NCERT Solutions for Chapter 20 गमन एवं संचलन Class 11 Biology

Chapter 20 गमन एवं संचलन NCERT Solutions for Class 11 Biology are prepared by our expert teachers. By studying this chapter, students will be to learn the questions answers of the chapter. They will be able to solve the exercise given in the chapter and learn the basics. It is very helpful for the examination.

एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 20 गमन एवं संचलन Class 11 Biology

प्रश्न 1. कंकाल पेशी के एक सार्कोमियर का चित्र बनाइए और विभिन्न भागों को चिह्नित कीजिए ।

उत्तर


प्रश्न 2. पेशी संकुचन के सर्पी तन्तु सिद्धान्त को परिभाषित कीजिए।

उत्तर

हक्सले (Huxley, 1954) ने रेखित पेशी तन्तुओं का इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययन करके इनमें उपस्थित एक्टिन तथा मायोसिन छड़ों (actin and myosin filaments) का विशिष्ट विन्यास देखा। इस विन्यास को देखते हुए इन्होंने पेशी तन्तु संकुचन का सर्पी तन्तु या छड़ विसर्पण सिद्धान्त (sliding filament theory) दिया।

रेखित पेशियों के संकुंचन की कार्य-विधि:

रेखित पेशियों में संकुचन तन्त्रिका उद्दीपन के फलस्वरूप होता है। एक्टिन छड़ें मायोसिन छड़ों के ऊपर फिसलकर इनके भीतर (सार्कोमियर के केन्द्र की ओर ) प्रवेश कर जाती हैं, जिससे पेशी तन्तु में संकुचन हो जाता है।

पेशी संकुचन का सर्पी तन्तु या छड़ विसर्पण सिद्धान्त:

सामान्य अवस्था में सार्कोमियर (sarcomere) में ATP तथा मैग्नीशियम आयन होते हैं; कैल्सियम आयन भी सूक्ष्म मात्रा में होते हैं। एक्टिन छड़ें ट्रोपोमायोसिन (tropomyosin) के साथ इस प्रकार जुड़ी रहती हैं कि ये मायोसिन छड़ों के साथ नहीं जुड़ सकतीं।

जब पेशी तन्तु को तन्त्रिका आवेग द्वारा थ्रेशहोल्ड उद्दीपन (threshold stimulus) प्राप्त होता है, तब पेशी तन्तु के अन्तर्द्रव्यीय जाल (ER) से Ca++ (कैल्सियम आयन) सार्कोमियर में मुक्त हो जाते हैं। ये कैल्सियम आयन ट्रोपोमायोसिन के साथ संयुक्त (bind) हो जाते हैं और एक्टिन छड़ें. (actin filaments) स्वतन्त्र हो जाती हैं।

इसी समय ATP के जल विघटन (hydrolysis) के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है। इस ऊर्जा की उपस्थिति में एक्टिन तथा मायोसिन सक्रिय जाते हैं और नए सेतु बन्धों (across bridges) की रचना होती है। इसके फलस्वरूप एक्टिन छड़ें मायोसिन छड़ों के ऊपर फिसलकर सार्कोमियर के केन्द्र की ओर चली जाती हैं। एक्टिन तथा मायोसिन मिलकर एक्टोमायोसिन (actomyosin) की रचना करते हैं।

इस प्रक्रिया में पेशी तन्तु की लम्बाई कम हो जाती है अर्थात् संकुचन हो जाता है।

जब उद्दीपन समाप्त हो जाता है, तब सक्रिय पम्पिंग द्वारा कैल्सियम आयनों को अन्तर्द्रव्यीय जाल में पम्प कर दिया जाता है। ट्रोपोमायोसिन स्वतन्त्र हो जाता है, इससे एक्टिन व मायोसिन के बीच के सेतु बन्ध टूट जाते हैं। एक्टिन फिर ट्रोपोमायोसिन के साथ संयुक्त (bind) हो जाता है। पेशी तन्तु वापस अपनी पुरानी लम्बाई में लौट आता है । मृत्यु के पश्चात् ATP के न बनने के कारण Ca++ वापस सार्कोप्लाज्मिक जाल में नहीं जा सकते; अतः पेशियाँ सिकुड़ी रह जाती हैं और शरीर अकड़ा रह जाता है।

