BSEB Solutions for बहादुर (Bahadur) Class 10 Hindi Godhuli Part 2 Bihar Board

बहादुर - अमरकांत प्रश्नोत्तर

Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. बहादुर का अपने घर से भागने का कारण क्या था ?
उत्तर

बहादुर की माँ उसे हमेशा काफी मारा-पीटा करती थी। अतः एक दिन बुरी तरह पीटे जाने पर वह घर से भाग गया।


प्रश्न 2. लेखक ने बहादुर को पहले दिन क्या हिदायत दी ?
उत्तर

उना लेखक ने उसे हिदायत दी कि वह शरारतें छोड़कर ढंग से काम करे और घर को अपना घर समझे।


प्रश्न 3. बहादर का व्यवहार लेखक के परिवार के प्रति कैसा था?
उत्तर
बहादुर का व्यवहार लेखक के परिवार के प्रति अत्यन्त शालीनतापूर्ण था, वह बहुत हँसमुख तथा मेहनती था।


प्रश्न 4. निर्मला ने बहादुर को क्या उपदेश दे डाले थे?
उत्तर

निमला ने बहादुर को समझाया था कि वह मुहल्ले के लोगों से हेल-मेल नहीं बढावे. उनका कोई काम न करे तथा किसी के घर आना-जाना न करे।


प्रश्न 5. किशोर का व्यवहार बहादुर के प्रति कैसा था? .
उत्तर

किशोर के सभी काम बहादुर द्वारा किए जाने पर भी किशोर उसके साथ दुर्व्यवहार करता तथा अक्सर मारा पीटा करता था।


प्रश्न 6. घर में नौकर किस तरह होता है ?
उत्तर

घर में नौकर “स्वांग” की तरह होता है।


प्रश्न 7. बहादुर से भूल-गलतियाँ क्यों होने लगी थीं ?
उत्तर

अधिक मीरपीट और गाली गलौज के कारण बहादुर का आत्म विश्वास डिग गया था, वह अनमना सा हो गया था। इसलिए उससे ज्यादा गलतियाँ होने लगी थीं।


Short Question Answers (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. लेखक को बयों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो ?
उत्तर
नौकर बनने हेतु दिल बहादुर सामने खड़ा है| निर्मला घर के कामों से परेशान रहती है| नौकर वाले लोग मौज से रहते हैं। नौकर रखना उसके लिए निहायत जरूरी है। इस स्थिति में लेखक को लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया है।

प्रश्न 2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।
उत्तर
बहादुर खडा-खड़ा अपनी आँखें मलका रहा था बारह-तेरह वर्ष की उम्र है। ठिगना चकइट शरीर गोरा रंग, चपटा मुँह है। सफेद गंजी, आधी बाँह वाली सफेद कमीज, भूरे रंग का पुराना जूता पहने था। गले में स्काउटों की तरह बँधे रूमाल थे।

प्रश्न 3. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था?
उत्तर
लेखक के भाइयों के यहाँ नौकर थे। भाभियाँ आराम से रानियों की तरह बैठकर समय बिताती थी। उसके विपरीत लेखक की पली निर्मला भर दिन काम करते-करते परेशान रहा करती। ऊपर से निर्मला अस्वस्थ भी रहने लगी थी। ऐसी हालत में लेखक को लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था।

प्रश्न 4. साले साहब से लेखक को कौन-सा किस्मा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा?
उत्तर
साले साहब से लेखक को “बहादुर" की वह किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा जिसमें उसके द्वारा नेपाल को छोडकर भारत आने का किस्सा है।

प्रश्न 5. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?
उत्तर
'बहादुर" की माँ उसको बहुत मारती थी। एक दिन भैंस के कारण गुसैल माँ ने उसे अधमरा कर दिया। उसी गुस्सा पर वह अपने घर से भाग आया।

प्रश्न 6. बहादुर के नाम से 'दिल' शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करे |
उत्तर
बहादुर के नाम से "दिल" शब्द को निर्मला ने उड़ा दिया। विचारणीय है, क्यों ? सम्भवत: निर्मला को बोलने में अथवा उसको बुलाने में कम समय की लागत होगी।
दिल से जो बहादुर हो वह शरीर से बहादुर हो ऐसा संभव नहीं होता। लेकिन बहादुर की शारीरिक क्षमता बहादुर जैसा ही थी। मात्र वह दिल से ही बहादुर नहीं था। इसलिए “दिल" हटाकर "बहादुर" के नाम से पुकारा जाता था।

