NCERT Solutions for Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण Class 11 Biology

Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण NCERT Solutions for Class 11 Biology are prepared by our expert teachers. By studying this chapter, students will be to learn the questions answers of the chapter. They will be able to solve the exercise given in the chapter and learn the basics. It is very helpful for the examination.

एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण Class 11 Biology

प्रश्न 1. एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? कैसे और क्यों?

उत्तर

पौधे जो शुष्क ट्रॉपिकल क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होते हैं उनमें C4 पथ पाया जाता है अन्यथा C3 तथा C4 पौधों में बाह्य आकारिकी लगभग समान होती है।

 

प्रश्न 2. एक पौधे की आन्तरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? वर्णन कीजिए।

उत्तर

पत्तियों की आन्तरिक संरचना (vertical section) को देखकर C3 तथा C4 पौधों को पहचाना जा सकता है। C4 पौधों की पत्तियों की शारीरिकी (anatomy) क्रान्ज प्रकार (Kranz type) की होती है। जर्मन भाषा में क्रान्ज शब्द का तात्पर्य माला (wreath) या छल्ला (ring ) है । पत्तियों के पर्णमध्योतक (mesophyll) में खम्भ ऊतक (palisade tissue) नहीं होता। संवहन बण्डल के चारों ओर गोल मृदूतक कोशिकाएँ पर्तों के रूप में व्यवस्थित होती हैं। पत्तियों के संवहन बण्डल के चारों ओर पूलाच्छद (bundle sheath) होता है। ये कोशिकाएँ बड़ी होती हैं। पूलाच्छद की कोशिकाओं में हरितलवक बड़े होते हैं तथा उनमें ग्रैना कम विकसित होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं, जबकि पूर्ण मध्योतक कोशिकाओं में हरितलवक छोटे होते हैं। इनमें ग्रैना विकसित होते हैं। अत: C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरितलवक (dimorphic chloroplast) पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में वर्णक तन्त्र II का अभाव होता है।

C3 पौधों की पत्तियों की शारीरिकी (anatomy) क्रान्ज प्रकार की नहीं होती। इसकी पत्तियों में पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक पाया जाता है। सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरितलवक पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण तन्त्र में दोनों वर्णक तन्त्र पाए जाते हैं।


प्रश्न 3. हालांकि C4 पौधों में बहुत कम कोशिकाएँ जैव संश्लेषण- केल्विन पथ को वहन करती हैं, फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हो कि ऐसा क्यों है?

उत्तर

C4 पौधों में दो प्रकार के क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। मीसोफिल का क्लोरोप्लास्ट CO2 वातावरण से लेता है। यह बहुत कम CO2 सान्द्रता को भी आसानी से अवशोषित कर सकता है। यहाँ तक कि जब रन्ध्र लगभग बन्द होते हैं तब भी CO2 का अवशोषण कर सकता है। अत: CO2 की आवश्यकता निरन्तर बनी रहती है, अतः इसलिए इनकी उत्पादकता उच्च होती है।


प्रश्न 4. रुबिस्को (RUBISCO) एक एन्जाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजिनेस के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 पौधों में रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है?

उत्तर

कैल्विन चक्र (Calvin Cycle) में CO2 ग्राही RuBP से क्रिया करके 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के 2 अणु बनाता है। यह क्रिया रुबिस्को (RUBISCO) के द्वारा उत्प्रेरित होती है।

RuBP + CO2 + H2O → 2 (3PGA)

रुबिस्को संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन (एन्जाइम) है। यह O2 तथा CO2 दोनों से बन्धित हो सकता है। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिए अधिक बन्धुता होती हैं, लेकिन आबन्धता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है।

C3 पौधों में कुछ O2 रुबिस्को से बन्धित हो जाने के कारण CO2 का यौगिकीकरण कम हो जाता है; क्योंकि रुबिस्को O2 से बन्धित होकर फॉस्फो ग्लाइकोलेट अणु बनाता है। इस प्रक्रम को प्रकाश श्वसन (photorespiration) कहते हैं। प्रकाश श्वसन के कारण शर्करा नहीं बनती और न ही ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है।

C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता। C4 पौधों में पर्णमध्योतक का मैलिक अम्ल पूलाच्छद में टूटकर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 बनाता है। इसके फलस्वरूप CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलेस (carboxylase) के रूप में ही कार्य करता है। इसके फलस्वरूप उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेस (oxygenase) का कार्य नहीं करता ।


प्रश्न 5. मान लीजिए यहाँ पर क्लोरोफिल 'बी' की उच्च सान्द्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल 'ए' की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे? तब पौधों में क्लोरोफिल 'बी' क्यों होता है और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है?

