rise

Extra Questions for Class 10 क्षितिज Chapter 6 यह दंतुरित मुस्कान और फसल - नागार्जुन Hindi

Here, students will find Important Questions for Class 10 Kshitij Chapter 6 Yeh Danturit Muskan aur Fasal by Nagarjuna Hindi with answers on this page which will increase concentration among students and have edge over classmates. A student should revise on a regular basis so they can retain more information and recall during the precious time. These extra questions for Class 10 Hindi Kshitij play a very important role in a student's life and developing their performance.

Extra Questions for Class 10 क्षितिज Chapter 6 यह दंतुरित मुस्कान और फसल - नागार्जुन Hindi

Chapter 6 यह दंतुरित मुस्कान और फसल Kshitij Extra Questions for Class 10 Hindi

काव्यांश आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादूः
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमाः
एक की नहीं,
दो की नहीं
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्मः

(क) प्रस्तुत काव्यांश किस भाषा में रचित है?

(ख) यह किस काल की रचना है?

(ग) भाषा की विशेषता बताइए?

(घ) कवि ने 'एक के नहीं, दो के नहीं' शब्दों का प्रयोग बार-बार क्यों किया है?

(ङ) काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताइए?

उत्तर

(क) प्रस्तुत काव्यांश की भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है।

(ख) यह आधुनिक काल की रचना है।

(ग) भाषा शुद्ध खड़ी बोली है। सरल, सरस एवं प्रवाहमयी भाषा है। भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है। स्थान-स्थान पर तत्सम शब्दों का भी प्रयोग है।

(घ) कवि ने 'एक के नहीं, दो के नहीं' शब्दों का बार-बार प्रयोग कर सामूहिक प्रयास पर बल दिया है। फ़सल के उत्पादन में अनेक नदियों का पानी, करोड़ों मनुष्यों का श्रम एवं विभिन्न खेतों की मिट्टी का योगदान है।

(ङ) लाख-लाख, कोटि-कोटि, हज़ार-हज़ार - पुरुक्ति प्रकाश।


प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

फ़सल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

(क) फ़सल के विकास में किसका असर जादुई होता है ?

(ख) मनुष्य के हाथ फ़सल को क्या देते हैं?

(ग) खेतों की मिट्टी के बारे में काव्यांश में क्या कहा गया है?

(घ) कवि किस-किस प्रकार की मिट्टी का उल्लेख करता है?

(ङ) फ़सल किसका रूपांतरण प्रतीत होती है?

(च) फ़सल को नदियों के पानी का जादू क्यों कहा गया है?

(छ) फ़सल हाथों के स्पर्श की महिमा कैसे है?

(ज) भाव स्पष्ट कीजिए- सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का !

उत्तर

(क) फ़सल के विकास में नदियों के पानी का जादुई असर होता है।

(ख) मनुष्य के हाथों के परिश्रम से ही फ़सल उगती है। इस प्रकार मनुष्य के हाथ फ़सल का अपना स्पर्श प्रदान करते हैं।

(ग) खेतों की मिट्टी के बारे में काव्यांश में यह कहा गया है कि तरह-तरह के रूप-रंग वाली मिट्टी के गुण-धर्म से भरपूर फ़सल उगती है।

(घ) कवि ने काली, भूरी और संदली मिट्टी का उल्लेख किया है।

(ङ) फ़सल सूर्य की किरणों का रूपांतरण प्रतीत होती है। नदियों का पानी, धरती का गुण-धर्म, फसल द्वारा ग्रहण किए जाने पर सभी तत्व सूर्य की किरणों का स्पर्श पाकर फ़सल के लिए भोजन के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इसी कारण सूर्य की किरणों को फ़सल का रूपांतरण कहा जाता है।

(च) फ़सल को नदियों के पानी का जादू इसलिए कहा गया है क्योंकि नदियों का जल फ़सल का पोषण करता है। एक नहीं, अनेक नदियों का पानी फ़सल को सींचता है। जल के तत्वों को ग्रहण कर फ़सल हरी-भरी एवं विकसित होती है। फ़सलों को खड़ी करने में नदियों का जल जादू के समान प्रभावकारी होता है।