प्रश्न 7. घर आए रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर
लेखक के घर आए रिश्तेदारों ने 11 रुपये चोरी का प्रपंच रचा। क्योंकि उनको वहाँ कुछ भी खर्च नहीं करना पड़े। इस प्रपंच के परिणामस्वरूप लेखक भी अपनी सूझ-बूझ खो दिये। घर के लोगों में "बहादुर" को मारने पीटने की क्रिया में बढ़ोत्तरी आ गई। उसी प्रपंच के कारण वह लेखक के घर छोड़कर भाग भी गया।

प्रश्न 8. बहादुर के चले जाने पर सबकों पछतावा क्यों होता है ?
उत्तर
बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा हुआ क्योंकि बहादुर जैसे ईमानदार, कर्मठ नौकर अब कहाँ मिल सकता है तथा वह कुछ भी नहीं ले गया। उसने अपना तनख्वाह भी छोड़ गया। उस पर गलत आरोप लगे सबों ने अपनी मर्यादा खोकर उसकी पिटाई करने लगे थे। इन सब गलतियों के कारण सबको पछतावा होता है।

प्रश्न 9. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ?
उत्तर
बहादुर के चले जाने पर निर्मला को अफसोस है कि वह कुछ भी नहीं ले गया। न कोई कपड़ा, न जूता और न तनख्वाह का एक पैसा। सब कुछ छोड़कर चला गया।

Long Question Answer (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)


प्रश्न 1. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गये बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है? चित्र का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर 
काम-काज के बाद रात में बहादुर जब अपने बिस्तर पर जाता है तो लेखक बड़े ही मनोरंजक और मार्मिक शब्दों में चित्रण करते हुए कहते हैं-वह विस्तर पर बैठ जाता और अपनी जेब से नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता, जो बाईं ओर काफी झुकी रहती थी। फिर एक छोटा आईना निकालकर अपना मुँह देखता था और प्रसन्न नजर आता था। बाद में कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की गड्डी, कुछ खुबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड और कागज की नावें निकालकर उनसे खेलता। बाद में धीमे-धीमे स्वर में गुनगुनाता। जिसको लेखक समझ तो नहीं पाते थे पर उसकी मीठी उदासी सारे घर में फैल जाती, जैसे कोई पहाड़ की निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा है।
जिसका आशय है कि बहादुर घर-परिवार, बन्धुबान्धव से दूर रहकर भी अपने गीत के माध्यम से अकेलापन को दूर कर लेता।

प्रश्न 2. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया?
उत्तर
बहादुर इमानदार, कर्मठ नौकर था। जब तक बहादुर को सदस्या का प्यार मिलता रहा। वह लेखक के घर काम करता रहा। जब लेखक का पुत्र किशोर उसे पीटने लगा, वह हँस-हँसकर झेलता रहा। जब घर की मालकिन निर्मला उस पर हाथ उठाई तो भी वह सह लिया। परन्तु जब लेखक भी बिना गलती में उसका पिटाई करते हैं। लोठसका हदय फट जाता है। वह समझ जाता है कि अबस घर में कोई नहीं है जो मेरी सच्चाई को समझ सके। अत: बहादुर लेखक के को छोडकर भाग जाता है।

प्रश्न 3. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्य कैसा प्रभाव पड़ा?
उत्तर
"बहादुर" के आने से लेखक सहित घर और परिवार वाले सदर विशेष प्रभाव पड़ा-लेखक ने ऊँचाई का एहसास होने लगा। वे मुहल्ले के के पहले से तुच्छ समझने लगे थे। किसी से सीधे मुँह से बात भी नहीं करते।" को ठीक ढंग से देखते भी नहीं। कई बार पड़ोसियों के बीच कहते सुनाई पडे-जिर पास कलेजा है वही आजकल नौकर रखता है।
निर्मला भी फूले नहीं समाती थी, अपनी बड़प्पन पड़ोसिन के बीच कर और परिवार के सभी सदस्य सम्पूर्ण काम बहादुर से करवाने लगे थे। किशोर का" तो बढ़ा था ही बहादुर के आ जाने से उसके काम पहले होने लगा इत्यादि।

