NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - ज्योतिबा फुले

1. ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं किया गया? तर्क सहित उत्तर लिखिए।

उत्तर

ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार नहीं किया गया क्योंकि इस सूची के निर्धारणकर्ता उस उच्चवर्गीय समाज का प्रतिनिधित्व करते थे, जिसका ज्योतिबा फुले विरोध करते थे। ब्राह्मण होते हुए भी वे हमेशा ब्राह्मण समाज में व्याप्त आडंबरों और रूढ़ियों का विरोध करते थे। वे सभी को समान अधिकार देने के समर्थक थे। महात्मा ज्योतिबा फुले के अनुसार शासक और धर्म के ठेकेदार आपस में मिलकर प्रशासन चलाते हैं। इसलिए विशेष वर्गों और स्त्रियों को मिलकर प्रशासन व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन चलाना चाहिए।

2. शोषण-व्यवस्था ने क्या-क्या षड्यंत्र रचे और क्यों?

उत्तर

वर्ण और जाति के आधार पर मनुष्यों को बाँटकर शोषण व्यवस्था ने अनेक षड्यंत्र रचे। वे पिछड़े वर्गों और स्त्रियों को शिक्षा से दूर रखकर उनका शोषण करते थे। जातिगत भेद-भाव उत्पन्न कर एक-दूसरे को लड़ाकर वे अपना स्वार्थ सिद्ध करते थे और ऊँच-नीच, अमीर-गरीब की भेद नीति से भी जन सामान्य का शोषण ही करते थे।

3. ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों के आदर्श परिवार से मेल खाता है? पक्ष-विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।

उत्तर

पक्ष - ज्योतिबा फुले के विचार अपने समय के रूढ़िवादी समाज और शिक्षा से बहुत आगे थे। उनके विचारों में आदर्श परिवार वह परिवार है जिसमें पिता बौद्ध होना चाहिए अर्थात परिवार का मुखिया सबको समान समझनेवाला होना चाहिए। माता ईसाई होनी चाहिए अर्थात माँ मरियम की तरह दुख सहन करके अपने बच्चों को अच्छे-बुरे का ज्ञान दे सके। परिवार में बेटी मुसलमान होनी चाहिए जो बिना भेदभाव के सभी का दुख दर्द समझे और बेटा सत्यधर्मी होना चाहिए। यानी परिवार ऐसा होना चाहिए जिसमें धार्मिक भेदभाव न हो और सबमे त्याग की भावना हो ताकि परिवार का कल्याण हो सके|

विपक्ष - परिवार को धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए| केवल धर्म के आधार पर किसी परिवार के नींव नहीं पड़ सकती| परिवार में विद्यमान लोगों में आपसी प्रेम, एकता, आपसी समझ, समन्वय की भावना, परिस्थितियों में दृढ़ता का भाव इत्यादि होना आवश्यक है। यदि किसी परिवार के मध्य ये नहीं हैं, तो वह आदर्श परिवार नहीं कहला सकता है।

4. स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए?

उत्तर

स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए फुले जी के अनुसार स्त्रियों को भी पुरुषों के समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। स्त्रियों को पुरुषों के समान जीने का अधिकार तथा स्वतंत्रतापूर्वक रहने का अधिकार देना चाहिए। विवाह के समय बोले जाने वाले मंत्रों में ब्राह्मणों का स्थान समाप्त हो जाना चाहिए तथा ऐसे वचन बुलवाने चाहिए जिसमें दोनों के अधिकार हों। ऐसे वचनों को कोई स्थान नहीं देना चाहिए, जिसमें पुरुष को मनमानी का अधिकार मिले और स्त्री को गुलामी का।

5. सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।

उत्तर

(क) उनके पति ज्योतिबा फुले ने सबसे पहले उन्हें पढ़ाना आरंभ किया और मराठी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं की शिक्षा दी।
(ख) उसके पश्चात उन्होंने अपने साथ लाई ईसाई पुस्तक को पढ़ा।
(ग) अपने पति के साथ उन्होंने पहले कन्या विद्यालय की स्थापना की।
(घ) विद्यालय खोलने के कारण उन्हें सास तथा ससुर ने घर से निकाल दिया।
(ङ) इसके बाद तो उन्होंने शुद्र जाति के लोगों के लिए निडर होकर कार्य करना आरंभ कर दिया।

6. ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर

ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर मैं समाज में स्त्रियों की दशा को सुधारने का प्रयास करुँगी/करुँगी| अब भी कई इलाके ऐसे हैं जहाँ स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं है| वहाँ स्त्रियों को बोझ समझा जाता है| वहाँ हम जाकर लोगों को समझा सकते हैं और मुफ़्त शिक्षा देकर स्त्रियों की हालात में बदलाव ला सकते हैं|

7. उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है?

