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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - निर्धनता (Nirdhanta) Bhartiya Arthvyavastha Ka Vikash

1. कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए क्यों उपयुक्त नहीं है?

उत्तर

कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि:

• इस तंत्र में सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह सभी निर्धनों को एक वर्ग में मान लेता है और अति निर्धनों और अन्य निर्धनों में कोई अंतर नहीं करता| इसकी पहचान नहीं हो पाती कि सबसे अधिक सहायता की आवश्यकता किन निर्धनों को है|

• यह विधि भी मुख्यतः भोजन और कुछ चुनी हुई वस्तुओं पर आय का प्रतीक मानती है|

• यह तंत्र निर्धनता के साथ जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण कारकों पर विचार नहीं करता है| जैसे, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेय जल और स्वच्छता आदि की सुलभता|

• यह तंत्र इन सामाजिक कारकों पर भी ध्यान नहीं देता जो निर्धनता को जन्म देकर इसे निरंतर बनाए रखते हैं जैसे, निरक्षरता, अस्वस्थता, संसाधनों की अनुपलब्धता, भेदभाव या नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रताओं का अभाव|

2. ‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम का क्या अर्थ है?

उत्तर

‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम 1970 के दशक में चलाया गया था जिसका उद्देश्य निर्धनों के जीवन-स्तर को बढ़ाना है| इस गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का उद्देश्य वृद्धिशील संपत्ति के निर्माण के जरिये निर्धनों के आय तथा रोजगार में वृद्धि करना है|

3. भारत में निर्धनता से मुक्ति पाने के लिए रोजगार सृजन करने वाले कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर

भारत में निर्धनता से मुक्ति पाने के लिए रोजगार सृजन करने वाले कार्यक्रम निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं:

• यह निर्धनों को सरकार समर्थित योजनाओं के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने के अवसर प्रदान करता है|

• आय में वृद्धि निर्धनों के जीवन-स्तर को उच्च बनाए रखने में सहायता करता है तथा बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेय जल और स्वच्छता आदि की सुलभता उपलब्ध कराता है|

• अतिरिक्त परिसंपत्तियों और कार्य सृजन के साधनों के द्वारा निर्धनों के लिए आय और रोजगार को बढ़ाया जा सकता है|

4. आय अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों के सृजन से निर्धन की समस्या का समाधान किस प्रकार किस प्रकार हो सकता है?

उत्तर

आय अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों के सृजन से रोजगार के अवसर पैदा किए जाते हैं जिसके माध्यम से निर्धनों की आय में वृद्धि होती है तथा उनके जीवन-स्तर में सुधार होता है| इस प्रकार, यह निर्धन की समस्या का समाधान करता है|

5. भारत सरकार द्वारा निर्धनता पर त्रि-आयामी प्रहार निर्धनता दूर करने में सफल नहीं रहा है| चर्चा करें|

उत्तर

आर्थिक संवृद्धि, रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन पर आधारित त्रि-आयामी निति अपनाई गई थी जो निर्धनता दूर करने में सफल नहीं रहा है| यद्यपि कुछ राज्यों में पूर्ण गरीबी के प्रतिशत में कमी आई है लेकिन फिर भी निर्धनों के बुनियादी सुविधाएँ, साक्षरता और पोषण में कमी है| इसके निम्नलिखित कारण हैं:

• अमीर और गरीब किसानों के बीच भूमि और अन्य संपत्तियों का असमान वितरण|

• उपयुक्त चेतना के अभाव तथा अपर्याप्त प्रशिक्षण, तथा भ्रष्ट राजनीति द्वारा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के सही ढंग से क्रियान्वित न होने के कारण हैं|

• सशक्त वर्गों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण दुर्लभ संसाधनों का अयोग्य और त्रुटिपूर्ण आवंटन हुआ है|

6. सरकार ने बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं के सहायतार्थ कौन से कार्यक्रम अपनाए हैं?