प्रश्न 4. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है?
उत्तर
बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है ? इस प्रश्न का उत्तर तो साफ है कि बहादुर नौकर है आजकल लोग नौकर-चाकर पर विश्वास करते ही नहीं। फिर बहादुर पर कौन करेगा। यही बात सोंचकर रिश्तेदार की पत्नी ने बहादुर पर गलत आरोप मढ़ दिया। पुनः इतना बड़ा आरोपी और कौन बन सकता था। रुपये चोरी के मनगढन्त आरोप से उसके ऊपर जो प्रभाव पड़ा उससे प्रभावित होकर वह उदास हो गया, उससे अधिक गलतियाँ होने लगी । मालिक-मालकिन के प्रति उसका मन क्षुब्ध हो उठा और वह घर से भाग निकला।

प्रश्न 5. बहादुर, किशोर, निर्मला एवं कथावाचक का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर
  • बहादुर -"बहादुर" अमरकान्त का नौकर है। वह नेपाल-भारत सीमांचल प्रदेश का रहने वाला है। वह हसोड़, ईमानदार एवं कर्मठ नौकर है। वह माँ के डर से भागकर भारत आया था। अमरकान्त जी सपरिवार उसको मारते-पीटते हैं। जिसे वह हँसते हुए सह लेता है। परन्तु उसे गाली-गलौज पसन्द नहीं। वह स्वाभिमानी है। बाप-माँ के प्रति उसकी आस्था उत्तम है क्योंकि जब बाप के नाम गाली लोग देते हैं तो वह प्रतीकार करता हुआ दिखाई पड़ता है। मान-सम्मान चाहने वाला बहादर के प्रति जब लेखक के परिवार वाले का विश्वास उठने लगता है तो वह अपनी ईमानदारी का परिचय देने के लिए वह लेखक या लेखक के साले साहब का दिया हआ गंजी-कमीज और जता भी छोडकर वह चला जाता है।
  • किशोर - किशोर लेखक का पुत्र है। वह शान-शौकत में रहना पसंद करता है। बहादुर के प्रति रोव जामना ऐसा लगता है कि वह रॉविला है। परन्तु वह सहृदय है क्योंकि जब बहादुर भाग जाता है तो वह बहादुर को खोजने का प्रयास करता । है। वह अपने अम्मा से कहता है कि यदि बहादुर मिल जाता तो उससे माफी माँगकर, उसे रोक लेता, उसको कभी नहीं मारता।
  • निर्मला - निर्मला लेखक की पत्नी है। वह अपने शान-शौकत की बड़प्पन सुनना चाहती है। वह नौकर रखना गर्व मानती है लेकिन अंधविश्वासी होने के कारण वह बहादुर जैसे ईमानदार और कर्मठ बहादुर पर विश्वास नहीं करती है। वह भाग्यवादी भी है। इसलिए कहानी के अंत में निर्मला अपने भाग्य को कमजोर मानकर भाग्य पर रोती है। यदा-कदा वह अन्य स्त्रियों के बहकावे में भी आ जाती है।
  • अमरकान्त - अमरकान्त "बहादुर" कहानी का लेखक है। वे शान-शौकत में। रहना पसन्द करते हैं। नौकर-चाकर रखना गौरव की बात मानते हैं। अमरकान्त जी। को बड़प्पन सुनने में बड़ा आनन्द आता है। निर्मला को अधिक परिश्रम करते देख नौकर रखते हैं। लेखक भी अन्धविश्वासी है तथा वास्तविकता को समझ नहीं पाते। हैं। लेखक को शीघ्र गुस्सा भी आ जाता है। लेकिन अपनी गलती समझ जाने पर पश्चाताप भी करते देखे जाते हैं।

प्रश्न 6. कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से 'बहादुर' कहानी पर विचार करें।
उत्तर
कोई भी कहानी-कविता छोटा मुँह बड़ी बात कह डालती है। “बहादुर कहानी भी समाज की यथार्थता को पूर्ण रूप से उजागर करता है।
मध्यम वर्ग के लोग ऊँचे वर्ग के लोगों का अनुचर होते हैं। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि मध्यमवर्गीय परिवार वालों को उच्चवर्गीय लोगों राह पर चलने आता ही नहीं। मध्यम वर्ग के लोग में नौकरों के प्रति उदारता का अभाव होता है जिसका कारण नौकर टिक नहीं पाते।
यह कहानी यह भी कहती है कि मनुष्य प्रेम-मान चाहता है। वह स्नेह आश सम्मान के सम्मुख पैसा का कोई महत्व नहीं देता। यह कहानी यह भी बताती । कि पारिवारिक मोह में पड़कर पढ़े-लिखे, बुद्धिमान लोग भी दिग्भ्रमित हो जाते है।
यह कहानी यह भी बोलती है कि-सत्य को नहीं छोड़ना चाहिए झूठ का सहारा लेने से सत्यता कुण्ठित हो जाती है। जो व्यक्ति यथार्थता को नजरअंदाज करताही पश्चाताप की आग में जलना भी पड़ता है।