(छ) फ़सल अनगिनत किसानों, श्रमिकों के हाथों के स्पर्श की महिमा है। लाखों-करोड़ों कृषकों के हाथों के कठोर परिश्रम के परिणाम स्वरूप फ़सल विकसित होती है। उसका लहलहाता रूप मनुष्य के कठिन मेहनत का ही परिणाम है।

(ज) सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का! पंक्ति द्वारा कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि फ़सल के विकास में हवा का महत्त्वपूर्ण योगदान है। हवा का स्पर्श पाकर फ़सल में जीवनदायिनी शक्ति का संचार होता है। हवा का सिमटा हुआ रूप ही पौधों को जीवंतता प्रदान कर उसमें समा जाता है। हवा का कोमल स्पर्श पाकर फ़सल खुशहाल बनती है और लहलहा उठती है।


प्रश्न 3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि - धूसर तुम्हारे ये गात....
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।

(क) कवि ने बच्चे की मुसकान को 'दंतुरित' क्यों कहा? उसे वह कैसी लग रही है?

(ख) बच्चे के अंग कैसे हैं? वे कवि को किसके समान प्रतीत हो रहे हैं?

(ग) आशय स्पष्ट कीजिए- 'पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण'।

उत्तर

(क) कवि ने बच्चे की मुसकान को ' दंतुरित' इसलिए कहा है क्योंकि मुस्कुराते हुए शिशु के दाँत दिखाई दे रहे हैं जो उसकी मुसकान को और सुंदर बना रहे हैं। कवि को यह मुसकान आनंदित कर रही है। उसके मन वात्सल्य का भाव उमड़ने लगा है। उसे लगता है कि बच्चे की यह मुसकान मृतक में भी जान डाल सकती है।

(ख) बच्चे के अंग धूल से सने हुए हैं। कवि को धूल 'सना हुआ शिशु कमल के समान प्रतीत हो रहा है उसे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आ गया है। उसे यह धूल धूसरित बालक कमल के समान सुंदर लग रहा है।

(ग) पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण' - पंक्ति का आशय यह है कि बालक की मधुर मुसकान सबको अपनी ओर आकर्षित करती है । पत्थर के समान कठोर हृदय भी ऐसे बालक की मुसकान को त्यागकर सहृदय बन जाते हैं । देखकर, स्पर्श पाकर पिघल जाते हैं, भावुक हो जाते हैं।


प्रश्न 4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि- धूसर तुम्हारे ये गात छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।

(क) मुसकान के लिए 'दंतुरित' विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?

(ख) 'धूलि - धूसर' में कौन-सा अलंकार है?

(ग) संपूर्ण काव्यांश में किस भाव की अभिव्यक्ति हो रही है ?

(घ) काव्यांश की भाषा की कोई एक विशेषता बताइए।

(ङ) भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- 'पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण'।

उत्तर

(क) बच्चा जब मुसकाता है, तो उसके नए-नए दाँत को देखकर मन में ममता का भाव फूट पड़ता है। उसकी मुसकान जीवित व्यक्ति को तो प्रसन्नता देती है साथ में मृतक समान व्यक्ति के लिए संजीवनी बूटी का भी काम करती है। सुंदर दंतावली को देखकर मुसकान का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। पाषाण हृदय भी भावुक हो जाता है इसलिए मुसकान के लिए 'दंतुरित' विशेषण का प्रयोग किया है।

(ख) 'धूलि - धूसर' में 'ध' वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है ।

(ग) संपूर्ण काव्य में शिशु की मुसकान का वर्णन है जिसे देखकर कवि के हृदय में वात्सल्य का भाव उमड़ पड़ता है। बच्चे की मधुर मुसकान उन लोगों के हृदय में आशा व प्रसन्नता का संचार करती है जो जीवन में निरुत्साहित हो गए हैं। कठोर हृदय भी शिशु की मुसकान से मोम जैसा कोमल हो जाता है और दुष्ट भी अपनी दुष्टता त्याग कर निश्छल हो जाता है।

