पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - स्मृति संचयन भाग - 1

सार

इस पाठ में लेखक ने अपने बचपन के कभी ना भूलने वाली एक घटना का वर्णन किया है। किस तरह से उन्होंने अपने बचपन में साँप से लड़कर चिट्टियाँ का बचाव किया, इसका चित्रण किया है।

ठण्ड का मौसम था। सायंकाल में लेखक अपने साथियों के खेल-कूद में व्यस्त थे, तभी एक आदमी ने लेखक को आवाज़ दी कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं। लेखक अपने छोटे भाई को लेकर घर की ओर चल पड़ते हैं, साथ में उन्हें हृदय में किसी अपराध के कारण पिटने का डर भी लग रहा था। जब वह घर पहुँचते हैं तो उनके बड़े भाई पत्र लिख रहे थे। लेखक के बड़े भाई ने उन्हें चिट्टियाँ दीं और उन्हें मक्खनपुर पोस्ट ऑफिस में डालने को कहा।

लेखक और उनके छोटे भाई अपने-अपने डंडे लेकर चल दिए। उन्होंने चिट्टियों को टोपी में रख लिया क्योंकि कुर्तें में जेबें नहीं थी। वे लोग एक ही साँस में गाँव से चार फर्लांग दूर उस कुएँ के पास आ गए जहाँ एक अति भयंकर काला साँप पड़ा था। कुआँ कच्चा था और चौबीस हाथ गहरा था, उसमें पानी नहीं था। लेखक और उसके सहपाठी स्कूल जाते समय उस कुएँ में प्रतिदिन ढेला डालते और साँप की आवाज सुनते थे। लेखक नेआज भी एक ढेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला गिरा दिया। टोपी के हाथ में लेते तीनों चिट्टियाँ कुएँ में जा गिरीं। लेखक को लगा मानों जान निकल गई हो।

वे दोनों कुएँ की पाट पर बैठकर दहाड़ें मार कर रोने लगते हैं। कुछ देर फैसला करते हैं कि लेखक अंदर जाकर चिट्टियाँ निकालेंगे। उनलोगों ने धोतियों और रस्सियों में गाठें लगाकर एक बड़ी रस्सी तैयार की। रस्सी के एक छोर पर डंडा बाँधकर कुएँ में गिरा दिया और दूसरी छोर को एक एक लकड़ी से बाँधकर छोटे भाई को हाथ में दे दिया। नीचे साँप फ़न फैलाकर बैठा था। लेखक धीरे-धीरे नीचे उतरने लगे।

साँप के फ़न की ओर लेखक की आँखें टिकी हुईं थीं।  नीचे डंडा चलाने का स्थान न था। लेखक को अपनी योजना असफल होती लगने लगी। दो चिट्टियाँ साँप के पास पड़ीं थीं तथा एक एक चिट्टी लेखक के पास पड़ी थी। चूँकि अभी तक साँप ने को हमला नही किया था इसलिए लेखक ने भी डंडा से फ़न को दबाने का प्रयास नहीं किया। डंडे को लेखक ने जैसे ही साँप की दायीं ओर पड़ी चिट्टी के तरफ आगे बढ़ाया, साँप ने अपना विष छोड़ दिया जो डंडे पर लगा। डंडा लेखक के हाथ से छूट गया। साँप ने डंडे के ऊपर तीन प्रहार किए। छोटे भाई को लगा कि लेखक का काम तमाम हो गया और उसकी चीख निकल गई। लेखक ने डंडे को उठाकर फिर लिफाफा उठाना चाहा परन्तु साँप ने फिर वार किया। इस बार लेखक की हाथों से डंडा नहीं गिरा परन्तु साँप का पिछला भाग लेखक की हाथों को छू गया। लेखक ने डंडा पटक दिया। डंडे लेखक की ओर खिंच आने से साँप दोनों के जगह बदल गए। लेखक ने तुरंत ही लिफ़ाफ़े व पोस्टकार्ड चुन लिए और धोती वाली रस्सी में बाँध दिया जिन्हें उनके छोटे भाई ने उन्हें ऊपर खींच लिया।

लेखक को निशान उनका डंडा साँप के पास गिरा था। उसे निकालने में लेखक को बड़ी कठिनाई हुई। निकालने के बाद हाथों के बल ऊपर चढ़ना भी कठिन काम था। लेखक ग्यारह वर्ष की उम्र में 36 फुट चढ़े। उनलोगों ने वहाँ विश्राम किया और एक लड़के जिसने लेखक को ऊपर चढ़ते देखा था उसे किसी ने बताने को राज़ी किया।

10वीं पास करने के बाद लेखक ने यह घटना माँ को सुनाई तब माँ ने उन्हें अपने गोद में बैठा लिया।

शब्दार्थ

• चिल्ला जाड़ा - बहुत अधिक ठण्ड
• आशंका - डर
• मज्जा - हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ
• ठिठुर - काँपना
• झूरे - तोड़ना
• मूक - मौन
• प्रसन्नवदन - प्रसन्न चेहरा
• उझकना - उचकना
• प्रतिध्वनि - किसी शब्द के उपरान्त सुनाई पड़ने वाला उसी से उत्पन्न शब्द
• किलोले - क्रीड़ा
• मृगसमूह - हिरनों का झुण्ड
• प्रवृत्ति - मन का किसी विषय की ओर झुकाव
• मृगशावक - हिरन का बच्चा
• दाढ़ें - ज़ोर-ज़ोर से रोना
• उद्वेग - बैचैनी
• कपोलों पर - गालों पर
• दुधारी - दो तरफ़ से धार वाली
•  दृढ़ - पक्का
• आलिंगन - गले लगना
• आश्वासन - भरोसा
• अग्र भाग - अगला हिस्सा
• प्रतिद्वंदी - विपक्षी
• परिधि - घेरा
• एकाग्रचित्तता - स्थिरचित्त
• सूझ - उपाय
• समकोण - 90° कोण
• चक्षु:श्रवा - आँखों से सुनने वाला
• आकाश-सुमन - कोरी कल्पना
• पैंतरों - स्थिति
• अचूक - खाली ना जाने वाला
• अवलंबन - सहारा
• कायल - मानने वाला
• गुंजल्क - गुत्थी
• ताकीद - बार-बार चेताने की क्रिया
• डैने - पंख

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