प्रश्न 7. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। लेखक ने इसका क 'नौकर' क्यों नहीं रखा ?
उत्तर
"बहादुर" शीर्षक सार्थक है क्योंकि नौकर बहादुर है। वह नौकर की नाह नहीं काम करता बल्कि उस परिवार में वह हरेक काम को अपने ढंग से करता है। यदि वह काम करने में बहादुर था तो ईमानदारी में भी बहादुर था। अतः "बहादुर" शीर्षक ही सार्थक है।
लेखक ने इस कहानी का शीर्षक नौकर नहीं रखा क्योंकि बहादुर नौकर तो अवश्य था। लेकिन वह जब तक लेखक के घर रहा केवल स्नेह का इच्छुक रहा। उसे परिवार से प्रेम चाहिए था। वह मान-इजत चाहता था पैसा नहीं। जबकि नौकर तनख्वाह के लिए नौकरी करता है। पैसा यदि उसे नहीं मिलता हो तो नौकर मालिक के यहाँ चोरी करता है। बहादुर उन सबसे विपरीत था। पुनः जब वह बहादुर नाम से पुकारा ही जाता था तो अन्य शीर्षक रखना कैसे उचित होगा। अतः लेखक ने "नौकर" शीर्षक नहीं देकर "बहादुर" शीर्षक दिया है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. सहसा मैं काफी गंभीर हो गया था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मल रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र। ठिगना चकइठ शरीर, गोरा रंग और चपटा मुंह। वह सफेद नेकर, आधी बांह की ही सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था। उसके गले में स्काउटों की तरह एक रूमाल बंधा था। उसको घेरकर परिवार के अन्य लोग खड़े थे। निर्मला चमकती दृष्टि से कभी लड़के को देखती और कभी मुझको और अपने भाई को। निश्चय ही वह पंच-बराबर हो गई थी।

प्रश्न.
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ? और इसके लेखक कौन हैं.?
(ख) परिवार के सभी सदस्य किसे घेरकर खड़े थे? और क्यों ?
(ग) नवागन्तुक कौन था? उसका संक्षिप्त चित्रण करें।
(घ) निर्मला कौन थी? और वह पंच-बराबर कैसे हो गई थी?
(ङ) लेखक गंभीर क्यों हो गया था?

उत्तर

(क) प्रस्तुत गद्यांश ‘बहादुर’ पाठ से लिया गया है। इसके लेखक अमरकांत हैं।

(ख) परिवार के सभी सदस्य नवागन्तुक को घेरकर खड़े थे। यह नवागन्तुक घर के लिए नौकर बनने के लिए आया था। सभी सदस्य नौकर पाकर उस नवागन्तुक को देखने के लिए खड़े थे।

(ग) नवागन्तुक एक नेपाली युवक था। वह माँ द्वारा मार खाने के बाद अपने घर से भाग गया था। लेखक के साले साहब उस नौकर को लाये थे। उसकी अवस्था बारह-तेरह वर्ष की थी। उसका कद ठिगना और चकइठ था। गोरा रंग और चपटा मुंह वाला वह नवागन्तुक सफेद नेकर पहने हुआ था। उसके गले में स्काउटों की तरह एक रूमाल बंधा हुआ था।

(घ) निर्मला लेखक की पत्नी थी। लेखक के सभी भाइयों के पास नौकर थे। अपनी गोतनियों एवं रिश्तेदारों की तरह उसे भी नौकर रखने की दिली इच्छा थी। नौकर पाकर वह भी उनके बराबर हो गई थी।

(ङ) घर के मुखिया होने के नाते नौकर को पाकर लेखक का गंभीर होना लाजिमी था। -घर गृहस्थी का निर्वहण करना मुखिया का परम कर्तव्य होता है। उसके ऊपर भी एक सदस्य का बोझ. पड़ गया था।


