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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 6 - स्पीति में बारिश आरोह भाग-1 हिंदी (Spiti me Baarish)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 77

पाठ के साथ

1. इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता| क्यों?

उत्तर

स्पीति की भौगोलिक तथा प्राकृतिक स्थितियाँ ऐसी नहीं कि लोग वहाँ खुलकर जीवन-यापन कर सकें| यहाँ वर्षा नाममात्र के लिए ही होती है तथा लगभग आठ-नौ महीने बर्फ पड़ती रहती है| परिवहन तथा संचार के साधनों का अभाव पाया जाता है| इतिहास में आने के लिए ऐसी उल्लेखनीय घटनाओं तथा परिस्थितियों का होना जरूरी है, जिसकी यहाँ कमी है| यही कारण है कि इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता|

2. स्पीति के लोग जीवन-यापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?

उत्तर

स्पीति के लोगों को जीवन-यापन के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है| संचार तथा परिवहन के आधुनिक साधनों के अभाव के कारण ये अभी तक कई जगहों से कटे हुए हैं| मानसून के न पहुँचने के कारण यहाँ वर्षा बहुत ही कम होती है| यहाँ केवल साल में एक ही फसल उगाई जा सकती है| लकड़ी भी नहीं है कि घर गर्म रख सकें| वर्षा के अभाव के कारण यहाँ फल नही उगाए जाते| इस प्रकार यहाँ विकास के अभाव में रहने योग्य परिस्थितियाँ नहीं हैं|

3. लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने तंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों हैं?

उत्तर

लेखक को पूरा विश्वास है कि माने श्रेणी का नामकरण बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर ही हुआ है| बौद्धों के माने मंत्र का महात्म्य है| “ओं मणि पद्मे हूं” मंत्र का जाप बहुत अधिक हुआ है| इसलिए लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने तंत्र के नाम पर करने के पक्ष में हैं|

4. ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं- इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?

उत्तर

माने की चोटियों पर बड़ी उम्र के बौद्ध लामा निवास करते हैं जो माने मंत्रों का जाप करते हैं| इनके तप करने से चोटियों में गंभीर और उदासी का वातावरण बन गया है| यहाँ चहल-पहल तथा ख़ुशी का माहौल नहीं दिखाई देता| इसलिए लेखक ने युवाओं से आग्रह किया है कि वे आगे आएँ तथा खेल और गतिविधियों को बढ़ावा दें| जिससे यहाँ प्रसन्नता और हर्ष का संचार हो सके|

5. वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है- लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर

लेखक के यात्रा के दौरान महसूस करता है कि स्पीति में वर्षा नाममात्र के लिए होती है| मानसून के न पहुँच पाने के कारण वर्षा की कमी होती है| कभी-कभार ही वर्षा होती है जिसे लोग शुभ मानते हैं और सुखद संयोग समझते हैं|

6. स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर

स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों जैसे- कुल्लू-मनाली तथा कश्मीर से अनेक प्रकार से भिन्न है| यहाँ के पहाड़ों की ऊँचाई अन्य पर्वतों की अपेक्षा बहुत अधिक और दुर्गम है| यहाँ के पर्वतों पर अधिकतर बर्फ जमी रहती है तथा नाम के लिए वर्षा होती है| जबकि अन्य पर्वतीय स्थलों में हरियाली है तथा वर्षा भी अधिक होती है| अन्य पर्वतीय स्थलों में विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियाँ उगाई जाती है जबकि स्पीती में केवल मटर और सरसों की सब्जी उपजाई जाती है| यहाँ कोई फल नहीं होते हैं| अन्य पर्वतीय स्थल प्रय्त्कों से भरे होते हैं, जबकि यहाँ वीरानी छाई रहती है| यहाँ के लोग शेष दुनिया से कटे हुए हैं| यहाँ संचार तथा परिवहन के आधुनिक साधनों का अभाव है जबकि अन्य पर्वतीय क्षेत्र विकसित हैं|

पाठ के आस-पास

1. स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है| आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए|

उत्तर

जब हमारे यहाँ ग्रीष्म ऋतु की पहली बारिश होती है, तब धरती पर बारिश की बूँदों के पड़ते ही मिट्टी से सोंधी महक निकलती है| बारिश के होने से वातावरण में हरियाली छा जाती है| मैदानी इलाकों में पानी जमा हो जाता है| हम सभी इस बारिश में नहाकर प्रफुल्लित हो उठते हैं| काले घुमड़ते बादलों की आँखमिचौली दिन भर चलती रहती है| वृक्ष की पत्तियाँ खिल उठती है और चारों तरफ हर्ष और आनंद दिखाई देता है|

2. स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए| किन का जीवन आपको अच्छा लगता है और क्यों?

