Extra Questions for Class 10 कृतिका Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! - शिवप्रसाद मिश्र 'रूद्र' Hindi

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Extra Questions for Class 10 कृतिका Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! - शिवप्रसाद मिश्र 'रूद्र' Hindi

Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! Kritika Extra Questions for Class 10 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' शीर्षक का प्रतीकार्थ समझाइए ।

उत्तर

इस पंक्ति का शाब्दिक अर्थ है कि हे राम ! इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है । पर पंक्ति 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' का प्रतीकार्थ है कि इसी स्थान पर उसका सच्चा प्रेमी टुन्नू उससे बिछुड़ गया है, कहीं खो गया है, यही वह स्थान है जहाँ वह देश के लिए बलिदान हो गया है। अब वह उसे कहाँ ढूँढ़े। वह उसके लिए उसकी नाक की लौंग के समान प्रिय व उसका मान-सम्मान था । नाक की लौंग भी मान-सम्मान का प्रतीक होती है।


प्रश्न 2. “मन पर किसी का बस नहीं, वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! पाठ के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

पाठ 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ की इस पंक्ति कि “मन पर किसी का बस नहीं, वह रूप या उमर का कायल नहीं होता ।" का आशय यह है कि टुन्नू दुलारी से आत्मिक प्रेम करता था जिस कारण वह उसके लिए खादी की एक साड़ी उपहारस्वरूप लाया था पर दुलारी उसे वापस ले जाने को कहती है और उसे समझाती है कि अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे अर्थात तुम बहुत छोटे हो और मैं तुम्हारी माँ से भी बड़ी हूँ । तुम पर तो मजनूपन सवार हो गया है। तब टुन्नू उससे केवल इतना ही कह पाता है कि “मन पर किसी का बस नहीं, वह रूप या उमर का कायल नहीं होता ।” टुन्नू का दुलारी के प्रति प्रेम शारीरिक न होकर आत्मिक था जो बाद में देशप्रेम की तरफ मुड़ गया था ।


प्रश्न 3. कठोर हृदयी दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठी?

उत्तर

कठोर हृदयी दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित हो उठी क्योंकि वह मन से टुन्नू के प्रेम निवेदन को स्वीकार कर चुकी थी । वह टुन्नू के आत्मिक प्यार को समझ चुकी थी । टुन्नू उससे उम्र में अत्यंत छोटा था और वह उससे बड़ी और स्वाभिमानी थी । प्रत्यक्ष में वह टुन्नू के प्रति भी कठोरता दिखाती पर झींगुर के मुख से टुन्नू मृत्यु के समाचार से उसका दिल दर्द से तड़पने लगा और आँखों से अश्रु बहने लगे और उसने टुन्नू की लाई खद्दर की साड़ी संदूक से निकालकर पहन ली।


प्रश्न 4. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ? दुलारी के मन पर उसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर

दुलारी का टुन्नू से प्रथम बार परिचय भादों की तीज के अवसर पर हुआ। जब दुलारी दुक्कड़ पर गाने गई थी, तो वहीं कजली-दंगल में उसका टुन्नू से परिचय हुआ । दुलारी का गाना समाप्त होने के बाद जब सवाल-जवाब के लिए दुक्कड़ पर चोट पड़ी, तब सोलह-सत्रह साल का टुन्नू सबसे आगे खड़े होकर, गा-गाकर दुलारी को ललकारने लगा। पहली बार उस गायक टुन्नू को देखकर उसे लगा कि यह बढ़-चढ़कर जो गा रहा है, उसका स्वर तो अच्छा है पर इसपर आवारागर्दी करने का चस्का लग गया है। वह उसके गौर वर्ण को देखते हुए कहती है कि तुम्हारे पिता तो दिन-रात मेहनत करके गृहस्थी चलाते हैं और तुम क्यों आवारगी करके उसे लुटाने पर लगे हो। वह टुन्नू के गायन में अपनी प्रशंसा सुनकर उसे उसका बचपना समझती है।


प्रश्न 5. कठोर हृदया समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठी? 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर

