेषताएँ :

  • यह आंदोलन महिलाओं के राजनैतिक अधिकार और सत्ता पर उनकी पकड़ की वकालत करता है। 
  • इसमें महिलाओं को घर की चार-दीवारी के भीतर कैद रखने और घर के सभी कामों का बोझ डालने का विरोध सम्मिलित है। 
  • यह पितृसत्तात्मक परिवार को मातृसत्तात्मक बनाने की ओर अग्रसर हैं। 
  • महिलाओं की शिक्षा तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में उनके व्यवसाय, सेवा आदि का समर्थक है। 
  • यह महिलाओं के हर प्रकार के शोषण का विरोध करता है।

 

प्रश्न 2. जातिवाद से आप क्या समझते हैं? राजनीति में जाति के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिये।

उत्तर

जातिवाद से आशय जातिवाद इस मान्यता पर आधारित है कि जाति ही सामाजिक समुदाय के गठन का एकमात्र आधार है। एक जाति के लोगों के हित एक जैसे होते हैं तथा दूसरी जाति के लोगों से उनके हितों का कोई मेल नहीं होता।

भारतीय राजनीति में जाति के अनेक रूप दिखाई देते हैं। यथा-

  • उम्मीदवारों का चुनाव जातियों की संख्या के हिसाब से-राजनैतिक दल चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करते समय चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की जातियों का हिसाब ध्यान में रखते हैं ताकि उन्हें चुनाव जीतने के लिए जरूरी वोट मिल जाएँ।
  • सरकार के गठन में जतियों को प्रतिनिधित्व देना सरकार का गठन करते समय भी राजनीतिक दल इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसमें विभिन्न जातियों के लोगों को उचित स्थान मिले।
  • जातिगत भावनाओं को भड़काकर वोट पाने की कोशिश राजनीतिक दल और उम्मीदवार समर्थन हासिल करने के लिए जातिगत भावनाओं को उकसाते हैं।
  • जातिगत गोलबंदी और निम्न जातियों में राजनैतिक चेतना का उदय सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और एक व्यक्ति एक वोट की व्यवस्था से उन जातियों के लोगों में नई चेतना पैदा हुई है जिन्हें अभी तक छोटा और नीच माना जाता था।


प्रश्न 3. भारत में स्वतंत्रता के उपरांत महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुए हैं परंतु वे अभी भी पुरूषों से काफी पीछे हैं। इस कथन को विभिन्न तथ्यों और साक्ष्यों से समझाइए। 

उत्तर

  • साक्षरता की दर: महिलाओं में साक्षरता की दर 54 प्रतिशत है जबकि पुरुषों में 76 प्रतिशत। 
  • ऊँचा वेतन और ऊँची स्थिति के पद, इस क्षेत्र में पुरूष महिलाओं से बहुत आगे हैं। 
  • असमान लिंग अनुपात: अभी भी प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या 933 है। 
  • घरेलु और सामाजिक उत्पीड़न 
  • जन प्रतिनिधि संस्थाओं में कम भागीदारी अथवा प्रतिनिधित्व। 
  • महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आर्थिक आत्मनिर्भरता कम।

 

प्रश्न 4. अगर एक सी सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों, तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए। 

उत्तर

  • किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो सकते हैं, जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिये में अंतर हो सकता है। 
  • उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं, लेकिन यहाँ के लोग प्रोस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बंटे हुए हैं। 
  • उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म में शहरी समानता है। वहाँ कैथोलिक समुदाय गरीब है और उनके साथ भेदभाव होता है। 
  • नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच समानता नहीं है। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों ही अमीर एवं गरीब हैं। 
  • उत्तरी आयरलैंड में दोनों ही समुदायों में भारी मारकाट चलती है परंतु नीदरलैंड में ऐसा नहीं है।


प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिये कि आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

उत्तर

जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा-

  • औसत आर्थिक हैसियत अभी भी जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) के साथ गहरा सम्बन्ध दर्शाती है; क्योंकि ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है, दलित और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, जबकि पिछड़ी जातियाँ बीच की स्थिति में हैं।
  • गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों में ज्यादा बड़ी संख्या सबसे निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है और पिछड़ी जातियों की स्थिति बीच की है।
  • आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं, लेकिन यहाँ भी ऊँची जाति वालों का अनुपात ज्यादा है और निचली जातियों का कम।

 

प्रश्न 6. लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में किस प्रकार महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने में मदद की है ?

उत्तर

लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया है :

  • आज विभिन्न पेशे में महिलाओं की भूमिका पहले से अधिक देखने को मिलती है। जैसे-डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक आदि। 
  • पहले उपर्युक्त कामों के लिए महिलाओं को योग्य नहीं समझा जाता था। 
  • दुनिया के कुछ चुनिन्दा देशों जैसे-नार्वे फिनलैंड आदि में महिलाओं की भागीदारी का स्तर ऊँचा है। 
  • भारत में आजादी के बाद महिलाओं का प्रतिनिधित्व राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़ा है, परन्तु अभी भी वे पुरुषों से काफी पीछे हैं।


प्रश्न 7. भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।

उत्तर

भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शासन हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसी आधार पर संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

  • कोई धर्म राजधर्म नहीं भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
  • कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है।
  • धार्मिक भेदभाव का निषेध-संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।
  • धार्मिक मामलों में शासन के हस्तक्षेप की इजाजत भारत का संविधान धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए शासन को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार देता है। जैसे यह छुआछूत की इजाजत नहीं देता।
  • इससे स्पष्ट होता है कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान की बुनियाद है। 


प्रश्न 8. भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिये।

उत्तर

भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शासन हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसी आधार पर संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

  • कोई धर्म राजधर्म नहीं भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
  • कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है।
  • धार्मिक भेदभाव का निषेध-संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।
  • धार्मिक मामलों में शासन के हस्तक्षेप की इजाजत भारत का संविधान धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए शासन को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार देता है। जैसे यह छुआछूत की इजाजत नहीं देता।
  • इससे स्पष्ट होता है कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान की बुनियाद है।


प्रश्न 9. अगर एक सी सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों, तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए। 

उत्तर

  • किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो सकते हैं, जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिये में अंतर हो सकता है। 
  • उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं, लेकिन यहाँ के लोग प्रोस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बंटे हुए हैं। 
  • उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म में शहरी समानता है। वहाँ कैथोलिक समुदाय गरीब है और उनके साथ भेदभाव होता है। 
  • नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच समानता नहीं है। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों ही अमीर एवं गरीब हैं। 
  • उत्तरी आयरलैंड में दोनों ही समुदायों में भारी मारकाट चलती है परंतु नीदरलैंड में ऐसा नहीं है।


प्रश्न 10. स्पष्ट कीजिये कि आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

उत्तर

जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा-

  • औसत आर्थिक हैसियत अभी भी जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) के साथ गहरा सम्बन्ध दर्शाती है; क्योंकि ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है, दलित और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, जबकि पिछड़ी जातियाँ बीच की स्थिति में हैं।
  • गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों में ज्यादा बड़ी संख्या सबसे निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है और पिछड़ी जातियों की स्थिति बीच की है।
  • आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं, लेकिन यहाँ भी ऊँची जाति वालों का अनुपात ज्यादा है और निचली जातियों का कम।
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