उत्तर

केंद्र सरकार बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं के सहायतार्थ सामाजिक सहायता कार्यक्रम चला रही है| इसके अंतर्गत निराश्रित वृद्धजनों को निर्वाह के लिए पेंशन दी जाती है| अति निर्धन महिलाएँ और अकेली विधवाएँ भी इसी योजना के अंतर्गत आती हैं|

7. क्या निर्धनता और बेरोजगारी के बीच कोई संबंध है? समझाइए|

उत्तर

निर्धनता और बेरोजगारी के बीच प्रत्यक्ष संबंध है| बेरोजगारी के कारण गरीबी पैदा होती है तथा बेरोजगारी गरीबी का कारण बनती है| बेरोजगारी गरीबी का संकेत है जो भूख, अवसाद, ऋणग्रस्तता आदि की ओर ले जाता है| एक बेरोजगार व्यक्ति के पास पैसे कमाने का कोई साधन उपलब्ध नहीं होता और वो स्वयं और अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर सकता है| वह और उसका परिवार गुणवत्ता शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकता है तथा उसके पास आय-अर्जन का कोई साधन उपलब्ध नहीं होता|

8. मान लीजिए कि आप एक निर्धन परिवार से हैं और छोटी सी दुकान खोलने के लिए सरकारी सहायता पाना चाहते हैं| आप किस योजना के अंतर्गत आवेदन देंगे और क्यों?

उत्तर

एक छोटी सी दुकान खोलने के लिए सरकारी सहायता पाने के लिए मै प्रधानमंत्री की रोजगार योजना के अंतर्गत आवेदन दूँगा/दूँगी| इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कम-आय वाले परिवार के एक शिक्षित बेरोजगार को रोजगार के अवसर का लाभ मिलता है तथा किसी भी प्रकार का उद्यम स्थापित कर सकता है|

9. ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अंतर स्पष्ट करें| क्या यह कहना सही होगा कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है? अपने उत्तर के पक्ष में निर्धनता अनुपात प्रवृत्ति का प्रयोग करें|

उत्तर

ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी के बीच अंतर निर्धनता की प्रकृति है| ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन कृषक मजदूर, छोटे तथा सीमान्त किसान निर्धन होते हैं| जबकि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगार या अल्पबेरोजगार और कम मजदूरी पर रोजगार प्राप्त करने वाले निर्धन की श्रेणी में आते हैं|

वर्ष निर्धनता अनुपात

ग्रामीण(%) शहरी (%) कुल (%)
1973-74 56.4 49.0 54.9
1977-78 53.1 45.2 51.3
1983 45.6 40.8 44.5
1987-88 39.1 38.2 38.9
1993-94 37.3 32.4 36.0
1999-2000 27.1 23.6 26.1
2004-05 के साथ तुलनात्मक विवरण 1993-94  28.3 25.7 27.5
अनुमानित स्रोत: योजना आयोग के अनुमान (Uniform Reference Period)

हाँ, यह कहना सही है कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है| उपरोक्त आंकड़ों से पता चलता है कि 1973-74 में ग्रामीण गरीबी 56.4% से घटकर 2004-05 में 28.3% हो गई है जबकि शहरी गरीबी में कमी (49% से 25.7%) यह महत्वपूर्ण नहीं है| इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी गरीबी अनुपात, जो 1973-74 में लगभग 7% थी, के बीच का अंतर 2004-05 में लगभग 2% तक गिर गया, जो निर्धनता का गाँवों से शहरों की ओर परिवर्तन को दर्शाता है|

10. मान लीजिए आप किसी गाँव के निवासी हैं| अपने गाँव से निर्धनता निवारण के कुछ सुझाव दीजिए|

उत्तर

एक गाँव के निवासी होने के नाते मैं अपने गाँव से निर्धनता निवारण के निम्नलिखित सुझाव देना चाहूँगी/चाहूँगा:
• निर्धनों की पहचान|
• पहचान किए गए निर्धनों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना|
• मुफ्त शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना|
• लघु उद्योगों की स्थापना|
• आय-अर्जित परिसंपत्तियों का पुनर्वितरण|
• निर्धनों की सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहन|
• अकुशल श्रमिकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण शिविर तथा रात्रि पाठशालाएँ आयोजित करना|
• लघु उद्योगों की स्थापना के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना|
• उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि पद्धतियों का उन्नयन|
• जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपायों के प्रवर्तन|
• आधारभूत संरचनाओं का विकास|
• कौशल, सूचना और ज्ञान प्राप्त करने के लिए निर्धनों को प्रेरित करना|

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