युधिष्ठिर की वेदना Class 7 Hindi Summary Bal Mahabharat

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युधिष्ठिर की वेदना Class 7 Hindi Summary Bal Mahabharat

युधिष्ठिर की वेदना Class 7 Hindi Summary Bal Mahabharat

रोती-बिलखती स्त्रियों के मध्य से निकलते हुए युधिष्ठिर भाइयों और श्रीकृष्ण के साथ धृतराष्ट्र के पास पहुंचे और नम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर खड़े हो गए। धृतराष्ट्र ने भीम को अपने पास बुलाया। श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र के क्रोध का अनुमान लगाकर एक लौह-मूर्ति को उनके सामने खड़ा कर दिया। जिसे छाती से लगाते ही धृतराष्ट्र ने चूर-चूर कर दिया। याद आते ही शोक विह्वल हो उठे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि भीम जीवित है, उसकी मूर्ति को उन्होंने तोड़ दिया है। धृतराष्ट्र ने उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया। इसके बाद वे गांधारी के पास गए। उसने भी अपने शो को दबाकर उन्हें आशीर्वाद दिया। द्रौपदी वहीं रह गई थी। वह रोने लगी तो गांधारी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा कि हम दोनों की एक जैसी ही दशा है।

शोक में डूबे युधिष्ठिर ने वन जाने का निश्चय किया। तब सब भाइयों ने युधिष्ठिर को समझाया। अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और द्रौपदी ने भी उन्हें समझाया कि उन्हें संन्यास लेने की बजाय राजोचित धर्म का पालन करते हुए शासन करना चाहिए। वे भीष्म पितामह से सलाह लेने गए तो पितामह ने उन्हें धर्म का मर्म समझाया। धृतराष्ट्र ने भी युधिष्ठिर को अपने पुत्र जैसा बताया और दुःखी ना होने का कहा|

शब्दार्थ -

• क्षुब्ध - दुःखी
• प्रबंध - इंतजाम
• व्रज गिरना - विपत्ति आना
• कटु - कड़वे
• दुष्कर - कठिन
• राजोचित - राजा के उचित
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