पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 13 - पथिक (Pathik) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

प्रस्तुत अंश पथिक शीर्षक खंड काव्य के पहले सर्ग से लिया गया है| इस दुनिया के दुखों से विरक्त काव्य नायक पथिक प्रकृति के सौंदर्य पर मुग्ध होकर वहीँ बसना चाहता है| सागर के किनारे खड़ा पथिक उसके सौंदर्य पर मुग्ध है| प्रकृति के इस अद्भुत् सौन्दर्य को वह मधुर मनोहर उज्ज्वल प्रेम कहानी की तरह पाना चाहता है|

कवि प्रकृति का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि आकाश में बादल रंग-बिरंगे वेश धारण करके सूर्य के सामने नर्तकी की तरह थिरकते हुए प्रतीत होते हैं| कवि का मन इन्हीं बादलों के बीच बैठकर प्रकृति का आनंद लेने का कर रहा है जिसके ऊपर नीला मनोरम आकाश है और नीचे विशाल समुद्र है| जहाँ एक ओर समुद्र का गर्जन कवि के मन में साहस पैदा करता है वहीं दूसरी ओर मलयगिरी से निकलती सुगन्धित हवाएँ मन को मोहित करती हैं| कवि का मन इस विशाल समुद्र की लहरों में हिलोरें मारने का करता है| सूर्योदय के समय समुद्र तल से निकलता सूर्य का प्रतिबिंब समुद्र को अपनी आभा से चमका रहा है| कवि ने इसकी तुलना लक्ष्मी के स्वर्ण मंदिर के कँगूरा से की है| समुद्र तल को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो समुद्र ने लक्ष्मी के आगमन की तैयारी में स्वर्ण सड़क तैयार कर दी है| समुद्र निर्भय, दृढ़, और गंभीर भाव से गरज रहा है और उसमें उठती लहरें सुंदर लग रही हैं| कवि कहते हैं कि संसार में इससे बढ़कर और कोई सुख नहीं है और अपनी प्रेयसी से इसका आनंद लेने के लिए कहता है|

कवि अर्द्धरात्रि का वर्णन करते हैं कि अँधेरा होते ही आकाश में तारों की चमक बिखर जाती है| ऐसा लगता है कि जगत का स्वामी चुपके से मुस्कुराता हुआ धीमी गति से आता है और आकाशगंगा के किनारे खड़ा होकर मधुर गीत गा रहा है| प्रकृति के इस सौंदर्य पर मुग्ध होकर चंद्रमा भी हँसता हुआ प्रतीत होता है| वृक्ष पत्तियों और फूलों से सजे हुए प्रतीत होते हैं| पक्षियों की चहचहाहट से उनकी प्रसन्नता जाहिर होती है और फूलों की खुशबू सुख की अनुभूति कराते हैं| मेघ वनों, उपवनों, पर्वतों और कुंजों पर बरसकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए प्रतीत होते हैं| प्रकृति के इस मनोरम दशा को देखकर कवि के आँखों से भी अश्रुधारा बहने लगती है| कवि इस मधुर प्रेम कहानी को अपने शब्दों में लिखकर अपनी प्रेमिका से पढ़ने के लिए कहते हैं| कवि के अनुसार प्रकृति की यह मनोहर उज्ज्वल प्रेम कहानी मन को सुख और शांति का अनुभव कराती है| कवि अपने शब्दों में काव्य रचना कर विश्व को प्रकृति की इस सुंदरता से परिचित कराना चाहता है|

कवि-परिचय

पथिक

जन्म- सन् 1881, कोइरीपुर, जिला जौनपुर (उ.प्र.) में |

रचनाएँ- मिलन, पथिक, स्वप्न (खंड काव्य) मानसी (फुटकर कविता संग्रह)|

मृत्यु- सन् 1962 में|

राम नरेश त्रिपाठी छायावाद पूर्व की खड़ी बोली के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं| आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद स्वाध्याय से हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला और उर्दू का ज्ञान प्राप्त किया| उनकी कविताओं में देशप्रेम और वैयक्तिक प्रेम दोनों मौजूद हैं, लेकिन देशप्रेम को ही विशेष स्थान दिया गया है| हिंदी में वे बाल साहित्य के जनक माने जाते हैं| उन्होंने कई वर्षों तक ‘बानर’ नामक बाल पत्रिका का संपादन किया, जिसमें मौलिक एवं शिक्षाप्रद कहानियाँ, प्रेरक प्रसंग आदि प्रकाशित होते थे| कविता के अलावा उन्होंने नाटक, उपन्यास, संस्मरण आदि अन्य विधाओं में भी रचनाएँ कीं|

कठिन शब्दों के अर्थ

• वारिद-माला- गिरती हुई वर्षा की लड़ियाँ
• रत्नाकर- सागर
• मलयानिल- मलय पर्वत (जहाँ चंदन वन है) से आने वाली शीतल, सुगंधित हवा
• कँगूरा- गुंबद, बुर्ज़
• असवारी- सवारी
• अंतरिक्ष- आकाश, धरती और आकाश के बीच की खुली जगह
• सानु- समतल भूमि
• आत्म-प्रलय- स्वयं को भूल जाना
• विश्व-विमोहनहारी- संसार को मुग्ध करने वाली

NCERT Solutions of पाठ 13 - पथिक

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