NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 1 - फ़्रांसीसी क्रांति इतिहास (Francisi Kranti) History in Hindi Medium

पृष्ठ संख्या: 24

प्रश्न

1. फ़्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?

उत्तर

निम्नलिखित परिस्थितियों में फ़्रांस में क्रांति की शुरुआत हुई -

• सामाजिक असमानता - अठारहवीं शताब्दी में फ़्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स में बँटा था कुलीन, पादरी और तीसरा एस्टेट्स जो व्यापारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मज़दूर और नौकरों से निर्मित था। केवल तीसरे एस्टेट्स के लोग ही कर देते थे। कुलीन एवं पादरी वर्ग को राज्य को दिए जाने वाले कर से छूट थी।

• जीविका संकट - फ़्रांस की जनसंख्या सन् 1715 में 2.3 करोड़ थी जो सन् 1789 में बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई। इस कारण अनाज उत्पादन की तुलना में उसकी माँग काफ़ी तेज़ी से बढ़ी। अधिकांश लोगों के मुख्य खाद्य- पावरोटी की कीमत में तेज़ी से वृद्धि हुई मगर मज़दूरी महँगाई की दर से नहीं बढ़ रही थी, जिससे रोज़ी-रोटी का संकट पढ़िए हो गया।

• आर्थिक समस्या - लंबे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे। अपने नियमित खर्चों जैसे, सेना के रखरखाव, राजदरबार, सरकारी कार्यालयों या विश्वविद्यालयों को चलने के लिए फ़्रांसीसी सरकार करों में वृद्धि के लिए बाध्य हो गई।

• मजबूत मध्यम वर्ग - अठाहरवीं शताब्दी में मध्यम वर्ग शिक्षित और धनी हो चुका था। उनका यह मानना था समाज के किसी ख़ास तबके को जन्म के आधार पर विशेषाधिकार नहीं मिलना चाहिए। दार्शनिकों ने स्वंत्रता, समान नियमों समान अवसरों के विचार को आगे लाया। दार्शनिकों के इन विचारों की चर्चा कॉफ़ी हाउसों व सैलॉन हुई और पुस्तकों और अखबारों के माध्यम से इनका व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ।

• तत्कालिक कारण - फ़्रांसीसी सम्राट लुई ने 5 मई 1789 को नए करों के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई। तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि प्रस्ताव के विरोध में थे लेकिन प्रत्येक एस्टेट को एक वोट होने के कारण उनकी अपील ठुकरा दी गई। तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि सभा से बाहर चले गए।

2. फ़्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रांति का फ़ायदा मिला? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?

उत्तर

तीसरे एस्टेट के अमीर तबकों को फ़्रांसीसी क्रांति का फ़ायदा मिला। कुलीन और पादरी समूह को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए। समाज के गरीब समूहों तथा महिलाओं को निराशा हुई होगी।

3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ़्रांसीसी क्रांति कौन-सी विरासत छोड़ गई?

उत्तर

स्वतंत्रता और जनवादी अधिकारों के विचार फ़्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण विरासत थे। ये विचार उन्नीसवीं सदी में फ़्रांस से निकल कर बाकी यूरोप में फैले और इनके कारण वहाँ सामंती व्यवस्था का नाश हुआ। औपनिवेशिक समाजों ने संप्रभु राष्ट्र-राज्य की स्थापना के अपने आंदोलनों में दासता से मुक्ति के विचार को नई परिभाषा दी। टीपू सुल्तान और राजा राममोहन रॉय क्रांतिकारी फ़्रांस में उपजे विचारों से प्रेरणा लेने वाले ठोस उदाहरण थे।

4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ़्रांसीसी क्रांति में है।

उत्तर

• समानता का अधिकार
• स्वतंत्रता का अधिकार
• बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
• शोषण  विरुद्ध अधिकार
• न्याय का अधिकार

5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?

उत्तर

हाँ, सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे:

• 'पुरुष और नागरिक अधिकार घोषणापत्र' के कई आदर्श अस्पष्ट अर्थों से भरे पड़े थे। जैसे 'समाज के लिए किसी भी हानिकारक कृत्य पर पाबंदी लगाने का अधिकार कानून के पास है।' में किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक आरोप के बारे में कुछ नहीं कहा गया था।

• घोषणापत्र के अनुसार 'कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से इसके निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। कानून के नज़र में सभी नागरिक समान हैं।' लेकिन फ़्रांस के संवैधानिक राजतंत्र बनने के बाद, महिलाओं, पुरुष जो पर्याप्त कर देने में असमर्थ थे तथा जिनकी उम्र 25 वर्ष से छोटी थी जैसे करीब 30 लाख व्यक्तियों से वोट देने का अधिकार छीन लिया गया।

अतः इन सार्वभौमिक अधिकारों से गरीबों को दबा दिया गया। संविधान केवल अमीरों के लिए उपलब्ध रह गया। महिलाओं को इनसे कुछ हासिल नहीं हुआ।

6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?

उत्तर

1792 में फ़्रांस के गणतंत्र बनने के बाद, वहाँ के तत्कालीन शासक रोबेस्पेयर ने नियंत्रण तथा दंड की सख्त नीति अपनाई। वह खुद ही एक अनियंत्रित शासक बन चुका था। परिमाणतः अगले कुछ सालों तक आतंक का राज स्थापित हो गया। रोबेस्पेयर के शासन के खत्म होने के बाद, सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में जाने से बचाने के लिए पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका - डीरेक्ट्री को परिषद द्वारा नियुक्त किया गया। लेकिन, डीरेक्टरों का झगड़ा अक्सर विधान परिषदों से होता और तब परिषद् उन्हें बर्खास्त करने की चेष्टा करती। डीरेक्ट्री की राजनितिक अस्थिरता ने नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

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