Notes for Chapter 3 मुद्रा और साख (Mudra aur Saakh) Class 10 Economics Hindi Medium

Notes for Chapter 3 मुद्रा और साख (Mudra aur Saakh) Class 10 Economics Hindi Medium

मुद्रा और साख नोट्स Class 10 अर्थशास्त्र 

मुद्रा और साख Notes Class 10 Economics in Short

वस्तु विनियम प्रणाली: इस प्रणाली में मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का लेन देन होता है।

आवश्यकताओं का दोहरा संयोग: विनियम में दोनो पक्ष एक दूसरे से चीज खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हो। वस्तु विनियम प्रणाली में आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना आवश्यक है।

विनियम का माध्यम: मुद्रा विनियम प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है। इसे विनियम का माध्यम कहा जाता है। किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती है।

मुद्रा का प्रयोगः

  • मुद्रा का प्रयोग ने एक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है।
  • मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्राप्त करने में भी किया जा सकता है जैसे वकील से परामर्श लेने में या डॉक्टर की सलाह लेने में आदि।
  • मुद्रा की सहायता से कोई भी अपनी चीजें बेच भी सकता है और हमने एक दूसरी चीजें खरीद भी सकता है।

इसी प्रकार में मुद्रा से सेवाओं का भी लेनदेन कर सकता है मुद्रा में भुगतान करने में बड़ी आसानी रहती है।

लोग बैंकों में अतिरिक्त नकद अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते है। खातों में जमा धन की मांग जरिए निकाला जा सकता है जिसे मांग जमा कहाँ जाता है।

चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।

बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ:

  • भारत में बैंक जमा का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखते है। इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है।
  • बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते है।
  • ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

ऋण की शर्ते:

  • ब्याज की दर
  • समर्थक ऋणाधार
  • आवश्यक कागजात
  • भुगतान के तरीके

विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की शर्ते अलग-अलग है।

भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख: बैंक और सहकारी समितियों से लिए कर्ज औपचारिक क्षेत्रक ऋण कहलाते है।

भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य:

  • केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेंसी और नोट जारी करता है।
  • देखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए है।
  • समय-समय पर बैंकों से यह जानकारी लेता है कि कितना और किनको, किस ब्याज दर पर ऋण दे रहा है।

अनौपचारिक क्षेत्रक में साख:

  • साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि ऋण उपलब्ध कराते है।
  • ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।
  • ऋणदाता ऐच्छिक दरों पर ऋण देते है।
  • नाजायज तरीकों से अपना ऋण वापिस लेते है।


मुद्रा और साख Class 10 अर्थव्यवस्था की समझ Notes

दैनिक जीवन में मुद्रा विनिमय का माध्यम

  • वर्तमान में मुद्रा हमारे जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
  • आज मुद्रा के बदले सिर्फ वस्तुएँ ही नहीं बल्कि सेवाएँ भी प्रदान की जा रही हैं।
  • वर्तमान में विनिमय का माध्यम मुद्रा है इसलिए जिस व्यक्ति के पास मुद्रा होगी वही वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीद सकता है।
  • आज हर कोई अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए मुद्रा पर निर्भर है। अगर एक फल बेचने वाले को आटा खरीदना है, तो उसे फल बेचकर मुद्रा प्राप्त करनी होगी, तभी वह उन पैसों से आटा खरीद पाएगा।
  • वर्तमान में वस्तु विनिमय अपनी कठिनाइयों के कारण ग्रामीण इलाकों में भी समाप्ति के कगार पर है। अब अधिकतर इलाकों में मुद्रा के बदले ही वस्तुएँ प्राप्त की जाती हैं।
  • वस्तु विनिमय में आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होता है।
  • मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग को समाप्त करती है।
  • मुद्रा विनिमय का एक सरल माध्यम है। इसमें किसी चीज को प्राप्त करने के लिए वस्तु विनिमय जैसी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है।

मुद्रा के आधुनिक दो रूप

मुद्रा के आधुनिक दो रूप निम्नलिखित हैं:

1. करेंसी:

  • सिक्कों के चलन से पहले अनाज एवं पशु का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था। उसके बाद सोने-चाँदी के सिक्कों का उपयोग पिछली सदी तक किया गया।
  • वर्तमान में मुद्रा के रूप में करेंसी-कागज के नोट एवं सिक्के शामिल हैं।
  • आज की मुद्रा कीमती धातुओं जैसे सोने, चाँदी से नहीं बनी होती है।
  • आधुनिक मुद्रा को विनिमय का माध्यम इसलिए बनाया गया है क्योंकि देश की सरकार इसे अधिकार देती है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।
  • भारत में किसी व्यक्ति या समूह द्वारा मुद्रा जारी करना कानूनन अपराध है।
  • किसी वस्तु के बदले में रुपयों का भुगतान करना आवश्यक है इसलिए व्यापार के लिए रुपया को विनिमय का माध्यम माना गया है।

2. बैंकों में निक्षेप:

  • बहुत से लोग मुद्रा बैंकों में जमा के रूप में रखते हैं।
  • जमा धन को लोग आवश्यकता अनुसार माँग के लिए निकाल सकते हैं।
  • उपरोक्त कारण से ही जमा धन को माँग जमा भी कहा जाता है।
  • माँग जमा लेन-देन की सुविधा को और भी आसान बना देता है।
  • आज जमा धन की वजह से नगद की जगह चैक के द्वारा भी एक निश्चित रकम का भुगतान किया जा सकता है।
  • चैक एक कागज होता है जो उस पर लिखे नाम के व्यक्ति को किसी व्यक्ति के खाते से लिखी हुई रकम अदा करने का आदेश देता है।
  • चैक सुविधा से नगद का उपयोग किए बिना सीधे भुगतान किया जा समता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था में इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

बैंक एवं ऋण से जुड़ी गतिविधियाँ

  • बैंक जमा का 15% हिस्सा अपने पास नगद के रूप में रखती है, जिसका उयोग जमाकर्ताओं द्वारा किया जाता है।
  • बैंक जमा राशि के एक बड़े हिस्से का उपयोग लोगों को अनेक आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण देने के लिए करते हैं।
  • जमा किए हुए पैसों से लोगों की ऋण-जरूरतों को पूरा किया जाता है।
  • बैंक जमाकर्ता व कर्जदाता के बीच मध्यस्थता स्थापित करने का कार्य करता है।
  • जमा पर जितना ब्याज दिया जाता है उससे अधिक ऋण पर ब्याज लिया जाता है।
  • ऋण (उधार) पर लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का मुख्य आधार होता है।

साख की दो स्थितियाँ

  • ऋण की मदद से व्यक्ति उत्पादन के खर्चों व उत्पादन प्रक्रिया को समय पर पूरा कर सकता है।
  • ऋण एक तरह से लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका निभाता है।
  • साख की माँग मुख्य रूप से किसानों द्वारा खेती करने के लिए ली जाती है।
  • किसानों की फसल जब तैयार हो जाती तब वो उसे बेचकर कमाई हुई रकम में से उधार वापस कर देते हैं।
  • कभी-कभी फसल खराब होने के कारण किसान कर्ज-जाल में फंस जाते हैं। इस जाल से बचने के लिए किसानों को कभी-कभी अपनी भूमि का टुकड़ा बेचना पड़ता है।

ऋण से जुड़ी सभी शर्तें

  • निश्चित ब्याज दर को कर्जदार ली हुई रकम के साथ लौटाता है।
  • उधारदाता गिरवी रखने के लिए भूमि, इमारत, बहुमूल्य चीजें, गाड़ी, पशु आदि की माँग करते हैं और जब कर्जदार उधार नहीं चुकाते तब उधारदाता गिरवी रखी चीज (ऋणाधार) पर अपना अधिकार कर लेते हैं।
  • ब्याज दर, ऋणाधार, जरूरी कागजात एवं भुगतान के तरीके ये सभी ऋण की शर्तें हैं।
  • कर्ज की शर्तें उधार लेने वाले व ऋणदाता के अनुसार बदली भी जा सकती हैं।

