पठन सामग्री और नोट्स (Notes)| पाठ 7 - राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ भूगोल (raashtriya arthvyavastha ki jivan rekhayein) Bhugol Class 10th

इस अध्याय में विषय

• परिचय
• परिवहन
→ स्थल परिवहन
→ रेल परिवहन
→ पाइपलाइन
→ जलपरिवहन
→ वायुपरिवहन
• संचार सेवाएँ
• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
• पर्यटन- एक व्यापार के रूप में

परिचय

• एक देश के विकास की गति वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के साथ उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन (movement) की सुविधा पर निर्भर करना पड़ता है।

• वस्तुओं तथा सेवाओं का लाना-ले जाना पृथ्वी के तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर किया जाता है:
→ स्थल
→ जल
→ वायु

• भारत में पाँच प्रकार की परिवहन व्यवस्थाएँ हैं-
→ स्थल परिवहन
→ रेल परिवहन
→ पाइपलाइन
→ जलपरिवहन
→ वायुपरिवहन

• विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास के साथ व्यापार व परिवहन के प्रभाव क्षेत्र में विस्तृत वृद्धि हुई है।

परिवहन

स्थल परिवहन 

• भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है, यह सड़क लगभग 23 लाख किमी. है।
 
• रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्न कारणों से है-
→ रेलवे लाईन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।
→ अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विछिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।
→ अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं।
→ अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
→ यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।
→ सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में भी कार्य करता है जैसे सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।

• भारत में सड़कों को छह वर्गों में वर्गीकृत किया गया है- 
 
→ स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग : भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकाता, चेन्नई-मुंबई व दिल्ली को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारंभ की है। इस महा राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है। यह राजमार्ग परियोजना- भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।

→ राष्ट्रीय राजमार्ग : ये प्राथमिक सड़क तंत्र है जिनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में है।

→ राज्य राजमार्ग : राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।

→ जिला मार्ग : ये सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। इन सड़कों की व्यवस्था जिला परिषद् का है।

→ अन्य सड़कें : इस वर्ग के अंतर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गांवों को शहरों से जोड़ती हैं।

→ सीमांत सड़कें : भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है जो देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देख-रेख करता है। यह संगठन 1960 में बनाया गया जिसका कार्य उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना था।

• सड़क निर्माण में प्रयुक्त पदार्थ के आधार पर भी सड़कों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है :
→ कच्ची सड़कें- सामान्यतः ये सड़कें कीचड़ और कंकड़ से निर्मित होती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
→ पक्की सड़कें- ये सड़कें सीमेंट, कंक्रीट व तारकोल द्वारा निर्मित होती हैं।

सड़क घनत्व

• प्रति सौ वर्ग किमी. क्षेत्र में सड़कों की लम्बाई को सड़क घनत्व कहा जाता है।

• देश में सड़कों का वितरण एक समान नहीं है, इनका घनत्व जम्मू-कश्मीर में 10 किमी. प्रति सौ वर्ग किमी. से केरल में 375 किमी. प्रति सौ वर्ग किमी. तक है।

• सड़क परिवहन की समस्याएँ:
→ लगभग आधी सड़कें कच्ची हैं तथा वर्षा ऋतु के दौरान इनका उपयोग सीमित हो जाता है।
→ राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त हैं।
→ शहरों में सड़कें अत्यंत तंग तथा भीड़ भरी हैं।
→ अधिकांश पुल व पुलिया पुराने और तंग हैं।

रेलपरिवहन

• भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है।

• रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है, जैसे- व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राएँ व लम्बी दूरी तक समान का परिवहन आदि।

• 31 मार्च 2004 के दिन भारतीय रेल परिवहन की मार्गीय लम्बाई 63,221 किमी. थी, जिस पर 7031 स्टेशन थे, तथा इसमें 7817 रेल इंजन, 5321 यात्री सेवा वाहन, 4904 अन्य कोच वाहन तथा 228,170 माल गाड़ियाँ सम्मिलित थीं। 

• भारतीय रेल परिवहन को 16 रेल प्रखंडों में पुनः संकलित किया गया है।

• देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं।

• आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में परिवहन के अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है।

• रेल परिवहन की समस्याएँ-
→ बहुत से यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं।
→ रेल सम्पत्ति की हानि तथा चोरी जैसी समस्याएँ भी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई हैं।
→ जंजीर खींचकर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाड़ी रोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है।

पाइपलाइन

• भारत के परिवहन मानचित्र पर पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है।

• इसका प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत् गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है।

• देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं-
→ ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश) तक। इसकी एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक है दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक तथा गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक है।
→ गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक। इसकी अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्य स्थानों को जोड़ती है।
→ गैस पाइपलाइन गुजरात में हजीरा को उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर में मिलाती है। यह मध्य प्रदेश के विजयपुर के रास्ते होकर जाती है। इसकी शाखाएँ राजस्थान में कोटा, तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों पर है।

जलपरिवहन

• जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
→ यह भारी व स्थूलकाय वस्तुएँ ढोने में अनुकूल है।
→ यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल है।