(घ) 'दंतुरित' शब्द में 'इत' प्रत्यय है। 'धूलि - धूसर' 'परस पाकर' में अनुप्रास अलंकार है। भाषा सरल, सुबोध व भावों के अनुकूल है । अलंकारों का प्रयोग स्वाभाविक रूप हुआ।

(ङ) 'पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण' का अभिप्राय है कि पत्थर के समान कठोर हृदय भी बच्चे की निश्छल मधुर मुसकान को देखकर भावुक हो जाता है। मन में समाई कठोरताका त्याग करके मुसकराने लगता है।


प्रश्न 5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ कर पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस - निसि, कान्ह कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसी, ज्यौं करुई ककरी।
तौ ब्याधि हमको ले आए, देखि सुनी न करी।
यह तौ 'सुर' तिनहिं लै सौंपी, जिनके मन चकरी॥

(क) हरि को ' हारिल की लकड़ी' क्यों कहा गया है?

(ख) गोपियाँ जोग को 'व्याधि' क्यों मानती हैं?

(ग) कृष्ण के बिना गोपियों की दशा का वर्णन कीजिए।

उत्तर

(क) हरिल पक्षी की विशेषता है कि वह अपने पैरों में पकड़ी लकड़ी को कभी भी, किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ता। उसी प्रकार गोपियाँ श्रीकृष्ण को छोड़ने में असमर्थ हैं। इस कारण गोपियों ने श्रीकृष्ण को 'हारिल की लकड़ी ' माना है।

(ख) गोपियों के लिए कृष्ण उनके प्राण हैं । प्राण हैं, तो जीवन है। प्राण व जीवन के होते हुए उन्हें किसी अन्य साधना व तप की आवश्यकता नहीं है। योग अस्थिर मन की व्याधि है । इसकी आवश्यकता उन लोगों को है, जिनका मन कृष्ण के प्रेम में एक निष्ठ नहीं है। अपनी प्रेम भावना को श्रीकृष्ण के समक्ष व्यक्त नहीं कर पाईं। वे तन-मन से उनके प्रति समर्पित

(ग) गोपियाँ श्रीकृष्ण के बिना विरह की अग्नि में जल रही हैं। उन्हें इस बात का अधिक दुख है कि वे हैं और रात-दिन उन्हीं के नाम का स्मरण करती हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'फ़सल' कविता में फ़सल उपजाने के लिए जिन आवश्यक तत्त्वों की बात कही गई है। क्या ये तत्त्व एक-दूसरे पर आधारित होकर ही फ़सल की उपज में सहायक होते हैं, समझाकर लिखिए ।

उत्तर

‘फ़सल' में फ़सल उपजाने के लिए नदियों का पानी, सूरज का प्रकाश, वायु, मिट्टी के प्राकृतिक गुण, किसान का परिश्रम आवश्यक हैं। ये सभी तत्व एक-दूसरे पर आधारित हैं । मिट्टी में उर्वरा की शक्ति हैं । नदियों का जल सिंचाई करता है। सूर्य की गर्मी व हवा का सहयोग अर्थात् प्रकृति का योगदान व कृषक के परिश्रम से ही फ़सल खड़ी होती है। अगर इनमें से एक भी तत्व कम हो जाए तो फ़सल की उपज नहीं होगी। ये सभी तत्व अन्योन्याश्रित हैं ।


प्रश्न 2. 'यह दंतुरित मुसकान' कविता के आधार पर बताइए कि बच्चे की मुसकान, उसका शरीर तथा उसका स्पर्श क्या-क्या प्रभाव पैदा करते हैं ।

उत्तर

बच्चे की मुसकान, उसके शरीर तथा उसके स्पर्श से मन में छायी उदासी दूर हो जाती है और मन में आनंद छा जाता है। बच्चे की मुसकान से जड़ में भी प्राणों का संचार हो जाता है। शिशु कमल के फूल की तरह सुखद अहसास देता है तथा पत्थर हृदय व्यक्ति भी भावुक, संवेदनशील व स्नेहमय हो जाता है।


प्रश्न 3. कवि ने 'फ़सल' कविता में फ़सल को हाथों के स्पर्श की महिमा क्यों कहा है?