2. उसको लेकर मेरे साले साहब आए थे। नौकर रखना कई कारणों से बहुत जरूरी हो गया था। मेरे सभी भाई और रिश्तेदार अच्छे ओहदों पर थे और उन सभी के यहाँ नौकर थे। मैं जब बहन की शादी में घर गया तो वहाँ नौकरों का सुख देखा। मेरी दोनों भाभियाँ रानी की तरह बैठकर चारपाइयाँ तोड़ती थीं, जबकि निर्मला को सबेरै से लेकर रात तक खटना पड़ता था। मैं ईर्ष्या से जल गया। इसके बाद नौकरी पर वापस आया तो निर्मला दोनों जून ‘नौकर-चाकर’ की माला जपने लगी। उसकी तरह अभागिन और दुखिया स्त्री और भी कोई इस दुनिया में होगी? वे लोग दूसरे होते हैं, जिनके भाग्य में नौकर का सुख होता है ।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) नीकर को लेकर कौन आए थे?
(ग) लेखक ने कहाँ नौकरों का सुख देखा?
(घ) लेखक भाग्यशाली किसे मानते हैं?
(ङ) लेखक को ईर्ष्या क्यों होता है?

उत्तर

(क) पाठ का नाम बहादुर।
लेखक का नाम अमरकांत।

(ख) नौकर को लेकर लेखक के साले साहब आए थे।

(ग) लेखक जब बहन की शादी में घर गये तब उन्होंने वहाँ नौकरों का सुख देखा।

(घ) लेखक कहते हैं कि जिनको नौकर का सुख प्राप्त होता है वे भाग्यशाली होते हैं।

(ङ) लेखक की पत्नी निर्मला को रात-दिन खाना पकाना पड़ता था। उनकी भाभियों के यहाँ नौकर थे इसलिए उन्हें आराम था। अपने भाभी को रानी की तरह चारपाइयाँ तोड़ते देखकर लेखक ईर्ष्या से जल जाते हैं।


3. पहले साले साहब से असाधारण विस्तार से उसका किस्सा सुनना पड़ा। वह एक नेपाली था, जिसका गाँव नेपाल और बिहार की सीमा पर था। उसका बाप युद्ध में मारा गया था और उसकी. माँ सारे परिवार का भरण-पोषण करती थी। माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी और उसको बहुत मारती थी। माँ चाहती थी कि लड़को घर के काम-धाम में हाथ बटाये, जबकि वह पहाड़ या .जंगलों में निकल जाता और पेड़ों.पर चढ़कर चिड़ियों के घोंसलों में हाथ डालकर उनके बच्चे पकड़ता या फल तोड़-तोड़कर खाता। कभी-कभी वह पशुओं को चराने के लिए ले जाता था।
उसने एक बार उस भैंस को बहुत मारा, जिसको उसकी माँ बहुत प्यार करती थी, और इसीलिए जिससे वह बहुत चिढ़ता था। मार खाकर भैंस भागी-भागी उसकी माँ के पास चली गई, जो कुछ दूरी पर एक खेत में काम कर रही थी। माँ का माथा ठनका। बेचारा बेजुबान जानवर चरना छोड़कर वहाँ क्यों आएगा? जरूर लौंडे ने इसको काफी मारा है। वह गुस्से से पागल हो गई। जब लड़का आया तो माँ ने भैंस की मार का काल्पनिक अनुमान करके एक डंडे से उसकी दुगुनी पिटाई की और उसको वहीं कराहता हुआ छोड़कर घर लौट आई। लड़के का मन माँ से फट गया और वह रात भर जंगल में छिपा रहा।
जब सबेरा होने को आया तो वह घर पहुंचा और किसी तरह अन्दर चोरी-चुपके घुस गया। फिर उसने घी की हडिया में हाथ डालकर माँ के रखे रुपयों में से दो रुपये निकाल लिए। अन्त में नौ-दो ग्यारह हो गया। वहाँ से दस मील की दूरी पर बस-स्टेशन था, वहाँ गोरखपुर जानेवाली बस थी।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) लेखक ने किनसे और किसका किस्सा विस्तार से सुना?
(ग) नौकर की माँ कैसी थी और वह उसके प्रति क्या व्यवहार करती थी?
(घ) लड़के का मन मों से क्यों फट गया?
(ङ) लड़के ने माँ के रुपये में से कितना निकाल लिया और उसके बाद क्या किया?

