पापा खो गए वसंत भाग - 1 (Summary of Papa Kho Gye Vasant)

यह एकांकी लेखक श्री विजय तेंदुलकर जी द्वारा लिखा गया है जिसमें निर्जीव वस्तुओं की पीड़ा का सजीव चित्रण किया गया है और पाठ के द्वारा बच्चों के अपहरण के बढ़ते वारदातों को दिखाया है| रात के समय सड़क पर एक बिजली का खंभा, एक पेड़, एक लैटरबॉक्स और दीवार पर नाचने की मुद्रा में खड़ी लड़की का पोस्टर है। सुबह खड़े-खड़े वे जो भी देखते थे, रात में उसकी बातें करते थे| खम्भा एक स्थान पर खड़े रहने के कारण परेशान है| पेड़ कहता है कि वह तो उससे पहले का खड़ा है उसका तो जन्म ही इसी स्थान पर हुआ था। उस समय यहाँ कुछ नहीं था, वह और सामने फैला विशाल समुद्र था। सड़क बनने पर जब खंभे को उसके पास लगाया गया तो पेड़ को लगा कि उसका अकेलापन दूर करने के लिए एक साथी मिल गया है। खंभे पर जब बरसात के दिनों में मुसीबत आई तो उस समय पेड़ ने उसे सहारा देकर संभाला था। उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गई। दीवार पर लगे पोस्टर के टेढ़े होने से पोस्टर पर बनी नाचने वाली औरत के घुँघरू बज उठते हैं। 

उसी समय लैटरबक्स एक भजन गुनगुनाता हुआ आता है। कौवा भी भजन सुनकर पेड़ के पीछे से बाहर आता है। लैटरबक्स अपने डिब्बे में से चिट्ठियाँ निकालकर पढ़ने लगता है। पेड़ और खंभा लैटरबक्स को चिट्ठियाँ पढ़ने से रोकते हैं। 

उसी समय वहाँ किसी के आने की आहट होती है। सब चुप हो जाते हैं। एक आदमी अपने कंधे पर एक लड़की को उठाए चला आ रहा था। आदमी ने उस लड़की को बेहोश कर दिया था इसलिए वह गहरी नींद में सो रही थी। आदमी लड़की को वहीं छोड़कर अपने लिए खाने का प्रबंध करने चला जाता है। 

आदमी के जाने के बाद खंभा, पेड़, लैटरबॉक्स और कौवा, लड़की-आदमी के बारे में बातें करने लगते हैं। वे छोटी लड़की को उस आदमी से बचाने का उपाय सोचने लगते हैं। उन सबकी बात करने की आवाजों के कारण लड़की जाग जाती है। वह सबको बातें करते देखकर हैरान रह जाती है। लड़की को उठा देखकर सब चुप हो जाते हैं। लड़की अपने माँ-बाप और घर को याद करके रोने लगती है। लैटरबॉक्स से अब चुप नहीं रहा जाता। लैटरबक्स लड़की से बात शुरू करता है| वह उसके मन का डर दूर करने का प्रयास करता है। वह लड़की से उसके घर का पता पूछता है परन्तु उसे अपने घर का पता मालूम नहीं था।

लैटरबॉक्स लड़की को बताता है कि वे लोग भी इनसानों की तरह बात करते हैं। लड़की उन लोगों के साथ घुल-मिल जाती है। वे सब आपस में खेलने लगते हैं। सब चीज़ें उसको दुष्ट आदमी से बचाने का उपाय सोचने लगते हैं। उसी समय बच्चे उठाने वाला आदमी वहाँ आ जाता है। सभी वस्तुएँ अपने-अपने स्थान पर खड़ी हो जाती हैं। लड़की पेड़ के पीछे छिप जाती है। आदमी लड़की को ढूँढ़ता है परन्तु उसे लड़की कहीं नहीं मिलती। सभी चीज़ें मिल-जुलकर उस लड़की की रक्षा करती हैं। आदमी वहाँ से चला जाता है। सभी लोग लड़की को बचाकर खुश होते हैं। लड़की खेलते हुए सो जाती है। 

लड़की के सोने के बाद सब उसे घर कैसे पहुँचाया जाए सब इसके बारे में सोचने लगते हैं। कौवा उन्हें लड़की के घर का पता लगाने का एक उपाय बताता है। वह कहता है - पेड़ और खंभा लड़की के ऊपर इस प्रकार टेढ़े हो जाएँगे, जिससे लगे कि यहाँ कोई दुर्घटना घटी है। खंभा कहता है कि यदि फिर भी वहाँ कोई नहीं आता, तब क्या होगा? कौवा लैटरबॉक्स  को एक संदेश लिखने के लिए कहता है। 

कुछ देर बाद सुबह हो जाती है। खंभा टेढ़ा खड़ा है, पेड़ सोई हुई लड़की के ऊपर झुका हुआ था, कौवा काँव-काँव कर रहा था। पोस्टर पर बड़े-बड़े अक्षरों में पापा खो गए हैं लिखा हुआ था। नाचने वाली लड़की उस बच्ची की मुद्रा बना लेती है जिसके पापा खो गए थे। अंत में लैटरबॉक्स सबका ध्यान अपनी ओर खींचता है। वह सबसे कहता है कि जिसे भी इस लड़की के पापा मिले, उन्हें यहाँ पर ले आएँ।

कठिन शब्दों के अर्थ -

• भंगिमा - मुद्रा 
• आफ़त - मुसीबत 
• थर-थर काँपना - डर से काँपना 
• झेलना - सहन करना 
• गरूर - घमंड 
• कर्कश - कानों को खराब लगने वाली आवाज़ 
• फोकट - मुफ्त में
• पेट में चूहे दौड़ना - बहुत भूख लगना 
• दाल में काला होना - कुछ गड़बड़ की आशंका 
• गश्त लगाना - चारों ओर घूमना 
• गौर से देखना – ध्यान से देखना 
• चकमा देना - धोखा देना 
• प्रेक्षक - दर्शक


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