Chapter 6 गिरीधर कविराय की कुंडलिया Chapter Explanation for Class 7 Hindi NCERT मल्हार
Summary of Chapter 6 गिरीधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Hindi
गिरीधर कविराय की कुंडलिया को उनकी कुण्डलियाँ के संग्रह से लिया गया है। हमने इसका NCERT Solutions of गिरीधर कविराय की कुंडलिया भी दिया जिसको पढ़कर बच्चें अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास कर सकते हैं। गिरिधर कविराय एक प्रसिद्ध कवि थे जो अवध के समाया में जन्मे थे। उन्हें खासकर उनकी लोकप्रिय कुंडलियों के लिए याद किया जाता है। कुंडलियां एक तरह कविता की एक विशेष शैली होती है। उनकी कविताएँ इतनी आसान, प्रभावशाली और उपयोगी होती थीं कि आज भी उनकी कई पंक्तियाँ नीतिवचन की तरह बोली जाती हैं। उनकी कविताएं इतनी लोकप्रिय थीं कि लोग उन्हें कहावतों की तरह बोलते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में लाठी जैसी वस्तु का भी जिक्र किया है जो यह दिखाता है कि वे आम जीवन की चीजों को कविता में जगह देते थे।
गिरीधर कविराय की कुंडलिया कविता का सार
गिरिधर कविराय की ये दो कुंडलियाँ जीवन के लिए महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं।
पहली कुंडलिया: यह बताती है कि बिना सोचे-समझे किया गया काम अपने लिए परेशानी लाता है। लोग उसका मजाक उड़ाते हैं, और मन में बेचैनी रहती है। खाना-पीना, सम्मान और खुशियाँ भी अच्छी नहीं लगतीं। कवि कहते हैं कि जल्दबाजी में किए गए काम का पछतावा हमेशा मन में चुभता रहता है।
दूसरी कुंडलिया: यह सलाह देती है कि बीती बातों को भूल जाना चाहिए और भविष्य की चिंता करनी चाहिए। जो काम आसानी से हो सकता है, उसी पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा करने से कोई हमारा मजाक नहीं उड़ाएगा और मन में शांति रहेगी। कवि कहते हैं कि आगे की सोच और विश्वास से सुख मिलता है, और पुरानी बातों को भूल जाना ही ठीक है।
गिरीधर कविराय की कुंडलिया कविता Class 7 Hindi line by line explanation
इस पाठ में दो कुंडलियाँ दी गयी हैं। जिसमे हमने दोनों कुण्डलियाँ में आये सभी प्रसंगो की की व्याख्या की है।
पहली कुंडलिया
बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय॥
सारांश: कवि गिरिधर कविराय कहते हैं कि जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई भी कार्य करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है। ऐसे लोग अपने ही काम को बिगाड़ लेते हैं और अपने ही हाथों अपमान का कारण बनते हैं। परिणाम यह होता है कि दुनिया में उनका मजाक उड़ाया जाता है और वे सबके बीच हँसी का पात्र बन जाते हैं। इसलिए कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना जरूरी है।
जग में होत हँसाय चित में चैन न पावै।
खान पान सन्मान राग रंग मनहि न भावै॥
व्याख्या: जब लोग किसी का मजाक उड़ाते हैं तो उस व्यक्ति के मन का चैन चला जाता है। उसे मानसिक दुख होता है। फिर न अच्छा खाना अच्छा लगता है, न आदर-सम्मान की बातों में मन लगता है और न ही किसी मनोरंजन या खुशी की चीज़ में रुचि बचती है। यानी उसका पूरा जीवन दुखी और बेचैन हो जाता है।
कह गिरिधर कविराय दुःख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय माहि कियो जो बिना बिचारे॥
व्याख्या: गिरिधर कविराय कहते हैं कि बिना सोचे-समझे किए गए काम के कारण जो दुख पैदा होता है, वह जल्दी से खत्म नहीं होता। यह दुख बार-बार मन को कचोटता रहता है और व्यक्ति को अंदर ही अंदर परेशान करता है। इसीलिए हमें हर कार्य को करने से पहले भलीभांति सोच-विचार कर लेना चाहिए।
दूसरी कुंडलिया
बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ॥
व्याख्या: कवि गिरिधर कविराय यहाँ यह शिक्षा देते हैं कि जो बातें बीत गई हैं, उन्हें भुला देना चाहिए। हमें बार-बार पुराने दुख या गलती को याद करके परेशान नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। जो भी कार्य सहजता से बन जाए, उसी में मन लगाना चाहिए। पुरानी गलतियों पर पछताने के बजाय आगे बढ़ने पर ध्यान देना चाहिए।
ताही में चित देइ बात जोइ बनि आवै।
दुर्जन हँसै न कोइ चित में खता न पावै॥
व्याख्या: कवि कहते हैं कि यदि हम अपना ध्यान उन कामों पर लगाएँ जो स्वाभाविक रूप से आसानी से पूरे हो सकते हैं, तो कोई भी बुरा व्यक्ति हम पर हँस नहीं सकेगा। साथ ही, हमारे मन में भी किसी तरह की गलती का बोझ या पछतावा नहीं रहेगा। यानी सोच-समझकर आगे बढ़ने से सम्मान बना रहता है और मन में संतोष रहता है।
कह गिरिधर कविराय यहै कर मन परतीती।
आगे को सुख होइ समुझ बीती सो बीती॥
व्याख्या: कवि गिरिधर कविराय अंत में यह कहते हैं कि मन में इस बात का पक्का विश्वास रखना चाहिए कि बीती बातों को भूलकर यदि हम समझदारी से आगे बढ़ेंगे, तो भविष्य में सुख और सफलता मिलना निश्चित है। पुराने दुखों को भूलकर जो व्यक्ति आगे की सोचता है, वही जीवन में आनंद और शांति प्राप्त कर सकता है।
कविता से शिक्षा
गिरिधर कविराय की ये कुंडलियाँ सरल शब्दों में जीवन केबड़े सबक सिखाती हैं। पहली कुंडलिया हमें जल्दबाजी से बचने और सोच-समझकर काम करने की सलाह देती है, ताकि पछतावे से बचा जा सके। दूसरी कुंडलिया अतीत को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने और सरल जीवन जीने की प्रेरणा देती है। ये कविताएँ हमें सिखाती हैं कि सही निर्णय और धैर्य से जीवन में सुख और शांति पाई जा सकती है। ये कुंडलियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
शब्दार्थ
- बिना बिचारे: बिना सोचे-समझे
- पछिताय: पछताना
- काम बिगारे: काम खराब करना
- हँसाय: हँसी उड़ाना
- चित: मन
- चैन: शांति
- खान पान: खाना-पीना
- सन्मान: सम्मान
- राग रंग: खुशियाँ और मनोरंजन
- खटकत: चुभना
- जिय माहि: मन में
- बिसारि: भूल जाना
- सुधि: ख्याल, चिंता
- सहज: आसान, स्वाभाविक
- परतीती: विश्वास
- समुझ: समझना