उत्तर

स्पीति के लोग तथा मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जन-जीवन में बहुत अधिक अंतर होता है| हमें मैदानी भागों रहने वालों का जीवन अधिक अच्छा लगता है, जिसके निम्नलिखित कारण है:

• स्पीति के लोग बाहर की दुनिया से लगभग कटे हुए हैं, उनका जीवन स्वयं तक सीमित है| जबकि मैदानी भागों में रहने वालों के लिए बाहरी दुनिया से संपर्क रखना आसान होता है| इसका कारण संचार तथा परिवहन के आधुनिक सुविधाओ का विकास है|

• स्पीति में बारिश की कमी होने के कारण एक ही फसल तथा कुछ ही सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं, जबकि मैदानी इलाके फसल और सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त होते हैं|

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3. ‘स्पीति में बारिश’ एक यात्रा वृतांत है| इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा-स्थल से जुड़ी विभिन्न जानकारियों का बारीकि से वर्णन किया गया है| आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए|

उत्तर

कुछ दिन पहले मैंने अपने एक मित्र के साथ गंगटोक जाने की योजना बनाई| यात्रा शुरू करने से पहले हमने सारी तैयारियाँ कर लीं, जिसमें ट्रेन के टिकट से लेकर वहाँ ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था शामिल थीं| आखिरकार हमारी यात्रा का दिन आ ही गया| हम सबसे पहले ट्रेन से सिलीगुड़ी पहुँचे, फिर वहाँ से किराए की गाड़ी से गंगटोक पहुँचे| सिलीगुड़ी से गंगटोक की दूरी लगभग 120 कि.मी. है| वहाँ पहुँचकर हमने कुछ देर तक होटल में विश्राम किया| दो घंटे बाद हम टैक्सी से घूमने निकले| गंगटोक का मौसम जून के महीने में बहुत ही खुशनुमा होता है| यहाँ दिन में कभी-कभी फुहारों के साथ बारिश होती है, जो मन को आनंदित कर देती है| यहाँ थोड़ी-थोड़ी ऊंचाई पर टोंक स्थित हैं जैसे-गणेश टोंक, हनुमान टोंक इत्यादि| यहाँ पर अधिकतर बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग निवास करते हैं| इसी कारण यहाँ की संस्कृति में बौद्ध धर्म की झलक दिखाई पड़ती है| गंगटोक साफ़ और सुन्दर जगह है| यहाँ सड़क पर गंदगी फैलाना सख्त मना है| यहाँ पर अधिकतर लोग ईमानदार हैं तथा कोई किसी से धोखा-घड़ी नहीं करता| यहाँ के दुकानों में अधिकतर महिलाएँ काम करती हुई मिलीं तथा हर घर के बाहर फूल-पौधे के गमलों या बगीचों की सजावट दिखाई दी| हम वहाँ तीन दिन तक रुके तथा इस दौरान हमने खूब मस्ती की|

4. लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी| इन तीस वर्षों में स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है? जानें, सोचें और लिखें|

उत्तर

तीस वर्ष पहले लेखक ने जिस प्रकार स्पीति की परिस्थितियों का वर्णन किया है, मेरी सोच से वर्तमान में वहाँ कुछ परिवर्तन जरूर हुए होंगे| संचार, बिजली तथा परिवहन की सुविधाओं का विकास अवश्य हुआ होगा| पर्यटकों का आवागमन बढ़ा हो, ऐसा भी हो सकता है|

भाषा की बात

1. पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए-

लैंप की लौ तेज की| खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा| मैंने पल्ला भिड़ा दिया| उसकी आड़ से देखने लगा| देखा कि बारिश हो रही थी| मैं उसे देख नहीं रहा था| सुन रहा था| अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था| जैसे बरफ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं|

उत्तर

क्योंकि लैंप की लौ तेज की| जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा| वेसे ही मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा| देखा कि बारिश हो रही थी| मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था| अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बरफ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं|


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