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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 11 - कबीर आरोह भाग-1 हिंदी (Kabir)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 132

पद के साथ

1. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है| इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

उत्तर

कबीर की दृष्टि में ईश्वर या परमात्मा एक है| इसके समर्थन में उन्होंने अनेक तर्क दिए हैं| उनके अनुसार सृष्टि में वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश इन पाँच तत्वों से मिलकर मनुष्य का निर्माण हुआ है| इनकी रचना एक ही मिटटी से हुई है| संसार के रचयिता भी एक ही परमात्मा है| उस एक परमात्मा की ज्योति सारे संसार में व्याप्त है|

2. मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?

उत्तर

मानव शरीर का निर्माण पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पंच तत्वों से हुआ है|

3. जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई|
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई||
इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरुप है?

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य के शरीर की तुलना लकड़ी से की है| जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है किन्तु उसमें व्याप्त अग्नि को नहीं काट सकता है, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर नश्वर है किन्तु उसमें निहित आत्मा अमर है| इस प्रकार मनुष्य के अंतरात्मा में ही परमात्मा का निवास है, जिसका रूप व्यापक है|

4. कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

उत्तर

कबीर के अनुसार जो लोग सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो जाते हैं, वे निर्भय होकर रहते हैं| कबीर भी इस मिथ्या जगत से दूर रहकर परमात्मा की भक्ति में लीन हैं| इसलिए वे स्वयं को दीवाना कहते हैं, जिन्हें किसी भी तरह का भय नहीं रहता|

5. कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

उत्तर

संसार बौरा गया है अर्थात पागल हो गया है, कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि संसार में रहने वाले लोग सच्ची बातों पर क्रोधित हो उठते हैं और झूठी बातों पर विश्वास करते हैं| कबीर को ऐसे संत मिले जो स्वयं को शुद्ध करने के लिए प्रातःकाल स्नान करते हैं| परमात्मा की प्राप्ति के लिए धार्मिक आडंबरों का सहारा लेते हैं|

6. कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?

उत्तर

कबीर ने इस संसार में ऐसे कई नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों को देखा है जो धर्म के नाम पर दिखावा करते हैं| ऐसे लोग पाखंडी होते हैं जो गले में माला, टोपी, तिलक लगाकर परमात्मा की प्राप्ति का ढोंग करते हैं| वे पत्थर की मूर्तियों तथा वृक्षों की पूजा करते हैं और धर्म के नाम पर व्यर्थ के नियमों का पालन करते हैं|

7. अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर शिष्यों की क्या गति होती है?

उत्तर

अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर उनके शिष्य भी उन्हीं की तरह मूर्ख बन जाते हैं और संसार रुपी मोह-माया के जाल में फँस कर रह जाते हैं| ऐसे गुरू अपने शिष्यों को आधा-अधूरा ज्ञान बाँटते हैं, जिन्हें स्वयं परमात्मा का कोई ज्ञान नहीं होता| अपनी महानता सिद्ध करने के लिए ये अपने शिष्यों को भी पाखंडी बना देते हैं और अंतकाल में दोनों को पछताना पड़ता है|

8. बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें|

उत्तर

बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात निम्नलिखित पंक्तियों में कही गई है :

टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना

साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना

संसार में ऐसे भी लोग हैं जो टोपी और माला पहनकर तथा तिलक लगाकर घूमते हैं| ऐसे लोग बाह्रय आडंबरों पर विश्वास रखते हैं| वे लोगों को ज्ञान बाँटते फिरते हैं, लेकिन स्वयं परमात्मा के ज्ञान से अनभिज्ञ हैं| कबीर के अनुसार इन धार्मिक आडंबरों का दिखावा करके आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती|

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