पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन क्षितिज भाग - 2

सार

इस पाठ में लेखक ने स्त्री शिक्षा के महत्व को प्रसारित करते हुए उन विचारों का खंडन किया है। लेखक को इस बात का दुःख है आज भी ऐसे पढ़े-लिखे लोग समाज में हैं जो स्त्रियों का पढ़ना गृह-सुख के नाश का कारण समझते हैं। विद्वानों द्वारा दिए गए तर्क इस तरह के होते हैं, संस्कृत के नाटकों में पढ़ी-लिखी या कुलीन स्त्रियों को गँवारों की भाषा का प्रयोग करते दिखाया गया है। शकुंतला का उदहारण एक गँवार के रूप में दिया गया है जिसने दुष्यंत को कठोर शब्द कहे। जिस भाषा में शकुंतला ने श्लोक वो गँवारों की भाषा थी। इन सब बातों का खंडन करते हुए लेखक कहते हैं की क्या कोई सुशिक्षित नारी प्राकृत भाषा नही बोल सकती। बुद्ध से लेकर महावीर तक ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में ही दिए हैं तो क्या वो गँवार थे। लेखक कहते हैं की हिंदी, बांग्ला भाषाएँ आजकल की प्राकृत हैं। जिस तरह हम इस ज़माने में हिंदी, बांग्ला भाषाएँ पढ़कर शिक्षित हो सकते हैं उसी तरह उस ज़माने में यह अधिकार प्राकृत को हासिल था। फिर भी प्राकृत बोलना अनपढ़ होने का सबूत है यह बात नही मानी जा सकती।

जिस समय नाट्य-शास्त्रियों ने नाट्य सम्बन्धी नियम बनाए थे उस समय सर्वसाधारण की भाषा संस्कृत नही थी। इसलिए उन्होंने उनकी भाषा संस्कृत और अन्य लोगों और स्त्रियों की भाषा प्राकृत कर दिया। लेखक तर्क देते हुए कहते हैं कि शास्त्रों में बड़े-बड़े विद्वानों की चर्चा मिलती है किन्तु उनके सिखने सम्बन्धी पुस्तक या पांडुलिपि नही मिलतीं उसी प्रकार प्राचीन समय में नारी विद्यालय की जानकारी नही मिलती तो इसका अर्थ यह तो नही लगा सकते की सारी स्त्रियाँ गँवार थीं। लेखक प्राचीन काल की अनेकानेक शिक्षित स्त्रियाँ जैसे शीला, विज्जा के उदारहण देते हुए उनके शिक्षित होने की बात को प्रामणित करते हैं। वे कहते हैं की जब प्राचीन काल में स्त्रियों को नाच-गान, फूल चुनने, हार बनाने की आजादी थी तब यह मत कैसे दिया जा सकता है की उन्हें शिक्षा नही दी जाती थी। लेखक कहते हैं मान लीजिये प्राचीन समय में एक भी स्त्री शिक्षित नही थीं, सब अनपढ़ थीं उन्हें पढ़ाने की आवश्यकता ना समझी गयी होगी परन्तु वर्तमान समय को देखते हुए उन्हें अवश्य शिक्षित करना चाहिए।

लेखक पिछड़े विचारधारावाले विद्वानों से कहते हैं की अब उन्हें अपने पुरानी मान्यताओं में बदलाव लाना चाहिए। जो लोग स्त्रियों को शिक्षित करने के लिए पुराणों के हवाले माँगते हैं उन्हें श्रीमद्भागवत, दशमस्कंध के उत्तरार्ध का तिरेपनवां अध्याय पढ़ना चाहिए जिसमे रुक्मिणी हरण की कथा है। उसमे रुक्मिणी ने एक लम्बा -चौड़ा पत्र लिखकर श्रीकृष्ण को भेजा था जो प्राकृत में नहीं था। वे सीता, शकुंतला आदि के प्रसंगो का उदहारण देते हैं जो उन्होंने अपने पतियों से कहे थे। लेखक कहते हैं अनर्थ कभी नही पढ़ना चाहिए। शिक्षा बहुत व्यापक शब्द है, पढ़ना उसी के अंतर्गत आता है। आज की माँग है की हम इन पिछड़े मानसिकता की बातों से निकलकर सबको शिक्षित करने का प्रयास करें। प्राचीन मान्यताओं को आधार बनाकर स्त्रियों को शिक्षा से वंचित करना अनर्थ है।

लेखक परिचय

महावीर प्रसाद दिवेदी

इनका जन्म सन 1864 में ग्राम दौलतपुर, जिला रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होने रेलवे में नौकरी कर ली। बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर सन 1903 में प्रसिद्ध हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती का संपादन शुरू किया तथा 1920 तक उससे जुड़े रहे। सन 1938 में इनका देहांत हो गया।

प्रमुख कार्य

निबंध संग्रह - रसज्ञ, रंजन, साहित्य-सीकर, साहित्य- संदर्भ, अद्भुत अलाप
अन्य कृतियाँ - संपत्तिशास्त्र , महिला मोद अध्यात्मिकी।
कवितायेँ - दिवेदी काव्य माला।

कठिन शब्दों के अर्थ

• धर्मतत्व - धर्म का सार
• दलीलें - तर्क
• सुमार्गगामी - अच्छी राह पर चलने वाले
• कुतर्क - अनुचित तर्क
• प्राकृत - प्राचीन काल की भाषा
• कुमार्गगामी - बुरी राह पर चलने वाले
• वेदांतवादिनी - वेदान्त दर्शन पर बोलने वाली
• दर्शक ग्रन्थ - जानकारी देने वाली पुस्तकें
• प्रगल्भ - प्रतिभावान
• न्यायशीलता - न्याय के अनुसार आचरण करना
• विज्ञ - समझदार
• खंडन - किसी बात को तर्कपूर्ण ढंग से गलत कहना
• नामोल्लेख - नाम का उल्लेख करना
• ब्रह्मवादी - वेद पढ़ने-पढ़ाने वाला
• कालकूट - विष
• पियूष - सुधा
• अल्पज्ञ - थोड़ा जानने वाला
• नीतिज्ञ - नीति जाने वाला
• अपकार - अहित
• व्यभिचार - दुराचार
• ग्रह ग्रस्त - पाप ग्रह से प्रभावित
• परित्यक्त - छोड़ा हुआ
• कलंकारोपण - दोष मढ़ना
• दुर्वाक्य - निंदा करने वाला वाक्य
• बात व्यथित - बातों से दुखी होने वाले
• गँवार -असभ्य
• तथापि - फिर भी
• बलिहारी - न्योछावर
• धर्मावलम्बी - धर्म पर निर्भर
• गई बीती - बदतर
• संशोधन - सुधार
• मिथ्या - झूठ
• सोलह आने - पूर्णतः
• संद्वीपान्तर - एक से दूसरे द्वीप जाना
• छक्के छुड़ाना - हरा देना

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