उत्तर

यद्यपि फ़सल को उपजाने के लिए नदियों का पानी, सूर्य का प्रकाश, निरंतर बहती वायु, मिट्टी के धर्म का विशेष महत्त्व है । लेकिन इसमें कृषकों द्वारा किए गए परिश्रम का अत्यधिक महत्त्व है। मनुष्य के हाथों के स्पर्श की गरिमा के बिना फ़सल अपने अस्तित्व में नहीं आ सकती। फ़सल का लहलहाना मनुष्य के श्रम का ही परिणाम है।


प्रश्न 4. कवि ने शिशु और उसकी माँ को धन्य क्यों कहा है ? 'यह दंतुरित मुसकान' कविता के आधार पर बताइए।

उत्तर

कवि ने शिशु और उसकी माँ को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि ये दोनों कवि के जीवन में सुखद क्षण देने वाले हैं। कवि के लिए शिशु की दंतुरित मुसकान एक नया जीवन प्रदान करने वाली है। कवि के जीवन शिशु की नए-नए दाँतों वाली भोली, सरल एवं निश्छल मुसकान एक नई ऊर्जा एवं प्राणों का संचार करने वाली है । इसलिए वह धन्य है । और धन्य उसकी माँ भी है क्योंकि यदि बच्चे की माँ नहीं होती, तो कवि बच्चे की मंद-मंद मुसकाती छोटे-छोटे दाँतों से युक्त छवि नहीं देख पाता एवं न उसे जान पाता।


प्रश्न 5. "यह दंतुरित मुसकान' पाठ में बाल मनोविज्ञान की छवियाँ बड़ी अनुपम हैं।" कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

उत्तर

'यह दंतुरित मुसकान' पाठ में शिशु कवि को पहचान नहीं पाता है और यह स्वाभाविक है कि जब बच्चा किसी को पहचानता नहीं है, तब उसकी ओर वह अपलक यानि निर्निमेष देखता रहता है। इसके अलावा, जब कोई अपरिचित उसकी ओर निरंतर देखता रहता है तो वह अपना ध्यान भंग करके इधर-उधर देखता है और फिर थोड़ी देर में वह अपरिचित की ओर तिरछी नज़र यानी कनखी से देखता है कि कहीं वह अपरिचित उसे देख तो नहीं रहा है। यह एक छोटे बच्चे का मनोविज्ञान है, जो आठ या नौ महीने का है। अतः इस पाठ में बाल-मनोविज्ञान की छवियाँ यथार्थ में बड़ी अनुपम हैं।


प्रश्न 6. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर

बच्चे की दंतुरित मुसकान से कवि को आनंद की अनुभूति होती है। इस मुसकान को देखकर कवि के मन में वात्सल्य भाव उमड़ने लगता है। उसे लगता है कि बच्चे की यह मुसकान मृतक में भी प्राणों का संचार कर सकती है। कठोर से कठोर हृदय को पिघला सकती है और बाँस तथा बबूल जैसे कठोर एवं सूखे पेड़ों में भी फूल खिला सकती है। उसे बच्चे की दंतुरित मुसकान बहुत ही मनमोहक लगती है।


प्रश्न 7. फ़सल के उत्पन्न एवं फलदायी होने में मनुष्य के हाथों की क्या महिमा है?

उत्तर

फ़सल के उत्पन्न होने से लेकर उसके फलदायी होने में मनुष्य के हाथों की ही महिमा है। किसान अपने हाथों अथक प्रयास एवं परिश्रम से फ़सल उत्पन्न करता है और विकसित करता है । वही बीज बोने से लेकर फ़सल के विकास तक प्रत्येक चरण को संभव कर उसे फ़सल के रूप में बदलता है। हर मौसम में कठिनाई का सामना करता है और फ़सल का संरक्षण करता है। उसके परिश्रम के अभाव में यह संभव नहीं है। फसल के रूप उसके हाथों के स्पर्श की महिमा ही फलीभूत होती है ।


प्रश्न 8. फ़सल उगाने के लिए कौन से तत्व आवश्यक माने गए हैं?

