NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2- मियाँ नसीरुद्दीन आरोह भाग-1 हिंदी (Miyan Nasiruddin)

अभ्यास

पृष्ठ संख्या 28

पाठ के साथ

1. मियाँ नसीरूद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा जाता है?

उत्तर

मियाँ नसीरूद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं| यह उनका खानदानी पेशा है| यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी| उनकी रोटियाँ तुनकी पापड़ से भी ज्यादा महीन होती हैं| इसलिए उन्हें नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है|

2. लेखिका मियाँ नसीरूद्दीन के पास क्यों गई थी?

उत्तर

लेखिका मियाँ नसीरूद्दीन के पास उनके हुनर को जानने के लिए गई थीं| उन्होंने मियाँ के बारे में बहुत कुछ सुना था| एक पत्रकार होने के नाते वह उनकी कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उन्हें प्रकाशित करना चाहती थीं|

3. बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरूद्दीन की दिलचस्पी क्यों कम होने लगी?

उत्तर

बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरूद्दीन की दिलचस्पी क्यों कम होने लगी क्योंकि मियाँ ने सारी बातें बुजुर्गों के मुँह से सुनी थी| सच्चाई ये थी कि उन्होंने कभी किसी बादशाह के यहाँ काम किया ही नहीं था| तभी तो वो लेखिका के पूछने पर बता नहीं सके कि उन्होंने बादशाह के यहाँ कौन-सी पकवान बनाई थी|

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4. मियाँ नसीरूद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंघड़ के आसार देखकर यह मजूमन न छेड़ने का फैसला किया- इसके पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

लेखिका मियाँ नसीरूद्दीन के खानदान और उनसे संबंधित सभी जानकारी प्राप्त करना चाहती थी| लेकिन मियाँ लेखिका के सवालों से ऊब चुके थे| उन्हें लगता था कि पत्रकार लोग निठल्ले होते हैं| बादशाह वाले प्रसंग में लेखिका के यह पूछने पर कि उन्होंने बादशाह को कौन सी पकवान बना कर खिलाई थी, मियाँ ने बातचीत को टाल दिया| उनकी आवाज में रूखाई आ गई| लेखिका के जब यह पुछा कि कौन से बादशाह के यहाँ काम करते थे, तो मियाँ खीज उठे| उन्होंने अपने कारीगर को आवाज लगाई और बोले- “अरे ओ बब्बन मियाँ, भट्ठी सुलगा लो तो काम से निबटें|” लेखिका उनके बेटे-बेटियों के बारे में पूछना चाहती थीं लेकिन मियाँ के चेहरे में आये भाव से उन्हें समझ में आ गया कि अगर वो इससे ज्यादा कुछ और पूछेंगी तो शायद वो उन्हें जाने के लिए कह देंगे| इसीलिए उन्होंने इस मजूमन को न छेड़ना ही उचित समझा|

5. पाठ में मियाँ नसीरूद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है?

उत्तर

पाठ में मियाँ नसीरूद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने इस प्रकार खींचा है- मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काईयाँ भोलापन और पेशानी पर मजे हुए कारीगर के तेवर|

पाठ के आस-पास

1. मियाँ नसीरूद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

उत्तर

इस पाठ में मियाँ नसीरूद्दीन की जो बातें अच्छी लगीं, वो निम्नांकित हैं:

अपने पेशे के प्रति समर्पित| मियाँ नसीरूद्दीन नान बनाने के लिए मशहूर हैं| वे अपने इस पेशे को कला समझकर मन लगाकर सीखते हैं| लेखिका से बातें करते हुए भी वे अपने काम पर से ध्यान नहीं हटाते हैं|

वे अपने साथ काम करने वालों का सम्मान करते हैं| उनको दी जाने वाले वेतन में कभी कोई कटौती करते हैं|

उनका आत्मविश्वास| मियाँ नसीरूद्दीन लेखिका के प्रत्येक प्रश्नों का जवाब दृढ़ता से देते हैं| कभी हिचकिचाते नहीं बल्कि पूरे विश्वास के साथ बात करते हैं|

2. तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है- यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया गया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए|

उत्तर

यहाँ पहली बार आए तालीम का अर्थ है ‘शिक्षा’ तथा दूसरी बार आए तालीम शब्द का अर्थ है ‘अनुसरण’| इसे इस तरह भी लिखा जा सकता है- तालीम का अनुसरण ही बड़ी चीज होती है|

3. मियाँ नसीरूद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया| वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं, ऐसा क्यों?

