Extra Questions for Class 10 संचयन Chapter 1 हरिहर काका- मिथिलेश्वर Hindi

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Extra Questions for Class 10 संचयन Chapter 1 हरिहर काका- मिथिलेश्वर Hindi

Chapter 1 हरिहर काका Sanchayan Extra Questions for Class 10 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ठाकुरबारी के विषय में लेखक के क्या विचार थे?

उत्तर

ठाकुरबारी के विषय में लेखक का यह विचार था कि यह अंधविश्वास व पाखंड का स्थान है। एक समय ऐसा था जब ठाकुरबारी के संतों-महंतों को माँगकर खाना पड़ता था, लेकिन आबादी बढ़ते ही 'ठाकुरबारी' का रूप बदल गया। गाँव के लोगों का मानना था कि उनके सभी काम ठाकुर जी की कृपा से ही होते हैं । पुत्र का जन्म, मुकदमें की जीत, लड़की की शादी, लड़के की नौकरी आदि पर गाँव वाले ठाकुर जी पर रुपये, जेवर, ज़मीन आदि चढ़ावे के रूप में देने लगे। गाँव वालों में ठाकुर जी के प्रति अपार श्रद्धा थी जिसे लेखक ने धार्मिक अंधविश्वास व पाखंड के रूप में प्रकट किया है।


प्रश्न 2. हरिहर काका ने चौक में थाली उठाकर क्यों फेंक दी ?

उत्तर

हरिहर काका अपने घर के दालान पर बीमार पड़े थे, परंतु भाई के परिवार वाले उनका ध्यान नहीं रख रहे थे । हरिहर काका बड़े दुखी थे इसी बीच शहर में क्लर्की करने वाले भतीजे का एक मित्र गाँव में आया । घर में अनेक प्रकार के खाने बनाए गए थे, परंतु घरवालों ने हरिहर काका के सामने रूखा-सूखा खाना परोसा । इसी कारण हरिहर काका ने थाली उठाकर आँगन में फेंक दी।


प्रश्न 3. लेखक ने कैसे जाना कि हरिहर काका उसे बचपन में बहुत प्यार करते थे?

उत्तर

लेखक को उसकी माँ बताया करती थी कि हरिहर काका बचपन में उसे बहुत प्यार करते थे। वे उसे कंधे पर बिठाकर घुमाया करते थे। एक पिता अपने बेटे को जितना प्यार करता है, हरिहर काका उससे ज्यादा प्यार लेखक को करते थे। वे जितना खुलकर लेखक से बातें करते थे, उतना किसी अन्य से नहीं। हरिहर काका ने ऐसी दोस्ती किसी अन्य के साथ नहीं की। इस तरह उसने जाना कि काका उसे बचपन में बहुत प्यार करते थे।


प्रश्न 4. हरिहर काका की किस स्थिति ने लेखक को चिंतित कर दिया?

उत्तर

इस बार जब लेखक हरिहर काका से मिलने गया और उनकी तबीयत के बारे में पूछा तो उन्होंने सिर उठाकर एक बार लेखक की ओर देखा और सिर झुका लिया। इसके बाद उन्होंने दुबारा सिर नहीं उठाया। उनकी यंत्रणा और मनोदशा के बारे में आँखों ने बहुत कुछ कह दिया पर काका कुछ बोल न सके। उनकी इस दशा ने लेखक को चिंतित कर दिया।


प्रश्न 5. हरिहर काका के परिवार का स्वरूप कैसा था ?

उत्तर

हरिहर काका के परिवार में हरिहर काका की दो पत्नियाँ स्वर्ग सिधार गईं थीं । हरिहर काका चार भाई थे। हरिहर काका निःसंतान थे, परंतु उनके भाइयों का परिवार भरा-पूरा था । हरिहर काका के भाइयों के बाल-बच्चे थे। बड़े भाई व छोटे भाई के बच्चे सयाने हो गए थे। दो की शादियाँ हो गई थीं। उनमें से एक पढ़-लिखकर शहर के किसी दफ्तर में क्लर्की करने लगा था। भाइयों में हरिहर काका का नंबर दूसरा था। बुढ़ापे में हरिहर काका प्रेम व इत्मीनान से अपने भाइयों के परिवार के साथ रहते थे।


प्रश्न 5. ठाकुरबारी की प्रबंध समिति और इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

ठाकुरबारी के नाम पर अच्छी-खासी जमीन और अत्यंत विशाल मंदिर है। यहाँ धार्मिक लोगों की एक समिति है जो ठाकुरबारी की देख-रेख करती है और इसके संचालन हेतु प्रत्येक तीन साल पर एक पुजारी की नियुक्ति करती है। ठाकुरबारी का मुख्य कार्य है-गाँव के लोगों में ठाकुरबारी के प्रति भक्ति-भावना उत्पन्न करते हुए धर्म-विमुख लोगों को रास्ते पर लाना हैं।


प्रश्न 6. हरिहर काका को पुलिस सुरक्षा क्यों प्रदान की गई ?

