एक तिनका सार वसंत भाग - 1 (Summary of Ek Tinka Vasant)

इस कविता में कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ने घमंड ना करने की सिख दी है| उन्होंने बताया है की किसी घमंडी का घमंड तोड़ने के लिए एक छोटा सा तिनका ही काफी है|

एक बार कवि घमंड से भरा छत के किनारे पर खड़ा था| उसी समय कहीं दूर से एक छोटा-सा तिनका आकर उसकी आँख में गिर गया।

वह दर्द से बेचैन हो गया। बेचैनी में वह अपनी आँखें मलने लगा जिससे आँख लाल होकर दुखने लगी। आँख-से तिनका निकालने के लिए अन्य लोग भी आकर कपड़े के मुँठ बनाकर आँख को दबाने लगे। इतने सारे लोगों को एक तिनके के आगे लाचार देखकर कवि का घमंड टूट गया|

बहुत प्रयासों के बाद वह तिनका आँख से निकल गया। तिनका तो निकल गया लेकिन उनकी बुद्धि ने उसे समझा दिया कि इस संसार में कोई सर्वश्रेष्ठ नहीं है| वह अपने घमंड में किसलिए अकड़ रहा था, जब वह एक छोटे-से तिनके के आगे इतना लाचार हो गया। उसके अहंकार को चूर करने के लिए तो एक तिनका भी बहुत है।

कठिन शब्दों के अर्थ -

• ऐंठा - अकड़ा
• मुंडेरे - छत का किनारा
• तिनका - सूखी घास का टुकड़ा
• बेचैन - परेशान
• दुखना - दर्द होना
• मुँठ - मोड़कर गोल किया हुआ कपड़ा
• दबे पाँव भागना - चुपके से निकल जाना
• ढब - उपाय

NCERT Solutions of एक तिनका

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