उत्तर

(क) पाठ का नाम बहादुर।
लेखक का नाम अमरकांत।

(ख) लेखक ने अपने साले साहब से उनके द्वारा नौकर के रूप में लाये गये लड़कों की । कहानी विस्तार से सुनी।

(ग) नौकर की माँ गुस्सैल स्वभाव की थी। वह उसको बहुत मारती थी।

(घ) एक दिन भैंस को मारने के बदले माँ ने उस लड़का की खूब पिटाई की जिससे उसका मन माँ से फट गया।

(ङ) लड़के ने घी की हंडिया में हाथ डालकर माँ के रखे रुपयों में से दो रुपये निकाल लिये और अंततः वहाँ से भाग गया।


4. निर्मला ने उसको एक फटी-पुरानी दरी दे दी थी। घर से वह एक चादर भी ले आया था। रात को काम-धाम करने के बाद वह भीतर के बरामदे में एक टूटी हुई बँसखट पर अपना बिस्तर बिछाता था। वह बिस्तरे पर बैठ जाता और अपनी जेब में से कपड़े की एक गोल-सी नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता, जो बाईं ओर काफी झुकी रहती थी। फिर वह एक छोटा-सा आईना निकालकर बन्दर की तरह उसमें अपना मुँह देखता था। वह बहुत ही प्रसन्न नजर आता था।
उसके बाद कुछ और भी चीजें उसकी जेब से निकलकर उसके बिस्तर पर सज जाती थीं कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की एक गड्डी, कुछ खूबसूरत. पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज की नावें। वह कुछ देर तक उनसे खेलता था। उसके बाद वह धीमे-धीमे स्वर में गुनगुनाने लगता था। उन पहाड़ी गानों का अर्थ हम समझ नहीं पाते थे, पर उसकी मीठी उदासी सारे घर में फैल जाती, जैसे कोई पहाड़ की निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा हो।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिएँ।
(ख) निर्मला ने बहादुर को सोने के लिए क्या व्यवस्था दी थी?
(ग) रात को काम करने के बाद बहादुर कहाँ सोता था ?
(घ)बहादुर सोते समय अपनी जेब से क्या निकालता था और क्या-क्या करता था?
(ङ) बहादुर के गीत का लेखक के घर में क्या प्रभाव पड़ता था ?

उत्तर

(क) पाठ का नाम बहादर
लेखक का नाम अमरकांत।

(ख) निर्मला ने बहादुर को एक फटी-पुरानी दरी एवं एक टूटी हुई बँसखट सोने के लिए दी थी।

(ग) रात को काम करने के बाद वह भीतर के बरामदे में एक टूटी हुई बँसखट पर सोता था।

(घ) बहादुर रात को सोते समय बिस्तर पर बैठ जाता था और अपनी जेब में से कपड़े की एक गोल-सी नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता। फिर एक छोटा-सा आइना निकालकर उसमें अपना मुँह देखता।

(ङ) जब वह रात में सोते समय गीत बजाता था जब पहाड़ी गीत की मीठी उदासी सारं घर में फैल जाती और लगता कि कोई पहाड़ निर्जनता में अपने किसी बिछड़े हुए साथी को बुला रहा है।


5. उसके स्वर में एक मीठी झनझनाहट थी। मुझे ठीक-ठीक याद नहीं कि मैंने उसको क्या हिदायतें दी। शायद यह कि वह शरारतें छोड़कर ढंग से काम करे और घर को अपना घर समझे। इस घर में नौकर-चाकर को बहुत प्यार और इज्जत से रखा जाता है। जो सब खाते-पहनते हैं, वही नौकर-चाकर खाते-पहनते हैं। अगर वह यहाँ रह गया तो ढंग-शऊर सीख जाएगा, घर के और लड़कों की तरह पढ़-लिख जाएगा और उसकी जिंदगी सुधर जाएगी। निर्मला ने उसी समय कुछ व्यावहारिक उपदेश दे डाले थे। इस मुहल्ले में बहुत तुच्छ लोग रहते हैं, वह न किसी के यहाँ जाए और न किसी का काम करे। कोई बाजार से कुछ लाने की कहे तो वह ‘अभी आता ‘ हूँ’ कहकर अन्दर खिसक जाए। उसको घर के सभी लोगों से सम्मान और तमीज से बोलना चाहिए। और भी बहुत-सी बातें। अन्त में निर्मला ने बहुत ही उदारतापूर्वक लड़के के नाम में से ‘दिल’ शब्द उड़ा दिया।