उत्तर

वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता थोड़ी अलग होती जा रही है| वे अपने पारंपरिक व्यवसाय को न अपनाकार नौकरी करना पसंद करते हैं| तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने लोगों की सोच को भी बदल दिया है| लोग व्यक्तिगत रूप से अपनी पसंद का व्यवसाय या काम करना चाहते हैं| इसलिए प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं|

4. मियाँ कहीं अखबार नवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफात है- अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें|

उत्तर

पत्रकारिता के बारे में मियाँ नसीरूद्दीन के विचार दो प्रकार से समझे जा सकते हैं| पहला पक्ष सकारात्मक अर्थ में समझा जा सकता है, जिसमें अखबार की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है| इसमें अविष्कारों और सूचनाओं को जनता से अवगत कराया जाता है और इससे प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है|

दूसरे पक्ष को नकारात्मक अर्थ में समझा जा सकता है, जिसमें खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर लोगों तक पहुंचाया जाता है| सनसनी तथा खलबली फैलाने वाले समाचारों को छापा जाता है जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़े तथा अच्छी बिक्री हो|

पकवानों को जानें

• पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें|

उत्तर

• रूमाली रोटी - यह एक पतली फ्लैटब्रेड है| इसका शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप से हुई| मुख्य रूप से इसको तंदूरी व्यंजनों के साथ खाया जाता है|

• बाकरखानी - यह एक मोटी, मसालेदार फ्लैट-रोटी है| यह बिस्कुट के जैसा होता है जिसका ऊपरी सतह कड़ा होता है|

• शीरमाल - यह रोटी मीठी होती है जिसे मैदे, दूध और शक्कर से बनाया जाता है| इसे ज्यादातर नॉनवेज के साथ खाया जाता है|

• ताफ़तान, बेसनी, खमीरी, गाव, दीदा, गाज़ेबान, तुनकी|

भाषा की बात

1. तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दी गए वाक्यों का इस्तेमाल करें|

(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया|
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए|
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर|

उत्तर

एक बार मैंने एक सेठ से इधर-उधर की बातें कर प्रश्न पूछा तो उसने पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाया और बार-बार प्रश्न पूछे जाने पर आँखों के कंचे हम पर फेर दिए| बाद में उसने बताया कि उसके सेठ मुनिमचंद के अचानक देहावसान के बाद वारिस न होने के कारण वह आ बैठा उन्हीं के ठीये पर|

2. बिटर-बिटर देखना- यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए|

उत्तर

(क) आँख दिखाना- परीक्षा भवन में छात्र को नक़ल करते देख शिक्षक ने आँखें दिखाई|

(ख) सीधी आँख न देखना- मोहन अपने मित्र को आगे बढ़ते हुए सीधी आँख नहीं देख सकता|

(ग) टुकर-टुकर देखना- एक बच्चा मिठाई की तरफ टुकर-टुकर देख रहा था|

(घ) आँख मारना- उसने आँख मारकर मुझे बुलाया|

3. नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है| सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है? लिखें|

क. मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए|

ख. निकाल देंगे वक्त थोड़ा|

ग. दिमाग में चक्कर काट गई है बात|

घ. रोटी जनाब पकती है आँच से|

उत्तर

क. छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मियाँ मशहूर हैं|

ख. थोड़ा वक्त निकाल देंगे|

ग. बात दिमाग में चक्कर काट गई है|

घ. जनाब! रोटी आँच से पकती है|

Notes of पाठ 2- मियाँ नसीरुद्दीन

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