• भारत में अंतः स्थलीय नौचालन जलमार्ग 14,500 किमी. लम्बा है।

• निम्न जलमार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है-
→ हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1620 किमी. लम्बा है– नौगम्य जलमार्ग संख्या- 1
→ सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग- नौगम्य जलमार्ग संख्या- 2
→ केरल में पश्चिम- तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोम्मान तक, उद्योगमंडल तथा चम्पक्कारा नहरें- 205 किमी.) नौगम्य जलमार्ग संख्या- 3
→ काकीनाडा और पुदुच्चेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार (1078 किमी.)- राष्ट्रीय जलमार्ग- 4
→ मातई नदी, महानदी के डेल्टा चैनल, ब्राह्मणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ- ब्राह्मणी नदी का विशेष विस्तार- (588 किमी.)- राष्ट्रीय जलमार्ग- 5

• भारत का विदेशी व्यापार भारतीय तटों पर स्थित पत्तनों द्वारा किया जाता है।

• देश का 95 प्रतिशत व्यापार (मुद्रा रूप में 68 प्रतिशत) समुद्रों द्वारा ही होता है।

प्रमुख समुद्री पत्तन 

• भारत की 7,516.6 किमी. लंबी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 181 मध्यम व छोटे पत्तन हैं।

• ये प्रमुख पत्तन देश का 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार संचालित करते हैं।
 
• मुंबई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय है।

भारत में समुद्री पत्तन

पश्चिमी तट पर स्थित समुद्री पत्तन

• कांडला पत्तन
• मुंबई पत्तन
• जवाहरलाल नेहरू पत्तन
• मारमागाओ पत्तन
• न्यू- मैंगलोर पत्तन

पूर्वी तट पर स्थित समुद्री पत्तन

• तूतीकोरन पत्तन
• चेन्नई पत्तन
• विशाखापत्तनम पत्तन
• पाराद्वीप पत्तन
• कोलकाता पत्तन
• हल्दिया पत्तन

वायु परिवहन

• आज वायु परिवहन तीव्रतम, आरामदायक व प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है।
→ इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे- ऊँचे पर्वत, मरूस्थलों, घने जंगलों व लंबे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है।

• सन् 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया।

• व्यावहारिक तौर पर इंडियन एयर लाइन्स, एलाइंस एयर, तथा कई निजी एयरलाइन्स घरेलु विमान सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।

• पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड, तेल व प्राकृतिक गैस आयोग को इसकी अपतटीय संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्लभ भू-भागों जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश उत्तरांचल के आन्तरिक क्षेत्रों में हेलीकाप्टर सुविधाएँ उपलब्ध करवाता है।

• भारत में दो प्रकार के हवाई अड्डे हैं-
→ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
→ घरेलु हवाई अड्डा 
 
संचार सेवाएँ

• संचार के साधन दो प्रकार के होते हैं-
→ व्यक्तिगत संचार- इसमें पोस्टकार्ड्स, पत्र, तार, टेलीफोन व ईमेल शामिल हैं।
→ जनसंचार- इसमें मैगजीन, अखबार, रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस तथा सिनेमा आदि शामिल हैं।

• व्यक्तिगत लिखित संचार- भारत का डाक-संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम है।
→ प्रथम श्रेणी की डाक- कार्ड व लिफाफा बंद लिफाफा, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर वायुयानों द्वारा पहुंचाए जाते हैं।
→ द्वितीय श्रेणी की डाक में रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार तथा मैगजीन शामिल हैं।

• दूर संचार-तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है।

• जन-संचार, मानव को मनोरंजन के साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के विषय में जागरूक करता है।
→ रेडियो- आकाशवाणी(आल इंडिया रेडियो) राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विविध कार्यक्रम प्रसारित करता है।
→ टेलीविज़न- दूरदर्शन, देश का राष्ट्रीय समाचार व सन्देश माध्यम है तथा विश्व के वृहत्तम संचार- तंत्र में से एक है।
→ मैगजीन- भारत में वर्ष भर अनेक समाचार-पत्र तथा सामयिक पत्रिकाएँ प्रकाशित की जाती हैं।
→ फिल्म- भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक भी है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 

• व्यापार- राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है।

• बाजार- बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ वस्तुओं का विनिमय होता है।

• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार- दो देशों के बीच के व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
→ यह समुद्री, हवाई व स्थलीय मार्गों द्वारा हो सकता है।

• व्यापार संतुलन- किसी देश के आयात और निर्यात का अंतर ही उस देश का व्यापार संतुलन कहलाता है।
→ अनुकूल व्यापार संतुलन- अगर निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते है।
→ असंतुलित व्यापार संतुलन- इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असंतुलित व्यापार कहलाता है।

पर्यटन- एक व्यापार के रूप में

• वर्ष 2003 की अपेक्षा 2010 के दौरान, देश में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 11.8 प्रतिशत दर्ज की गई, जिससे 64,889 करोड़ विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।

• 150 लाख से भी अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न है।

पर्यटन का महत्व

• पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रश्रय देता है।

• अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है।


Previous Post Next Post