NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - जलवायु तंत्र भारत भौतिक पर्यावरण (Jalwayu Tantr) Bharat Bhautik Paryavaran

पृष्ठ संख्या: 58

अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

(i) जाड़े के आरंभ में तामिलनाडु के तटीय प्रदेशों में वर्षा किस कारण होती हैं?
(क) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
(ख) उत्तर-पूर्वी मानसून
(ग) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(घ) स्थानीय वायु परिसंचरण
► (ख) उत्तर-पूर्वी मानसून

(ii) भारत के कितने भू-भाग पर 75 सेंटीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है?
(क) आधा
(ख) दो-तिहाई
(ग) एक-तिहाई
(घ) तीन-चौथाई
► (घ) तीन-चौथाई

(iii) दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य ठीक नहीं है?
(क) यहाँ दैनिक तापांतर कम होता है|
(ख) यहाँ वार्षिक तापांतर कम होता है|
(ग) यहाँ तापमान सारा वर्ष ऊँचा रहता है|
(घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है|
► (घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है|

(iv) जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है, तब निम्नलिखित में से क्या होता है?
(क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है|
(ख) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान बढ़ने के कारण निम्न वायुदाब विकसित हो जाता है|
(ग) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान और वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं आता|
(घ) उत्तरी-पश्चिमी भारत में झुलसा देने वाली तेज लू चलती है|
► (क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है|

(v) कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में ‘As’ प्रकार की जलवायु कहाँ पाई जाती है?
(क) केरल और तटीय कर्नाटक में
(ख) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में
(ग) कोरोमंडल तट पर
(घ) असम व अरूणाचल प्रदेश में
► (ग) कोरोमंडल तट पर

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-से हैं?

उत्तर

भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं :

• वायुदाब एवं पवनों का धरातल पर वितरण|

• भूमंडलीय मौसम को नियंत्रित करने वाले कारकों एवं विभिन्न वायु संहतियों एवं जेट प्रवाह के अंतर्वाह द्वारा उत्पन्न उपरी वायुसंचरण, और

• शीतकाल में पशिचमी विक्षोभों तथा दक्षिण-पशिचमी मानसून काल में उष्ण कटिबंधीय अवदाबों के भारत में अंतर्वहन के कारण उत्पन्न वर्षा की अनुकूल दशाएँ|

(ii) अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?

उत्तर

विषुवत् वृत्त पर स्थित अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र है| इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें मिलती हैं| अतः इस क्षेत्र में वायु ऊपर उठने लगती है|

(iii) मानसून प्रस्फोट से आपका क्या अभिप्राय है? भारत में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले स्थान का नाम लिखिए|

उत्तर

प्रचंड गर्जन और बिजली की कड़क के साथ इन आर्द्रता भरी पवनों का अचानक चलना प्रायः मानसून का ‘प्रस्फोट’ कहलाता है|

भारत में मेघालय के मासिनराम में सबसे अधिक वर्षा होती है|

(iv) जलवायु प्रदेश क्या होता है? कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार कौन-से हैं?

उत्तर

एक जलवायु प्रदेश में जलवायवी दशाओं की समरूपता होती है, जो जलवायु के कारकों के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती हैं|

कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार हैं-
• तापमान
• वर्षण

(v) उत्तर-पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? वे चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?

उत्तर

उत्तर-पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ से वर्षा प्राप्त होती है| वे चक्रवात भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में लिखिए|

(i) जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य होते हुए भी, भारत की जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं| उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

मानसून के प्रभाव के कारण भारत की जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य है| भारत की जलवायु में अनेक प्रादेशिक भिन्नताएँ हैं जिन्हें पवनों के प्रतिरूप, तापक्रम और वर्षा, ऋतुओं की लय तथा आर्द्रता एवं शुष्कता की मात्रा में भिन्नता के रूप में देखा जा सकता है| इसके कई उदाहरण हैं :

• तापमान : गर्मियों में पश्चिमी मरूस्थल में तापक्रम कई बार 55 सेल्सियस को स्पर्श कर लेता है| जबकि सर्दियों में लेह के आसपास तापमान -45 सेल्सियस तक गिर जाता है| राजस्थान के चुरू जिले में जून के महीने के किसी एक दिन का तापमान 50 सेल्सियस अथवा इससे अधिक हो जाता है, जबकि उसी अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले में तापमान मुश्किल से 19 सेल्सियस तक पहुँचता है|

• वर्षा : मेघालय की खासी पहाड़ियों में स्थित चेरापूँजी और मॉसिनराम में औसत वार्षिक वर्षा 1,080 से.मी. से ज्यादा होता है| इसके विपरीत राजस्थान के जैसलमेर में औसत वार्षिक वर्षा शायद ही 9 से.मी. से अधिक होती हो|

• मानसून : जुलाई या अगस्त में, गंगा के डेल्टा तथा उड़ीसा के तटीय भागों में हर तीसरे या पाँचवें दिन प्रचंड तूफान मूसलाधार वर्षा करते हैं| जबकि इन्हीं महीनों में मात्र एक हजार किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित तमिलनाडु का कोरोमंडल तट शांत एवं शुष्क रहता है|

(ii) भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं? किसी एक मौसम की दशाओं की सविस्तार व्याख्या कीजिए|

उत्तर

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में निम्नलिखित चार स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं:

• शीत ऋतु
• ग्रीष्म ऋतु
• दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतु
• मानसून की निर्वतन की ऋतु

• शीत ऋतु : आम तौर पर उत्तरी भारत में शीत ऋतु नवंबर के मध्य से आरंभ होती है| उत्तरी मैदान में जनवरी और फरवरी सर्वाधिक ठंडे महीने होते हैं| इस समय उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत दैनिक तापमान 21 सेल्सियस से कम रहता है| रात्रि का तापमान काफी कम हो जाता है|

प्रायद्वीपीय भारत में कोई निशिचत शीत ऋतु नहीं होती| तटीय भागों में भी समुद्र के समकारी प्रभाव तथा भूमध्यरेखा को निकटता के कारण ऋतु के अनुसार तापमान के वितरण प्रतिरूप में शायद ही कोई बदलाव आता हो|

सर्दियों में भारत का मौसम सुहावना होता है| फिर भी यह सुहावना मौसम कभी-कभार हल्के चक्रवातीय अवदाबों से बाधित होता रहता है| पश्चिमी विक्षोभ कहे जाने बाले ये चक्रवात पूर्वी भूमध्यसागर पर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर चलते हुए पश्चिमी एशिया, ईरान-अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान को पार करके भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में पहुँचते हैँ|

शीतकालीन मानसून पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण वर्षा नहीं करतीं, क्योकि एक तो इनमें नमी केवल नाममात्र की होती है, दूसरे, स्थल पर घर्षण के कारण इन पवनों का तापमान बढ़ जाता है, जिससे वर्षा होने की संभावना निरस्त हो जाती है| अत: शीत ऋतु में अधिकांश भारत में वर्षा नहीं होती| अपवादस्वरुप कुछ क्षेत्रों में शीत ऋतु में वर्षा होती है, जैसे- पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर-पश्चिमी भारत में वर्षा होती है| कभी-कभी देश के मध्य भागों एवं दक्षिणी प्रायद्वीप के उत्तरी भागों में भी कुछ शीतकालीन वर्षा हो जाती है|

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