NCERT Solutions for Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण Class 11 Biology

Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण NCERT Solutions for Class 11 Biology are prepared by our expert teachers. By studying this chapter, students will be to learn the questions answers of the chapter. They will be able to solve the exercise given in the chapter and learn the basics. It is very helpful for the examination.

एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण Class 11 Biology

प्रश्न 1. निम्न में से सही उत्तर छाँटें-


(क) आमाशय रस में होता है-

(a) पेप्सिन, लाइपेज और रेनिन

(b) ट्रिप्सिन, लाइपेज और रेनिन

(c) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और लाइपेज

(d) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और रेनिन

उत्तर

 (a) पेप्सिन, लाइपेज और रेनिन

 

(ख) सक्कस एंटेरिकस नाम दिया गया है-

(a) क्षुद्रांत्र (ileum) और बड़ी आँत के संधि स्थल के लिए

(b) आंत्रिक रस के लिए

(c) आहारनाल में सूजन के लिए

(d) परिशेषिका (appendix) के लिए

उत्तर

(b) आंत्रिक रस के लिए

 

प्रश्न 2. स्तम्भ-I का स्तम्भ-II से मिलान कीजिए-

स्तम्भ-I

स्तम्भ-II

(a) बिलिरुबिन व बिलिवर्डिन

(i) पैरोटिड

(b) मंड (स्टार्च) का जल अपघटन

(ii) पित्त

(c) वसा का पाचन

(iii) लाइपेज

(d) लार ग्रन्थि

(iv) एमाइलेज

उत्तर

स्तम्भ-I

स्तम्भ-II

(a) बिलिरुबिन व बिलिवर्डिन

(ii) पित्त

(b) मंड (स्टार्च) का जल अपघटन

(iv) एमाइलेज

(c) वसा का पाचन

(iii) लाइपेज

(d) लार ग्रन्थि

(i) पैरोटिड

 

प्रश्न 3. संक्षेप में उत्तर दें-

(क) अंकुर (viii) छोटी आँत में होते हैं, आमाशय में क्यों नहीं?

उत्तर

क्योंकि अंकुरों में रक्त केशिकाएँ होती हैं तथा एक बड़ी लसीका वाहिनी लेक्टिअल होती है। अवशोषण की क्रिया आँत में ही होती है।

 

(ख) पेप्सिनोजन अपने सक्रिय रूप मे कैसे परिवर्तित होता है?

उत्तर

पेप्सिनोजन एक प्रोएन्जाइम है जो HCl के साथ क्रिया करके सक्रिय पेप्सिन में परिवर्तित होता है।

 

(ग) आहारनाल की दीवार के मूल स्तर क्या हैं?

उत्तर

आहारनाल की भित्ति में निम्न स्तर होते हैं-

  1. सीरोसा
  2. मस्कुलेरिस
  3. सबम्यूकोसा
  4. म्यूकोसा

 

(घ) वसा के पाचन में पित्त कैसे मदद करता है?

उत्तर

पित्त वसा का इमल्सीकरण कर देता है। यह लाइपेज को सक्रिय करता है जो वसा का पाचन पित्त की सहायता से करता है वसा डाइ तथा मोनोग्लिसेराइड में टूटता है।

 

प्रश्न 4. प्रोटीन के पाचन में अग्न्याशयी रस की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

अग्न्याशय रस (Pancreatic Juice): यह क्षारीय होता है। इसमें लगभग 98% पानी, शेष लवण तथा अनेक प्रकार के एन्जाइम्स पाए जाते हैं। इसका pH मान 75-83 होता है। इसे पूर्ण पाचक रस कहते हैं; क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा प्रोटीन को पचाने वाले एन्जाइम्स पाए जाते हैं। प्रोटीन पाचक एन्जाइम्स निम्नलिखित होते हैं-