कठोर हृदयी दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित हो उठी क्योंकि वह मन से टुन्नू के प्रेम निवेदन को स्वीकार कर चुकी थी । वह टुन्नू के आत्मिक प्यार को समझ चुकी थी । टुन्नू उससे उम्र में अत्यंत छोटा था और वह उससे बड़ी और स्वाभिमानी थी । प्रत्यक्ष में वह टुन्नू के प्रति भी कठोरता दिखाती पर झींगुर के मुख से टुन्नू की मृत्यु के समाचार से उसका दिल दर्द से तड़पने लगा और आँखों से अश्रु बहने लगे और उसने टुन्नू की लाई खद्दर की साड़ी संदूक से निकालकर पहन ली।


प्रश्न 6. दुलारी और टुन्नू की मुलाकात के बाद टुन्नू के चले जाने पर दुलारी का कठोर हृदय करुणा और कोमलता से क्यों भर उठा ?

उत्तर

दुलारी और टुन्नू की मुलाकात के बाद टुन्नू के चले जाने पर दुलारी का कठोर हृदय करुणा और कोमलता से इसलिए भर उठा क्योंकि वह समझ गई थी कि टुन्नू का प्यार शारीरिक नहीं, आत्मिक था । वह उसके पास केवल दुलारी की बातें सुनने आता, अपने हृदय के भाव कभी प्रकट नहीं करता था । वह उसके सच्चे प्यार को पहचान गई थी। परंतु वह टुन्नू के समक्ष इस सत्य को स्वीकार न करके, कृत्रिम उपेक्षा प्रदर्शित करती थी।


प्रश्न 7. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के संदेश को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ का मुख्य संदेश यह कि देशप्रेम की ज्वाला और विदेशी शासन के प्रति क्षोभ ने समाज के द्वारा बहिष्कृत वर्ग को भी प्रभावित किया था। उनका योगदान भी स्वतंत्रता आंदोलन में कम करके नहीं आँका जा सकता । समाज ने भले ही उन्हें खुद से भली प्रकार न जोड़ा हो, तथापि उन्होंने देश को अपना देय शत-प्रतिशत दिया । दुलारी और टुन्नू के चरित्रों के माध्यम से लेखक ने अपने बहिष्कृत वर्ग से जुड़े विचारों को पूरी तरह प्रेषित किया है। उनमें एक पात्र टुन्नू का बलिदान, पाठक वर्ग को हिला देता है और दुलारी भी अपने योगदान से सुबुद्ध पाठक को यह बता देती है कि देश सभी का है और हर एक देशप्रेमी और बलिदानी नायक-नायिका हैं । फिर चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का क्यों न हो।


प्रश्न 8. कैसे कहा जा सकता है कि दुलारी टुन्नू को हृदय से चाहती थी ?

उत्तर

दुलारी टुन्नू को हृदय से चाहती थी क्योंकि वह भी उसकी तरह एक कुशल गायक था और दुलारी की गायन कला का प्रशंसक था। वह उसे चुपचाप देखता रहता पर उससे अपने मन की बात न कह पाता। जब होली पर वह उसके लिए खादी की साड़ी लाता है तो दुलारी उसे प्यार से फटकारती है और अपनी बड़ी उम्र का हवाला देती है, तब वह कहता है कि उसका प्यार उम्र व शरीर की सीमा में नहीं बँधा है, फिर वह उसके आत्मीय प्यार को समझ जाती है। ढलती उम्र में किशोर जनित प्रेम को महसूस करती है । टुन्नू के बलिदान के बाद वह उसकी दी हुई साड़ी को निकालकर पहनती है और टुन्नू के प्रति अपने सात्विक प्रेम का परिचय देती है।


