Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 12 कैदी और कोकिला - माखनलाल चतुर्वेदी Hindi

This website provide Important Questions for Class 9 Kshitij Chapter 12 Kaidi aur Kokila with answers on this page which will increase concentration among students and have edge over classmates. A student should revise on a regular basis so they can retain more information and recall during the precious time. These extra questions for Class 9 Hindi Kshitij play a very important role in a student's life and developing their performance.

Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 12 कैदी और कोकिला - माखनलाल चतुर्वेदी Hindi

Chapter 12 कैदी और कोकिला Kshitij Extra Questions for Class 9 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कवि को कारागार में दंड रूप में कौन-कौन से शारीरिक परिश्रम के काम करने पड़ते थे ?

उत्तर

कवि देश की स्वतंत्रता के प्रयत्नों के कारण जेल में बंद था। जेल में कैदियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट दिए जाते थे। ये कष्ट उनसे काम करवाकर दिए जाते थे। कवि को जेल में तेल निकालने के लिए पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता था; हथौड़ों से ईंट-पत्थर की गिट्टियाँ तोड़ना, पेट की सहायता से हल जोतना, बैलों की तरह छाती से फीता लगाकर चूना आदि पीसने का काम करना पड़ता था।


प्रश्न 2. कवि ने ‘दावानल की ज्वालाएँ’ किसे कहा है ?

उत्तर

कवि के समय में हमारा देश गुलाम था। देश को आज़ाद करवाने के प्रयत्न किए जा रहे थे, जिससे भारतीयों को भयंकर और दुखदायी कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए कवि के लिए परतंत्रता ही ‘दावानल की ज्वालाएँ’ थीं।


प्रश्न 3. कवि ने अपनी और कोकिला की अवस्थाओं में किस प्रकार तुलना की है ?

उत्तर

कवि ने अपनी और कोकिला की अवस्था में बहुत अंतर माना है। कोकिला को रहने के लिए पेड़ की हरी-भरी शाखाएँ मिली हैं, जबकि कवि दस फुट की काली कोठरी में रहता है। कोकिल खुले आसमान में विचरण करती है और वह काली कोठरी में बंद है, जहाँ सब कुछ काला ही काला है। कोकिल कूकती है, तो सबको अच्छा लगता है, उसमें जीवन का रंग दिखाई देता है। परंतु कवि रोता है, तो उसमें दुख दिखाई देता है और उसका रोना गुनाह माना जाता है।


प्रश्न 4. कवि ने रात के अँधेरे में किसे संबोधित किया है और क्यों ?

उत्तर

कवि अंग्रेजी शासन में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों के कारण जेल में बंद है। जेल के सभी कैदी सो गए हैं; केवल कवि जाग रहा है। कवि ने रात के समय में कोयल की उपस्थिति अनुभव की। उसने बात करने के उद्देश्य से कोयल को संबोधित किया था। कवि कोयल से पूछता है कि वह इतनी रात को क्यों जाग रही है ? उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ?


प्रश्न 5. कवि ने किसके व्रत का पालन करने का निश्चय किया था और कैसे ?

उत्तर

कवि ने महात्मा गांधी के द्वारा देश की आज़ादी हेतु लिए गए व्रत का पालन करने का निश्चय किया था। कवि कारागार में बंद था, परंतु उसका हृदय देश की आज़ादी के लिए कुछ करने के लिए मचल रहा था। वह वहाँ बंद रहकर भी अपनी रचना के माध्यम से आज़ादी की रणभेरी बजाना चाहता था। वह लोगों को जागृत करना चाहता था कि वें महात्मा गाँधी के आज़ादी के स्वप्न को पूरा करने में सहयोग दें।


प्रश्न 6. कारागार में कवि की कैसी दशा थी ?

उत्तर

स्वतंत्रता सेनानी होने के बाद भी कारागार में कवि को डाकू, चोर व ठगों के साथ बंद किया गया था। उसे पेट भर भोजन भी नहीं दिया जाता था। रात-दिन उस पर कड़ा पहरा रहता था। उसे हथकड़ियों में जकड़कर रखा गया था। इसके अतिरिक्त उसे कोल्हू चलाना पड़ता था तथा हथौड़े से ईंट-पत्थर भी तोड़ने पड़ते थे।


प्रश्न 7. कवि किन कष्टों के कारण रात भर जागता रहता था और कोयल से वह क्या जानना चाहता था ?