ट्रिप्सिन तथा काइमोट्रिप्सिन (Trypsin and Chymotrypsin): ये निष्क्रिय ट्रिप्सिनोजन तथा काइमोट्रिप्सिनोजन के रूप में स्त्रावित होते हैं। ये आन्त्रीय रस एवं एण्टेरोकाइनेज एन्जाइम के कारण सक्रिय अवस्था में बदल जाते हैं। ये प्रोटीन का पाचन करके मध्यक्रम की प्रोटीन्स तथा ऐमीनो अम्ल बनाते हैं।


प्रश्न 5. आमाशय में प्रोटीन के पाचन की क्रिया का वर्णन कीजिए।

उत्तर

आमाशय की जठर ग्रन्थियों से जठर रस स्त्रावित होता है । यह अम्लीय (pH 0.9 - 3.5) होता है। इसमें 99% जल, 0-5% HCl तथा शेष एन्जाइम्स होते हैं। इसमें प्रोपेप्सिन, प्रोरेनिन तथा गैस्ट्रिक लाइपेज एन्जाइम होते हैं। प्रोपेप्सिन तथा प्रोरेनिन एन्जाइम HCl की उपस्थिति में सक्रिय पेप्सिन (pepsin) तथा रेनिन (rennin) में बदल जाते हैं। ये प्रोटीन तथा केसीन (दूध प्रोटीन) का पाचन करते हैं।


प्रश्न 6. मनुष्य का दंत सूत्र बताइए।

उत्तर

2123/2123 × 2

 

प्रश्न 7. पित्त रस में कोई पाचक एन्जाइम नहीं होते, फिर भी यह पाचन के लिए महत्त्वपूर्ण है; क्यों?

उत्तर

पित्त (Bile): पित्त का स्रावण यकृत से होता है। इसमें कोई एन्जाइम नहीं होता। इसमें अकार्बनिक तथा कार्बनिक लवण, पित्त वर्णक, कोलेस्टेरॉल, लेसीथिन आदि होते हैं।

  1. यह आमाशय से आई अम्लीय लुगदी (chyme) को पतली क्षारीय काइल (chyle) में बदलता है जिससे अग्न्याशयी एन्जाइम भोजन का पाचन कर सकें।
  2. यह वसा का इमल्सीकरण (emulsification) करता है। इमल्सीकृत वसा का लाइपेज एन्जाइम द्वारा सुगमता से पाचन हो जाता है।
  3. कार्बनिक लवण वसा के पाचन में सहायता करते हैं।
  4. हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके भोजन को सड़ने से बचाता है।

 

प्रश्न 8. पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका वर्णित करें। जिस ग्रन्थि से यह स्रावित होता है, इसी श्रेणी के दो अन्य एंजाइम कौन से हैं?

उत्तर

काइमोट्रिप्सिन (Chymotrypsin): अग्न्याशय से स्रावित प्रोटीन पाचक एन्जाइम है। यह निष्क्रिय अवस्था काइमोट्रिप्सिनोजन (chymotrypsinogen) के रूप में स्रावित होता है। यह आन्त्रीय रस में उपस्थित एण्टेरोकाइनेज (enterokinase) एन्जाइम की उपस्थिति में सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में बदलता है।

यह प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड तथा पेप्टोन (polypeptides and peptones) में बदलता है।

अग्न्याशय से स्त्रावित अन्य प्रोटीन पाचक एन्जाइम निम्नलिखित हैं-

  1. ट्रिप्सिनोजन (Trypsinogen)
  2. कार्बोक्सिपेप्टिडेज (Carboxypeptidase)

 

प्रश्न 9. पॉलीसेकेराइड तथा डाइसैकेराइड का पाचन कैसे होता है?