प्रश्न 9. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।

उत्तर

'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! पाठ का शीर्षक उचित है क्योंकि इस पंक्ति का शाब्दिक अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है। उसे खोजो, जबकि दुलारी इस गीत को उसी स्थान पर गाती है जहाँ कुछ समय पहले ही उसके प्रेमी टुन्नू की हत्या की गई थी। वह दुखी मन से इस गीत को गाती है। जिसका गहरा अर्थ यह है कि इसी स्थान पर झुलनी अर्थात उसका प्रेमी खो गया है, अब वह किससे उसके विषय में बात करे; कहाँ उसे खोजे ? वह उसके लिए उसकी नाक की लौंग (झुलनी) के समान था यही लौंग स्त्री के मान-सम्मान का प्रतीक होती है। अतः शीर्षक प्रतीकार्थक रूप में सार्थक है।


प्रश्न 10. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' का प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

इस पंक्ति का शाब्दिक अर्थ है कि हे राम! इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है। पर पंक्ति 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' का प्रतीकार्थ है कि इसी स्थान पर उसका सच्चा प्रेमी टुन्नू उससे बिछुड़ गया है, कहीं खो गया है, यही वह स्थान है जहाँ वह देश के लिए बलिदान हो गया है। अब वह उसे कहाँ ढूँढ़े। वह उसके लिए उसकी नाक की लौंग के समान प्रिय व उसका मान-सम्मान था । नाक की लौंग भी मान-सम्मान का प्रतीक होती है।


प्रश्न 11. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया ?

उत्तर

देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू ने अपना तन-मन से योगदान दिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आंदोलन में टुन्नू ने भी भाग लिया। जब वह जुलूस के साथ टाउन हॉल पहुँचा, तो पुलिस के जमादार सगीर अली ने उसे पकड़कर गालियाँ दीं और जब टुन्नू ने उसका विरोध किया, तो उसे जूते से ठोकरें मारी गईं, जिससे वह घायल हो गया और अंत में शहीद हो गया । दुलारी भी टुन्नू से प्रेरित हो स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी। जब विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए जुलूस उसके घर के नीचे से निकला तो उसने अपनी लंकाशायर और मैनचेस्टर के मिलों की बनी बारीक मखमली किनारों वाली नई साड़ियाँ चादर पर फेंक दीं।


प्रश्न 12. दुलारी ने टुन्नू द्वारा लाई गई धोती को अस्वीकृत करने के बाद भी उसे उठाकर क्यों चूम लिया? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

जब टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की धोती लाया, तो पहले तो दुलारी ने उसे अस्वीकार कर दिया। पर जब टुन्नू ने कहा कि मैं तुमसे कुछ माँगता तो हूँ नहीं, पत्थर की देवी तक अपने भक्तों की भेंट नहीं ठुकराती तो तुम तो हाड़-माँस की बनी हो, तब उसे ज्ञात हुआ कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक न होकर आत्मिक था। अंततः उसका प्रेम देशभक्ति में परिवर्तित हो गया। जब टुन्नू खादी का कुर्ता पहन और गांधी टोपी लगाकर, गांधी जी द्वारा विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले जुलूस में शामिल हुआ, तो उसने अपना संदूक खोलकर टुन्नू द्वारा दी गई धोती निकाली और उसे उठाकर चूम लिया। वह टुन्नू के आत्मिक प्रेम की सच्चाई को समझ चुकी थी।


प्रश्न 13. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और कैसे हुआ ?

उत्तर

दुलारी का टुन्नू से परिचय भादों की तीज के अवसर पर खोजवाँ बाजार में हुआ जब वह गाने के लिए वहाँ गई। दुक्कड़ पर गाने वालियों में दुलारी बहुत प्रसिद्ध गायिका थी । कजली - दंगल में दुलारी के गानेके बाद जब दुक्कड़ पर चोट पड़ी तो गाने की इस चुनौती के विपक्ष में गाने वालों में टुन्नू सबसे आगे था। वह पूरे जोश के साथ दुलारी के  प्रत्येक बोल का उत्तर गीत के माध्यम से दे रहा था । दुलारी भी उसके गाने से प्रभावित हुई और यहीं उसकी टुन्नू से पहली मुलाकात थी ।


प्रश्न 14. अपने प्रति टुन्नू के लगाव के विषय में दुलारी की सोच क्या थी? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

