Extra Questions for Class 9 कृतिका Chapter 1  इस जल प्रलय में - फणीश्वर नाथ रेणु Hindi

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Extra Questions for Class 9 कृतिका Chapter 1  इस जल प्रलय में - फणीश्वर नाथ रेणु Hindi

Chapter 1 इस जल प्रलय में Kritika Extra Questions for Class 9 Hindi

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर

फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म बिहार के अररिया जिला में औराही हिंगना नामक गांव में हुआ था।


प्रश्न 2. इस जल प्रलय में पाठ का उद्देश्य क्या है

उत्तर

इस जल प्रलय में पाठ का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से सजग करना है। प्राकृतिक आपदाओं के आने के कारण का पता भी लगाना है।


प्रश्न 3. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव कहां और कब हुआ था

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव पटना में सन् 1967 ईस्वी में हुआ था। क्योंकि उस समय वहां 18 घंटे लगातार वर्षा हुई थी।


प्रश्न 4. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक का जन्म किस क्षेत्र में हुआ था

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक का जन्म परती क्षेत्र में हुआ था।


प्रश्न 5. 'इस जल प्रलय में' पाठ में क्या लेखक तैरना जानता था।

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण तैरना नहीं जानता था।


प्रश्न 6. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक को प्रथम पुरस्कार कब और किस विषय पर मिला था

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक को प्रथम पुरस्कार हाई स्कूल में बाढ़ पर लेख लिखने के विषय पर मिला था।


प्रश्न 7. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक के किन रिपोर्ताजों का नाम लिया गया है

उत्तर- 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक के 'जय गंगा' 'डायन कोसी', 'हड्डियों का पुल' रिपोर्ताज का नाम लिया गया है।


प्रश्न 8. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक ने किन क्षेत्रों की बाढ़ विभीषिका का वर्णन किया है

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक ने पटना और उसके आसपास के क्षेत्रों में आई प्रलयंकारी बाढ़ की विभीषिका का वर्णन किया है।


प्रश्न 9. 'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक ने छत से देखकर क्या सोचा

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक ने बाढ़ की विभीषिका को देखकर यह सोचा कि यदि मेरे पास मूवी कैमरा होता तो मैं उस दृश्य को रिकॉर्ड कर एक छोटी फिल्म बना लेता।


प्रश्न 10. 'इस जल प्रलय में' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने बाढ़ पर क्या क्या लिखा है

उत्तर- इस जल प्रलय में लेखक ने बाढ़ पर 'जय गंगा' 'डायन कोसी' 'हड्डियों का पुल' आदि छोटे-छोटे रिपोर्ताजों के साथ-साथ अनेक उपन्यास भी लिखा हैं।


प्रश्न 11. लेखक का गाँव किस क्षेत्र में था ? वहाँ लोग क्यों आते थे ?

उत्तर

लेखक का गाँव बिहार राज्य के ऐसे क्षेत्र में था जहाँ प्रतिवर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा व गंगा की बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह सावन-भादों में आकर वहाँ शरण लेते थे क्योंकि लेखक के गाँव की धरती परती थी।


प्रश्न 12. 'इस जल प्रलय मेंपाठ में लेखक दस वर्ष की उम्र से पिछले साल तक किस रूप में कार्य किया था?

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक दस वर्ष की उम्र से पिछले साल तक ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ वर्कर की हैसियत से बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में काम करता था।


प्रश्न 13. 'इस जल प्रलय में' के लेखक कौन हैं

उत्तर

'इस जल प्रलय में' के लेखक फणीश्वर नाथ रेणु है।


प्रश्न 14. फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित सूखा और बाढ़ पर आधारित रिपोर्ताज कौन है?

उत्तर

फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा सूखा और बाढ़ पर लिखित रिपोर्ताज 'ऋणजल-धनजल' और 'इस जल प्रलय में' है।


प्रश्न 15. फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म और मृत्यु कब हुआ था?

उत्तर

फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को और मृत्यु 11 अप्रैल 1977 को हुई।


प्रश्न 16. 'इस जल प्रलय मेंकी साहित्यिक विधा क्या है?

