Extra Questions for Class 10 Sparsh Chapter 17 कारतूस- हबीब तनवीर Hindi

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Extra Questions for Class 10 Sparsh Chapter 17 कारतूस- हबीब तनवीर Hindi

Chapter 17 कारतूस Sparsh Extra Questions for Class 10 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'कारतूस' पाठ के आधार पर लिखिए कि सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा ?

उत्तर

सआदत अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का भाई था । उसका सपना था कि वह निःसंतान आसिफ़उद्दौला के बाद अवध का नवाब बन जाए। लेकिन वज़ीर अली के पैदा होते ही सआदत अली के सभी सपने टूट गए क्योंकि वज़ीर अली के जन्म लेते ही सआदत अली को लगा कि अब तो अवध को आसिफ़उद्दौला का उत्तराधिकारी मिल गया तथा सआदत अली का गद्दी पर से अधिकार समाप्त हो गया इसीलिए उसने वज़ीर अली के जन्म को अपनी मौत समझा।


प्रश्न 2. वजीर अली कौन था? अंग्रेज़ उसे क्यों पकड़ना चाहते थे?

उत्तर

वज़ीर अली अवध के शासक आसिफउद्दौला का पुत्र था। अंग्रेजों ने वजीर अली को सत्ता से हटाकर उसके चाचा सआदत अली को अवध की गद्दी पर बिठाया था। वज़ीर अली के मन में अंग्रेजों के प्रति घृणा भरी थी। उसने कंपनी के वकील की हत्या कर दी थी, इसलिए अंग्रेज़ उसे पकड़ना चाहते थे।


प्रश्न 3. सआदत अली कौन था ? कर्नल उसे अवध के तख्त पर क्यों बिठाना चाहता था ?

उत्तर

सआदत अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का भाई था । उसका सपना था कि वह निःसंतान आसिफ़उद्दौला के बाद अवध का नवाब बन जाए, लेकिन वज़ीर अली के पैदा होते ही सआदत अली के सारे सपने टूट गए। उसने वज़ीर अली को गद्दी से हटाने के लिए अंग्रेज़ों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा। स्वयं अंग्रेज़ भी वज़ीर अली को गद्दी से हटाना चाहते थे क्योंकि वज़ीर अली अंग्रेज़ों का कट्टर शत्रु था। दूसरी तरफ सआदत अली अंग्रेज़ों के लिए उनके हाथों की कठपुतली की तरह था । उसने अवध का नवाब बनते ही आधा अवध तथा दस लाख रुपए कंपनी को दे दिए थे। अतः अप्रत्यक्ष रूप से अवध पर कंपनी का आधिपत्य स्थापित करने के उद्देश्य से कर्नल ने सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाया ।


प्रश्न 4. अंग्रेज़ सैनिक वजीर अली को पकड़ने का प्रयास कब और कहाँ कर रहे थे?

उत्तर

सन् 1799 के आसपास का समय होगा जब अंग्रेजों ने वज़ीर अली को शासन से हटाया था और उसे काशी भेज दिया था। वजीर अली अंग्रेजों से नफ़रत करता था। उसने कंपनी के वकील की हत्या कर दी और गोरखपुर के जंगलों में जा छिपा। अंग्रेज़ सैनिक वहीं जंगल में खेमा डालकर वज़ीर अली को पकड़ने का प्रयास कर रहे थे।


प्रश्न 5. ‘कारतूस’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

‘कारतूस’ नामक एकांकी के माध्यम से खोई आज़ादी की कीमत पहचानने, उसकी रक्षा करने का संदेश दिया गया है। पाठ के माध्यम से बताया गया है कि हम यदि समय रहते सचेत न हुए तो हमें गुलाम होने से कोई भी नहीं बचा सकता है। हमें देश प्रेम, देशभक्ति, साहस, त्याग जैसी मानवीय भावनाएँ सदा प्रगाढ़ रखनी चाहिए। जिस तरह कुछ नवाबों ने अंत तक देश को आजाद कराने का प्रयास किया तथा अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की उसी प्रकार हमें भी किसी लोभ या स्वार्थ के वशीभूत हुए बिना आज़ादी बनाए रखना चाहिए।


प्रश्न 6. शाहे-जमा कौन था? उसे वजीर अली ने भारत आने के लिए क्यों आमंत्रित किया?

