NCERT Solutions of Science in Hindi for Class 9th: Ch 12 ध्वनि विज्ञान 

प्रश्न 

पृष्ठ संख्या 182

1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?

उत्तर

जब कोई वस्तु कंपन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है| कंपमान वस्तु के संपर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं| ये अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं| निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं| माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है|

पृष्ठ संख्या 182

1. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?

उत्तर

जब घंटी लगातार आगे तथा पीछे की ओर गति करती है, तो ध्वनि उत्पन्न करने के लिए संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है|

2. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?

उत्तर

ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम जैसे- वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है, इसलिए वे यांत्रिक तरंगें भी कहलाते हैं| ध्वनि तरंगों का संचरण माध्यम में होता है क्योंकि उसी माध्यम में कणों का संपर्क उपस्थित रहता है|

3. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं| क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?

उत्तर

नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है| चूँकि वायुमंडल की अनुपस्थिति के कारण चंद्रमा पर कोई माध्यम नहीं है, इसलिए आपको चंद्रमा पर कोई आवाज नहीं सुन सकते हैं|

पृष्ठ संख्या 186

1. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है? (a) प्रबलता (b) तारत्व|

उत्तर

(a) आयाम
(b) आवृत्ति

2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है? (a) गिटार (b) कार का हॉर्न |

उत्तर

कार की तुलना में गिटार में ध्वनि का तारत्व अधिक है क्योंकि कार की अपेक्षा गिटार के तार द्वारा उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति अधिक होती है| अधिक आवृत्ति के कारण ध्वनि की तारत्व अधिक होती है|

पृष्ठ संख्या 186

1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?

उत्तर

 तरंगदैर्ध्य– दो क्रमागत संपीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है| इसका SI मात्रक मीटर (m) है|

आवृत्ति- एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है| इसका SI मात्रक हर्ट्ज़ (Hz) है|

आवर्त काल- एक माध्यम में घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहलाता है| इसका SI मात्रक सेकंड है|

आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं|

2. किसी ध्वनि की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?

उत्तर

किसी ध्वनि की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से निम्नलिखित समीकरण द्वारा संबंधित है :
वेग (v) = तरंगदैर्ध्य (λ) × आवृत्ति (v)
v = λ × ν

3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है| इस तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए|

उत्तर

ध्वनि तरंग की आवृत्ति, ν =  220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग, v = 440 m/s
ध्वनि तरंग के लिए,
वेग = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति
v = λ × ν
λ = v/v
= 440 / 220 = 2m
इस प्रकार ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य 2 में है|

4. किसी ध्वनिस्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है| स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा?

उत्तर

दो क्रमागत संपीडनों का समय अंतराल तरंग के आवर्त काल के बराबर होता है| ध्वनि की आवृत्ति तथा आवर्त काल एक दूसरे के पारस्परिक होते हैं, जिनके संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है :
T = 1/आवृत्ति = 1/500 = 0.002 s

पृष्ठ संख्या 187

1. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए|

उत्तर

प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है| किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं| ध्वनि की तीव्रता को उसके आयाम द्वारा परिभाषित किया जाता है| ध्वनि का आयाम उसके तीव्रता को निर्धारित करता है जो कानों द्वारा प्रबलता के रूप में अनुभव किया जाता है|

पृष्ठ संख्या 188

1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?

उत्तर

ध्वनि की चाल माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करती है| ध्वनि ठोस में सबसे तेज चलती है| इसकी चाल द्रव में घट जाती है तथा गैस में सबसे कम होती है| इसलिए दिए गए माध्यमों में ध्वनि लोहे से सबसे तेज चलती है|

पृष्ठ संख्या 189

1. कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है| यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?

उत्तर

ध्वनि की चाल, v = 342 ms-1 
प्रतिध्वनि में लगा समय, t = 3 s
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = v × t = 342 × 3 = 1026 m
दिए गए समय अंतराल में, ध्वनि को परावर्तक सतह तथा स्रोत से दोगुनी दूरी तय करनी पड़ेगी|
इसलिए स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी = 1026/2 m = 513 m

पृष्ठ संख्या 190

1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?

उत्तर

कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार होती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि समान रूप से हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए|

पृष्ठ संख्या 191

1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?