उत्तर

क्लोरोफिल 'बी', जैन्थोफिल तथा कैरोटिन सहायक वर्णक (accessory pigments) होते हैं। ये प्रकाश को अवशोषित करके, ऊर्जा को क्लोरोफिल 'ए' को स्थानान्तरित कर देते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंग दैर्ध्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं और क्लोरोफिल 'ए' को फोटो ऑक्सीडेशन (photo oxidation) से बचाते हैं। क्लोरोफिल 'ए' प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल 'ए' की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा।

 

प्रश्न 6. यदि पत्ती को अँधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा पीला हो जाता है ? कौन-से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थायी हैं?

उत्तर

पौधे के हरे भागों में हरितलवक पाया जाता है। हरितलवक की उपस्थिति में पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण करते हैं। पौधे के अप्रकाशिक भागों में अवर्णीलवक पाया जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में अवर्णीलवक हरितलवक में बदल जाता है।

हरितलवक की ग्रैना पटलिकाओं में पर्णहरित, कैरोटिनॉयड्स (carotenoids) पाए जाते हैं। कैरोटिनॉयड्स दो प्रकार के होते हैं - जैन्थोफिल (xanthophyll) तथा कैरोटिन (carotene) । ये क्रमशः पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक होती है। प्रकाश का अवशोषण या प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने का कार्य मुख्य रूप से पर्णहरित करता है।

पौधे को अन्धकार में रख देने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया अवरुद्ध हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं तो इसके फलस्वरूप पत्तियों में पाए जाने वाले पर्णहरित का विघटन प्रारम्भ हो जाता है। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ कैरोटिनॉयड्स के कारण पीली या हरी-पीली दिखाई देने लगती हैं। कैरोटिनॉयड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।

 

प्रश्न 7. एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन-सा गहरे रंग का होता है और क्यों?

उत्तर

जब हम पत्ती की पृष्ठ सतह को देखते हैं तो यह अधर तल की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली दिखाई देती है। इसी प्रकार धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ छाया में रखे हुए गमले की पत्तियों की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली प्रतीत होती हैं। इसका कारण यह है कि पृष्ठ तल पर अधिचर्म (epidermis ) के नीचे खम्भ ऊतक (palisade tissue) पाया जाता है। खम्भ ऊतक में हरितलवक अधिक मात्रा में पाया जाता है। खम्भ ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिए विशिष्टीकृत कोशिकाएँ होती हैं।

धूप में रखे गमले की पत्तियाँ छाया में रखे गमले की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं। पत्तियों के अधिक गहरे रंग का होने का मुख्य कारण कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा अधिक होती है; क्योंकि पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण के कारण पृष्ठ सतह की कोशिकाओं में अधिक स्टार्च का निर्माण होता है।

 

प्रश्न 8. प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है?

(ब) 'क' बिन्दु पर नियामक कारक कौन से हैं?

(स) वक्र में 'ग' और 'घ' क्या निरूपित करता है?

उत्तर

(अ) प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक कारक नहीं होता; क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक 'क' बिन्दु पर होता है।

(ब) प्रकाश ।

(स) वक्र में 'ग' बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश तीव्रता बढ़ने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती। 'घ' बिन्दु यह निरूपित करता है कि प्रकाश तीव्रता इस बिन्दु पर सीमाकारक हो सकता है।

 

प्रश्न 9. निम्नलिखित में तुलना कीजिए-

(अ) C3 एवं C4 पथ,

(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन,

(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी ।

उत्तर

(अ) C3 तथा C4 पथ में अन्तर

C3 पथ

C4 पथ

CO2 का स्थिरीकरण एक बार होता है।

CO2 का स्थिरीकरण दो बार होता है। पर्णमध्योतक तथा पूलाच्छद कोशिकाओं में क्रमश: ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल तथा 3 -फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल बनता है।

CO2 ग्राही का कार्य RuBP करता है।

इसमें PEP (फॉस्फोइनो लपाइरुविक अम्ल) CO2 ग्राही का कार्य करता है।

CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम पदार्थ 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल होता है। यह 3-कार्बन यौगिक है।

CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम पदार्थ ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल होता है। यह 4-कार्बन यौगिक है।