उत्तर

अंग्रेज़ी सरकार ने कवि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद किया था। जेल में अंग्रेज़ अधिकारी कैदियों को तरह- तरह के कष्ट देते थे। कैदियों को पेट भर खाना नहीं मिलता था। कवि वहाँ के कष्टों से परेशान रात भर जागता रहता था। कवि ने कोयल से उसके आधी रात के समय कूकने का कारण जानने की इच्छा व्यक्त की। वह उससे उसके कष्टों के विषय में जानना चाहता था, जिससे परेशान होकर वह रात के समय जाग रही थी।


प्रश्न 8. कविता के आधार पर कवि की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर

कवि माखनलाल चतुर्वेदी देशभक्त थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर देश की परतंत्रता को समाप्त करने के लिए जी-जान से प्रयत्न किया था। अंग्रेज़ी शासन द्वारा उन्हें कारागार में चोर, डाकुओं और बटमारों के साथ बंद किए जाने पर भी वे हताश नहीं हुए थे। वे संवेदनशील थे। कोकिल के रात के समय कूकने पर उनकी संवेदना उससे भी जुड़ गई थी। वे कल्पनाशील थे। अंग्रेजी सरकार के द्वारा दिए जाने वाले कष्ट उन्हें तोड़ नहीं पाए थे। वे वचन के पक्के थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक बार मन में ठान लेने पर वे इस मार्ग से पीछे नहीं हटे थे।


प्रश्न 9. रात के समय कोकिला किस कारण आई थी ?

उत्तर

कवि ने कोकिला को स्वतंत्रता से प्यार करने वाले पक्षी के रूप में चित्रित किया है। कवि के अनुसार वह भी देश को गुलामी में बँधे देखकर रो रही थी। जो लोग देश आज़ाद करवाने का प्रयत्न कर रहे थे, उन्हें ब्रिटिश अधिकारी कष्ट दे रहे थे। कोयल आधी रात को कारागार में बंद स्वतंत्रता सेनानियों के कष्टों में सहभागी बनने और उनके कष्टों पर मरहम लगाने के लिए आई थी। वह उनके साथ मिलकर रोना चाहती थी।


प्रश्न 10. बंदी जीवन में भी कवि निरुत्साहित क्यों नहीं था ?

उत्तर

बंदी जीवन में अनेक कष्टों को सहन करते हुए भी कवि निरुत्साहित नहीं था। उसका मन देश को स्वतंत्र करवाने के लिए बिगुल बजा रहा था। वह गाँधी जी के देश की स्वतंत्रता हेतु लिए गए व्रत में अपने प्राणों को पूर्ण रूप से समर्पित कर उसमें अपना पूरा सहयोग देना चाहता था।


प्रश्न 11. कवि ने अपने आस-पास के वातावरण में किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है ?

उत्तर

कवि के अनुसार ब्रिटिश शासन में चारों ओर गुलामी का अंधकार फैला हुआ था, जहाँ सभी ओर काला – ही – काला दिखाई देता था। कवि ने अपने आस-पास के वातावरण में कोयल को काला माना है; रात काली है, अंग्रेज़ी शासन काला है, लहर काली है, कवि की कल्पना काली है, काल-कोठरी काली है, उसकी टोपी काली है, कंबल काला है और उसको बाँधने वाली जंजीरें भी काली हैं।


प्रश्न 12. कोयल से क्या जानना चाहता है ?

उत्तर

कवि कोयल से यह जानना चाहता है कि वह आधी रात को क्यों जाग रही है ? वह किस पीड़ा से परेशान होकर कूकी है ? क्या उसे नींद नहीं आ रही या वह पागल है या उसे जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी हैं ? वह क्यों इतनी बेचैन है ?


प्रश्न 13. ‘कैदी और कोकिला’ कविता का संदेश / उद्देश्य/मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा किया है। स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने स्पष्ट किया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस नहीं खोते थे तथा महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए अहिंसापूर्ण स्वतंत्रता संग्राम में सहर्ष अपना पूरा योगदान देने के लिए तत्पर रहते थे।


प्रश्न 14. कोयल की कूक ‘चमकीला गीत’ क्यों है ?

उत्तर

आधी रात में कवि को कोयल के कूकने की आवाज सुनाई देती है। कवि अपना दुख कोयल के साथ बाँटना चाहता था। कवि में कोयल की कूक आशा व उत्साह का भाव और स्वर प्रदान करती थी, जिस कारण वह अपनी निराशा से मुक्ति पाता था। वह उसे प्रेरणा प्रदान करती थी। कवि को कोकिला का स्वर देशभक्ति में डूबा हुआ-सा प्रतीत होता था। इसलिए कवि को लग रहा था कि वह अपने ‘चमकीले गीत’ से उसमें कष्टों को सहने का उत्साह भरने आई है।


अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो ?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो ?
संदेशा किसका है ?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन, या तम का प्रभाव गहरा है ?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ?