अपने प्रति टुन्नू के लगाव के विषय वह कहती भी है कि अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे और तुम पर मजनूपन सवार हो गया। वह उसे बताती है कि मैं तो तुम्हारी माँ से बड़ी हूँ और तुम आशिकी करने चले हो । पहले तो वह उसे डाँटती ही रहती है उससे बुरा व्यवहार भी करती है, परंतु जब टुन्नू अपने प्यार के बदले में उससे कुछ नहीं माँगता, तो वह उसके आत्मिक प्रेम को समझ जाती है । टुन्नू भी अपने विवेक से अपने प्रेम को देश की तरफ मोड़ देता है । तब दुलारी की नज़रों में उसका प्रेम पवित्र और महान हो जाता है। 


प्रश्न 15. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के आधार पर बताइए कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार किया ?

उत्तर

पाठ 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' के आधार पर दुलारी ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपना विशेष योगदान दिया था। जब विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने के लिए जुलूस निकाला गया, तो दुलारी ने अपनी बिलकुल नई साड़ियाँ, जो मैनचेस्टर और लंकाशायर के मिलों में बनी थीं, उनके बंडल को नीचे फैली चादर पर फेंक दिया। उसे अब इन साड़ियों से कोई लगाव नहीं रहा था। उसके अंदर स्वदेश प्रेम जाग गया था। वह पूरे मनोयोग से टुन्नू से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद चुकी थी।


प्रश्न 16. विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने वाले ढेर में दुलारी द्वारा नई साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता का परिचायक है? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने वाले ढेर में दुलारी द्वारा नई साड़ियों का फेंका जाना उसकी सच्ची देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करता है। उसने मैनचेस्टर व लंकाशायर के मिलों की बनी बारीक सूत की, मखमली किनारों वाली, नई, कोरी साड़ियों के बंडल को नीचे फैली चादर पर फेंक दिया। उसे अब इन साड़ियों से कोई मोह नहीं रहा। वह पूरे मनोयोग से देशभक्ति से जुड़ना चाहती है । टुन्नू ने उसके अंदर भी देशभक्ति की लौ जगा दी थी, जिसमें वह अब पूरी डूब चुकी थी।


प्रश्न 17. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' पाठ के आधार पर बताइए कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार किया ?

उत्तर

पाठ 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' के आधार पर दुलारी ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपना विशेष योगदान दिया था। जब विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने के लिए जुलूस निकाला गया, तो दुलारी ने अपनी बिलकुल नई साड़ियाँ, जो मैनचेस्टर और लंकाशायर के मिलों में बनी थीं, उनके बंडल को नीचे फैली चादर पर फेंक दिया। उसे अब इन साड़ियों से कोई लगाव नहीं रहा था। उसके अंदर स्वदेश प्रेम जाग गया था। वह पूरे मनोयोग से टुन्नू से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद चुकी थी।


प्रश्न 18. टुन्नू ने दुलारी को खादी की ही धोती क्यों दी? पठित पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए ।

उत्तर

टुन्नू ने दुलारी को खादी की धोती इसलिए दी क्योंकि उसके मन में देशप्रेम की भावना थी । वह गांधी जी द्वारा चलाए 'विदेशी वस्त्रों' की होली जलाने वाले आंदोलन का हिस्सा बन चुका था। वह नहीं चाहता था कि दुलारी विदेशी मिलों से बनी धोती पहने। वह अपने प्रेम को देशप्रेम से जोड़ना चाहता था क्योंकि उसके प्यार में स्वार्थ या कुछ पाने की लालसा नहीं थी। वह तो दुलारी से आत्मिक प्रेम करता था । अतः वह धोती के माध्यम से दुलारी के साथ-साथ स्वदेशी प्रेम को भी व्यक्त करता है। वह पूरी तरह देश से जुड़ चुका था और अंत में इस आंदोलन में भाग लेकर वह अपना बलिदान भी दे देता है।