ऊर्जा आपूर्ति (Energy supply) – पेशी संकुचन के लिए ऊर्जा की आपूर्ति ATP द्वारा होती है। पेशियों में ATP का निर्माण ग्लाइकोजन के अपचय (catabolism) के फलस्वरूप होता है।

पेशी संकुचन के समय ATP के जल विघटन (hydrolysis) से ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

ATP → ADP + Pi + ऊर्जा

पेशियों में एक और उच्च ऊर्जा यौगिक उपस्थित होता है, जिसे क्रिएटिन फॉस्फेट (creatine phosphate—PCr) कहते हैं। इसका प्रयोग भी ATP निर्माण में होता है।

ADP + PCr → ATP + Cr

विश्रामावस्था में ATP द्वारा फिर से क्रिएटिन फॉस्फेट का निर्माण हो जाता है।

ATP + Cr → PCr + ADP

इस प्रकार पेशी में क्रिएटिन फॉस्फेट का भण्डार बना रहता है, जो आवश्यकता पड़ने पर ATP प्रदान कर सकता है।


प्रश्न 3. पेशी संकुचन के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

प्रत्येक रेखित पेशी तन्तु की मोटाई 14 μ होती है इसमें गहरे एवं हल्के रंग की पट्टियाँ पाई जाती हैं। गहरे रंग की पट्टी को A एवं हल्के रंग की पट्टी को (Isotropic) I बैण्ड कहते हैं। I पट्टी के मध्य गहरे रंग की हल्की पट्टी होती है जिसे “Z” रेखा या क्राऊस की झिल्ली (Krause’s membrane) कहते हैं। दो पासपास “Z” रेखा के बीच का भाग सार्कोमीयर कहलाता है जो कि संकुचनशील होता है। A पट्टी के मध्य में एक हल्के रंग की पट्टी होती है । जिसे “H” क्षेत्र कहते हैं। संकुचन के समय “H” क्षेत्र गायब हो जाता है। “H” क्षेत्र को टेन्सन की रेखा भी कहते हैं।

पेशीय गति या संकुचन शिथिलन की क्रियाविधि:

पेशीय गति की क्रिया – विधि का सबसे मान्य सिद्धान्त हक्सले (1965) के द्वारा बताया गया है, इस सिद्धान्त को फिसलन तन्तु सिद्धान्त (Sliding filament theory) कहते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार पेशियाँ हमेशा किसी उद्दीपन के आवेग के कारण संकुचित या शिथिलित होती हैं जिसके कारण जन्तुओं में गति एवं प्रचलन की क्रिया होती है। जब कोई आवेग तन्त्रिका द्वारा पेशी को पहुँचाया जाता है तो यह उत्तेजित हो जाती है और इसमें उपस्थित ATPase.

ATPase प्रकीण्व के कारण अपघटित होकर ऊर्जा को मुक्त कर देता है। इस ऊर्जा के कारण “I” बैण्ड्स पर स्थित एक्टीन उसके सार्कोमीयर में स्थित मायोसीन के ऊपर आ जाता है और एक एक्टिन का सिरा दूसरे एक्टिन के सिरे के ऊपर चला जाता है जिसके कारण सार्कोमीयर की लम्बाई कम हो जाती है।

इस प्रकार से सार्कोमियर के संकुचित या छोटे होने से मायोफाइब्रिल्स भी संकुचित हो जाते हैं, फलतः पेशी भी संकुचित हो जाती है। इसके विपरीत जब एक्टिन तथा मायोसीन अपने स्थानों पर सरक जाते हैं तथा सार्कोमियर को पूर्णरूप से शिथिल कर देते हैं तब पेशियाँ शिथिल (फैल) हो जाती हैं।


