Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 16 यमराज की दिशा - चंद्रकांत देवताल Hindi

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Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 16 यमराज की दिशा - चंद्रकांत देवताल Hindi

Chapter 16 यमराज की दिशा Kshitij Extra Questions for Class 9 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. क्या कवि अपनी माँ की बात मानता था ? कैसे ?

उत्तर

कवि ने छोटेपन से ही अपनी माँ को सभी प्रकार की समस्याओं से लड़ते हुए देखा था। उसके लिए माँ की बात सत्य थी। उसकी माँ जो कहती थी उसे वह मान लेता था। बचपन में उसकी माँ ने उसे दक्षिण दिशा में पैर करके सोने को मना किया था, क्योंकि यह दिशा यमराज देवता की है। वह यमराज का अनादर करके उन्हें क्रोधित करना नहीं चाहती थी। कवि उनकी बात मानकर कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया।


प्रश्न 2. क्या आपकी माँ आपको सीख देती है ? यदि हाँ, तो उस सीख के विषय में लिखिए।

उत्तर

संसार में सभी माएँ अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देती हैं। मेरी माँ ने भी मुझे अच्छी शिक्षा दी है। मुझे उनकी हर बात उचित लगती है क्योंकि उनके पास अपने जीवन का अनुभव होता है। वे मेरी शुभचिंतक भी हैं, वे मुझे तरह-तरह की सीख देती है, जैसे- ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास करना, अपने से बड़ों का सम्मान करना और कहना मानना, समय पर सभी काम करना, दूसरों की मदद करना, सभी प्रकार की बुराइयों से बचकर रहना, एक अच्छा इंसान बनकर देश की सेवा करना आदि।

प्रश्न 3. ‘यमराज की दिशा’ कविता के भाषा-शिल्प पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर

कविता में भाव सीधे होकर भी गंभीर हैं तथा भाषा आसान होकर गहरी है। कवि ने खड़ी बोली का प्रयोग किया है जिसमें तत्सम, तद्भव शब्दावली के प्रयोग के साथ-साथ सरल उर्दू के शब्दों का प्रयोग भी किया गया है। मुक्त छंद का प्रयोग करने में कवि को निपुणता प्राप्त है। अभिधा के प्रयोग ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है। प्रसाद गुण सर्वत्र विद्यमान है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, स्मरण अलंकारों के सहज प्रयोग ने कथन को सरसता प्रदान की है।


प्रश्न 4. कवि ने ऐसा क्यों कहा है कि आज प्रत्येक दिशा दक्षिण दिशा है ?

उत्तर

कवि को उसकी माँ ने बताया था कि दक्षिण दिशा यमराज की है, वह मौत का देवता है। इस दिशा में पैर करके सोना ठीक नहीं है परंतु कवि के अनुसार वर्तमान समय सभी दिशाएँ दक्षिण दिशा हो गई हैं। इसका कारण यह है कि आज सभी दिशाओं में मौत बसती है। चारों ओर विध्वंस, हिंसा, मार-काट, दंगे-फसाद हो रहे हैं। सारे संसार में मौत किसी-न-किसी रूप में तांडव कर रही है। मनुष्य-मनुष्य को मार रहा है इसलिए कवि को आज सभी दिशाएँ दक्षिण ही लगती हैं। आज चारों ओर मृत्यु का देवता अपने आलीशान महल में विराजमान है।


प्रश्न 5. ‘यमराज की दिशा’ का मूल भाव स्पष्ट करें।

उत्तर

‘यमराज की दिशा’ कविता के कवि चंद्रकांत देवताले हैं। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर संकेत करते हुए चेतावनी- भरे स्वर में कहा है कि वर्तमान में मानव कहीं भी सुरक्षित नहीं है। जीवन-विरोधी ताकतें संसार में चारों ओर फैल रही हैं। कवि की माँ के अनुसार मृत्यु की दिशा दक्षिण थी। वे उसका सम्मान करने के लिए कहती थी। परंतु आज सभी दिशाएँ यमराज का घर बन चुकी हैं। विश्व के प्रत्येक कोने में हिंसा, विध्वंस तथा नाश और मौत का साम्राज्य है, इसलिए आज सभी दिशाएँ दक्षिण दिशा बन चुकी हैं।


प्रश्न 6. कवि ने अपनी माँ के परमात्मा के प्रति आस्था और विश्वास को किस प्रकार प्रकट किया है ?

उत्तर

कवि की माँ को परमात्मा में आस्था और विश्वास था। वह अपना सुख-दुःख सभी कुछ परमात्मा से बाँटती थी। वह ऐसा दिखाती थी कि वह ईश्वर को जानती है, उनसे बात करती है, प्रत्येक कार्य में उनसे सलाह लेती है और उनकी सलाह के अनुसार कार्य करती है। ईश्वर पर विश्वास करती हुई वह जिंदगी जीने और दुःख सहने के रास्ते ढूँढ़ लेती थी।


अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुख बरदाश्त करने के
रास्ते खोज लेती है

प्रश्न:
(क) माँ क्या जताया करती थी ?
(ख) माँ ईश्वर से क्या प्राप्त किया करती थी ?
(ग) माँ दुख सहन करने के रास्ते किस प्रकार खोज लेती थी ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