प्रश्न :

(क) कवि ने रात के अँधेरे में किसे संबोधित किया है और क्यों ?
(ख) कवि को कारागार में किसके साथ बंद किया गया था ?
(ग) कवि ने अंग्रेज़ी शासन की तुलना किससे की है ?
(घ) कवि को जेल में क्यों बंद किया गया था ? कोयल की कूक का कवि पर क्या प्रभाव पड़ा था ?
(ङ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

(क) कवि ने रात में कोयल की उपस्थिति अनुभव की थी और उसे संबोधित किया था। कारागार में शेष सब सो रहे थे; केवल कवि जाग रहा था और कोयल भी रात के अँधेरे में कूक रही थी।

(ख) कवि को कारागार में डाकुओं, चोरों और राह चलते लोगों को लूटने वाले लुटेरों के साथ बंद किया गया था।

(ग) कवि ने अंग्रेज़ी शासन की तुलना गहरे अँधेरे से की है।

(घ) ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलनों में लिप्त होने के कारण कवि को जेल की कोठरी में बंद कर दिया गया था। आधी रात के समय किसी कोयल के कूकने की आवाज़ को सुनकर कवि को ऐसा अहसास हुआ कि कोयल भी पूरे देश को एक कारागार के रूप में देखने लगी है, इसलिए वह आधी रात में चीख उठी है।

(ङ) कवि ने अंग्रेज़ों के कारागार में अत्याचारों और अपमान को झेला था। उसे चोर – लुटेरों के साथ बंद किया गया था। दिन-रात उस पर कड़ा पहरा रहता था। भूख-प्यास के कारण कवि न तो जी पाता था और न ही मर पाता था। वह निराशा के भावों से भर गया था। कवि ने खड़ी बोली का प्रयोग किया है, जिसमें तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग सराहनीय है। अभिधा शब्द – शक्ति और प्रसाद गुण ने कथन को सरलता – सरसता से प्रकट किया है। अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों के स्वाभाविक प्रयोग ने काव्य-सौंदर्य में वृद्धि की है। गेयता का गुण विद्यमान है। करुण रस है।


2. क्यों हूक पड़ी ?
वेदना बोझ वाली – सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा ?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली ?
अर्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
कोकिल बोलो तो!

प्रश्न :

(क) कवि कोयल से क्या जानना चाहता है ?
(ख) कवि ने कोयल के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है ?
(ग) कवि ने ‘दावानल की ज्वालाएँ’ किसे माना है ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि किन कष्टों में कहाँ रातभर जागता रहता था और कोयल से वह क्या जानना चाहता था ?
(च) कवि ने कोयल की कूक’ को ‘हूक’ क्यों कहा है ?

उत्तर

(क) कवि कोयल से जानना चाहता है कि वह आधी रात के समय किस पीड़ा से परेशान होकर कूकी थी ? क्या वह पागल है या उसे जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी थीं?

(ख) कवि ने कोयल के लिए ‘मृदुल वैभव की रखवाली-सी’ विशेषण का प्रयोग किया है।

(ग) कवि ने भयंकर और दुखदायी संकटों को ‘दावानल की ज्वालाएँ’ माना है। हमारा देश उस समय अंग्रेजी शासन का गुलाम था, इसलिए हमारे लिए परतंत्रता ही ‘दावानल की ज्वालाएँ’ थीं। कवि नहीं जानता कि आधी रात के समय कूकने वाली कोयल के लिए ‘दावानल की ज्वालाएँ’ क्या थीं।

(घ) स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने के कारण विदेशी सरकार द्वारा कवि को कारागार में बंद कर दिया गया था। वह परेशान था और उसे आधी रात के समय कूकने वाली कोयल भी परेशान प्रतीत हुई थी। मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि किसी दुख से पीड़ित व्यक्ति को अन्य प्राणी भी उसी दुख से पीड़ित प्रतीत होने लगता है। कवि ने उपमा और अनुप्रास अलंकारों का सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है। लयात्मकता का प्रयोग किया गया है। तत्सम शब्दावली की अधिकता है। प्रसाद गुण, अभिधा शब्द-शक्ति और बेचैनी का भाव प्रस्तुत हुआ है।

(ङ) अंग्रेज़ी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कवि को कारागार में बंद कर दिया था। कवि वहाँ के कष्टों से परेशान रातभर जागता रहता था। आधी रात के समय कूकने वाली कोयल को संबोधित करते हुए कवि ने उसके कष्टों के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की थी।

(च) कवि स्वयं अंग्रेज़ी शासन के व्यवहार से परेशान था। उसे कोयल की कूक भी परेशानी से भरी हुई प्रतीत होती है। इसलिए कवि ने उसे हूक कहा है।


3. क्या ? – देख न सकती जंजीरों का गहना ?
हथकड़ियाँ क्यों ? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ ? – जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर कूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गजब ढा रही आली ?
इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो !
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो!