उत्तर

'फ़सल' उगाने के लिए कृषक एवं प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आवश्यक है। फ़सल कृषक के परिश्रम और प्राकृतिक तत्वों - हवा, मिट्टी, पानी, प्रकाश का प्रतिरूप है। फसल के लिए नदियों का पानी, मिट्टी गुण-धर्म अर्थात् उसकी उर्वरा शक्ति, सूरज का प्रकाश, हवा का स्पर्श एवं कृषक के हाथों के कठोर श्रम आवश्यक हैं। इन तत्वों के बिना फ़सल उगाई नहीं जा सकती ।


प्रश्न 9. बच्चे की मुसकान और एक बड़े की मुसकान में क्या अंतर है?

उत्तर

बच्चे की मुसकान निश्छल, कोमल, निस्वार्थ, सच्ची और मनोहर होती है । उसकी मुसकान सबको अपनी ओर आकर्षित करती है एवं आनंद प्रदान करती है । उसमें किसी भी प्रकार छल-कपट व भेदभाव नहीं होता। जबकि बड़ों की मुसकान ईर्ष्या-द्वेष, कुटिलता, व्यंग्य, स्वार्थ एवं उपहासपूर्ण भावों एवं अर्थों से युक्त होती है। ऐसी मुसकान बनावटी एवं दिखावटी होती है, जिसमें कृत्रिमता, कुटिलता एवं अस्वाभाविकता का अंश विद्यमान रहता है। ऐसी मुसकान उद्देश्य पूर्ण होने के पश्चात् गायब हो जाती है।


प्रश्न 10. नदियों का पानी जादू का काम कैसे करता है?

उत्तर

फ़सल अनेक नदियों के जल से सिंचित होती है। नदियों का जल फ़सल के रूप में परिणत होकर सामने आता है। मिट्टी के भीतर बोए हुए बीजों पर नदियों का पानी जादू का असर करता है। इसी प्रभाव से बीज अंकुरित होते हैं और धरती को चीर कर बाहर निकलते हैं और फिर धीरे-धीरे विकसित होकर फ़सल का रूप धारण करते हैं। यह नदियों के जल का जादुई प्रभाव है।


प्रश्न 11. कवि के अनुसार फ़सल क्या है?

उत्तर

कवि के अनुसार फ़सल प्रकृति और मनुष्य के समन्वय एवं सहयोग का परिणाम है। नदियों के पानी का जादू, मनुष्य के परिश्रमी हाथों का स्पर्श, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति, उसका गुण-धर्म, हवा का जीवनदायी तत्व एवं सूर्य की किरणों का रूपांतरण है। इन सबका मिश्रित रूप ही फ़सल है।


प्रश्न 12. बच्चे की मुसकान मृतक में भी जान कैसे डाल देती है ?

उत्तर

बच्चे की मुसकान में इतनी प्रफुल्लता, इतनी जीवंतता होती है कि वह उदासीन एवं गंभीर चेहरे में भी प्रसन्नता भर देती हैं। उस मुसकान में ऐसा अपार सुख है कि मरे हुए व्यक्ति में भी प्राणों का संचार कर देती है। अर्थात् ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जो बालक की मुसकान को प्राप्त कर प्रसन्नता से न भर उठे।


प्रश्न 13. 'यह दंतुरित मुसकान' कविता के आधार पर बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।

उत्तर

'यह दंतुरित मुसकान' कविता के आधार पर बच्चे की मुसकान प्रफुल्लता से परिपूर्ण है। उसकी मुसकान इतनी मधुर है कि मृतक में भी जान डाल देती है। उसकी मुसकान का सौंदर्य अनुपम है जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कमल-पुष्प तालाब छोड़कर झोंपड़ी में खिल गए हों। पाषाण पिघलकर जल बन गया हो तथा बबूल और बाँस से भी शेफालिका के फूल झरने लगे हों।


प्रश्न 14. 'रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का' पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

'रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का' - पंक्तियों द्वारा कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि फ़सल सूर्य की किरणों का बदला हुआ रूप है। पौधों पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तभी वे अपना भोजन बनाते हैं इसी से फ़सल बढ़ती और विकसित होती है। हवा का स्पर्श फ़सल को जीवंतता प्रदान करता है। फ़सल को विकसित करने में हवा की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। हवा की थिरकन फ़सल को सजीवता प्रदान करती है।

Previous Post Next Post