औपचारिक क्षेत्रक में साख के विभिन्न स्त्रोत

  • सभी ऋणों को औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्र में बाँटा गया है।
  • औपचारिक क्षेत्र में बैंकों व सहकारी समितियों से लिए गए कर्ज आते हैं। वहीं अनौपचारिक क्षेत्र में व्यापारियों, साहूकारों, मालिकों, रिश्तेदारों आदि से लिए गए कर्ज शामिल हैं।
  • भारतीय रिजर्व बैंक उधार के औपचारिक स्त्रोतों की कार्यविधियों पर निगरानी रखता है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक यह भी देखता है कि बैंक सिर्फ धनी लोगों को ही ऋण की सुविधा तो प्रदान नहीं कर रहा क्योंकि ऋण छोटे किसान, छोटे उद्योगपति, कर्जदार भी ले सकते हैं।
  • बैंकों को आर.बी.आई को यह जानकारी देनी होती है कि वह निर्धारित ब्याज दर से कितना और किन लोगों को ऋण दे रहा है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की कार्यप्रणाली पर कोई सरकारी संस्था नज़र नहीं रखती है।
  • दूसरे क्षेत्र के ऋणदाता अपनी इच्छा से कितनी भी दर पर ऋण दे सकते हैं और उधार वापस लेने के लिए कोई भी तरीका अपना सकते हैं।
  • औपचारिक क्षेत्र की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्र में ब्याज दर अधिक होता है।
  • ब्याज दर अधिक होने के कारण कभी-कभी उधार की रकम बहुत ज़्यादा हो जाती है। इसी वजह से बहुत लोग ऋण-जाल में फंस जाते हैं।
  • बैंकों द्वारा कम ब्याज दर पर दिया गया अनुकूल ऋण देश के विकास में काफी हद तक सहायक साबित हो सकता है।

औपचारिक एवं अनौपचारिक साख का महत्व

  • शहर में गरीब परिवारों की 85% कर्ज की जरूरतें अनौपचारिक क्षेत्र के स्रोतों से पूरी होती हैं जबकि अमीर परिवारों की सिर्फ 10% कर्ज की जरूरतें अनौपचारिक व 90% औपचारिक स्त्रोतों से पूरी होती हैं।
  • अधिकतर अमीर लोग औपचारिक स्त्रोतों से ऋण प्राप्त करते हैं जबकि निर्धन लोगों को अनौपचारिक स्त्रोतों पर आश्रित रहना पड़ता है।
  • जब औपचारिक ऋण का समान वितरण होगा तभी गरीब लोग भी कम ब्याज दर पर ऋण का लाभ ले सकेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयं सहायक समूह

  • गाँवों में छोटे-छोटे स्वयं सहायक समूहों को संगठित किया गया है विशेष रूप से स्त्रियों के लिए।
  • यह संगठन महिलाओं की बचत पूँजी जमा करता है। कोई भी सदस्य अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए छोटे समूह से कर्ज ले सकता है।
  • इस समूह में 15 से 20 सदस्य होते हैं जो नियमित रूप से मिलते हैं और 25 से 100 रुपए तक या इससे अधिक धनराशि बचत के रूप में जमा करते हैं।
  • समूह द्वारा दिए गए कर्ज पर ब्याज लिया जाता है लेकिन यह ब्याज साहूकार या अन्य स्त्रोतों द्वारा लिए जाने वाले ब्याज से बहुत कम होता है।
  • लगातार दो वर्षों तक बचत करने के बाद समूह बैंक द्वारा ऋण ले सकता है।
  • बैंक से ऋण लेकर समूह सदस्यों के लिए स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है।
  • बचत एवं ऋण से जुड़े निर्णय समूह के सदस्य स्वयं लेते हैं।
  • अगर कोई सदस्य ऋण लेने कर बाद उसे वापस नहीं करता है, तो समूह के सदस्य उसके प्रति गंभीर हो जाते हैं।
  • स्वयं सहायक समूह कर्ज लेने वालों को होने वाली ऋणाधार की कमी की समस्या से दूर रखने में सहायता प्रदान करता है।


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