NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 12 - मीरा आरोह भाग-1 हिंदी (Mira)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 138

पद के साथ

1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती है? वह रूप कैसा है?

उत्तर

मीरा कृष्ण की उपासना समर्पित पत्नी के रूप में करती है| वह स्पष्ट रूप से कहती हैं कि कृष्ण के सिवा इस दुनिया में उनका कोई अपना नहीं है| मीरा का यह प्रेम अलौकिक है जिसकी कोई परिभाषा नहीं है| कृष्ण के प्रति उनका प्रेम निश्छल, समर्पित और आस्था से भरा है| वे स्वयं को कृष्ण की दासी मानती हैं|

2. भाव व शिल्प सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए|

(क) अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेल बोयी
अब तो बेल फ़ैल गई, आणंद-फल होयी

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा की कृष्ण के प्रति भाव-भक्ति का वर्णन किया गया है| उसने अपने आँसुओं से कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सींच-सींच कर बड़ा किया है| उनके प्रेम रुपी बेल में आनंद रुपी फल लग गए हैं अर्थात् कृष्ण-प्रेम में वह इतनी विलीन हो गई हैं कि अब उन्हें अलौकिक आनंद प्राप्त हो रहा है|

शिल्प सौन्दर्य

• भाषा में सरसता व प्रवाहमयता विद्यमान है|
• 'आणंद फल' प्रेम-बेलि में रूपक अलंकार है|
• 'सींचि-सींचि' में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है|
• अलौकिक आनंद की अनुभूति का वर्णन है|
• बेलि बोयी, बेली फैली में अनुप्रास की छटा है|
• राजस्थानी मिश्रित ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है|

(ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोयी
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा के कृष्ण-प्रेम की तुलना मक्खन से की गई है| जिस प्रकार दही को मथकर मक्खन निकाला जाता है और शेष बचे छाछ को छोड़ दिया जाता है| उसी प्रकार मीरा ने भी संसार का चिंतन-मनन करके कृष्ण-प्रेम को प्राप्त किया है और व्यर्थ के सांसारिक मोह को त्याग दिया है|

शिल्प सौंदर्य

• छंदबद्धता व लयात्मकता पूर्णतः विद्यमान है|
• उदाहरण अलंकार का प्रयोग है|
• प्रतीकात्मक शैली का भी निर्वाह बखूबी हुआ है|
• ‘दही’ जीवन का प्रतीक है, ‘घृत’ भक्ति का, छोयी (छाछ) सारहीन संसार का प्रतीक है|

3. लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

उत्तर

मीरा कृष्ण के प्रेम में इतनी मग्न हो चुकी हैं कि उन्हें दुनिया की सुध नहीं है| उन्हें अपने कुल की मर्यादा की भी कोई चिंता नहीं है| वह स्वयं को कृष्ण की दासी मानती हैं और पैरों में घुँघरू बाँधकर उनके प्रेम में नाचती रहती हैं| लोग मीरा के इस कृष्ण-भक्ति को देखकर ही उसे बावरी कहते हैं|

4. विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरा हाँसी- इसमें क्या व्यंग्य छिपा है?

उत्तर

इस पंक्ति में मीरा ने अपने परिवार के लोगों पर व्यंग्य किया है जो उनके कृष्ण-प्रेम को पहचान नहीं पाए| वे मीरा की कृष्ण-भक्ति को कलंक समझते थे| मीरा का भजन नाचना-गाना, साधुओं की संगत में रहना कुल की मर्यादा के विरूद्ध था| इस कारण राणा जी ने भी उन्हें मारने के लिए विष का प्याला पीने के लिए बाध्य किया, जिसे मीरा ने सहर्ष स्वीकार किया| वह हँसते-हँसते जहर पी गईं और अमर हो गईं| कृष्ण की भक्ति ने उन्हें बचा लिया|

5. मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं?

उत्तर

मीरा संसार के लोगों की अविवेकता और व्यर्थ के सांसारिक मोह-माया में पड़कर भ्रमित होने से दुखी हैं| उन्हें भगवद् प्रेम की समझ नहीं है इसलिए झूठे आडंबरों तथा विषय-वासनाओं में लिप्त हैं| मीरा ऐसे संसार को देखकर रोटी हैं अर्थात् दुखी हैं|

पद के आस-पास

1. कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा?

उत्तर

मीरा राजघराने से थीं, और साथ में कृष्ण-भक्त भी थीं| उन्होंने कृष्ण-प्रेम के लिए राजसी वैभव का त्याग कर दिया होगा| इसके साथ ही परिवारवालों के अत्याचार तथा समाज के तानों को भी सहना पड़ा होगा|

2. लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है?

उत्तर

लोक लाज खोने का अर्थ है अपने परिवार या कुल की मर्यादा त्यागकर घर छोड़ देना| साधुओं की संगति में रहना तथा समाज के बन्धनों को तोड़कर जीवन व्यतीत करना|

3. मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ क्यों कहा है?

उत्तर

यहाँ अविनासी ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है क्योंकि वे नश्वर हैं| मीरा के अनुसार प्रभु की भक्ति अगर सच्चे मन से किया जाए तो वे सहजता से प्राप्त हो सकते हैं| मीरा ने कृष्ण भक्ति में डूब कर अपने त्याग से कृष्ण-प्रेम को प्राप्त किया है|

4. ‘लोग कहैं मीरा भइ बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी’ मीरा के बारे में लोग और न्यात (कुटुंब) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं?

उत्तर

मीरा भगवान कृष्ण की भक्ति में इतनी लीन हो चुकी थीं कि उन्हें अपनी कुल की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रहा| वह साधुओं की संगति में रहती थीं और भजन-कीर्तन करती थीं| मीरा के इस कृष्ण-प्रेम को लोगों ने पागलपन का नाम दिया| उनके कृष्ण के प्रति दीवानगी को देखकर रिश्तेदारों ने उन्हें कुल विनाशिनी कहा है| उनके अनुसार मीरा ने कृष्ण से प्रेम करके कुल की छवि मिट्टी में मिला दी|

Notes of Chapter 12 - मीरा


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