उत्तर

आज के समय में दांपत्य जीवन में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े और कलेश हो जाते हैं। अहंकार की भावना रिश्तों के मध्य दीवार बन जाती है। परन्तु ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई ने पचास वर्षों तक कंधे-से-कंधा मिलाकर, परिवार और समाज का विरोध सहते हुए साथ कार्य किया। दोनों में एक-दूसरे के प्रति समर्पित भाव था। उन्होंने एक दूसरे के सपनों को अपना बनाया।

8. फुले दंपति ने स्त्री समस्या के लिए जो कदम उठाया था, क्या उसी का अगला चरण 'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम है?

उत्तर

निश्चित रूप से हम ऐसा समझ सकते हैं क्योंकि फुले दंपति ने स्त्रियों की शिक्षा के लिए बहुत काम किया| उन्होंने रूढ़िवादी समाज पर चोट करते हुए यह बताया की स्त्री शिक्षा कितना अधिक महत्वपूर्ण है| यह समाज के विकास में लिए एक अतिआवश्यक चरण है| 'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ' का कार्यक्रम भी महिलाओं के लिए समान अधिकार की बात करता है, महिलाओं को पुरुषों की तरह समाज में रहने का समान अधिकार होना चाहिए।"

9. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) सच का सबेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण)शरमा गए।

उत्तर

ज्योतिबा फुले कहते हैं कि जबसे शूद्र जाति वाले लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझकर शिक्षा ग्रहण करना आरंभ किया है, तबसे ब्राह्मण समाज का अंत आ गया है। वेदों के नाम पर इन्होंने समाज के अन्य लोगों को दबाकर रखा। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अब वेदों का महत्व समाप्त हो गए हैं। शूद्रों के पास ज्ञान की शक्ति देखकर ब्राह्मण समाज लज्जित हो गया है। जिसमें इतने वर्षों ने उन्होंने अपना अधिकार बनाए रखा था, अब वह उनका नहीं रहा है। शिक्षा का अधिकार सबके लिए है और अब सब उसका फायदा उठा रहे हैं।

(ख) इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।

उत्तर

ज्योतिबा फुले कहते हैं कि सदियों से ब्राह्मण समाज ने शूद्रों के साथ-साथ स्त्रियों का भी शोषण किया है। उन्होंने स्त्रियों को कभी सिर नहीं उठाने दिया। पत्नी धर्म के नाम पर उन्हें गुलाम बनाकर रखा। अतः शूद्रों के अतिरिक्त स्त्रियों को भी अपने अधिकारों के लिए ब्राह्मण समाज का विरोध करना चाहि। वे तभी अपने अधिकारों को पा सकेगीं।

10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए -

(क) स्वतंत्रता का अनुभव ........ हर स्त्री की थी।

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश सुधा अरोड़ा द्वारा लिखित रचना ज्योतिबा फुले से ली गई है। इन पंक्तियों में ज्योतिबा फुले स्त्रियों को अपनी शोषण अवस्था से उठकर अपने अधिकार पाने के लिए उत्साहित करते हैं।

व्याख्या - ज्योतिबा फुले ने स्त्री को समानता और स्वतंत्रता को प्रतिष्ठित करने के लिए नई विवाह विधि की रचना की जिसमें उन विचारधारा का निकाल दिया जिनसे स्त्री को गुलाम समझा जाता था। उन मंत्रों के स्थान पर ऐसे मंत्र बनाए जिनमें वधू वर से अपने लिए स्वतंत्रता की माँग करती हुई कहती है कि उन्होंने अपनी आज़ादी कभी महसूस ही नहीं की है| पहले में स्त्री अपने पति से कहती है कि हम स्त्रियों की बचपन से स्वतंत्रता ले ली जाती है। मृत्यु तक इस गुलामी युक्त जीवन को स्त्रियाँ जीने के लिए विवश होती हैं। अतः तुम कसम खाओ कि मुझे मेरे अधिकार दोगे और अपने समान स्वतंत्रतापूर्वक जीने दोगे। अर्थात तुम्हें जिस प्रकार जीने का अधिकार है, वैसा ही अधिकार मुझे भी विवाह के बाद मिलेगा।

(ख) मुझे 'महात्मा' कहकर........अलग न करें।

उत्तर

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश सुधा अरोड़ा द्वारा लिखित रचना ज्योतिबा फुले से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति में ज्योतिबा फुले उस विषय में विचार रखते हैं, जहाँ उन्हें महात्मा शब्द संबोधित किया गया।

व्याख्या - ज्योतिबा फुले के कार्य के लिए उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया गया था। उन्होंने तब कहा था कि मुझे इस प्रकार की पदवी न दें। इस प्रकार की पदवी पाकर मनुष्य अपनी दिशा से भटक जाता है। उसमें अहंकार आ जाता है और उसके कार्यों को विराम लग जाता है। अतः मुझे इस स्थिति से बचाएँ और अपने जैसा ही रहने दें। तभी मैं अपने कार्यों को सही प्रकार से कर पाऊँगा।
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