उत्तर

हरिहर काका पर दो बार आक्रमण किया गया था, जिसमें बाल-बाल उनकी जान बची। एक बार ठाकुरबारी के साधु-संतों ने हरिहर काका का अपहरण कर लिया था और जान से मारने की कोशिश की। इसी प्रकार अपनी ज़मीन भाइयों के नाम नहीं करने पर उनके सगे भाइयों ने उन्हें कह दिया कि वे हरिहर को मारकर ज़मीन में गाड़ देंगे। अगर समय पर पुलिस नहीं आती, तो शायद हरिहर काका की जान भी जा सकती थी । हरिहर काका की जान की सुरक्षा व अपहरण से बचाने के लिए उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई।


प्रश्न 7. लेखक ठाकुरबारी से घनिष्ठ संबंध क्यों न बना सका?

उत्तर

लेखक मन बहलाने के लिए कभी-कभी ठाकुरबारी में जाता था लेकिन वहाँ के साधु-संत उसे फूटी आँखों नहीं सुहाते। वे काम-धाम करने में कोई रुचि नहीं लेते हैं। ठाकुर जी को भोग लगाने के नाम पर दोनों जून हलवा-पूड़ी खाते हैं और आराम से पड़े रहते हैं। उन्हें अगर कुछ आता है तो सिर्फ बात बनाना आता है। ठाकुरबारी के साधु-संतों की अकर्मण्यता और उनकी बातूनी आदतों के कारण लेखक ठाकुरबारी से अपना घनिष्ठ संबंध नहीं बना सकता।


प्रश्न 8. हरिहर काका की दयनीय स्थिति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर

हरिहर काका की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। इस भरी दुनिया में वे अकेले रहने लगे। उनके मन में भय, उदासी, हताशा व निराशा ने घर कर लिया था। उनका एक बार अपहरण भी कर लिया गया था। उनके भाइयों ने और ठाकुरबारी के साधु, संतों ने उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा भी था। उनको जान से मारने की धमकी भी दी गई थी। इसके अतिरिक्त उनकी दो-दो पत्नियाँ स्वर्ग सिधार चुकी थी। वे निःसंतान थे। इस भरी दुनिया में वे अकेले रहने पर विवश थे। वे मज़बूर व लाचार थे, असहाय थे।


प्रश्न 9. हरिहर काका ने सबसे बात करना बंद क्यों कर दिया था ?

उत्तर

हरिहर काका के साथ उनके भाइयों ने और परिवार के अन्य सदस्यों ने दुर्व्यवहार किया था, हरिहर काका को जान से मारने की कोशिश की थी। हरिहर काका को जान से मारने की कोशिश की थी। हरिहर काका को जिस महंत पर विश्वास था उसने भी काका के विश्वास को तोड़ा था । हरिहर काका पूरी तरह सदमें में थे। उनके मन में रिश्तों के प्रति कडुवाहट और अविश्वास की भावना घर कर गई थी इसीलिए काका ने सबसे बात करना बंद कर दिया था। वे उदास परेशान व निराश रहने लगे थे।


प्रश्न 10. हरिहर काका ने अपना गुस्सा घर की औरतों पर किस तरह उतारा? उनकी इस प्रतिक्रिया को आप कितना उचित समझते हैं?

उत्तर

हरिहर काका ने अपना गुस्सा घर की औरतों पर उतारते हुए कहा, ‘समझ रही हो कि मुफ्त में खिलाती हो, तो अपने मन से यह बात निकाल देना। मेरे हिस्से के खेत की पैदावार इसी घर में आती है। उसमें तो मैं दो-चार नौकर रख लूं, आराम से खाऊँ, तब भी कमी नहीं होगी। मैं अनाथ और बेसहारा नहीं हूँ। मेरे धन पर तो तुम सब मौज कर रही हो, लेकिन अब मैं तुम सब को बताऊँगा।” उनकी इस प्रतिक्रिया को उचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि इससे बात बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना अधिक थी।


प्रश्न 11. ठाकुरबारी के विषय में लोगों के क्या विचार थे?

उत्तर

ठाकुरबारी के विषय में लोगों के मन में बहुत अंधविश्वास भरा था। लोगों को लगता था कि अगर उनके घर पुत्र का जन्म हुआ है तो ठाकुर जी की कृपा से । अगर मुकदमों में जीत हुई है तो ठाकुर जी की कृपा से। अगर उनके खेतों में अच्छी फ़सल आई है तो वह भी ठाकुर जी की कृपा से ही आई है। अगर 'लड़की' की शादी तय हुई है तो वह ठाकुर जी की कृपा से ही तय हुई है। लोगों के खलिहान में फ़सल आने पर प्रथम फ़सल ठाकुर जी के नाम ही कर दिया जाता था ।


प्रश्न 12. परिवार वालों से हरिहर काका के असंतुष्ट होने की बात महंत को कैसे पता चली? यह सुनकर महंत ने क्या किया?

उत्तर

हरिहर काका जिस वक्त घर की औरतों को खरी-खोटी सुना रहे थे, उसी वक्त ठाकुरबारी के पुजारी जी उनके दालान पर ही विराजमान थे। वार्षिक हुमाध के लिए वह घी और शकील लेने आए थे। उन्होंने लौटकर महंत जी को विस्तार के साथ सारी बात बताई। उनके कान खड़े हो गए। यह सुनकर हाथ आए अवसर का लाभ उठाने के लिए महंत जी ने टीका तिलक लगाया और कंधे पर रामनामी लिखी चादर डाल ठाकुरबारी से चल पड़े।


प्रश्न 13. हरिहर काका का दिल जीतने के लिए ठाकुरबारी के महंत जी ने क्या-क्या उपाय अपनाया?