उत्तर

कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन मुखगुहा से ही प्रारम्भ हो जाता है। भोजन में लार मिलती है। लार का pH मान 6-8 होता है। यह भोजन को चिकना तथा निगलने योग्य बनाती है। लार में टायलिन (ptyalin) एन्जाइम होता है। यह स्टार्च (पॉलीसैकेराइड) को डाइसैकेराइड (माल्टोस) में बदलता है।

आमाशय में कार्बोहाइड्रेट का पाचन नहीं होता। अग्न्याशय रस में ऐमाइलेज (amylase) एन्जाइम होता है। यह स्टार्च या पॉलीसेकेराइड्स को डाइसैकेराइड्स में बदलता है।

क्षुदांत्र (छोटी आंत) में आंत्रीय रस में पाए जाने वाले कार्बोहायड्रेट पाचक के निम्नलिखित प्रकार इसके पाचन में सहायक होते हैं :

(माल्टोस, लैक्टोस तथा सुक्रोस डाइसैकेराइड्स हैं।)

 

प्रश्न 10. यदि आमाशय में HCl का स्राव नहीं होगा तो क्या होगा?

उत्तर

यदि आमाशय में HCl का स्राव नहीं होगा तो पेप्सिनोजन सक्रिय पेप्सिन में परिवर्तित नहीं होगा तथा पेप्सिन को कार्य करने के लिए अम्लीय माध्यम नहीं मिलेगा। HCl भोज्य पदार्थों के रेशेदार पदार्थों को गलाता है व जीवाणु आदि को भी मारता है।


प्रश्न 11. आपके द्वारा खाए गए मक्खन का पाचन और उसका शरीर में अवशोषण कैसे होता है? विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर

मक्खन वसा है और इसका पाचन ड्यूडिनम में पित्तरस की सहायता से होता है। वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल अघुलनशील होते हैं अतः रक्त में अवशोषित नहीं किए जा सकते हैं। ये आंत्रीय म्यूकोसा में छोटी गुलिकाओं के रूप में जाते हैं। उसके पश्चात् उस पर प्रोटीन कवच चढ़ जाता है और इन गुलिकाओं को काइलोमाइक्रस (chylomicrous) कहते हैं। इनका संवहन रसांकुर में उपस्थित लिम्फ वाहिका (lacteal) में होता है। लिम्फ वाहिकाओं से ये रक्त द्वारा अवशोषित हो जाता है।

 

प्रश्न 12. आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन के पाचन के मुख्य चरणों का विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर

सर्वप्रथम प्रोटीन का पाचन आमाशय में दो प्रोटियोलिटिक विकरों के द्वारा होता है-

  1. पेप्सिन - आमाशय द्वारा स्त्रावित
  2. ट्रिप्सिन - अग्न्याशय द्वारा स्रावित

आमाशय में प्रोटीन का पाचन: पेप्सिन अम्लीय माध्यम (pH 1.8) में सक्रिय होता है। रेनिन केवल छोटे बच्चों के आमाशय में दूध से प्रोटीन को पचाने के लिए मिलता है।

क्षुद्रांत्र में प्रोटीन का पाचन: अग्न्याशय रस में ट्रिप्सिनोजन मिलता है जो एन्टेरोकाइनेज के द्वारा सक्रिय ट्रिप्सिन में परिवर्तित होता है। ट्रिप्सिन क्षारीय माध्यम में सक्रिय होता है।


प्रश्न 13. गर्तदंती (thecodont) तथा द्विबारदंती (diphyodont) शब्दों की व्याख्या करें।

उत्तर

जबड़े के गड्ढे में धँसे दाँत को गर्तदंती (thecodont) कहते हैं।

द्विबरदंती का अर्थ है दाँत का दो बार आना - प्रथम दाँत अस्थाई होते हैं इन्हें क्षीर दंत भी कहते हैं जो 14 वर्ष की अवस्था तक टूट जाते हैं। इनके स्थान पर दूसरी बार स्थाई दाँत आते हैं।

 

प्रश्न 14. विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम और एक वयस्क मनुष्य में दाँतों की संख्या बताइए।

उत्तर

वयस्क मनुष्य में 32 दाँत होते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं-

  1. कृंतक (Incisor) – इनकी संख्या 2 होती है।
  2. रदनक (Canine) – इनकी संख्या 1 होती है। 3. अग्र चवर्णक (Premolar ) - इनकी संख्या 2 होती है।
  3. चवर्णक (Molar) – इनकी संख्या 3 होती है ।

इस प्रकार एक जबड़े में 16 दाँत होते हैं और इस प्रकार मुख में 32 दाँत होते हैं।

 

प्रश्न 15. यकृत के क्या कार्य हैं?