(क) माँ जताया करती थी कि वह ईश्वर को जानती थी और उसकी उससे प्रायः बातचीत होती रहती थी।

(ख) माँ ईश्वर से सलाह प्राप्त किया करती थी कि किस प्रकार वह जीवन में आए कष्टों का निवारण कर सके और अपने परिवार को सुख-भरा जीवन दे सके।

(ग) माँ ईश्वर की सलाह पर जीवन में आए तरह-तरह के दुख सहने के रास्ते खोज लेती थी।

(घ) कवि ने अपनी माँ के परमात्मा के प्रति आस्था और विश्वास को प्रकट करते हुए माना है कि वह परिवार के सुखों के लिए सदा प्रयत्न करती थी और उसमें कष्टों को सहने की अपार क्षमता थी। सामान्य बोल-चाल के शब्दों का सहज प्रयोग किया गया है। अभिधा शब्द – शक्ति और प्रसाद गुण ने कथन को सरलता – सरसता प्रदान की है। ‘मुलाकात’, ‘सलाह’, ‘बरदाशत’, ‘खोज’ जैसे सामान्य उर्दू शब्दों का प्रयोग कथन को स्वाभाविकता प्रदान करता है। अतुकांत छंद का प्रयोग है। स्मरण अलंकार विद्यमान है।


2. माँ ने एक बार मुझे कहा था –
दक्षिण की तरफ़ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है।
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था –
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

प्रश्न :
(क) कवि की माँ ने कवि को क्या कभी न करने को कहा था ?
(ख) माँ ने किसे बुद्धिमानी की बात नहीं माना था ?
(ग) कवि ने अपनी माँ से क्या जानने की इच्छा की थी ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

(क) कवि की माँ ने उसे कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोने की बात कही थी।

(ख) माँ ने मौत के देवता यमराज को नाराज करना बुद्धिमानी की बात नहीं मानी थी।

(ग) कवि ने अपनी माँ से जानना चाहा था कि मौत के देवता यमराज का घर कहाँ है।

(घ) कवि की माँ ने समझाया था कि दक्षिण दिशा यमराज की है। उस तरफ कभी भी पैर करके नहीं सोना चाहिए। तत्सम और तद्भव शब्दावली के सहज – समन्वित प्रयोग द्वारा कवि ने अपनी बात सरलता – सरसता से प्रकट की है। अभिधा शब्द – शक्ति और प्रसाद गुण का प्रयोग है। अतुकांत छंद है। कथोपकथन शैली ने नाटकीयता की सृष्टि की है।

 

3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फ़ायदा ज़रूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता

प्रश्न:
(क) माँ के समझाने के बाद कवि ने क्या काम कभी नहीं किया ?
(ख) कवि को किस बात को करने में कभी कठिनाई नहीं हुई ?
(ग) कवि यमराज का घर देखने में सफल क्यों नहीं हुआ ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

(क) माँ के समझाने के बाद कवि कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोया।

(ख) कवि को कभी भी दक्षिण दिशा को ढूँढ़ने में कठिनाई नहीं हुई।

(ग) कवि कभी यमराज का घर देखने में सफल नहीं हुआ, क्योंकि वह दक्षिण दिशा के पार कभी पहुँच ही नहीं पाया।

(घ) कवि ने माँ के समझाने के बाद कभी भी दक्षिण में पैर करके सोने का साहस तो नहीं किया, पर यमराज के घर के विषय में जानने की जिज्ञासा अवश्य की जिसे वह कभी ढूँढ़ नहीं पाया। पुनरुक्ति प्रकाश और अनुप्रास अलंकारों का सहज प्रयोग किया गया है। तत्सम और तद्भव शब्दों के साथ उर्दू के सरल शब्दों का समन्वित प्रयोग है। प्रसाद गुण और अभिधा शब्द – शक्ति ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है। अतुकांत छंद है।

 

4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी।

प्रश्न:
(क) कवि के लिए हर दिशा दक्षिण क्यों हो जाती है ?
(ख) यमराज की दिशा अब कौन-सी है ?
(ग) कवि की माँ कहाँ गई ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

(क) विध्वंस, हिंसा, मार-काट, दंगे-फसाद आदि के कारण सारे संसार में मौत का तांडव हो रहा है। मनुष्य मनुष्य को मार रहा है, इसलिए कवि के लिए केवल दक्षिण दिशा ही यमराज की दिशा नहीं रही बल्कि हर दिशा ही दक्षिण दिशा हो गई है।

(ख) कवि के अनुसार सभी दिशाएँ ही अब यमराज की दिशाएँ हैं।

(ग) कवि की माँ यमराज के घर जा चुकी है।

(घ) कवि का मानना है कि अब यमराज केवल दक्षिण दिशा में नहीं रहता है। इस संसार में व्याप्त हिंसा ने उसके आलीशान महल भी सभी दिशाओं में बनवा दिए हैं, जिनमें यमराज अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं। कवि की भाषा में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है जिसने कथन को गहनता – गंभीरता प्रदान की है। प्रसाद गुण और अतुकांत छंद का प्रयोग है। अनुप्रास अलंकार का सहज प्रयोग किया गया है।

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