उत्तर

हरिहर काका का दिल जीतने के लिए महंत जी ने स्वादिष्ट भोजन खिलाने और धर्म-चर्चा करने जैसे उपाय अपनाए। उन्होंने रात में हरिहर काका को भोग लगाने के लिए जो मिष्टान्न और व्यंजन दिए, वैसे उन्होंने कभी नहीं खाए थे। घी टपकते मालपुए, रस बुनिया, लड्डू, छेने की तरकारी, दही, खीर…। इन्हें पुजारी जी ने स्वयं अपने हाथों से खाना परोसा था। पास में बैठे महंत जी धर्म-चर्चा से मन में शांति पहुँचा रहे थे।


प्रश्न 14. हरिहर काका परिवार वालों का बदलता व्यवहार आपको क्या सोचने के लिए विवश करता है? कहानी के आधार पर बताएँ ।

उत्तर

हरिहर काका के परिवार वालों का बदलता व्यवहार समाज की संवेदनहीनता एवम् स्वार्थपरता का परिचय देता है। आधुनिक समाज में रिश्तों का महत्त्व बहुत कम हो गया है। लोगों के मन में धन के प्रति लालच की भावना बढ़ गई है। हमारे चारों तरफ़ अविश्वास का वातावरण बढ़ रहा है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है । हरिहर काका की भाँति रह रहे बड़े बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता होने की आवश्यकता है।


प्रश्न 15. हरिहर काका द्वारा ठाकुरबारी के नाम जमीन लिखने में हो रही देरी के बारे में महंत जी ने क्या अनुमान लगाया? इसके लिए उन्हें क्या विकल्प नजर आया?

उत्तर

हरिहर काका द्वारा ठाकुरबारी के नाम जमीन लिखने में जो देरी हो रही थी, उसके बारे में महंत जी ने यह अनुमान लगाया कि हरिहर धर्म-संकट में पड़ गया है। एक ओर वह चाहता है कि ठाकुर जी को लिख दें, किंतु दूसरी ओर भाई के परिवार के माया-मोह में बँध जाता है। इस स्थिति में हरिहर का अपहरण कर जबरदस्ती उससे लिखवाने के अतिरिक्त दूसरा कोई विकल्प नहीं। बाद में हरिहर स्वयं राजी हो जाएगा।


प्रश्न 16. उम्र का फासला भी आत्मीय संबंधों के बीच बाधा नहीं बनता - कथावाचक और हरिहर काका के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

कथावाचक और हरिहर काका के बीच बड़े ही मधुर व आत्मीय संबंध थे । हरिहर काका के प्रति कथावाचक की दोस्ती और कथावाचक के प्रति हरिहर काका का अनन्य प्रेम यह स्पष्ट कर देता है कि उम्र का फासला आत्मीय संबंधों के बीच बाधा नहीं बन सकता। हरिहर काका लेखक को (जब वह छोटा था) अपने कंधों पर बैठा कर घुमाते थे । वे दोनों आपस में खुल कर बातें करते थे।


प्रश्न 17. 'यह कहानी अंध भक्ति और ठाकुरबारी के चरित्र को उजागर करती है' सोदाहरण स्पष्ट करें।

उत्तर

लोग ठाकुरबारी के प्रति मान्यता रखते थे कि उनकी कृपा से ही लोगों को पुत्र की प्राप्ति होगी, मुकद्दमों में जीत होगी, अच्छी फसल होगी, लड़की की शादी अच्छे घर में होगी, लड़कों को नौकरी मिलेगी आदि अंधविश्वासों से लोग भरे हुए थे। उनका मानना था कि ठाकुरबारी में प्रवेश करते ही उनके सारे पाप धुल जाते हैं और वे पवित्र हो जाते हैं। जबकि सत्य यह था कि ठाकुरबारी के साधु-संत कोई काम-धाम नहीं करते थे, दोनों जून हलवा पूड़ी खाते थे, दिन भर बातें बनाते थे और आराम से पड़े रहते थे।


प्रश्न 18. महंत जी ने हरिहर काका का अपहरण किस तरह करवाया?

उत्तर

हरिहर काका से उनकी जमीन का वसीयत करवाने के लिए महंत जी ने उनके अपहरण का रास्ता अपनाया। इसके लिए आधी रात के आसपास ठाकुरबारी के साधु-संत और उनके पक्षधर भाला, आँडासा और बंदूक से लैस एकाएक हरिहर काका के दालान पर आ धमके। हरिहर काका के भाई इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थे। इससे पहले कि वे जवाबी कार्रवाई करें और गुहार लगाकर अपने लोगों को जुटाएँ, तब तक ठाकुरबारी के लोग उनको पीठ पर लादकर चंपत हो गए।


प्रश्न 19. हरिहर काका को छुड़ाने में असफल रहने पर उनके भाई क्या सोचकर पुलिस के पास गए?