प्रश्न 19. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

उत्तर

दुलारी का टुन्नू से परिचय भादों की तीज के अवसर पर खोजवाँ बाजार में हुआ जब वह गाने के लिए वहाँ गई। दुक्कड़ पर गाने वालियों में दुलारी बहुत प्रसिद्ध गायिका थी । कजली - दंगल में दुलारी के गाने के बाद जब दुक्कड़ पर चोट पड़ी तो गाने की इस चुनौती के विपक्ष में गाने वालों में टुन्नू सबसे आगे था। वह पूरे जोश के साथ दुलारी के प्रत्येक बोल का उत्तर गीत के माध्यम से दे रहा था  दुलारी भी उसके गाने से प्रभावित हुई और यहीं उसकी टुन्नू से पहली मुलाकात थी।


प्रश्न 20. देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू और दुलारी के योगदान पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर

देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू ने अपना तन-मन से योगदान दिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आंदोलन में टुन्नू ने भी भाग लिया। जब वह जुलूस के साथ टाउन हॉल पहुँचा, तो पुलिस के जमादार सगीर अली ने उसे पकड़कर गालियाँ दीं और जब टुन्नू ने उसका विरोध किया, तो उसे जूते से ठोकरें मारी गईं, जिससे वह घायल हो गया और अंत में शहीद हो गया । दुलारी भी टुन्नू से प्रेरित हो स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी। जब विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए जुलूस उसके घर के नीचे से निकला तो उसने अपनी लंकाशायर और मैनचेस्टर के मिलों की बनी बारीक मखमली किनारों वाली नई साड़ियाँ चादर पर फेंक दीं ।


प्रश्न 21. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' कहानी के अनुसार दुलारी, टुन्नू ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपना योगदान किस प्रकार दिया ?

उत्तर

देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू ने अपना तन-मन से योगदान दिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आंदोलन में टुन्नू ने भी भाग लिया। जब वह जुलूस के साथ टाउन हॉल पहुँचा, तो पुलिस के जमादार सगीर अली ने उसे पकड़कर गालियाँ दीं और जब टुन्नू ने उसका विरोध किया, तो उसे जूते से ठोकरें मारी गईं, जिससे वह घायल हो गया और अंत में शहीद हो गया । दुलारी भी टुन्नू से प्रेरित हो स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी। जब विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए जुलूस उसके घर के नीचे से निकला तो उसने अपनी लंकाशायर और मैनचेस्टर के मिलों की बनी बारीक मखमली किनारों वाली नई साड़ियाँ चादर पर फेंक दीं ।


प्रश्न 22. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ में दुलारी ने टुन्नू का उपहार लेने से क्यों इंकार कर दिया ?

उत्तर

टुन्नू 16-17 वर्षीय युवा गायक था। भादों की तीज पर खोजवाँ और बजरडीहा वालों के बीच कजली दंगल में उसकी भेंट दुलारी से हुई थी। उस समय दुलारी को गानेवालियों में विशिष्ट ख्याति प्राप्त थी । परंतु वहाँ टुन्नू के गायन को सुनकर, उस पर मुग्ध हो गई। टुन्नू के मन में दुलारी के प्रति सात्विक प्रेम पैदा हो गया था। वह होली के त्योहार पर उसके लिए गांधी आश्रम की खादी की धोती उपहारस्वरूप लेकर उसके घर गया था। परंतु टुन्नू को अपने यहाँ देखकर न केवल उसने टुन्नू को अपशब्द कहे, अपितु उसकी धोती फेंक दी। दुलारी टुन्नू के प्रेम से परिचित थी । परंतु वह नहीं चाहती थी कि टुन्नू इस संबंध को बढ़ाए। टुन्नू एक ब्राह्मण का बेटा था । उसका स्वभाव, संस्कार उससे भिन्न थे। वह,आयु में उससे बहुत छोटा था । वह इस प्रेम को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी, जबकि वह जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक नहीं, आत्मिक है। वह एक गानेवाली थी और अपने साथ टुन्नू का नाम जोड़कर उसके सम्मान को ठेस नहीं पहुँचाना चाहती थी, इसलिए उसने टुन्नू के उपहार को अस्वीकार किया था। 


प्रश्न 23. कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठी ?