उत्तर

यकृत के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. यकृत से पित्त रस स्रावित होता है। इसमें अकार्बनिक तथा कार्बनिक लवण; जैसे- सोडियम क्लोराइड, सोडियम बाइकार्बोनेट, सोडियम ग्लाइकोकोलेट, सोडियम टॉरोकोलेट आदि पाये जाते हैं। ये कोलेस्टेरॉल (cholesterol) को घुलनशील बनाए रखते हैं।
  2. पित्तरस में हीमोग्लोबिन (haemoglobin) के विखण्डन से बने पित्त वर्णक (bile pigments) पाए जाते हैं; जैसे- बिलिरुबिन (bilirubin) तथा बिलिवर्डिन (biliverdin) । यकृत कोशिकाएँ रुधिर से जब बिलिरुबिन को ग्रहण नहीं कर पातीं तो यह शरीर में एकत्र होने लगता है इससे पीलिया (jaundice) रोग हो जाता है।
  3. पित्त रस आन्त्रीय क्रमाकुंचन गतियों को बढ़ाता है ताकि पाचक रस काइम में भली प्रकार मिल जाए।
  4. पित्त रस काइम के अम्लीय प्रभाव को समाप्त करके काइल (chyle) को क्षारीय बनाता है जिससे अग्न्याशयी तथा आन्त्रीय रसों की भोजन पर प्रतिक्रिया हो सके।
  5. पित्त लवण काइम के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके काइम को सड़ने से बचाते हैं।
  6. पित्त रस के कार्बनिक लवण वसाओं के धरातल तनाव (surface tension) को कम करके इन्हें सूक्ष्म बिन्दुकों में तोड़ देते हैं। ये जल के साथ मिलकर इमल्सन या पायस बना लेते हैं। इस क्रिया को इमल्सीकरण (emulsification) कहते हैं।
  7. पित्त लवणों के कारण वसा पाचक एन्जाइम सक्रिय होते हैं।
  8. वसा में घुलनशील विटामिनों (A, D, E एवं K) के अवशोषण के लिए पित्त लवण आवश्यक होते हैं।
  9. पित्त के द्वारा विषाक्त पदार्थ, अनावश्यक कोलेस्टेरॉल आदि का परित्याग किया जाता है।
  10. यकृत में विषैले पदार्थों का विषहरण (detoxification) होता है।
  11. यकृत में मृत लाल रुधिराणुओं का विघटन होता है।
  12. यकृत अमोनिया को यूरिया में बदलता है ।
  13. यकृत कोशिकाएँ हिपैरिन (heparin) का स्रावण करती हैं। यह रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का बनने से रोकता है।
  14. यकृत में प्लाज्मा प्रोटीन्स; जैसे- ऐल्बूमिन, ग्लोबुलिन, प्रोथ्रॉम्बिन, फाइब्रिनोजन आदि का संश्लेषण होता है। फाइब्रिनोजन (fibrinogen) रक्त का थक्का बनने में सहायक होता है।
  15. यकृत आवश्यकता से अधिक ग्लूकोस को ग्लाइकोजन में बदल कर संचित करता है।
  16. आवश्यकता पड़ने पर यकृत प्रोटीन्स व वसा से ग्लूकोस का निर्माण करता है।
  17. यकृत कोशिकाएँ विटामिन A, D, लौह, ताँबा आदि का संचय करती हैं।
  18. यकृत की कुफ्फर कोशिकाएँ जीवाणु तथा हानिकारक पदार्थों का भक्षण करके शरीर की सुरक्षा करती हैं।
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