उत्तर

हरिहर काका के भाई उन्हें ठाकुरबारी से छुड़ा पाने में असफल रहे तो वे यह सोचकर पुलिस के पास गए कि जब वे पुलिस के साथ ठाकुरबारी पहुँचेंगे तो ठाकुरबारी के भीतर से हमले होंगे और साधु-संत रँगे हाथों पकड़ लिए जाएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ठाकुरबारी के अंदर से एक रोड़ा भी बाहर नहीं आया। शायद पुलिस को आते हुए उन्होंने देख लिया था।


प्रश्न 20. भाइयों की किन बातों से हरिहर काका का दिल पसीज गया और वे ठाकुरबारी से घर लौट आए?

उत्तर

ठाकुरबारी में एक सुंदर कमरे में एक सुंदर पलंग पर बैठे हरिहर काका सेवकों से घिरे हुए थे। उसी समय सुबह तड़के ही तीनों भाई ठाकुरबारी जाकर हरिहर काका के पैर पकड़कर रोने लगे। अपनी पत्नियों की गलती के लिए माफ़ी माँगी तथा दंड देने की बात कही। साथ ही खून के रिश्ते की भी माया फैलाई, जिससे हरिहर काका का दिल पसीज गया और वे ठाकुरबारी से घर लौट आए।


प्रश्न 21. तीसरी शादी करने से हरिहर काका ने क्यों मना कर दिया?

उत्तर

तीसरी शादी करने से हरिहर काका ने मना कर दिया क्योंकि उनकी उम्र धीरे-धीरे ढल रही थी तथा धार्मिक संस्कारों की वजह से भाईयों का परिवार अपना ही परिवार मान लिया था। वह इत्मीनान और प्रेम से अपने भाइयों के परिवार के साथ ही रहना चाहते थे। उनके भाई और भाईयों की पत्नियाँ भी हरिहर काका की खूब देखभाल करने लगीं थीं ।


प्रश्न 22. हरिहर काका ने खाने की थाली बीच आँगन में क्यों फेंक दी ?

उत्तर

हरिहर काका ने अपनी खाने से भरी थाली बीच आँगन में फेंक दी थी क्योंकि उन्हें, उनके छोटे भाई की पत्नी रूखा-सूखा खाना लाकर परोस दिया जिसमें केवल भात, मट्ठा और आचार था, जबकि उसने अपने पति को सुंदर-सुंदर व्यंजन खाने को दिए थे। यह देखते ही हरिहर काका के बदन में आग लग गई और क्रोध से भर गए थे।


प्रश्न 23. गाँव के नेता जी ने हरिहर काका के समक्ष क्या प्रस्ताव रखा?

उत्तर

गाँव के नेता जी ने हरिहर काका के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि तुम्हारी ज़मीन में "हरिहर उच्च विद्यालय” नाम से एक हाईस्कूल खोल दिया जाएगा। इससे तुम्हारा नाम अमर हो जाएगा। तुम्हारी ज़मीन का सही उपयोग होगा और गाँव के विकास के लिए गाँव को एक स्कूल मिल जाएगा।


प्रश्न 24. ठाकुरबारी से छुड़ाकर लाए गए हरिहर काका अपने घर के किस वातावरण से अनजान थे?

उत्तर

ठाकुरबारी से छुड़ाकर लाने के बाद अपने ही घर में हरिहर काका के बारे में नया वातावरण तैयार हो रहा था। उन्हें ठाकुरबारी से जिस दिन वापस लाया गया था, उसी दिन से उनके भाई और रिश्ते-नाते के लोग समझाने लगे थे कि विधिवत अपनी जायदाद वे अपने भतीजों के नाम लिख दें। वह जब तक ऐसा नहीं करेंगे तब तक महंत की गिद्ध-दृष्टि उनके ऊपर लगी रहेगी।


प्रश्न 25. ठाकुरबारी के साधु-संतों का कौन-सा आचरण लेखक के मन में उनके प्रति घृणा उत्पन्न कर रहा था?

उत्तर

ठाकुरबारी में अपना मन बहलाने के लिए फालतू समय काटने के लिए हरिहर काका व लेखक भी जाते थे। परंतु साधु-संतों का आचरण लेखक के मन में उनके प्रति घृणा उत्पन्न कर रहा था क्योंकि साधु-संतों करने में कोई रुचि नहीं थी। ठाकुरजी को भोग लगाने के नाम पर दोनों जून हलवा-पूरी खाते हैं और आराम से पड़े रहते हैं। उन्हें अगर कुछ आता है, तो सिर्फ़ बाते बनाना आता था।


प्रश्न 26. हरिहर काका की मृत्यु के बाद उनकी जमीन-जायदाद पर कब्जा करने के लिए उनके भाइयों ने क्या योजना बना रखी थी?

उत्तर

हरिहर काका की मृत्यु के बाद उनकी जमीन पर कब्ज़ा करने के लिए उनके भाई अभी से इलाके के मशहूर डाकू बुटन सिंह से बातचीत पक्की कर ली। हरिहर के पंद्रह बीघे खेत में से पाँच बीघे बुटन लेगा और दखल करा देगा। इससे पहले भी इस तरह के दो-तीन मामले बुटन ने निपटाए हैं। इस योजना द्वारा वे काका की जमीन को कब्ज़ाना चाहते हैं।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. अंत में हरिहर काका द्वारा ज़मीन के बारे में लिया जाने वाला निर्णय क्या था और वह परिवार के मूल्यों को किस परिस्थिति में प्रभावित करता है और कैसे? यह स्थिति हर व्यक्ति को क्या संदेश प्रदान करती है?