उत्तर

कठोर हृदयी दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित हो उठी क्योंकि वह मन से टुन्नू के प्रेम निवेदन को स्वीकार कर चुकी थी । वह टुन्नू के आत्मिक प्यार को समझ चुकी थी । टुन्नू उससे उम्र में अत्यंत छोटा था और वह उससे बड़ी और स्वाभिमानी थी । प्रत्यक्ष में वह टुन्नू के प्रति भी कठोरता दिखाती पर झींगुर के मुख से टुन्नू की मृत्यु के समाचार से उसका दिल दर्द से तड़पने लगा और आँखों से अश्रु बहने लगे और उसने टुन्नू की लाई खद्दर की साड़ी संदूक से निकालकर पहन ली।


प्रश्न 24. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ की दुलारी और टुन्नू ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपना योगदान किस प्रकार किया?

उत्तर

देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू ने अपना तन-मन से योगदान दिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आंदोलन में टुन्नू ने भी भाग लिया। जब वह जुलूस के साथ टाउन हॉल पहुँचा, पुलिस के जमादार सगीर अली ने उसे पकड़कर गालियाँ दीं और जब टुन्नू ने उसका विरोध किया, तो उसे जूते से ठोकरें मारी गईं, जिससे वह घायल हो गया और अंत में शहीद हो गया । दुलारी भी टुन्नू से प्रेरित हो स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी। जब विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए जुलूस उसके घर के नीचे से निकला तो उसने अपनी लंकाशायर और मैनचेस्टर के मिलों की बनी बारीक मखमली किनारों वाली नई साड़ियाँ चादर पर फेंक दीं।


निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ के आधार पर देश की आज़ादी में समाज में उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग के योगदान पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर

देश को स्वतंत्र कराने के लिए हमारे देश के अनेक वर्गों ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। स्वतंत्रता आंदोलन की इस लड़ाई में उच्च एवं निम्न वर्गों के सभी लोग जुड़े रहे। समाज में उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों ने जी-जान इस आंदोलन में अपना सफल सहयोग दिया । 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ' पाठ में लेखक ने ऐसे उपेक्षित वर्ग के योगदान को उकेरा है, जो नाचने-गाने वाले वर्ग से संबंध रखता है। समाज में जिन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा नहीं जाता। वास्तव में, इन लोगों की समाज से हटकर अपनी ही अलग दुनिया है। कहानी के मुख्य पात्र टुन्नू और दुलारी कजली गायक हैं। दोनों ने आज़ादी के आंदोलन में अपना सामर्थ्य अनुसार भरपूर योगदान दिया था। 16-17 वर्षीय संगीत प्रेमी टुन्नू का दुलारी के प्रति प्रेम अंततः देशप्रेम में परिणत हो जाता है। वह विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले जुलूस में शामिल हो जाता है और उस जुलूस में वह मारा जाता है। उसके द्वारा दिया गया बलिदान कहानी में भूमिका रखता है। स्वाभिमान से भरी दुलारी भी इस आंदोलन में सक्रिय भाग लेती है। विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले जुलूस में उनके द्वारा फैलाई चादर पर बारीक सूत की मखमली किनारे वाली नई कोरी धोतियों के बंडल को फेंककर वह इस आंदोलन में अपना योगदान देती है। इतना ही नहीं टुन्नू द्वारा दी गई गांधी आश्रम की धोती पहनकर उसके प्रति अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करती है। समाज की मुख्यधारा से बहिष्कृत एवं उपेक्षित समझे जाने वाले ये दोनों विशिष्ट पात्र देश की आज़ादी में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं ।


प्रश्न 2. दुलारी ने विदेशी साड़ियों को क्यों त्याग दिया? इस प्रसंग के आलोक में आज की पीढ़ी को आप किन जीवन-मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे?