उत्तर

'इस जल प्रलय में' की साहित्यिक विधा रिपोर्ताज है।


लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव कब और कहाँ हुआ ?

उत्तर

लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव सन् 1967 ई० में पटना में हुआ था। तब वहाँ लगातार अट्ठारह घंटे वर्षा हुई थी। इस वर्षा के कारण पुनपुन नदी का पानी पटना के राजेंद्रनगर, कंकड़बाग आदि निचले क्षेत्रों में घुस गया था। लेखक इसी क्षेत्र में रहता था, इसलिए उसने बाढ की इस विभीषिका को एक आम शहरी आदमी के रूप में भोगा था।


प्रश्न 2. लेखक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से किस प्रकार जुड़ा हुआ था ?

उत्तर

लेखक का जन्म परती क्षेत्र अर्थात् जहाँ की भूमि खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती, वहाँ हुआ था। अन्य क्षेत्रों में बाढ़ आने पर लोग उनके क्षेत्र की ओर आते थे। उस समय वह ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ़ वर्कर की हैसियत से बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए काम करता था। उस समय वह बाढ़ से पीड़ित लोगों की मानसिकता को समझने की कोशिश करता था। बाढ़ में संबंधित कई बातों का वर्णन लेखक ने अपने साहित्य में भी किया है।


प्रश्न 3. 'इस जल प्रलय मेंपाठ में लेखक का गांव किस क्षेत्र में था

उत्तर

'इस जल प्रलय में' पाठ में लेखक का गांव बिहार राज्य के ऐसे क्षेत्र में था जहां प्रतिवर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण' की कोसी, महानंदा, गंगा की बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह सावन, भादो में आकर वहां शरण लेते थे।


प्रश्न 4. मनिहारी में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए लेखक द्वारा क्या ले जाना आवश्यक था ?

उत्तर

सन् 1947 ई० में लेखक गुरुजी अर्थात् सतीनाथ भादुड़ी के साथ गंगा की बाढ़ से पीड़ित मनिहारी क्षेत्र के लोगों की सहायता के लिए नाव पर गया। वहाँ लोगों के पैरों की उँगलियाँ पानी में रहने के कारण सड़ गई थीं तथा उनके तलवों में भी घाव हो गए थे, जिसके इलाज के लिए सबने इनसे ‘पकाही घाव’ की दवा माँगी। इसके अतिरिक्त उन लोगों को किरासन तेल और दियासलाई की भी ज़रूरत होती थी। इसलिए लेखक इन तीनों वस्तुओं को बाढ़ पीड़ितों में बाँटने के लिए अपनी नाव पर अवश्य रखता था।


प्रश्न 5. जिन लोगों का बाढ़ से पहली बार सामना होता है, उनकी बाढ़ के पानी को लेकर कैसी उत्सुकता होती है ?

उत्तर

लेखक ने वैसे तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुत काम किया था, परंतु सन् 1967 में पटना में लेखक को बाढ़ के अनुभव से गुज़रना पड़ा। लोगों में बाढ़ के पानी को लेकर उत्सुकता थी। वह उसका जायजा लेने के लिए मौके पर पहुँचना चाहते थे। इसलिए लोग मोटर, स्कूटर, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल, ट्रक, टमटम, साइकिल, रिक्शा आदि पर बैठकर पानी देखने जा रहे थे। जो लोग पानी देखकर लौट रहे थे, उनसे पानी देखने जाने वाले पूछते कि पानी कहाँ तक आ गया है ? जितने लोग होते उतने ही सवालों के जवाबों में पानी आगे बढ़ता जाता था। सबकी जुबान पर एक ही बात होती थी कि पानी आ गया है; घुस गया; डूब गया; बह गया।


प्रश्न 6. बाढ़ वाले दिन गाँधी मैदान का दृश्य कैसा था ? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर 