प्रश्न 4. 'सही' या 'गलत' लिखें-

(क) एक्टिन पतले तन्तु में स्थित होता है।

(ख) रेखित पेशी रेशे का H क्षेत्र मोटे और पतले, दोनों तन्तुओं को प्रदर्शित करता है।

(ग) मानव कंकाल में 206 अस्थियाँ होती हैं।

(घ) मनुष्य में 11 जोड़ी पसलियाँ होती हैं।

(ङ) उरोस्थि शरीर के अधर भाग में स्थित होती है।

उत्तर

(क) सही,

(ख) गलत,

(ग) सही,

(घ) गलत,

(ङ) सही

 

प्रश्न 5. इनके बीच अन्तर बताइए-

(क) एक्टिन और मायोसिन

(ख) लाल और श्वेत पेशियाँ

(ग) अंस और श्रोणि मेखता ।

उत्तर

(क) एक्टिन और मायोसिन में अन्तर

एक्टिन (Actin)

मायोसिन (Myosin)

ये T' बैण्ड में पाए जाते हैं और 4' बैण्ड में भी उभरे रहते हैं।

ये केवल ‘A’ बैण्ड में पाए जाते हैं।

ये मायोसिन तन्तुओं से पतले (लगभग 50Å मोटे) होते हैं। इनकी संख्या कम होती है।

ये एक्टिन की तुलना में मोटे (लगभग 100Å मोटे) होते हैं। इनकी संख्या अधिक होती है।

प्रत्येक मायोफाइब्रिल में लगभग 300 पेशी तन्तु होते हैं।

प्रत्येक मायोफाइब्रिल में लगभग 1500 मायोसिन तन्तु होते हैं।

इनका अणुभार लगभग 46,000 डाल्टन होता है।

इनका अणुभार लगभग 4,70,000 डाल्टन होता है।

सेतु बन्धन (cross bridge) अनुपस्थित होता है।

सेतु बन्धन (cross bridges) पाए जाते हैं।

 

(ख) लाल तथा श्वेत पेशियों में अन्तर

लाल पेशीय तन्तु (Red muscle fibres)

श्वेतपेशीय तन्तु (White muscle fibres)

मायोग्लोबिन (myoglobin) पाया जाता है।

मायोग्लोबिन नहीं पाया जाता।

ये पतले, गहरे, लाल रंग के होते हैं।

ये मोटे तथा हल्के रंग के होते हैं।

इनमें ऑक्सीश्वसन के फलस्वरूप ऊर्जा प्राप्त होती है।

इनमें अनॉक्सीश्वसन द्वारा ऊर्जा प्राप्त होती है।

सार्कोप्लाज्मिक जालिका कम होती है।

सार्कोप्लाज्मिक जालिका अधिक होती है।

रक्त केशिकाएँ अपेक्षाकृत अधिक संख्या में पाई जाती हैं।

रक्त केशिकाएँ अपेक्षाकृत कम संख्या में पाई जाती हैं।

लाल पेशियाँ थकावट महसूस नहीं करतीं।

श्वेत पेशियाँ शीघ्र थकावट महसूस करती हैं।

 

(ग) अंस तथा श्रोणिमेखला में अन्तर

अंसमेखला (Pectoral girdle)

श्रोणिमेखला (Pelvic girdle)

प्रत्येक अर्द्धांश में स्कैपुला तथा क्लैविकल (scapula and clavicle) अस्थियाँ होती हैं।

प्रत्येक अर्द्धांश में इलियम, इस्चियम और प्यूबिस (ileum, ischium and pubis) अस्थियाँ होती हैं।

चपटे स्कैपुला में ग्लीनॉइड (glenoid) गुहा होती है। इसमें अग्रपाद की ह्यूमस का शीर्ष लगा होता है।