उत्तर

गाँव की ठाकुरबाड़ी तथा परिवार के सदस्यों से क्रूरतापूर्ण व्यवहार पाकर अंत में हरिहर काका ने ज़मीन को अपने पास ही रखने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी देखभाल करने के लिए एक सेवक रख लिया । उनका यह निर्णय परिवार को सामाजिक तथा आर्थिक प्रतिष्ठा के हनन के रूप में प्रभावित करता है । परिवार के वृद्ध व्यक्ति के अलग रहने की स्थिति को समाज में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता । परिवार की कलहपूर्ण स्थिति सबके समक्ष आ जाती है तथा गाँव, समाज को यह पता चल जाता है कि इस घर-परिवार में रिश्तों तथा मानवीय भावनाओं का कोई मूल्य नहीं है । आर्थिक रूप से भी परिवार प्रभावित होता है क्योंकि संपत्ति छोटे-छोटे भागों में विभक्त होने लगती है।

यह स्थिति हर व्यक्ति को यह संदेश प्रदान करती है कि परिवार जैसी सुदृढ़ संस्था का विघटन सदैव हानिकारक होता है। अतः पारिवारिक मूल्यों की रक्षा करनी आवश्यक है। घर-परिवार में वयोवृद्धों को पर्याप्त सम्मान, सुरक्षा तथा प्रेम मिले तो संबंध तथा संपत्ति दोनों के साथ प्रतिष्ठा भी सुरक्षित रहेगी।


प्रश्न 2. ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं का ग्रामीण समाज के प्रति कर्तव्यों तथा भूमिका के महत्त्व पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर

ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं को ग्रामीण समाज के प्रति एक महत्त्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। किसी भी संस्था का यह दायित्व है कि वह समाज में व्याप्त स्वार्थ की भावना को दूर कर जन-जन में परोपकार का भाव जगाए। समाज में व्याप्त अनाचार, अराजकता, अन्याय और आपाधापी को दूर कर जन-जन में संतोष एवं धैर्य के भाव का प्रसार करें। कहानी 'हरिहर काका' में भी गाँव के लोगों की ठाकुरबारी पर गहरी आस्था थी। उनके सभी शुभ कार्यों का आरम्भ यदि ठाकुरबारी से होता था, तो वहीं दुखी मन को आश्रय देने का स्थान भी उन्हें ठाकुर द्वार ही दिखाई देता था । पर आस्था और विश्वास के इस मंदिर ने हरिहर काका सदृश लोगों के साथ विश्वासघात करके, उनके साथ दुर्व्यवहार करके ये दिखा दिया कि बदलते परिवेश के साथ-साथ धार्मिक संस्थाएँ भी भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। ऐसे में ठाकुरबारी के महंत एवं तथा कथित साधु समाज के प्रति जन-मानस में विरक्ति और घृणा का भाव ही पैदा होता है क्योंकि समाज उनसे अच्छे और आदर्श आचरण की अपेक्षा करता है। लोभ-लालच और षड्यन्त्रों में फँसे साधु-संतों के इस आचरण से युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। धार्मिक संस्थाओं और समाज की उच्च आदर्शवादिता से उनका विश्वास उठने लगता है जो किसी भी समाज के लिए हितकारी नहीं है ।


प्रश्न 3. ‘महंतों और मठाधीशों का लोभ बढ़ाने में लोगों की गहन धार्मिक आस्था का भी हाथ होता है।’ ‘हरिहर काका’ पाठ के आलोक में अपने विचार लिखिए।
अथवा
लोगों की गहन धार्मिक आस्था के कारण महंत और मठाधीशों में लालच एवं शोषण की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। इससे आप कितना सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए। (मूल्यपरक प्रश्न)

उत्तर

लोगों की धार्मिक आस्था ज्यों-ज्यों बढ़ती है, त्यों-त्यों वे अपने हर अच्छे कार्य का श्रेय धर्म और देवालयों में विराजमान अपने आराध्य को देने लगते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि ऐसा उनके परिश्रम के कारण हुआ है। अपनी खुशी की अभिव्यक्ति एवं अपने आराध्य के प्रति वे कृतज्ञता प्रकट करने के लिए धन, रुपये, जेवर आदि अर्पित करते हैं। उनकी इस भावना का अनुचित लाभ वहाँ उपस्थित महंत और मठाधीश उठाते हैं और धर्म का भय तथा स्वर्गलोक का मोह दिखाकर लोगों को उकसाते हैं कि वे अधिकाधिक चढ़ावा चढ़ाएँ जो प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों ही रूपों में उनकी स्वार्थपूर्ति, लोभ, लिप्सा एवं उदरपूर्ति का साधन बनता है। ठाकुरबारी में ज्यों-ज्यों चढ़ावा आता है त्यों-त्यों वहाँ के महंत, पुजारी एवं अन्य साधुओं का लोभ इस तरह बढ़ जाता है कि वे साधुता ही नहीं मानवता को छोड़कर हैवानियत पर उतर आते हैं। वे हरिहर काका की जमीन हड़पने के लिए मानवता को कलंकित करने से भी बाज नहीं आते हैं। इस तरह निस्संदेह मनुष्य की गहन धार्मिक भावना महंतों और मठाधीशों में लोभ, लालच और स्वार्थपरता पैदा करती है।


प्रश्न 4. ‘हरिहर काका’ नामक पाठ में लेखक ने ठाकुरबारी की स्थापना एवं उसके बढ़ते कलेवर के बारे में क्या बताया है?

