पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - कैदी और कोकिला क्षितिज भाग - 1

पाठ का सार

यह आजादी से पूर्व की कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का लिखित चित्रण किया है। स्वतंत्रता सेनानियों के यातनाओं को प्रदर्शित करने के लिए कवि ने कोयल का सहारा लिया है। जेल में बैठा एक कैदी कोयल को अपने दुःखों के बारे में बतला रहा है। अँगरेज़ उसे चोर, डाकू और बदमाशों के बीच डाले हुए हैं, भर पेट खाना भी नही दिया जाता है। उन्होंने अंग्रेज़ों के शासन को काला शासन कहा है। जहाँ उन्होंने बताया है कि यह वक़्त अब मधुर गीत सुनाने का नही बल्कि आजादी के गीत सुनाने का है। कवि ने कोयल चाहा है की वह स्वतंत्र नभ में जाकर गुलामी के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करे।

कवि परिचय

माखनलाल चतुर्वेदी

इनका जन्म सन 1889 मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। मात्र 16 वर्ष की अवस्था में ये शिक्षक बने, बाद में अध्यापन का काम छोड़कर पत्रिका सम्पादन का काम शुरू किया। वे देशभक्त कवि एवं प्रखर पत्रकार थे। वे एक कवि-कार्यकर्ता थे और स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। सन 1968 में इनका देहांत हो गया।

प्रमुख कार्य

पत्रिका - प्रभा, कर्मवीर, प्रताप
कृतियाँ - हिम किरीटनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिनी, वेणु लो गूंजे धरा।

कठिन शब्दों के अर्थ

• बटमार - रास्ते में यात्रियों को लूटने वाला।
• हिमकर - चन्द्रमा
• दावानल - जंगल की आग
• मोट - चरसा
• जुआ - बैलों के कंधे पर रखे जाने वाली लकड़ी
• हुंकृति - हुंकार
• व्याली - सर्पिणी
• मोहन - मोहनदास करमचंद गांधी

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