उत्तर

शाहे-जमा अफगानिस्तान का शक्तिशाली शासक था। उसे वज़ीर अली ने भारत आने के लिए इसलिए आमंत्रित किया ताकि वह भारत पर हमला करे। इसी समय वजीर अली भी उसका साथ पाकर अंग्रेजों पर हमला कर दे। इस तरह उसकी योजना थी कि वह शाहे-ज़मा के सहयोग से अंग्रेजों को भारत से भगा देगा और अपनी खोई सत्ता हासिल कर लेगा।


प्रश्न 7. सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर

सआदत अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का भाई था । उसका सपना था कि वह निःसंतान आसिफ़उद्दौला के बाद अवध का नवाब बन जाए, लेकिन वज़ीर अली के पैदा होते ही सआदत अली के सारे सपने टूट गए। उसने वज़ीर अली को गद्दी से हटाने के लिए अंग्रेज़ों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा। स्वयं अंग्रेज़ भी वज़ीर अली को गद्दी से हटाना चाहते थे क्योंकि वज़ीर अली अंग्रेज़ों का कट्टर शत्रु था। दूसरी तरफ़ सआदत अली अंग्रेज़ों के लिए उनके हाथों की कठपुतली की तरह था । उसने अवध का नवाब बनते ही आधा अवध तथा दस लाख रुपए कंपनी को दे दिए थे । अतः अप्रत्यक्ष रूप से अवध पर कंपनी का आधिपत्य स्थापित करने के उद्देश्य से कर्नल ने सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाया ।


प्रश्न 8. वज़ीर अली सआदत अली को क्यों पसंद नहीं करता था?

उत्तर

सआदत अली रिश्ते में वज़ीर अली का चाचा था। उसकी नजर अवध की सत्ता पर थी जिसे हथियाने के लिए उसने अंग्रेज़ों का सहारा लिया। इससे वज़ीर अली के मन में अंग्रेजों के प्रति घृणा भर गई। सआदत अली और अंग्रेजों के इस व्यवहार से उसे दर-दर भटकना पड़ा, इसलिए वज़ीर अली सआदत अली को पसंद नहीं करता था।


प्रश्न 9. वज़ीर अली ने किस तरह कर्नल को मात दी?

उत्तर

वज़ीर अली को पकड़ने के लिए कर्नल ने पूरे लाव-लशकर के साथ खेमा डाल रखा था। वह इसी अवसर में था कैसे भी वज़ीर अली को पकड़ा जाए पर एक रात्रि स्वयं वज़ीर अली कर्नल के खेमे में आया और उससे दस कारतूस ही नहीं लिया बल्कि कारतूस देने के बदले उसकी जान बख्शने की बात कहकर चला गया। इस तरह वज़ीर अली ने अपने साहस और चतुराई से कर्नल को मात दी।


प्रश्न 10. अवध की सत्ता सआदत अली को सौंपने से क्या लाभ हुआ?

उत्तर

अवध की सत्ता सआदत अली के हाथों सौंपने से अंग्रेजों को कई लाभ हुए-

  • अग्रेजों ने कंपनी के शासन की राह में बाधा बने वजीर अली को शक्तिहीन कर दिया।
  • अंग्रेजों को अवध की आधी जायदाद और दौलत के अलावा दस लाख रुपये नकद भी मिले।
  • अंग्रेज़ों को अनेक सुविधाएँ मिलीं।
  • सआदत अली अंग्रेजों का चाटुकार था। वह अंग्रेजों की किसी बात का विरोध नहीं कर सकता था। इस तरह अवध पर अप्रत्यक्ष रूप में अंग्रेज़ों का ही शासन हो गया।


प्रश्न 11. 'कारतूस' पाठ के आधार पर लिखिए कि जाँबाज़ के जीवन का लक्ष्य अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना था।

उत्तर

'कारतूस' पाठ के आधार पर जाँबाज़ यानी वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना था । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने अवध के तख़्त पर बैठकर छह महीने में ही दरबार को अंग्रेज़ी असर से मुक्त कर दिया था । उसने कंपनी पर आक्रमण करने के लिए अफगानिस्तान बादशाह शा-ज़मा को आमंत्रित किया था तथा वह घागरा के जंगलों से नेपाल पहुँचकर अपनी ताकत बढ़ाना चाहता था, ताकि वह आक्रमण करके सआदत अली से अवध का सिंहासन वापस ले और अंग्रेज़ों को देश से खदेड़ने में अन्य विद्रोही राजाओं को सहयोग कर सके।