उत्तर

सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास 20 हर्ट्ज़ (Hz) से 20,000 हर्ट्ज़ (Hz) होती है|

2. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि

उत्तर

(a) अवश्रव्य ध्वनि का परास 20 हर्ट्ज़ से कम होता है|
(b) पराध्वनि का परास 20,000 हर्ट्ज़ से अधिक होता है|

पृष्ठ संख्या 193

1. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है| यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए|

उत्तर

सोनार स्पंद के द्वारा वापस लौटने में लिया गया समय, t = 1.02 s
खारे पानी में ध्वनि की चाल, v = 1531 m/s
पनडुब्बी से चट्टान की दूरी = ध्वनि की चाल × लिया गया समय
= 1.02 × 1531 = 1561.62 m
पानी में प्रेषण तथा अभिग्रहण के दौरान सोनार स्पंद द्वारा तय की गई दूरी = 2 × वास्तविक दूरी = 2d
वास्तविक दूरी, d = पनडुब्बी से चट्टान की दूरी/2
=  1561/2
= 780.31 m

पृष्ठ संख्या 195

1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?

उत्तर

ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है| यह कंपन करने वाली वस्तुओं द्वारा वायु में उत्पन्न स्पंद के कारण उत्पन्न होता है|

2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं|

उत्तर

जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कंपन करती है, तो इसके आस-पास उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है| इस क्षेत्र को संपीडन कहते हैं| जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन कहते हैं| जब वस्तु कंपन करती है अर्थात आगे और पीछे तेजी से गति करती है तो वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है| इसे चित्र में दिखाया गया है :


3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है|

उत्तर

एक विद्युत घंटी और निर्वात पंप से जुड़े एक काँच का वायुरूद्ध बेलजार लीजिए| विद्युत घंटी को बेलजार में लटकाइए| घंटी के स्विच को दबाने पर आप उसकी ध्वनि को सुन सकते हैं| अब निर्वात पंप को चलाइए| जब बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है| कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई पड़ती है| बेलजार की समस्त वायु निकाल देने पर कोई ध्वनि सुनाई नहीं देती| यह दर्शाता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है| 
पृष्ठ संख्या 196

4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?

उत्तर

ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य होती है क्योंकि यह वायु में संपीडन तथा विरलन के कारण उत्पन्न होता है| इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है|

5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अँधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?

उत्तर

ध्वनि की गुणता अँधेरे कमरे में बैठे मित्र की आवाज पहचानने में हमारी सहायता करता है|

6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं| लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है| ऐसा क्यों होता है?

उत्तर

ध्वनि की चाल (344 m/s) प्रकाश की चाल (3 × 108 m/s) से कम होती है| तड़ित के प्रकाश की तुलना में गर्जन को धरती तक पहुँचने में अधिक समय लगता है| इसलिए चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है|

7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है| इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए| वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए|

उत्तर

ध्वनि तरंग के लिए 
वेग =  तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति
वायु में ध्वनि का वेग = 344 m/s
(i) आवृत्ति, v = 20 Hz के लिए,
λ1 = v/ν = 344/20 = 17.2 m
(ii) आवृत्ति, v = 20 kHz
λ2 = v/ν = 344/20000 = 0.172 m
इस प्रकार व्यक्ति में श्रव्य परास की तरंगदैर्ध्य 0.172 m से 17.2 m है|

8. दो बालक किसी एलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर है| एक बालक पाइप के एक सिरे से पत्थर से आघात करता है| दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा एलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए|

उत्तर

वायु में ध्वनि का वेग = 346 m/s
एलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 m/s
मान लें कि पाइप की लंबाई = 1m
वायु में ध्वनि तरंगों द्वारा लिया गया समय, t1= 1 / वायु में ध्वनि का वेग
एलुमिनियम में ध्वनि तरंगों द्वारा लिया गया समय, t2 = 1 / एलुमिनियम में ध्वनि का वेग
इस प्रकार, t1/t2 = एलुमिनियम में ध्वनि का वेग / वायु में ध्वनि का वेग
= 6420/346 = 18.55 : 1

9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है| एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?

उत्तर

आवृत्ति = 100 Hz
इसका अर्थ है कि एक सेकंड में ध्वनि स्रोत 100 बार कंपन करता है| 
इसलिए 1 मिनट में कंपन की संख्या, (60 सेकंड में) = 100 × 60 = 6000 

10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए|

उत्तर

प्रकाश की भाँति ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है| परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं और ये तीनों दिशाएँ एक ही तल में होती है|

11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है| यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी-(i) जिस दिन तापमान अधिक हो? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?