उक्त अस्थियों के सन्धि तल पर ऐसीटाबुलम गुहा(acetabulum cavity) होती है। इसमें पश्चपाद की फीमर का शीर्ष लगा होता है।

प्रत्येक क्लैक्किल को सामान्यतः जत्रुक (collar bone) कहते हैं।

श्रोणिमेखला के दोनों अद्धांश मिलकर प्यूबिक संलयन (pubic symphysis) बनाते हैं।


प्रश्न 6. स्तम्भ I का स्तम्भ II से मितान करें-

स्तम्म-I

स्तम्म-II

(i) चिकनी पेशी

(क) मायोग्लोबिन

(ii) ट्रोपोमायोसिन

(ख) पतले तन्तु

(iii) लाल पेशी

(ग) सीवन (suture)

(iv) कपाल

 

उत्तर

स्तम्म-I

स्तम्म-II

(i) चिकनी पेशी

(घ) अनैच्छिक

(ii) ट्रोपोमायोसिन

(ख) पतले तन्तु

(iii) लाल पेशी

(क) मायोग्लोबिन

(iv) कपाल

(ग) सीवन (suture)


प्रश्न 7. मानव शरीर की कोशिकाओं द्वारा प्रदर्शित विभिन्न गतियाँ कौन-सी है?

उत्तर

मानव शरीर की कोशिकाओं में मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार की गतियाँ होती हैं—

  1. अमीबीय या कूटपादी गति (Amoeboid or Pseudopodial Movement) — मानव शरीर में पाई जाने वाली श्वेत रुधिराणु (leucocytes) एवं महाभक्षकाणु (macrophages) कोशिकाएँ कूटपाद द्वारा अमीबा की भाँति गति करती हैं।
  2. पक्ष्माभी गति (Ciliary movement) — स्तनियों (मानव) में शुक्रवाहिनियों, अण्डवाहिनियों, श्वास नाल में पक्ष्माभ (cilia) पाए जाते हैं। इनकी गति से शुक्रवाहिनियों में शुक्राणु और अण्डवाहिनियों में अण्डाणु का परिवहन होता है। श्वासनाल के पक्ष्माभ श्लेष्मा को बाहर की ओर धकेलते हैं।
  3. पेशीय गति (Muscular Movement) — हमारे उपांगों (अग्रपाद, पश्चपाद), जबड़ों, जिह्वा, नेत्रपेशियों, आहारंनाल, हृदय आदि में पेशीय गति होती है। पेशीय गति में कंकाल, पेशियाँ तथा तन्त्रिकाएँ सम्मलित होती हैं।
    (i) नेत्र गोलक — नेत्र कोटर में अरेखित पेशियों द्वारा गति करता है । आइरिस तथा सिलियरी काय (iris and ciliary body) पेशियाँ नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा का नियमन करती हैं।
    (ii) हृदय की हृदपेशियाँ तथा रक्त वाहिनियों की अरेखित पेशियाँ रक्त परिसंचरण में सहायक होती हैं।
    (iii) डायफ्राम तथा पसलियों के मध्य स्थित अरेखित पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन के फलस्वरूप श्वास क्रिया (breathing) सम्पन्न होती है।
    (iv) आहारनाल की पेशियों में क्रमाकुंचन गतियों के कारण भोजन आगे खिसकता है। भोजन की लुगदी (chyme) बनती है।
    (v) कंकालीय पेशियाँ (skeletal muscles) कंकाल से जुड़ी होती हैं। प्रचलन एवं अंगों की गति से ये सीधे सम्बन्धित होती हैं। कंकाल या रेखित पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन के कारण प्रचलन/गति होती है।


प्रश्न 8. आप किस प्रकार से एक कंकाल पेशी और हृद पेशी में विभेद करेंगे?