ये वायुमण्डल से अपेक्षाकृत कम CO2 ग्रहण करते हैं।

ये वायुमण्डल से अधिक CO2 ग्रहण करते हैं।

सन्तुलन तीव्रता बिन्दु (compensation point) CO2 की अधिक सान्द्रता (50-100 ppm) पर होता है।

सन्तुलन तीव्रता बिन्दु CO2 की कम सान्द्रता (0-10 ppm) पर होता है।

इसके लिए उपयुक्त ताप 20-25°C होता है।

इसके लिए उपयुक्त ताप 30-45°C होता है।

इनमें प्रकाश श्वसन (photo respiration) होता है और फॉस्फोग्लाइकोलेट बनता है।

इनमें प्रकाश श्वसन नहीं होता।

O2 प्रकाश संश्लेषण के लिए अवरोधक का कार्य करता है (फॉस्फोग्लाइकोलेट बनने के कारण)।

O2 का प्रकाश संश्लेषण पर अवरोधक प्रभाव नहीं होता (प्रकाश श्वसन के न होने से)।

इसमें एन्जाइम रुबिस्को (RUBISCO) होता है।

इसमें एन्जाइम पेप कार्बोक्सिलेस (PEP carboxylase) होता है।

उत्पादकता (Productivity) कम होती है।

उत्पादकता अधिक होती है।

उदाहरण- आलू टमाटर।

उदाहरण- मक्का, घास, चौलाई (Amaranthus) आदि।

 

(ब) चक्रीय तथा अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन में अन्तर

चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन

अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन

ऑक्सीजन का उत्सर्जन नहीं होता।

ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है।

जल का उपयोग (जल विघटन) नहीं होता।

जल का उपयोग (जल विघटन) होता है।

इसमें केवल प्रकाश प्रक्रम प्रथम (photo act I) ही होता है।

इसमें प्रकाश प्रक्रम प्रथम तथा द्वितीय (photo act I and photo act II) दोनों होते हैं।

NADP. H2 का निर्माण नहीं होता। केवल ATP का ही निर्माण होता है।

NADP. H2 तथा ATP का संश्लेषण होता है।

P700 अन्तिम इलैक्ट्रॉनग्राही होता है।

NADP अन्तिम इलेक्ट्रॉनग्राही होता है।

फेरीडॉक्सिन से इलेक्ट्रॉन के सायटोक्रोम b6 से सायटोक्रोम-7 पर आने से ऊर्जा मुक्त ATP में संचित होती है।

प्लास्टो क्विनोन से इलेक्ट्रॉन के सायटोक्रोम b6 और b6 से सायटोक्रोम-f पर आने से मुक्त ऊर्जा ATP में संचित होती है।

उत्तेजित होकर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने वाला वर्णक P700 प्रकार का क्लोरोफिल 'ए' होता है।

उत्तेजित होकर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने वाला वर्णक P673 प्रकार का क्लोरोफिल 'ए' होता है।

 

(स) C3 तथा C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी में अन्तर

C3 पौधों की पत्ती की शारीरिकी

C4 पौधों की पत्ती की शारीरिकी

C3 पौधे सभी प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं।

C4 पौधे उष्ण कटिबन्धी (tropical) तथा उपोष्ण कटिबन्धी (subtropical) जलवायु में पाए जाते हैं।

पत्तियों में क्रान्ज शारीरिकी (Kranz anatomy) नहीं पाई जाती।

पत्तियों में क्रान्ज शारीरिकी पाई जाती है।

पर्णमध्योतक सामान्यतया खम्भ ऊतक (palisade tissue) तथा स्पंजी मृदूतक में भिन्नित होता है।

पर्णमध्योतक सामान्यतया भिन्नित नहीं होता।

संवहन बण्डल चारों ओर से हरितलवक रहित मृदूतकीय पूलाच्छद से घिरा होता है।

संवहन बण्डल चारों ओर से हरितलवक युक्त मृदूतकीय पूलाच्छद से घिरा होता है।

हरितलवक एक ही प्रकार (monomorphic) के होते हैं। छोटे मैना तथा स्पष्ट स्ट्रोमा दोनों प्रकार के वर्णक तन्त्र (I+II) उपस्थित होते हैं।

हरितलवक दो प्रकार के (dimorphic) होते हैं-पर्णमध्योतक की कोशिकाओं में सामान्य हरितलवक (C3 पौधों के समान), किन्तु पूलाच्छद कोशिकाओं में बड़े आकार के ग्रैना-विहीन हरितलवक पाए जाते हैं।


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