प्रश्न

(क) कवि ने किसे गहने कहा है ?
(ख) कवि को कारागार में दंड रूप में कौन-कौन से शारीरिक परिश्रम के काम करने पड़ते थे ?
(ग) कवि दिन के समय अपनी पीड़ा के भावों को क्यों नहीं प्रकट करना चाहता ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि ने कारागार में किन कष्टों की ओर संकेत किया है ?
(च) कवि के अनुसार ब्रिटिश अकड़ का कुआँ किस प्रकार खाली हुआ ?
(छ) रात के समय कोकिल किस कारण से आई थी ?
(ज) ‘मोट’ और ‘जूआ’ क्या है ?
(झ) कवि ने कोकिल के कूकने को ‘रो रही क्यों हो’ क्यों कहा है ?

उत्तर

(क) कवि ने ब्रिटिश सरकार द्वारा पहनाई गई लोहे की हथकड़ियों को गहने है।

(ख) कवि को कारागार में तेल निकालने के लिए पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता था; हथौड़ों से ईंट-पत्थर की गिट्टियाँ बनानी पड़ती थी। इसके अतिरिक्त उसे पेट की सहायता से हल जोतने, बैलों की तरह छाती से फीता लगाकर चूना पीसने आदि का काम करना पड़ता था।

(ग) कवि नहीं चाहता था कि कारागार की कठिनाइयों से व्यथित उसके मन की दशा कारागार के पहरेदार जानें। इसलिए वह दिन के समय अपनी पीड़ा के भावों को प्रकट नहीं करना चाहता था।

(घ) कवि ने कारागार में स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली यातनाओं का सजीव चित्रण किया है, जिससे उनकी क्रूरता का परिचय मिलता है। चित्रात्मकता के गुण ने कवि के कथन में छिपी पीड़ा को वाणी प्रदान की है। रूपक और अनुप्रास अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है। करुण रस विद्यमान है। तद्भव और सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिससे कथन को सरलता और स्वाभाविकता प्राप्त हुई है। अभिधा शब्द – शक्ति का प्रयोग है।

(ङ) कवि ने कारागार में कैदियों को दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों की ओर संकेत किया है।

(च) स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए देशभक्तों ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा दी जाने वाली यंत्रणाओं को चुपचाप झेला था, जिससे उन्होंने ब्रिटिश अकड़ का कुआँ खाली किया था।

(छ) रात के समय कोकिल स्वतंत्रता सेनानियों के कष्टों में सहभागी बनने और उनके कष्टों पर मरहम लगाने के लिए आई थी। वह उनके साथ मिलकर रोना चाहती थी।

(ज) ‘मोट’ कुएँ से पानी निकालने के लिए चमड़े का बना डोल है और ‘जूआ’ लकड़ी का मोटा लट्ठा है, जो बैलों के कंधे पर रखा जाता है। उसमें हल बाँधकर खेत जोता जाता है।

(झ) कवि ने कोकिल के कूकने को ‘रो रही हो क्यों’ इसलिए कहा है क्योंकि मधुर स्वर में कूकने वाली कोकिल उनके विद्रोही स्वर को प्रेरणा दे रही थी; अंग्रेज़ी शासन के प्रति उनके आक्रोश को बढ़ा रही थी। कवि के अनुसार कोयल की ब्रिटिश अत्यचारों और अनाचार में त्रस्त है। इसलिए कवि को उसका स्वर रोने जैसा प्रतीत होता है।


4. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह – श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
इस काले संकट – सागर पर
मरने की, मदमाती !
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती !
कोकिल बोलो तो!

प्रश्न :

(क) कवि ने अपने आस-पास की किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है ?
(ख) पहरेदारों की हुँकार कवि को कैसी प्रतीत होती है ?
(ग) ‘काला संकट – सागर’ क्या है ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि ने किस वातावरण का चित्रण किया है ?
(च) ‘काली’ विशेषण किन-किन अर्थों को स्पष्ट करता है ?
(छ) कोयल की कूक ‘चमकीला गीत’ क्यों है ?