बाढ़ वाले दिन सब तरफ पानी ही पानी था। गाँधी मैदान में पानी भर गया था। पानी की तेज़ धाराओं में दीवारों पर लगे लाल-पीले रंग के विज्ञापनों की परछाइयाँ रंगीन साँपों के समान लग रही थीं। हज़ारों की संख्या में लोग गाँधी मैदान की रेलिंग के सहारे खड़े पानी की तेज धाराओं को इस प्रकार उत्सुकता से देख रहे थे, जैसे कि दशहरे के दिन रामलीला के ‘राम’ के रथ की प्रतीक्षा करते हैं। गाँधी मैदान में होने वाले आनंद उत्सव, सभा-सम्मेलन और खेलकूद की यादों को गेरुए रंग के पानी ने ढक लिया था। वहाँ की हरियाली भी धीरे-धीरे पानी में विलीन हो रही थी। यह सब देखना लेखक के लिए एक नया अनुभव था।


प्रश्न 7. इस जल प्रलय में पाठ का क्या संदेश है? 

उत्तर

इस जल प्रलय में पाठ का संदेश यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को पारस्परिक सहयोग की भावना से रहना चाहिए। खुद समस्याओं से उबरने के साथ साथ दूसरों को भी समस्याओं से उबारने का प्रयास करना चाहिए।मनुष्य के साथ-साथ जीव-जंतुओं से प्रेम करना चाहिए।


प्रश्न 8. 'इस जल प्रलय' पाठ में राजेंद्र नगर के चौराहे पर मैगजीन की दुकानें खुली देखते ही लेखक के मन में क्या विचार आया?
उत्तर
'इस जल प्रलय में' पाठ में जब लेखक राजेंद्र नगर चौराहे से गुजरा तो उसे मैगजीन की दुकान खुली हुई दिखी। लेखक ने सोचा कि एक सप्ताह की साहित्यिक पुस्तकें एक साथ खरीद लें।


प्रश्न 9. पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने बाढ़ पर क्या-क्या लिखा है ?

उत्तर

लेखक ने सबसे पहले हाई स्कूल में बाढ़ पर एक लेख लिखा था, जिस पर उसे प्रथम पुरस्कार मिला था। बड़े होने पर उसने धर्मयुग में ‘कथा – दशक’ के अंतर्गत बाढ़ की पुरानी कहानी को नए रूप के साथ लिखा था। लेखक ने जय गंगा (1947), कोसी (1948), हड्डियों का पुल (1948) आदि छोटे-छोटे रिपोर्ताज लिखे हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों में बाढ़ की विनाशलीला के अनेक चित्र अंकित किए हैं।


प्रश्न 10. सन् 1967 में पुनपुन नदी के पानी के राजेंद्रनगर में घुस आने पर वहाँ के सजे-धजे युवक-युवतियों ने क्या किया था ?

उत्तर

सन् 1967 में जब पुनपुन नदी का पानी राजेंद्रनगर में आ गया था, तब वहाँ के कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों ने नौका विहार करने का मन बनाया। वे नौका में बैठकर स्टोव पर केतली चढ़ाकर कॉफी बना रहे थे; साथ में बिस्कुट थे तथा ट्रांजिस्टर पर फ़िल्मी गाने बज रहे थे। एक लड़की कोई सचित्र पत्रिका पढ़ रही थी। जब यह नौका लेखक के ब्लॉक के पास पहुँची, तो छतों पर खड़े लड़कों ने इन पर छींटाकसी करके उन्हें वहाँ से भगा दिया।


प्रश्न 11. परमान नदी की बाढ़ में डूबे हुए मुसहरों की बस्ती में जब लेखक राहत सामग्री बाँटने गया, तो वहाँ कैसा दृश्य था ?

उत्तर

लेखक जब अपने साथियों के साथ मुसहरों की बस्ती में राहत सामग्री बाँटने गया, तो वहाँ ढोलक और मंज़ीरा बजने की आवाज़ आ रही थी। वहाँ एक ऊँचे मंच पर बलवाही नाच हो रहा था। कीचड़ भरे पानी में लथपथ भूखे-प्यासे नर-नारियों का झुंड खिलखिला रहा था।

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