उत्तर

‘हरिहर काका’ नामक पाठ में लेखक ने ठाकुरबारी की स्थापना एवं उसके विशाल होते कलेवर के बारे में बताया है कि पहले जब गाँव पूरी तरह बसा नहीं था तभी कहीं से एक संत आकर इस स्थान पर झोंपड़ी बना रहने लगे थे। वह सुबहशाम यहाँ ठाकुर जी की पूजा करते थे। लोगों से माँगकर खा लेते थे और पूजा-पाठ की भावना जाग्रत करते थे। बाद में लोगों ने चंदा करके यहाँ ठाकुर जी का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। फिर जैसे-जैसे गाँव बसता गया और आबादी बढ़ती गई, मंदिर के कलेवर में भी विस्तार होता गया। लोग ठाकुर जी को मनौती मनाते कि पुत्र हो, मुकदमे में विजय हो, लड़की की शादी अच्छे घर में तय हो, लड़के को नौकरी मिल जाए। फिर इसमें जिनको सफलता मिलती, वह खुशी में ठाकुर जी पर रुपये, जेवर, अनाज चढ़ाते। अधिक खुशी होती तो ठाकुर जी के नाम अपने खेत का एक छोटा-सा टुकड़ा लिख देते। यह परंपरा आज तक जारी है। इससे ठाकुरबारी का विकास हज़ार गुना अधिक हो गया।


प्रश्न 5. ठाकुरबारी से घर लौटने पर हरिहर काका के प्रति घर वालों का व्यवहार क्यों बदल गया ?

उत्तर

ठाकुरबारी से घर लौटने पर हरिहर काका के प्रति घरवालों का व्यवहार बदल गया क्योंकि उनके भाई उनकी जायदाद लेना चाहते थे इसलिए उनके भाई काका का अचानक आदर-सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने लगे थे । हरिहर काका को अब दालान में नहीं, बल्कि एक बहुमूल्य वस्तु की तरह सँजोकर, छिपाकर घर के अंदर रखा गया था। उनकी सुरक्षा के लिए अपने रिश्तेदारों के यहाँ से अनेक सूरमाओं को बुला लिया गया । हथियार जुटा लिए गए थे। चौबीसों घंटे पहरे दिए जाने लगे थे क्योंकि उन्हें डर था कि किसी भी समय ठाकुरबारी के लोग हमला करके हरिहर काका को उठा न ले जाएँ। अगर किसी आवश्यक काम से हरिहर काका घर से बाहर गाँव में निकलते तो चार-पाँच लोग हथियारों से लैसे होकर उनके आगे-पीछे चलते। रात में चारों तरफ़ से घेरकर सोते । भाइयों ने डयूटी बाँट ली थीं। आधे लोग सोते तो आधे लोग जागकर पहरा देते रहते थे। रिश्ते-नाते के लोग उनको समझाने भी लगे थे कि अपनी ज़मीन अपने भतीजों के नाम लिख दें।


प्रश्न 6. ‘हरिहर काका के गाँव के लोग ठाकुरबारी और ठाकुर जी के प्रति अगाध भक्ति-भावना रखते हैं।’ हरिहर काका पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

यूँ तो ठाकुरबारी में सदा ही भजन-कीर्तन होता रहता है, पर बाढ़ या सूखा जैसी आपदा की स्थिति में वहाँ तंबू लग जाता है और अखंडकीर्तन शुरू हो जाता है। इसके अलावा गाँव में पर्व-त्योहार की शुरुआत ठाकुरबारी से ही होती है। होली में सबसे पहले गुलाल ठाकुरजी को ही चढ़ाया जाता है। दीवाली का पहला दीप ठाकुरबारी में ही जलता है। जन्म, शादी और जनेऊ के अवसर पर अन्न-वस्त्र की पहली भेट ठाकुर जी के नाम की जाती है। ठाकुरबारी के ब्राह्मण-साधु व्रत-कथाओं के दिन घर-घर घूमकर कथावाचन करते हैं। लोगों के खलिहान में जब फ़सल की मड़ाई होकर अनाज की ढेरी’ तैयार हो जाती है, तब ठाकुर जी के नाम का एक भाग’ निकालकर ही लोग अनाज अपने घर ले जाते हैं।


प्रश्न 7. महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है तथा आपके मन में इससे ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं के प्रति कैसी धारणा बनती है? बताइए ।