प्रश्न 12. सआदत अली सत्ता लोलुप था? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

सआदत अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का भाई था। उसकी निगाह अवध की सत्ता पर थी। वजीर अली के रूप में जब आसिफउद्दौला को पुत्र प्राप्ति हुई तो इससे सआदत अली को अपने सपने टूटते नजर आए। सत्ता पाने के लिए ही वह अंग्रेजों की चापलूसी करने लगा और उनसे हाथ मिला लिया। अंग्रेजों ने वजीर अली को सत्ता से हटाकर उसे शासक बना दिया और अवध की जायदाद व संपत्ति को आधा-आधा बाँट लिया।


प्रश्न 13. सवार कौन था? उसने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए? ' कारतूस' पाठ के आधार पर लिखिए ।

उत्तर

वस्तुतः सवार स्वयं वज़ीर अली था । उसने बड़ी बुद्धिमानी से बात करते हुए कर्नल को यह यकीन दिला दिया था कि वह वज़ीर अली का दुश्मन है और वह भी वज़ीर अली को मारना चाहता है। इस काम के लिए सवार के कर्नल से कारतूस लेने की इच्छा प्रकट की । सवार को वज़ीर अली का शत्रु मानकर कर्नल ने आसानी से सवार को कारतूस सौंप दिए ।


प्रश्न 14. वज़ीर अली ने गवर्नर जनरल से अपनी नराजगी का बदला वकील से लिया

उत्तर

वज़ीर अली एक देशभक्त एवं स्वाभिमानी शासक था। वह अंग्रेजों को पसंद नहीं करता था, पर जब से गवर्नर जनरल ने उससे सत्ता छीनकर सआदत अली को सौंपी तभी से गवर्नर जनरल से बेहद नाराज था। गवर्नर जनरल ने जब उसे काशी से कोलकाता बुलवाया तो उसकी यह नाराजगी और भी बढ़ गई। मौका मिलते ही उसने इस नाराजगी का बदला वकील की हत्या करके लिया।


प्रश्न 15. 'कारतूस' नाटिका में सवार कर्नल से एकांत में बात क्यों करना चाहता था ?

उत्तर

'कारतूस' नाटिका में सवार स्वयं वज़ीर अली था । वह कर्नल से एकांत में इसलिए बात करना चाहता था क्योंकि एक तो उसे कारतूस चाहिए थे और दूसरे वह कर्नल के मन में अपनी बहादुरी का खौफ़ बैठाने आया था । एकांत पाते ही उसने कर्नल से पूछा कि वह वहाँ खेमा लगाकर क्यों बैठा है तथा उसे यह भी बताया कि वज़ीर अली को पकड़ना असंभव है । बाद में कारतूस माँगने पर कर्नल ने कारतूस दे दिए, तो वजीर अली ने उसे अपना परिचय दिया और कहा कि कारतूस देने के कारण वह उसकी जान बख़्श कर जा रहा है ।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भारतीय नवाबों ने अंग्रेज़ों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया इसमें वे कितना सफल रहे। पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

भारतीय नवाबों को जब अंग्रेजों की कुटिल नीतियाँ समझ में आईं तो उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करना शुरू कर दिया पर शायद तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अंग्रेज़ ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति अपनाते हुए संपूर्ण भारत पर शासन करने का हर संभव हथकंडा अपना रहे थे। भारतीय नवाब भी उनकी नीतियों का विरोध करते हुए उनसे युद्ध किया। इसमें सफलता न मिलती देखकर उन्होंने अफगानिस्तान के शासक शाहे-जमा को भी भारत पर हमला करने के लिए आमंत्रित किया। इस क्रम में टीपू सुल्तान ने सबसे पहले इस अफ़गान शासक को बुलावा भेजा। फिर बंगाल के नवाब शमसुद्दौला और अवध के नवाब वजीर अली ने शाहे-जमा को बुलावा भेजा पर इस प्रयास से भी अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने में असफल रहे।