प्रश्न.
(क) लेखक ने दिलबहादुर को कौन-कौन सी हिदायतें दी थीं?
(ख) दिलबहादुर को पाकर लेखक के मन में उसके प्रति कौन-सी मनोदशाएँ जागृत हो गई?
(ग) निर्मला ने दिलबहादुर को कौन-कौन-सी व्यावहारिक शिक्षा दी?
(घ) निर्मला ने दिलबहादुर को बहादुर कैसे बना दिया ?

उत्तर

(क) लेखक ने दिलबहादुर को हिदायत देते हुए कहा कि उसे शरारतें छोड़कर ठीक. ढंग से काम करना चाहिए। इस घर को अपना ही घर समझना चाहिए। जो हम खाते हैं वही नौकर भी खाते हैं। नौकर-चाकर भी परिवार का ही अंग होता है।

(ख) दिलबहादुर को पाकर लेखक का मन अन्दर ही अंन्दर प्रफुल्लित हो उठा। वह अपनी पत्नी की बात रखने में सफल हो गया था। लेखक अन्तर्मन से सोचने लगा कि यदि यह लड़का इस घर में टिक गया तो वह भी हमारे लड़कों की तरह पढ़-लिख जायेगा और उसकी जिन्दगी भी सुधर जायेगी।

(ग) निर्मला संभवतः व्यावहारिक शिक्षा देने में निपुण थी। उसने दिलबहादुर से कहा कि इस मुहल्ले में वह किसी के घर आना-जाना न करे। बाहर का कोई व्यक्ति कोई सामान लाने के लिए कहे तो अभी आया कहकर घर में घुस जाये। घर के सभी सदस्यों के साथ अच्छी तरह से व्यवहार करे।

(घ) निर्मला को दिलबहादुर कहने में अजीबोगरीब लगता था। व्यावहारिक कुशलता एवं अच्छा लगने के उद्देश्य से उसने दिलबहादुर के नाम से दिल को हटाकर बहादुर नाम दे डाला। दिलबहादुर से वह बहादुर बन गया।


6. दिन मजे में बीतने लगे। बरसात आ गई थी। पानी रुकता था और बरसता था। मैं अपने को बहुत ऊँचा महसूस करने लगा था। अपने परिवार और सम्बन्धियों के बड़प्पन तथा शान-बान पर मुझे सदा गर्व रहा है। अब मैं मुहल्ले के लोगों को पहले से भी तुच्छ समझने लगा। मैं किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता। किसी की ओर ठीक से देखता भी नहीं था। दूसरों के बच्चों को मामूली-सी शरारत पर डाँट-डपट देता। कई बार पड़ोसियों को सुना चुका था जिसके पास कलेजा है, वही आजकल नौकर रख सकता है। घर के स्वांग की तरह रहता है। निर्मला भी सारे मुहल्ले में शुभ सूचना दे आई थी-आधी तनख्वाह तो नौकर पर ही खर्च हो रही है, पर रुपया-पैसा कमाया किसलिए जाता है ? वे तो कई बार कह ही चुके थे तुम्हारे लिए दुनिया के किसी कोने से नौकर जरूर लाऊँगा वही हुआ।

प्रश्न.
(क) लेखक अपने को ऊँचा क्यों समझने लगा था ?
(ख) नौकर को पाकर लेखक के व्यवहार में कौन-सा परिवर्तन आ गया था? और क्यों?
(ग) लेखक की पत्नी निर्मला ने पड़ोसियों को क्या खबर सुनाई थी?
(घ) घर में नौकर किस तरह होता है ?
(ङ) रुपया-पैसा किसलिए कमाया जाता है ?

