ध्वनि का सार (Dhwani ka summary) वसंत भाग - 3 हिंदी NCERT Notes Class 8th Hindi

सार

'ध्वनि' पाठ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखा गया है जिसमें कवि ने मानव को अपने जीवन में कभी निराश नहीं होने की प्रेरणा दी है| वे मानव जाति को कठिनाइयों में भी आगे बढ़ते रहने को कह रहे हैं| वे इस कविता द्वारा मानव में जोश का संचार करने का प्रयास कर रहे हैं|

कवि का मानना है कि अभी उसके जीवन का अन्त नहीं होगा। अभी-अभी तो उसके जीवन में सुकुमार शिशु रूपी वसन्त का आगमन हुआ है। जिस प्रकार वसन्त के आने से प्रकृति में चारों ओर हरियाली छा जाती है। उसी तरह कवि भी अपने अच्छे कर्मों के माध्यम से अपनी ख्याति फैलाना चाहते हैं। कवि अपने सपनों से भरे कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरकर उन्हें सुबह दिखाना चाहते हैं यानी वह अपनी कविता द्वारा वह आलस्य में डूबे और निराशा से भरे युवाओं को प्रेरित कर उन्हें उत्साह से भर देना चाहते हैं ताकि वह नया सृजन कर सकें|

कवि सोए रहने वाले प्रत्येक पुष्प यानी युवा की नींद भरी आँखों से आलस्य हटाकर उन्हें जागरूक बनाना चाहते हैं। कवि उन पुष्पों को हरा-भरा बनाए रखने के लिए उन्हें अपने नवजीवन के अमृत से सींचना चाहते हैं। कवि के जीवन में अभी वसन्त का आगमन हुआ है| उनका अन्त बहुत दूर है। अभी उन्हें बहुत सारे काम करने हैं|

कठिन शब्दों के अर्थ

• मृदुल - कोमल
• पात - पत्ता
• गात - शरीर
• निद्रित - सोया हुआ
• प्रत्यूष - प्रात:काल
• तंद्रालस - नींद से अलसाया हुआ
• लालसा - कुछ पाने की चाह, अभिलाषा, इच्छा


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