प्रश्न 2. वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर कीजिए।

उत्तर

‘कारतूस’ पाठ से ज्ञात होता है कि वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर, महत्त्वाकांक्षी और स्वाभिमानी शासक था। अवध की सत्ता छिनने के बाद उसके इन गुणों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • साहसी –वज़ीर अली के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम ही है। वह कर्नल के कैंप में घुसकर उससे कारतूस लाता है वह कंपनी के वकील की हत्या पहले ही कर चुका था। ये उसके साहसी होने के प्रमाण हैं।
  • वीर –वज़ीर अली इतना वीर है कि अवध की सत्ता छिनने के बाद भी अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए कटिबद्ध रहता है।
  • महत्त्वाकांक्षी –वज़ीर अली महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति है। वह अवध का शासक बनने की महत्त्वाकांक्षा सदा बनाए रखता है।
  • स्वाभिमानी –वज़ीर अली इतना स्वाभिमानी है कि वह कंपनी के वकील की अपमानजनक बातों को सह नहीं पाता। है और उसकी हत्या कर देता है।


प्रश्न 3. 'कारतूस' पाठ के आधार पर वज़ीर अली की विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए ।

उत्तर

'कारतूस' पाठ के आधार पर वज़ीर अली की विशेषता:

  • जाँबाज़ योद्धा - वज़ीर अली जाँबाज़ सिपाही था। वह मौत से भी नहीं डरता था। कर्नल के खेमे में जाकर उससे कारतूस लाना और चलते हुए, अपना नाम तक बता देना उसकी इसी जाँबाज़ी को दिखाता है ।
  • नीति निपुण - वज़ीर अली नीति निपुण योद्धा था। अंग्रेज़ों को चकमा देने में कामयाब रहता है । वह अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे - जमा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत देता है । वह किसी तरह नेपाल पहुँचना चाहता है । वह अफ़गानी हमले तक अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है ।
  • देशभक्त - वज़ीर अली देशभक्त था । वह हिंदुस्तान से अंग्रेज़ों को भगाने के प्रयास में जुटा रहा । उसे अंग्रेज़ों की गुलामी स्वीकार नहीं थी ।
  • स्वाभिमानी - वज़ीर अली अत्यंत स्वाभिमानी था । गवर्नर जनरल के कलकत्ता तलब करने पर वह उनकी शिकायत लेकर कंपनी के वकील के पास गया। कंपनी के वकील ने शिकायत की परवाह किए बगैर उसे ही भला-बुरा सुना दिया । वज़ीर अली ने तुरंत खंजर निकालकर वकील का कत्ल कर दिया। अपने विरुद्ध भला-बुरा न सुनना उसके इसी स्वाभिमानी स्वभाव को दर्शाता है।


प्रश्न 4. 'सआदत अली' अंग्रेज़ों का हिमायती क्यों था? ' कारतूस' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

सआदत अली अंग्रेज़ों का हिमायती था क्योंकि वह अंग्रेज़ों की मदद लेकर अवध की नवाबी चाहता था । आसिफ़उद्दौला के यहाँ पुत्र रूप में वज़ीर अली के जन्म के पश्चात सआदत अली की नवाब बनने की सारी मंशा धूमिल हो गई थी । सआदत अली वज़ीर अली को अपनी नवाबी में सबसे बड़ी बाधा मानता था । दूसरी तरफ़ कंपनी सरकार भी अवध पर अपना दबदबा चाहती थी। परंतु वज़ीर अली कंपनी सरकार का कट्टर दुश्मन था, जबकि सआदत अली ऐश पसंद इंसान था । अंग्रेज़ सरकार ने वज़ीर अली के विरुद्ध सआदत अली का साथ दिया और वज़ीर अली को पद से हटा दिया। इसके बदले उन्हें अवध की आधी संपत्ति मिल गई और दस लाख रुपए नगद । इस प्रकार दोनों अपना-अपना उल्लू सीधा करने के लिए एक-दूसरे के हिमायती थे ।


प्रश्न 5. वज़ीर अली को एक जाँबाज़ सिपाही क्यों कहा गया है? उसके सैनिक जीवन के क्या लक्ष्य थे? 'कारतूस' पाठ के आधार पर विस्तार से लिखिए ।