उत्तर

(क) लेखक के भाइयों एवं रिश्तेदारों के घर में नौकर-चाकर थे। सर्वगुण सम्पन्न होने के बाद भी लेखक का घर नौकरविहीन था। बहादुर के आने के साथ ही लेखक भी अपने भाइयों एवं रिश्तेदारों के समतुल्य हो गया था। पड़ोसियों के घर में नौकर नहीं थे। आत्मबड़प्पन ‘ और ईर्ष्यावश ही लेखक अपने को ऊँचा समझने लगा था।

(ख) नौकर के आते ही लेखक के मन में विविध धारणाएँ उत्पन्न होने लगीं। पड़ोसी जीवनयापन करना नहीं जानते हैं ये ऐशोआराम से काफी दूर रहनेवाले हैं। मानव स्वभाववश ईर्षालु हो जाता है। लेखक भी अपने पड़ोसियों से जलने लगता है उनके बच्चों को डाँटने-झपटने लगता है। वह लोगों से कहने लगता है नौकर रखना सबके वश की बात नहीं है। लेखक के मन में ऐसे विचार उन्मादवश आने लगे। उन्माद में मनुष्य सही गलत का विचार छोड़ देता है। झूठी भावनाओं में मनुष्य बह जाता है।

(ग) नारी स्वभाव से आत्मप्रशंसक होती है। निर्मला भी इससे वंचित नहीं रह पाती है। वह पड़ोसियों के समक्ष अपनी बात सर्वोपरि रखना चाहती है। वह कहती है कि आधी कमाई तो नौकर पर ही खर्च हो जाती है।

(घ) घर में नौकर-स्वांग की तरह होता है।

(ङ) रुपया-पैसा अपनी मान-मर्यादा स्थापित करने के लिए कमाया जाता है। रुपये की सार्थकता मान-मर्यादा रखने में ही है। पत्नी की भंगिमाओं की पूर्ति करना पति का दायित्व होता है। लेखक की पत्नी को नौकर चाहिए बस उसने घर में नौकर रख लिया।


7. पर अब बहादुर से भूल-गलतियाँ अधिक होने लगी थीं। शायद इसका कारण मार-पीट और गाली-गलौज हो। मैं कभी-कभी इसको रोकना चाहता था, फिर यह सोचकर चुप लगा जाता कि नौकर-चाकर तो मार-पीट खाते ही रहते हैं।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख)बहादुर से भूल-गलतियाँ क्यों होने लगी थीं?
(ग) लेखक द्वारा मार-पीट न रोकने से उसका कैसे स्वभाव का पता चलता है ?
(घ) नौकर के साथ मार-पीट क्या आप उचित मानते हैं ? अपने कथन के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करें।

उत्तर

(क) पाठ-बहादुरा लेखक-अमरकांता .

(ख) अधिक मार-पीट और गाली-गलौज के कारण बहादुर का आत्म-विश्वास डिग गया था, वह अनमना-सा हो गया था, इसलिए उससे ज्यादा गलतियाँ होने लगी थीं।

(ग) लेखक द्वारा मार-पीट न रोकने से उसके दब्बू स्वभाव का पता चलता है।

(घ) नौकर के साथ मार-पीट करना उचित नहीं है। उन्हें प्यार से समझाना चाहिए क्योंकि वे भी इन्सान हैं।


8. यही तो अफसास है। कोई भी सामान नहीं ले गया है। उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके जूते-सभी छोड़ गया है। पता नहीं उसने हमें क्या समझा? अगर वह कहता तो मैं उसे रोकती थोड़े ? बल्कि उसको खूब अच्छी तरह पहना-ओढ़ाकर भेजती, हाथ में उसकी तनख्वाह के रुपये रख देती। दो-चार रुपये और अधिक दे देती। पर वह तो कुछ ले नहीं गया”

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) प्रस्तुत कथन किसका है और उसे किस बात का अफसोस है? (ग) प्रस्तुत गद्यांश में मालकिन का कौन-सा भाव व्यक्त है ?
(घ) “पर वह तो कुछ ले नहीं गया’ कथन के पीछे कौन-सी कसक है?

उत्तर

(क) पाठ-बहादुर।
लेखक-अमरकात।

(ख) प्रस्तुत कथन मालकिन का है और उसे इस बात का आश्चर्य है कि बहादुर कुछ ले नहीं गया।

(ग) प्रस्तुत कथन से मालकिन का अपराध-बोध प्रकट होता है।.

(घ) दरअसल, बहादुर पर मेहमानों ने चोरी का इल्जाम लगाया और मालकिन और लेखक ‘ने भी डाँटा और पीटा था। किन्तु बहादुर घर छोड़ते हुए कुछ लेकर नहीं गया, अपितु अपने कपड़े आदि भी छोड़ गया। ‘पर वह कुछ ले ही नहीं गया’ कथन के पीछे बहादुर को झूठ-मूठ चोर समझने की कसक है।

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