उत्तर

परावर्तित ध्वनि सुनने के 0.01 सेकंड के बाद प्रतिध्वनि सुनाई देती है| 
लिया गया समय = कुल दूरी / वेग
अधिक तापमान वाले दिन में ध्वनि का वेग अधिक होता है| यदि प्रतिध्वनि द्वारा लिया गया समय 0.01 सेकंड से कम हो तो यह नहीं सुनाई देगी|

12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए|

उत्तर

ध्वनि तरंगों के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग हैं : 
• ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग जल में स्थित पिंडों की दूरी तथा चाल मापने के लिए किया जाता है| इस विधि को सोनार कहा जाता है| 
• स्टेथोस्कोप की कार्यविधि भी ध्वनि तरंगों के परावर्तन पर आधारित होती है| इसमें, रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है|

13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है| पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g =10 ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)

उत्तर

मीनार की ऊँचाई, s = 500 m
ध्वनि का वेग, v = 340 ms-1
गुरुत्वीय त्वरण, g = 10 ms-2 
पत्थर का प्रारंभिक वेग, u = 0 (चूँकि प्रारंभ में पत्थर विराम अवस्था में है)
मीनार के आधार तक गिरने में पत्थर द्वारा लिया गया समय, t1
गति के दूसरे समीकरण के अनुसार,

अब, ध्वनि द्वारा मीनार के आधार से चोटी तक पहुँचने में लिया गया समय, t2 = 500 / 340 = 1.47 s
इसलिए, चोटी पर पत्थर के पानी में गिरने की ध्वनि सुनाई देने का समय, t 
जहाँ, t=  t1 + t2 = 10 + 1.47 = 11.47 s

14. एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है| यदि इसकी तरंगदैर्ध्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?

उत्तर

ध्वनि की चाल, v = 339 ms-1 
ध्वनि की तरंगदैर्ध्य, λ = 1.5 cm = 0.015 m  
ध्वनि की चाल, v = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति = λ × v
∴ v= v/λ = 339/0.015 = 22600 Hz

मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता की आवृत्तियों का औसत परास 20 Hz से 20 kHz तक होता है| चूँकि दी गई ध्वनि की आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है, इसलिए वे श्रव्य नहीं होंगी| 

15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?

उत्तर

किसी बड़े हॉल में उत्पन्न ध्वनि के बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है| 
अनुरणन को सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दे लगाकर कम किया जा सकता है| 

16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?

उत्तर

प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है| 
ध्वनि की प्रबलता कंपन के आयाम पर निर्भर करती है| वास्तव में, ध्वनि की प्रबलता कंपन के आयाम के अनुपातिक होती है|

17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए|

उत्तर

चमगादड़ उच्च तारत्व के पराध्वनि उत्पन्न करते हैं| उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पन्द अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं| इससे चमगादड़ को पता चलता है कि शिकार कहाँ और कितनी दूरी पर है|

18. वस्तुओं को साफ़ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?

उत्तर

जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं| उच्च आवृत्ति के कारण गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं तथा वस्तु पूर्णतया साफ़ हो जाता है|

19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए|

उत्तर

सोनार शब्द Sound Navigation And Ranging से बना है| यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है| इसका उपयोग समुद्र तथा महासागरों की गहराई मापने में भी किया जाता है| सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है जो पराध्वनि तरंगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है| ये तरंगें जल में चलती हैं तथा समुद्र तल में पिंड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती है| संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है|
पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अंतराल ‘t’ है तथा समुद्री जल में ध्वनि की चाल ‘v’ है| तब सतह से पिंड की दूरी 2d होगी, 2d = v × t |उपरोक्त ध्वनि को प्रतिध्वनिक-परास कहते हैं

पृष्ठ संख्या 197

20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5 s पश्चात् ग्रहण करती है| यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए|

उत्तर

प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय, t = 5 s 
पनडुब्बी से वस्तु की दूरी, d = 3625 m
जल में अभिग्रहण तथा प्रेषण के दौरान सोनार तरंगों द्वारा तय की गई दूरी = 2d
जल में ध्वनि की चाल, v = 2d/t = 2 × 3625/5 = 1450 ms-1 

21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है वर्णन कीजिए|

उत्तर

पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है| पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं तथा प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है| यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती है|

22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए|

उत्तर

मनुष्य के कान के तीन भाग होते हैं :
• बाहरी कान पल्लव कहलाता है| यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है तथा एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है| 

• इसके बाद ध्वनि श्रवण नलिका के सिरे पर तक पहुँचती है जहाँ एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं| जब माध्यम में संपीडन कर्ण तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है तथा कर्ण को पटह अंदर की ओर दबाता है| इसी प्रकार विरलन के पहुँचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है| इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है| मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ (मुग्दरक निहाई तथा वलयक) इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती हैं|

• आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है जिन्हें श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है|
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