उत्तर

दुलारी टुन्नू के प्रेम से प्रभावित हो गई थी । उसने होली पर गांधी आश्रम से उसके लिए धोती लाने वाले टुन्नू को फटकार तो लगाई थी, किंतु उसके जाने के बाद उसे टुन्नू के खट्टर के कुरते व गांधी टोपी का स्मरण हुआ, तो उसे समझते देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित हो गया है। यहीं से उसके मन के किसी कोने में टुन्नू के प्रति प्रेम ने उसके अंदर भी देशभक्ति की चिंगारी सुलगा दी और इसी कारण उसने विदेशी मिलों में तैयार फेंकू सरदार द्वारा लाई गई साड़ियाँ स्वराज आंदोलनकारियों द्वारा फैलाई चादर पर फेंक दीं। वास्तव में, प्रेम व देशभक्ति के लिए किया गया उसका यह छोटा-सा त्याग उसके चरित्र की महानता का द्योतक है। आज समाज में प्रेम की पवित्रता प्रभावित हो रही है, देशभक्ति एवं त्याग जैसे जीवन-मूल्यों से आज की पीढ़ी दूर होती जा रही है, वह केवल वही कार्य अधिक उपयोगी समझती है, जो उसके लिए हितकारी हो, ऐसे में दुलारी के इस त्याग से आज की पीढ़ी को पवित्र प्रेम, देशभक्ति, त्याग आदि मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे, ताकि इन्हें अपनाकर वह केवल जीवन को अपने तक न सिमेटे, वरन यह जाने कि जीवन का सच्चा सुख इन्हीं उदात्त गुणों में निहित है।


प्रश्न 3. 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि एक सामान्य प्राणी भी किन गुणों दुलारी सोचती कि टुन्नू सोलह-सत्रह साल का किशोर है और उसे के कारण अति विशिष्ट हो सकता है।

उत्तर

'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !' पाठ के अनुसार एक सामान्य प्राणी भी अपने गुणों के कारण अति विशिष्ट बन सकता है। ये गुण निम्नलिखित हो सकते हैं-

  1. देशप्रेम की भावना और उस पर मर मिटने का भाव साधारण व्यक्ति को भी असाधारण बना सकता है।
  2. जब मानव का प्यार शारीरिक न होकर आत्मिक या परोपकार की भावना से प्रेरित होता है, तब वह व्यक्ति को अति विशिष्ट बना देता है।
  3. निःस्वार्थ प्रेम और बलिदान की भावना भी साधारण मानव को विशिष्ट बना देती है।
  4. जिस प्रकार पाठ में टुन्नू का प्रेम शारीरिक न होकर आत्मिक था और अंततः देशप्रेम की तरफ़ मुड़कर और अपना बलिदान देकर वह विशिष्ट बन जाता है।
  5. दुलारी भी कला की उपासक, निर्भीक, प्रतिभाशाली, और एक सच्ची प्रेमिका जैसे गुणों के कारण टुन्नू के बलिदान से प्रेरित हो देशप्रेम को समर्पित हो जाती है और विशिष्ट बन जाती है।


प्रश्न 4. स्वाधीनता आंदोलन में टुन्नू और दुलारी के योगदान का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर

देश की आज़ादी की लड़ाई में टुन्नू ने अपना तन-मन से योगदान दिया। गांधी जी द्वारा चलाए गए विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले आंदोलन में टुन्नू ने भी भाग लिया। जब वह जुलूस के साथ टाउन हॉल पहुँचा, तो पुलिस के जमादार सगीर अली ने उसे पकड़कर गालियाँ दीं और जब टुन्नू ने उसका विरोध किया, तो उसे जूते से ठोकरें मारी गईं, जिससे वह घायल हो गया और अंत में शहीद हो गया । दुलारी भी टुन्नू से प्रेरित हो स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी। जब विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए जुलूस उसके घर के नीचे से निकला तो उसने अपनी लंकाशायर और मैनचेस्टर के मिलों की बनी बारीक मखमली किनारों वाली नई साड़ियाँ चादर पर फेंक दीं।

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