पठन सामग्री और नोट्स (Notes)| पाठ 6 - राजनीतिक दल (Rajnitik Dal) Loktantrik Rajniti Class 10th

राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों है?

राजनीतिक दल का अर्थ

• राजनीतिक दल एक ऐसा संगठित समूह है जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से एकजुट होते हैं।

राजनीतिक दल के कार्य

• राजनीतिक दल के चुनाव लड़ती है।

• राजनीतिक दल विभिन्न नीतियों और कार्यक्रम मतदाता के सामने रखते हैं और मतदाता उनमें से अपने पसंद की नीतियों और कार्यक्रम चुनते हैं। पार्टियाँ तरह तरह के विचारो को कुछ बुनियादी राय तक समेट लाती है जिनका वे समर्थन करती है।

• राजनीतिक दल देश के लिए कानून बनाने में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।

• पार्टियां ही सरकारें बनाती और चलाती भी हैं।

• चुनाव हारने वाले दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं।

हमारे लिये कितने दल होने चाहिए?

• किसी देश में तीन तरह की पार्टी हो सकती है

एकदलीय शासन प्रणाली

• एक ही दल को सरकार को बनाने और चलाने की अनुमति होती है।

दो दलीय शासन प्रणाली

• सत्ता आमतौर पर दो प्रमुख दलों के बीच हस्तान्तरित होती रहती है।

बहुदलीय शासन प्रणाली 

• अनेक दल सत्ता पाने के लिए कोशिश करते हैं, सत्ता में आने के लिए ये दल या तो अपने दम पर या दूसरों के साथ गठबंधन करके सत्ता प्राप्त करते हैं ?

चुनाव आयोग

• देश की हर पार्टी को चुनाव आयोग में पंजीकरण कराना पड़ता है।

• आयोग सभी पार्टियों को बराबर मानता है, लेकिन यह बड़े और स्थापित पार्टियों को विशेष सुविधाएं प्रदान करता है।

• आयोग पार्टी को अलग चुनाव चिन्ह देता है जिसे मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कहा जाता है।

राज्य की पार्टियाँ

• जब कोई पार्टी किसी राज्य की विधान सभा के चुनाव में कुल वैध मतों का कम से कम छह प्रतिशत प्राप्त करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत दर्ज करती है, उसे राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी जाती है।

राष्ट्रीय पार्टी

• जब कोई पार्टी चार राज्यों के लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में कुल वैध मतों का कम से कम छह प्रतिशत मत हासिल करती है और लोकसभा चुनाव में कम से कम चार सीट पर जीत दर्ज करती है, तो उन्हें राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाती है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)

• आमतौर पर इसे कांग्रेस पार्टी कहा जाता है।

• इसकी स्थापना 1885 में हुई थी।

• यह दुनिया की सबसे पुरानी पार्टी है।

• भारत की आजादी के बाद कई दशकों तक भारतीय राजनीति में केंद्र और राज्य स्तर पर अहम भूमिका निभाई है।

• "दाहिना हाथ" इस पार्टी का चुनाव चिन्ह है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)

• तत्कालीन भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 में यह पार्टी बनी।

• भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्य, भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति एवं संस्कृति राष्ट्रवाद ('हिंदुत्व') इसकी उत्पत्ति का मूल तत्व है।

• यह पार्टी जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के खिलाफ है।

• यह सभी धर्म के लोगों के लिये समान नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने के पक्ष में है।

• 'कमल फूल' इसका चुनाव चिन्ह है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा)

• कांशी राम के नेतृत्व में 1984 में गठित किया गया।

• बहुजन समाज जिसमें दलित, आदिवासी, ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं, के लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास और उनका प्रतिनिधित्व करना दावा करती है।

• 'हाथी' इसका चुनाव चिन्ह है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - मार्क्सवादी (सीपीआई-एम)

• गठन 1964 में किया गया।

• मार्क्सवाद-लेनिनवाद में विश्वास

• समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र का समर्थन करता है और साम्राज्यवाद और सांप्रदायिकता का विरोध करता है।

• ‘हथौड़ा और दरांती’ इसका चुनाव चिन्ह है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई )

• 1925 में गठित किया गया।

• मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में विश्वास।

• मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में विश्वास। अलगाववादी और सम्प्रदायकिता का विरोधी है।

• ‘मकई की बाल एवं हँसुआ’ इसका चुनाव चिन्ह है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)

• कांग्रेस पार्टी में 1999 के विभाजन के बाद इसकी स्थापना हुई।

• इस पार्टी की आस्था लोकतंत्र , गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता, समता , सामाजिक न्याय और संघवाद में है।

• ‘रेखीय घड़ी’ इसका चुनाव चिन्ह है।

आँल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी)

• स्थापना ममता बनर्जी के नेतृत्व में 1998 में किया गया था।

• धर्मनिरपेक्षता, और संघवाद मूल उद्देश्य है।

• इसे साल 2016 में राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिया गया।

• ‘फूल और घास’ इसका चुनाव चिन्ह है।

क्षेत्रीय पार्टियाँ

• इन साथ दलों के अलावा, देश के अधिकांश प्रमुख दलों को चुनाव आयोग ने 'क्षेत्रीय पार्टी' का दर्जा दिया है

राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियाँ

• आंतरिक लोकतंत्र का अभाव
• वंशानुगत उत्तराधिकारी की चुनौती
• धन और बल बढ़ती भूमिका
• स्पष्ट नीतिओं का अभाव

पार्टियों को कैसे सुधारा जा सकता है?

भारत में हाल के दिनों में किये गए प्रयास एवं दिए गए सुझाव

• निर्वाचित विधायकों और सांसदों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया है।

• नए कानून के अनुसार यदि कोई विधायक या सांसद दल बदलता है, तो विधायक या सांसद को अपनी सीट भी गँवानी होगी।

• सुप्रीम कोर्ट ने पैसे और अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए एक आदेश पारित जारी किया है।

• चुनाव आयोग ने एक आदेश के जरिए सभी दलों के लिए अपना संगठनात्मक चुनाव कराना और आयकर रिटर्न भरना जरुरी बना दिया है।

राजनीतिक दलों में सुधार के कुछ सुझाव

• राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।

• प्रत्येक राजनीतिक दल एक खास संख्या या एक तिहाई महिला उम्मीदवारों को टिकट दे।

• चुनाव का खर्च राज्य सरकार उठाए।

• दो अन्य तरीके भी हैं जिसके द्वारा राजनीतिक दलों में सुधार किया जा सकता है।

NCERT Solutions of पाठ 6 - राजनीतिक दल

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