उत्तर

महंत द्वारा हरिहर काका का अपरण करवाना उसकी दबंगाई, मौकापरस्ती, लालची, और अनैतिक कार्य करने के लिए तत्पर रहने वाले व्यक्ति की छवि हमारे सामने उभरती है। जो साधु के वेश में ठग है। ऐसे धूर्त लोगों को देख कर, हमारे मन में ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं के लिए यही धारणा बनती है कि बदलते परिवेश के साथ ये भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। अब यहाँ जाकर मनुष्य की आत्मा धैर्य, सुख, शांति प्राप्त नहीं करती। वह इस बात से भयभीत रहती है कि कहीं हरिहर काका जैसी स्थिति हमारी भी न हो जाए। लोभ-लालच और षड्यंत्रों में फँसे साधु-संतों के आचरण से युवा पीढ़ी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। धार्मिक संस्थाओं और समाज की उच्च आदर्शवादिता से उनका विश्वास उठने लगता है जो किसी भी समाज के लिए हितकारी नहीं है।


प्रश्न 8. लोभी महंत एक ओर हरिहर काका को यश और बैकुंठ का लोभ दिखा रहा था तो दूसरी ओर पूर्व जन्म के उदाहरण द्वारा भय भी दिखा रहा था। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

हरिहर काका को समझाते हुए लोभी महंत कह रहा था कि तुम अपने हिस्से की जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखकर स्वर्ग प्राप्त करोगे। तुम्हारी कीर्ति तीनों लोकों में फैल जाएगी और सूरज-चाँद के रहने तक तुम्हारा नाम अमर हो जाएगा। इससे साधु-संत भी तुम्हारे पाँव पखारेंगे। सभी तुम्हारा यशोगान करेंगे और तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा। ठाकुर जी के साथ ही तुम्हारी भी आरती गाई जाएगी। महंत उनसे कह रहा था कि पता नहीं पूर्वजन्म में तुमने कौन-सा पाप किया था कि तुम्हारी दोनों पत्नियाँ अकाल मृत्यु को प्राप्त हुईं। तुमने औलाद का मुँह तक नहीं देखा। अपना यह जन्म तुम अकारथ न जाने दो। ईश्वर को एक भर दोगे तो दस भर पाओगे। मैं अपने लिए तो तुमसे माँग नहीं रहा हूँ। तुम्हारा यह लोक और परलोक दोनों बन जाएँ, इसकी राह तुम्हें बता रहा हूँ।


प्रश्न 9. हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरवाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप इसे उचित मानते हैं। तर्क सहित लिखिए ।

उत्तर

काका के साथ उनके भाइयों ने तथा ठाकुरवारी के महंत ने बहुत बुरा व्यवहार किया। उनकी नज़र काका की ज़मीन पर थी । पहले तो उन दोनों ने काका की देखभाल की, काका की आवभगत की, परंतु उन्हें जब यह यकीन हो गया कि काका जीते-जी अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं करेंगे, तो वे दोनों काका की जान के दुश्मन बन गए।

ठाकुरवारी के महंत ने काका को मारा और ज़बरदस्ती सादे तथा कुछ लिखे हुए कागज़ों पर उनके अंगूठे के निशान ले लिए। इसी प्रकार काका के भाइयों व उनकी पत्नियों ने काका के साथ हाथापाई की। अगर पुलिस नहीं आती, तो परिवार वाले काका की हत्या भी कर देते । अतः यह स्पष्ट कहा जा सकता है। कि उन दोनों का ही व्यवहार क्रूर व संवेदनहीन था और काका के प्रति उनका व्यवहार निंदनीय, अमानवीय अनुचित था ।


प्रश्न 10. हरिहर काका के लिए उनकी ज़मीन जी का जंजाल कैसे बन गई?

उत्तर

हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे ज़मीन थी । हरिहर काका की अपनी कोई संतान नहीं थी इसलिए सबकी नज़र हरिहर काका की ज़मीन पर थी । हरिहर काका के तीनों भाइयों एवं उनके परिवार वालों की बुरी नज़र हरिहर काका की ज़मीन पर थी। उन सभी लोगों की लालच की भावना इतनी बढ़ गई थी कि वे सभी हरिहर काका की लम्बी उम्र की दुआ करने के बजाए उनकी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगे । हरिहर काका उन्हें बोझ लगने लगे । अवसर देखकर गाँव के ठाकुरबारी के महंत ने हरिहर काका को बुरी तरह मारा-पीटा और अनेक कागज़ों पर ज़बरन अंगूठे के निशान ले लिए।

इस घटना के दौरान ठाकुरबारी के साधु संतों ने हरिहर काका का अपहरण कर लिया, उनको कमरे में बाँध कर भूखा-प्यासा रखा। उन साधु संतों ने हरिहर काका की ज़मीन को हड़पने के लिए गोलियाँ तक चलाई। बड़ी मुश्किल से हरिहर काका जी जान बची। वे वहाँ से किसी प्रकार छूटकर भाइयों के पास आए । उनके भाइयों की भी कुदृष्टि (बुरीनज़र ) काका के हिस्से वाली ज़मीन पर थी। उसी ज़मीन को हथियाने के लिए उनके भाइयों ने हरिहर काका को बहुत मारा-पीटा। यहाँ तक कि उन्हें जान से मारने की कोशिश की और ज़बरदस्ती उनके अंगूठे के निशान अनेक कागज़ों पर ले लिए। यहाँ भी हरिहर काका की जान बाल-बाल बची। इन्हीं कारणों से सारे गाँव में हरिहर काका चर्चा का विषय बन गए थे। गाँव के लोगों की नज़र भी हरिहर काका की ज़मीन पर थी। उपरोक्त कथनों के आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि उनकी ज़मीन ही उनके जी का जंजाल बन चुकी थी ।


