पाठ 3 - उपभोक्तावाद की संस्कृति Extra Questions क्षितिज़ Class 9th हिंदी

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर -

1. एक नयी जीवन-शैली अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। उसके साथ आ रहा है एक नया जीवन-दर्शन-उपभोक्तावाद का दर्शन। उत्पादन बढ़ाने पर जोर है चारों ओर। यह उत्पादन आपके लिए है; आपके भोग के लिए है, आपके सुख के लिए है। ‘सुख' की व्याख्या बदल गई है। उपभोग-भोग ही सुख है। एक सूक्ष्म बदलाव आया है नई स्थिति में उत्पाद तो आपके लिए हैं, पर
आप यह भूल जाते हैं कि जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।

(क) लेखक के अनुसार, नयी जीवन-शैली अपनाने से क्या हुआ है?

(ख) उपभोक्तावाद के दर्शन के कारण हमारी जीवन-शैली में कैसा बदलाव आया है?

(ग) सुख की व्याख्या किस प्रकार बदल गई है?

उत्तर

(क) लेखक के अनुसार, नयी जीवन-शैली अपनाने के साथ ही उपभोक्तावाद का नया सिद्धांत हमारे जीवन में प्रवेश कर रहा है|

(ख) उपभोक्तावाद का अर्थ है- उपभोग के लिए ही उत्पादन को बढ़ाना| नयी जीवन-शैली उपभोक्तावाद से प्रेरित है, जिसमें उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाता जाता है ताकि उपभोग के लिए साधन उपलब्ध हो सकें| उपभोक्तावाद के दर्शन के कारण हम उत्पाद के प्रति समर्पित होते जा रहे हैं|

(ग) आधुनिक युग में सुख की व्याख्या पूरी तरह बदल गई है| पहले लोग मानसिक और आध्यात्मिक सुख को ही वास्तविक सुख मानते थे| लेकिन अब उनके लिए सुख का अर्थ है धन-दौलत से परिपूर्ण होना| समाज में जो व्यक्ति जितना अधिक समृद्ध है, वह उतना ही अधिक सुखी है|

2. संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हज़ार की सौंदर्य सामग्री होना तो मामूली बात है। पेरिस से परफ्यूम मॅगाइए, इतना ही और खर्च हो जाएगा। ये प्रतिष्ठा-चिह्न हैं, समाज में आपकी हैसियत जताते हैं। पुरुष भी इस दौड़ में पीछे | नहीं है। पहले उनका काम साबुन और तेल से चल जाता था। आफ़्टर शेव और कोलोन बाद में आए। अब तो इस सूची में दर्जन-दो दर्जन चीजें और जुड़ गई हैं।

(क) संभ्रांत महिलाओं से क्या आशय है?

(ख) ‘प्रतिष्ठा-चिन्ह’ का क्या तात्पर्य है?

(ग) आधुनिक युग में पुरूष किस दौड़ में शामिल हो गए हैं?

उत्तर

(क) संभ्रांत महिलाओं का अर्थ है संपन्न परिवारों की महिलाएँ, जो समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने में कोई कमी नहीं करतीं|

(ख) ‘प्रतिष्ठ-चिन्ह’ का तात्पर्य है मान-सम्मान का सूचक| जिस वस्तु के उपयोग से समाज में किसी की ऊँची हैसियत का पता चलता है, उसे प्रतिष्ठा-चिन्ह माना जाता है|

(ग) आधुनिक युग में महिलाओं के साथ-साथ पुरूष भी सौन्दर्य-सामग्री का उपयोग करने में पीछे नहीं हैं| वे केवल साबुन और शैम्पू के प्रयोग करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई अन्य प्रकार के सौन्दर्य-साधनों का उपयोग करने में नहीं हिचकते| वे महिलाओं की तरह रूप-सज्जा के दौड़ में शामिल हो गए हैं|

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -

1. उपभोक्तावाद की संस्कृति हमारी जीवन-शैली को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?

उत्तर

उपभोक्तावाद की संस्कृति ने हमारी जीवन-शैली को पूरी तरह बदल दिया है| चारों ओर उत्पादन बढ़ाने पर जोर है| लोग उपभोग को ही वास्तविक सुख मानने लगे हैं| हम उत्पाद के प्रति समर्पित होते जा रहे हैं तथा आधुनिकता के झूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं|

2. लोग महँगे उत्पाद का प्रयोग क्यों करते हैं?

उत्तर

लोग महँगे उत्पाद का प्रयोग करके समाज में अपनी हैसियत जताते हैं| वे इन्हें प्रतिष्ठा-चिन्ह मानते हैं| उदाहरण के लिए, संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हजार की सामग्री होना मामूली बात है|

3. विज्ञापन आधुनिक समाज को किस तरह प्रभावित करते हैं?


उत्तर 

विज्ञापन तरह-तरह के उत्पादों के माध्यम से लोगों को लुभाने की जी तोड़ कोशिश करते हैं| समाज के लोग बहुविज्ञापित और कीमती ब्रांड के वस्तुओं को खरीदना शान की बात मानते हैं| सौंदर्य प्रसाधन की अंधाधुंध चमक में लोग खो कर रह गए हैं| हर माह उसमें नए उत्पाद जुड़ते जाते हैं और लोग अपनी हैसियत से बढ़कर उन पर खर्च कर रहे हैं|

4. हम बौद्धिक दासता के शिकार किस प्रकार हो रहे हैं?

उत्तर

बौद्धिक दासता का अर्थ है दूसरे को अपने से अधिक बुद्धिमान समझ कर उसी के तरह बनने की कोशिश करना| हम अमेरिकी तथा यूरोपीय देशों के उत्पाद को अधिक अच्छा मानकर प्रयोग करते हैं| हम अपने विवेक से काम नहीं लेते और विदेशी संस्कृति को अपना कर उनके जैसा बनना चाहते हैं|

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