उत्तर

कंकाल (रेखित) पेशी और हृद पेशी में अन्तर

कंकाल/रेखित पेशियाँ (Striped Muscles)

हृद पेशियाँ (Cardiac Muscles)

पेशी तन्तु सामान्यतः 2 से 4 सेमी लम्बे, 10-30 μ मोटे अशाखित तथा बेलनाकार होते हैं।

पेशी तन्तु लगभग 50-100 μ लम्बे तथा 20 मोटे एवं शाखित होते हैं और शाखाएँ आपस में एक-दूसरे से मिलकर जाल बनाती हैं।

पेशी तन्तु के चारों ओर स्पष्ट सार्कोलेमा (sarcolemma) होता है।

सार्कोलेमा स्पष्ट नहीं होता।

प्रत्येक पेशी तन्तु बहुकेन्द्रकीय होता है।

प्रत्येक पेशी तन्तु में एक या दो केन्द्रक होते हैं।

प्रत्येक पेशी तन्तु में अनेक समानान्तर तन्तुक (myofilaments) होते हैं जिनके बीच-बीच में पेशीद्रव्य (sarcoplasm) होता है।

इसमें भी समान होता है।

प्रत्येक तन्तुक में गहरी तथा हल्की पट्टियाँ (bands) होती हैं।

इसमें भी गहरे तथा हल्के रंग की पट्टियाँ पाई जाती हैं।

अन्तर्विष्ट पट्टियाँ नहीं पाई जातीं।

तन्तुओं के सिरों पर अनुप्रस्थ पट्टियाँ, अन्तर्विष्ट पट्टियाँ (intercalated discs) होती हैं।

रेखित पेशियाँ ऐच्छिक तथा थकने वाली होती हैं।

हृद पेशियाँ अनैच्छिक तथा न थकने वाली होती हैं।


प्रश्न 9. निम्नलिखित जोड़ों के प्रकार बताइए-

(क) एटलस/अक्ष- (एक्सिस)

(ख) अंगूठे के कार्पल / मेटाकार्पल

(ग) फैलेंजेज के बीच

(घ) फीमर / एसीटेबुलम

(ङ) कपालीय अस्थियों के बीच

(च) श्रोणि मेखला की प्यूबिक अस्थियों के बीच

उत्तर

(क) उपास्थिमय-सेधि,

(ख) सेडल संधि;

(ग) कब्जा संधि,

(घ) कंदुक खल्लिका संधि,

(ङ) सीवन,

(च) उपास्थिमय संधि


प्रश्न 10. रिक्त स्थानों में उचित शब्दों को भरिए-

(क) सभी स्तनधारियों में (कुछ को छोड़कर) _____ ग्रीवा कशेरुक होते हैं।

(ख) प्रत्येक मानव पाद में फैलेंजेज की संख्या _____ है।

(ग) मायोफाइब्रिल के पतले तन्तुओं में 2 ‘F’ एक्टिन और दो अन्य दूसरे प्रोटीन, जैसे _____ और ______ होते हैं।

(घ) पेशी रेशे में कैल्सियम _____ में भण्डारित रहता है।

(ङ) ______ और ______ पसलियों की जोड़ियों को प्लावी पसलियाँ कहते हैं।

(च) मनुष्य का कपाल _____ अस्थियों से बना होता है।

उत्तर

(क) सभी स्तनधारियों में (कुछ को छोड़कर) सात ग्रीवा कशेरुक होते हैं।

(ख) प्रत्येक मानव पाद में फैलेंजेज की संख्या 14 फैलेंजेज है।

(ग) मायोफाइब्रिल के पतले तन्तुओं में 2 ‘F’ एक्टिन और दो अन्य दूसरे प्रोटीन, जैसे ट्रोपोनिन (troponin) और ट्रोपोमायोसिन (tropomyosin) होते हैं।

(घ) पेशी रेशे में कैल्सियम साकप्लाज्मिक जालक (sarcoplasmic reticulum) में भण्डारित रहता है।

(ङ) 11वीं और 12वीं पसलियों की जोड़ियों को प्लावी पसलियाँ कहते हैं।

(च) मनुष्य का कपाल 8 अस्थियों से बना होता है।

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