पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - पाठ 7 -  रजनी (Rajni) आरोह भाग - 1 NCERT Class 11th Hindi Notes

सारांश

‘रजनी’ मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखित एक पटकथा है, जो पिछली सदी के नवें दशक का एक बहुचर्चित टी.वी. धारावाहिक रहा है| बासु चटर्जी के निर्देशन में में बने इस धारावाहिक की हर कड़ी अपने में स्वतंत्र और मुकम्मल होती थी और उन्हें आपस में गूँथनेवाली सूत्र रजनी थी| हर कड़ी में यह जुझारू और इन्साफ-पसंद स्त्री-पात्र किसी-न-किसी सामाजिक-राजनीतिक समस्या से जूझती नजर आती थी| प्रस्तुत अंश भी व्यवसाय बनती शिक्षा की समस्या की ओर हमारा ध्यान खींचता है|

पटकथा की शुरुआत लीला के घर से होती है, जो रजनी की पड़ोसन है| रजनी लीला से बाजार साथ चले को कहती है, लेकिन लीला उसे यह कहकर रोक लेती है कि उसके बेटे का रिजल्ट आने वाला है| रजनी यह सुनकर बहुत खुश होती है क्योंकि उसे पूरा विश्वास है कि परीक्षा में अमित के अच्छे अंक आएँगे| लेकिन जब अमित घर आता है तो सबको पता चला कि अमित को गणित में सिर्फ 72 अंक मिले थे| अमित ने अध्यापक के बार-बार कहने पर भी ट्यूशन नहीं ली जिसके कारण उसे कम अंक मिले थे| रजनी ने इस बात की शिकायत स्कूल के हैडमास्टर से की, लेकिन उन्होंने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और इसमें स्कूल की कोई जिम्मेदारी न बताकर इसे अध्यापक और छात्र के बीच का आपसी मामला कहकर टाल दिया| रजनी के पति को यह बात पता चली तो वह रजनी को इस मामले में न पड़ने की सलाह देता है| लेकिन रजनी किसी की नहीं सुनती|

रजनी ने इस बात की शिकायत स्कूल के शिक्षा निदेशक से की| वहाँ भी उसकी बात कोई नहीं सुनता| शिक्षा निदेशक ने रजनी से इस बात की शिकायत स्कूल के हैडमास्टर से करने की सलाह दी| इस प्रकार, वे भी इसके विरूद्ध कोई कारवाई नहीं की| आखिरकार रजनी इस समस्या को लेकर अखबार के संपादक से मिली, जहाँ उसे थोड़ी उम्मीद नजर आई| अखबारवालों के सहयोग से उसने अभिभावकों की एक मीटिंग का आयोजन किया| वहाँ उसने प्रस्ताव दिया कि अध्यापकों द्वारा जबरदस्ती ट्यूशन लिए जाने से संबंधित सख्त-से-सख्त नियम बनाए जाने चाहिए| ट्यूशन न लिए जाने पर बच्चों के अंक काटने पर अध्यापकों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी| बोर्ड रजनी के इस प्रस्ताव को मान लेता है| इस प्रकार, रजनी ने जिस उद्देश्य के साथ यह आंदोलन शुरू किया था, उसमें सफल होती है|

कथाकार-परिचय

मन्नू भंडारी

जन्म- लेखिका मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931, भानपुरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ|

प्रमुख रचनाएं- उनकी प्रमुख रचनाएँ एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, आँखों देखा झूठ (कहानी संग्रह); आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान (राजेन्द्र यादव के साथ) (उपन्यास) तथा पटकथाएँ रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण हैं|

उन्हें हिंदी अकादमी दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद् कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, और उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान द्वारा पुरस्कृत किया गया है|

मन्नू भंडारी हिंदी कहानी में उस समय सक्रिय हुईं जब नई कहानी आंदोलन अपने उठान पर था| नई कहानी आंदोलन (छठा दशक) में जो नया मोड़ आया उसमें मन्नू जी का विलय योगदान रहा| उनकी कहानियों में कहाँ पारिवारिक जीवन, कहाँ नारी-जीवन और कहाँ समाज के विभिन्न वर्ण के जीवन की विसंगतियाँ विशेष आत्मीय अंदाज में अभिव्यक्त हुई हैं| उन्होंने आक्रोश, व्यंग्य और संवेदना को मनोवैज्ञानिक रचनात्मक आधार दिया है- वह चाहे कहानी हो, उपन्यास हो या फिर पटकथा ही क्यों न हो|

कठिन शब्दों के अर्थ

• कांग्रेचुलेशंस - बघाई हो, मुबारक हो
• हाफ़-ईयरली- छमाही, अर्द्धवार्षिक
• बेगुनाह- जिसका कोई गुनाह न हो, निर्दोष
• हिकारत - उपेक्षा
• डायरेक्टर आँफ़ एजुकेशन- शिक्षा निदेशक
• रिकगनाइज़- मान्य
• रिसर्च प्रोजेक्ट- शोध परियोजना
• कंडक्ट- संचालन
• सुनतीच नई- सुनती ही नहीं
• दखलअंदाजी- हस्तक्षेप
• पैरेंट- अभिभावक
• इंपोर्टेंट मैटर्स- महत्वपूर्ण विषय
• बाकायदा- कायदे के अनुसार
• इश्यू- मुद्दा
• फ़ोकस करना- ध्यान में लाना
• एप्रूव्ड - स्वीकृत
• मोंटाज - दृश्य मीडिया (टेलीविज़न में) में जब अलग दृश्यों या छवियों को एक साथ इकट्ठा कर उसे संयोजित किया जस्ता है तो उसे मोंटाज कहते हैं|


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