प्रश्न 11. महंत की बातें सुनकर हरिहर काका किस दुविधा में फँस गए? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

महंत की बातें सुनकर हरिहर काका अपनी जमीन किसे दें-भाइयों को या ठाकुर जी के नाम लिखें; इस दुविधा में फैंस गए। वे सोचने लगे कि पंद्रह बीघे खेत की फ़सल भाइयों के परिवार को देते हैं, तब तो कोई पूछता नहीं, अगर कुछ न दें तब क्या हालत होगी? उनके जीवन में तो यह स्थिति है, मरने के बाद कौन उन्हें याद करेगा? सीधे-सीधे उनके खेत हड़प जाएँगे। ठाकुर जी के नाम लिख देंगे तो पुश्तों तक लोग उन्हें याद करेंगे। अब तक के जीवन में तो ईश्वर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। अंतिम समय तो यह बड़ा पुण्य कमा लें, लेकिन यह सोचते हुए भी हरिहर काका का मुँह खुल नहीं रहा था। भाई का परिवार तो अपना ही होता है। उनको न देकर ठाकुरबारी में दे देना उनके साथ धोखा और विश्वासघात होगा।


प्रश्न 12. आप हरिहर काका के भाई की जगह होते तो क्या करते?

उत्तर

यदि मैं हरिहर काका के भाई की जगह पर होता तो हरिहर काका से पूर्णतया सहानुभूति रखता। मैं मन में यह सदा बिठाए रखता कि हरिहर काका की पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं और न उनकी अपनी कोई संतान । परिवार का सदस्य और सहोदर भाई होने के कारण मैं उनके मन में यह भावना आने ही न देता कि वे भरे-पूरे परिवार में अकेले होकर रह गए हैं। मैं उनके खाने और उनकी हर सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखता। ऐसा मैं उनकी ज़मीन-जायदाद के लोभ में नहीं करता, बल्कि पारिवारिक सदस्य सहोदर भाई होने के अलावा मानवता के आधार पर भी करता। मैं अपने परिवार के अन्य सदस्यों से काका के साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए कहता ताकि उन्हें ठाकुरबारी जैसी जगह जाने और महंत जैसे ढोंगियों के बहकावे में आने की स्थिति ही न आती। मैं उन्हें खाना-खिलाकर स्वयं खाता तथा उनके साथ कोई भेदभाव न होने देता।


प्रश्न 13. महंत जी ने हरिहर काका को एकांत कमरे में बैठाकर प्रेम से क्या समझाया ? अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर

महंत जी ने एकांत कमरे में हरिहर काका को बैठाकर यह समझाया कि ये रिश्ते-नाते स्वार्थ पर टिके होते हैं। महंत ने हरिहर काका की खूब सेवा की, खूब आवभगत की। महंत ने विभिन्न प्रकार का लालच देकर काका से ज़मीन हथियाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए, ताकि काका अपनी ज़मीन ठाकुरवारी के नाम कर दें। महंत ने काका से कहा कि ठाकुरबारी के नाम ज़मीन करने से उन्हें पुण्य मिलेगा और वे सीधा स्वर्ग सिधारेंगे। जब यह ठाकुरबारी रहेगी तब तक आपका नाम भी इसके साथ जुड़ा होगा और इसका फल तुम्हें अगले जन्मों तक मिलेगा इस तरह से महंत ने काका से ज़बरदस्ती कागज़ पर अंगूठे के निशान ले लिए।


प्रश्न 14. हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?

उत्तर

हरिहर काका को महंत और अपने भाई दोनों एक ही श्रेणी के लगने लगे थे क्योंकि दोनों ही उनकी पह बीघे ज़मीन हड़पना चाहते थे। महंत ठाकुरबारी के नाम पर ज़मीन हथियाना चाहता था तो दूसरी ओर भाई अपने खून के रिश्ते की दुहाई देकर ज़मीन अपने नाम करवाना चाहते थे। दोनों ने ही ज़मीन पाने के लालच में हरिहर काका का आदर-सत्कार किया पर ज़मीन मिलती न देखकर दोनों ही उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएँ तक देने को तैयार हो गए। महंत ने ज़मीन के लालच में न केवल हरिहर काका का अपहरण करवाया, वरन् उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया। उनके हाथ-पैर बाँधकर जबरन, कागज़ों पर अँगूठे के निशान लिए। इस काम में उनके सगे भाई भी पीछे न थे । उन्होंने भी हरिहर काका पर अनेक जुल्म - अत्याचार किए। उन्हें खूब मारा-पीटा। कागज़ों पर अँगूठे के निशान न लगाने की स्थिति में उन्होंने उन्हें जान से मारने की धमकी तक दे डाली। इस प्रकार महंत और काका के भाई दोनों का उनसे नहीं, बल्कि उनकी जायदाद से प्यार था ।

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