उत्तर

वज़ीर अली सचमुच ही एक जाँबाज़ सिपाही था। वह बहुत हिम्मती और साहसी था । उसे अपने लक्ष्य को पाने के लिए जान की बाजी लगानी आती थी। जब उससे अवध की नवाबी ले ली गई, तो उसने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करना शुरू कर दिया। उसने गवर्नर जनरल के सामने पेश होने को अपना अपमान माना और पेश होने से साफ़ मना कर दिया। गुस्से में आकर उसने कंपनी के वकील की हत्या कर डाली। यह हत्या शेर की माँद में जाकर शेर को ललकारने जैसी थी। उसके बाद वह आज़मगढ़ के रास्ते गोरखपुर के जंगलों में छिपकर अंग्रेज़ी फ़ौज को नाकों चने चबवाता रहा । वह अंग्रेज़ी कैंप में घुसकर उनकी आँखों में धूल झोंक कर न केवल कर्नल से कारतूस ले आया, बल्कि अपना परिचय देकर उन्हें हतप्रभ भी कर गया। ये घटनाएँ उसकी जाँबाज़ी का प्रमाण हैं । एक सैनिक के रूप में उसके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था अवध को अंग्रेजी हुकूमत से पूरी तरह से स्वतंत्र कराना तथा अवध में अमन और चैन का साम्राज्य स्थापित करना । इसके लिए आवश्यक था कि वह किसी तरह से नेपाल पहुँच जाए, वहाँ जाकर अपनी ताकत बढ़ाए और अफ़गानिस्तान में बादशाह शा-ज़मा के हिंदुस्तान पर आक्रमण करने का इंतज़ार करे, ताकि दोतरफा हमले से अंग्रेज़ घबरा जाएँ और वह आसानी से अवध पर कब्ज़ा कर ले ।


प्रश्न 6. वज़ीर अली ने अंग्रेज़ों की गुलामी क्यों नहीं स्वीकार की? उसकी किन्हीं तीन चारित्रिक विशेषताओं पर 'कारतूस' पाठ के आधार पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर

वज़ीर अली एक स्वाभिमानी, वीर और जाँबाज़ सिपाही था । उसने अंग्रेजों की गुलामी नहीं स्वीकार की क्योंकि उसमें देशभक्ति कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह विदेशी शासन में गुलामी का जीवन जीने से अच्छा स्वाभिमान से मरना व जीना चाहता था। उसकी तीन चारित्रिक विशेषताएँ हैं कि पहली तो यह कि वह एक देशभक्त सिपाही था । देश पर किसी और की हुकूमत उसे बर्दाश्त नहीं थी। दूसरा यह कि वह एक जाँबाज़ सिपाही था। अपनी जान की परवाह न कर वह कर्नल के खेमे में घुस गया और वहाँ से 10 कारतूस भी माँग लाया । वज़ीर अली की तीसरी विशेषता यह है कि वह निडर और स्वाभिमानी था। जब उसे कोलकाता में तलब किया गया, तो वह कंपनी के वकील के पास गया। वकील की उपेक्षा भरी बातें सुनते ही उसने बेझिझक उसका कत्ल कर दिया। ऐसा कार्य कोई निडर और स्वाभिमानी व्यक्ति ही कर सकता है।


प्रश्न 7. सवार के जाने के बाद कर्नल के आश्चर्यचकित होने के क्या कारण थे? 'कारतूस' पाठ के आधार पर लिखिए ।

उत्तर

सवार के जाने के बाद कर्नल के आश्चर्यचकित हो जाना निश्चित ही था क्योंकि जिसकी तलाश में कर्नल दर-दर भटक रहा था, वह न केवल उसके समक्ष उपस्थित हुआ, बल्कि उससे वार्तालाप भी किया और कारतूस भी ले गया। ऐसे निर्भीक शत्रु से कर्नल भी प्रभावित हो गया था । वे और उनके सिपाही तो वज़ीर अली की जाँबाज़ी की चर्चा ही कर रहे थे कि वह अपनी वीरता का प्रत्यक्ष प्रणाम भी दे गया । जाते-जाते कर्नल को अपना परिचय भी दे जाना, उसके साहस की पराकाष्ठा है। कर्नल को आश्चर्य में डालने के लिए यह घटना पर्याप्त थी ।

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