NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2 - पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (Prithvi ki Utpatti evam Vikas) Bhautik Bhugol ke Mool Siddhant

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 11

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(क) 46 लाख वर्ष
(ख) 4600 करोड़ वर्ष
(ग) 13.7 अरब वर्ष
(घ) 13.7 खरब वर्ष
► (ग) 13.7 अरब वर्ष

पृष्ठ संख्या 20

(ii) निम्न में कौन सी अवधि सबसे लंबी है:
(क) इओन (Eons)
(ख) महाकल्प (Era)
(ग) कल्प (Period)
(घ) युग (Epoch)
► (क) इओन (Eons)

(iii) निम्न में से कौन सा तत्व वर्तमान वायुमंडल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है?
(क) सौर पवन
(ख) गैस उत्सर्जन
(ग) विभेदन
(घ) प्रकाश संश्लेषण
► (ग) विभेदन

(iv) निम्नलिखित में से भीतरी ग्रह कौन से हैं:
(क) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ख) सूर्य और छुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ग) वे ग्रह जो गैसीय हैं
(घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह
► (घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह

(v) पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरंभ हुआ|
(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले
(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले
(ग) 38 लाख वर्ष पहले
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले
► (घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों हैं?

उत्तर

पार्थिव ग्रह चट्टानी हैं क्योंकि:
(i) पार्थिव ग्रह जनक तारे के बहुत समीप बने जहाँ अत्यधिक तापमान के कारण गैसें संघनित नहीं हो पाईं और घनीभूत भी न ही सकीं| जोवियन ग्रहों की रचना अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर हुई|
(ii) सौर वायु सूर्य के नज़दीक ज्यादा शक्तिशाली थी| अत: पार्थिव ग्रहों से ज्यादा मात्रा में गैस व धूलकणा उड़ा ले गई| सौर पवन इतनी शक्तिशाली न होने के कारण जोवियन ग्रहों से गैसों को नहीं हटा पाई|
(iii) पार्थिव ग्रहों के छोटे होने से इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी कम रही जिसके परिणामस्वरूप इनसे निकली हुई गैस इनपर रुकी नहीं रह सकी|

(ii) पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधित दिये गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिकों के मूलभूत अंतर बताएँ:
(क) कान्ट व लाप्लेस
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टन

उत्तर

1796 ई. में गणितज्ञ लाप्लेस ने जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कान्ट द्वारा प्रस्तावित परिकल्पना का संशोधन प्रस्तुत किया जिसे नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) के नाम से जाना जाता है| इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बदल से हुआ जो कि सूर्य की युवा अवस्था से संबद्ध थे| 1900 ई. में चैम्बरलेन व मोल्टन ने कहा कि ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमणशील तारा सूर्य के नजदीक से गुजरा| इसके परिणामस्वरूप तारे के गुरूत्वाकर्षण से सूर्य-सतह से सिगार के आक्कार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया| यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य-सतह से बाहर निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घुमने लगा और यही धीरे-धीरे संघनित होकर ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गया|

(iii) विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?

उत्तर

जिस प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक पदार्थों में अलग हो गया, विभेदन प्रक्रिया कहलाता है| पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक कई परतें पाई जाती हैं, जैसे- पर्पटी (Crust), प्रावार (Mantle), बाह्य क्रोड (Outer core) और आंतरिक क्रोड (Inner core)| पृथ्वी के ऊपरी भाग से आंतरिक भाग तक पदार्थ का घनत्व बढ़ता है|

(iv) प्रारंभिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरुप क्या था?

उत्तर

प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी, जिसका वायुमंडल विरल था जो हाइड्रोजन व हीलियम से बना था| यह आज की पृथ्वी के वायुमंडल से बहुत अलग था|

(v) पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारंभिक गैसें कौन-सी थीं?

उत्तर

प्रारंभ में, पृथ्वी का वायुमंडल हाइड्रोजन व हीलियम गैसों से बना था| प्रारंभिक वायुमंडल जिसमें हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी, सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया| पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले| इसी से आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ|

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) बिग बैंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन करें|

उत्तर

बिग बैंग सिद्धांत को विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है| 1920 ई. में एडविन हब्बल ने प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है| समय बीतने के साथ आकाशगंगाएँ एक दूसरे से दूर हो रही हैं|

बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न अवस्थाओं में हुआ है:

• आरंभ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे| जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था|

• बिग बैंग की प्रक्रिया में इस अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ| इस प्रकार की विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार हुआ| वैज्ञानिकों का विश्वास है कि बिग बैंग की घटना आज से 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी| ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है| विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई| विस्फोट के बाद एक सैकेंड के अल्पांश के अंतर्गत ही वृहत् विस्तार हुआ| इसके बाद विस्तार की गति धीमी पड़ गई| बिग बैंग होने के आरंभिक तीन मिनट के अंतर्गत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ|

• बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान, तापमान 4500° केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ| ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया|

(ii) पृथ्वी के विकास संबंधी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था/चरण को संक्षेप में वर्णित करें|

उत्तर

प्रथम अवस्था:

• जब पदार्थ गुरुत्वबल के कारण संहत हो रहा था, तो उन इकट्ठा होते पिंडों ने पदार्थ को प्रभावित किया| इससे अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई| यह क्रिया जारी रही और उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने/गलने लगा। ऐसा पृथ्वी को उत्पत्ति के दौरान और उत्पत्ति के तुरंत बाद हुआ| अत्यधिक ताप के कारण, पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान को अधिकता के कारण ही हलके और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के करण अलग होना शुरू हो पाए|

• इसी अलगाव से भारी पदार्थ (जैसे लोहा), पृथ्वी के केन्द्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गए| समय के साथ यह और उडे हुए और ठोस रूप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गए| अंततोगत्वा यह पृथ्वी को भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए। हलके व भारी घनत्व वले पदार्थों के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन (Differentiation)) कहा जाता है।

• चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान, भीषण संघट्ट (Giant Impact) के कारण, पृथ्वी का तापमान पुन: बढ़ा या फिर ऊर्जा उत्पन्न हुई और यह विभेदन का दूसरा चरण था| विभेदन की इस प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में अलग हो गया| पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक कई परतें पाईं जाती हैं| जैसे- पर्पटी (Crust), प्रावार (Mantle), बाह्य क्रोड (Outer core) और आंतरिक क्रोड (Inner core)|

द्वितीय अवस्था:

• प्रारंभिक वायुमंडल जिसमें हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी, सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया| पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले| इसी से आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ|

• आरंभ में वायुमंडल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, मीथेन व अमोनिया अधिक मात्रा में, और स्वतंत्र ऑक्सीजन बहुत कम थी| वह प्रक्रिया जिससे पृथ्वी के भीतरी भाग से गैसें धरती पर आईं, इसे गैस उत्सर्जन कहा जाता है|

• पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन शुरू हो गया| वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइ ऑक्साइड के वर्षा के पानी में घुलने से तापमान में और अधिक गिरावट आई| फलस्वरूप, अधिक संघनन व अधिक गिरावट आई| पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्तों में इकट्ठा होने लगा, जिससे महासागर बनें|

• लंबे समय तक जीवन केवल महासागरों तक सीमित रहा| प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा ऑक्सीजन में बढ़ोतरी महासागरों की देन है|

तृतीय अवस्था:

• पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित है|

• जीवन की उत्पत्ति एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया है, जिससे पहले जटिल जैव अनु बने और उनका समूहन हुआ| यह समूहन ऐसा था जो अपने आप को दोहराता था, और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्वों में परिवर्तित कर सका|

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