उत्तर

(क) कवि के अनुसार कोयल काली है; रात काली है; अंग्रेज़ी शासन काला है, लहर काली है, कवि की कल्पना काली है; काल कोठरी काली है, उसकी टोपी काली है, कंबल काला है और उसको बाँधने वाली जंज़ीरे भी काली हैं।

(ख) पहरेदारों की हुँकार, कवि को सर्पिणी जैसी विषैली प्रतीत होती है।

(ग) देश पर विदेशी शासन ‘काला संकट – सागर’ है, जिसमें सारे देशवासी निरंतर डूब रहे हैं।

(घ) कवि ने कारागार में तरह-तरह के कष्ट उठाए थे। उसे प्रतीत होता था कि वह पीड़ा के अँधेरे में डूबा हुआ है, जिसके चारों तरफ़ गहरा कालापन छाया हुआ है। दृश्य बिंब योजना है, जिससे निराशा का भाव टपकता है। अनुप्रास, रूपक और पदमैत्री का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है। अभिधा शब्द का प्रयोग कथन की सरलता – सरसता का आधार बना है। प्रसाद गुण तथा करुण रस विद्यमान है। तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित रूप प्रकट किया गया है।

(ङ) कवि ने कारागार के वातावरण का चित्रण किया है।

(च) कवि ने ‘काली’ विशेषण का साभिप्राय प्रयोग किया है, जो निम्नलिखित अर्थों को प्रकट करता है –

  1. काला रंग – कोकिल, रात, टोपी, कंबल, लोहे की जंज़ीर।
  2. भयानकता – काली लहर, काली कल्पना, काली काल – कोठरी।
  3. अन्याय / क्रूरता – शासन की करनी, संकट – सागर।

(छ) कोकिल की कूक कवि को आशा व उत्साह का भाव और स्वर प्रदान करती थी, जिस कारण वह अपनी निराशा से मुक्ति पाता था। वह उसे प्रेरणा प्रदान करती थी। कवि को कोकिल का स्वर देशभक्ति में डूबा हुआ प्रतीत होता था, इसलिए उसने उसे ‘चमकीला गीत’ कहा है।


5. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!

प्रश्न :

(क) कवि ने अपनी और कोकिल की अवस्थाओं में किस प्रकार तुलना की है ?
(ख) कवि का हृदय क्या कर रहा है ?
(ग) कवि ने किसके व्रत का पालन करने का निश्चय किया था ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि किस पीड़ा से पीड़ित है ?
(च) ‘नभ-भर का संचार’ से क्या आशय है ?
(छ) कवि के लिए ‘दस फुट का संसार’ क्या है ?
(ज) ‘मोहन का व्रत’ से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर

(क) कवि कहता है कि कोकिल को रहने के लिए हरी-भरी शाखाएँ प्राप्त हुईं, तो उसे काली कोठरी मिली। कोकिल का संचरण सारे आकाश में होता है, तो कवि का संसार दस फुट की कोठरी है। कोकिल का कूकना गीत कहलाता है, तो कवि का रोना भी गुनाह है।

(ख) कवि का हृदय देश की आज़ादी का आह्वान करते हुए रणभेरी बजा रहा है।

(ग) कवि ने महात्मा गांधी द्वारा लिए गए आज़ादी के व्रत का पालन करने का निश्चय किया है।

(घ) कवि ने देश की आज़ादी के लिए उसी रास्ते को अपनाने का निश्चय किया था, जो महात्मा गांधी ने निर्धारित किया था। पंक्तियों में कवि ने सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया है। लयात्मकता की सृष्टि हुई है। अभिधात्मकता ने कवि के कथन को सरलता – सरसता प्रदान की है। पदमैत्री और अनुप्रास का स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है। प्रसाद गुण विद्यमान है।

(ङ) कवि कारागार में बंद होने की पीड़ा से पीड़ित है। वह चाहकर भी अपना दुःख-सुख व्यक्त नहीं कर पाता।

(च) ‘नभ- भर का संचार’ से कवि का तात्पर्य स्वतंत्रता से है; खुले आकाश में विहार करने से है।

(छ) छोटी-सी काल कोठरी कवि के लिए ‘दस फुट का संसार’ है।

(ज) 'मोहन का व्रत' महात्मा गाँधी (मोहनदास करमचंद गाँधी) के द्वारा स्वतंत्रता के लिए निरंतर अहिंसात्मक संघर्ष करते रहना है।

Previous Post Next Post