NCERT Solutions of Jeev Vigyan for Class 12th: Ch 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन जीव विज्ञान  

प्रश्न 


पृष्ठ संख्या 43

1. एक आवृतबीजी पुष्प के उन अंगों के नाम बताएँ; जहाँ नर एवं मादा युग्मकोद्भिद का विकास होता है?

उत्तर

एक आवृतबीजी पुष्प में नर युग्मकोद्भिद का विकास परागकोश के परागपुटी में होता है तथा मादा युग्मकोद्भिद का विकास बीजांड के बीजांडकाय में होता है|

2. लघुबीजाणुधानी तथा गुरूबीजाणुधानी के बीच अंतर स्पष्ट करें? इन घटनाओं के दौरान किस प्रकार का कोशिका विभाजन संपन्न होता है? इन दोनों घटनाओं के अंत में बनने वाली संरचनाओं के नाम बताएँ|

उत्तर

लघुबीजाणुधानी
गुरूबीजाणुधानी
यह लघुबीजाणु मादा कोशिका से लघुबीजाणुओं के निर्माण की प्रक्रिया है| यह गुरूबीजाणु मादा कोशिका से गुरूबीजाणुओं के निर्माण की प्रक्रिया है|
यह परागकोश के परागपुटी के अंदर होता है|यह बीजांड के बीजांडकाय भाग के अंदर होता है|

इन घटनाओं के दौरान अर्धसूत्री कोशिका विभाजन संपन्न होता है| लघुबीजाणुधानी के अंत में बनने वाली संरचना परागकण (नर युग्मकोद्भव) तथा गुरूबीजाणुधानी के अंत में बनने वाली संरचना भ्रूणकोश (मादा युग्मकोद्भव) है|

3. निम्नलिखित शब्दावलियों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित करें-
परागकण, बीजाणुजन उत्तक, लघुबीजाणुचतुष्क, परागमातृ कोशिका, नर युग्मक

उत्तर

बीजाणुजन उत्तक → परागमातृ कोशिका → लघुबीजाणुचतुष्क  → परागकण → नर युग्मक

4. एक प्ररूपी आवृतबीजी बीजांड के भागों का विवरण दिखाते हुए एक स्पष्ट एवं साफ़ सुथरा नामांकित चित्र बनाएँ|

उत्तर

एक प्ररूपी आवृतबीजी बीजांड के निम्नलिखित भाग हैं :

फनीकल- फनीकल एक वृंत या डंठल होती है, जो बीजांड को अपरा से जोड़ती है| 

हाइलम- बीजांड की काया बीजांडवृंत के साथ नाभिका (हाइलम) नामक क्षेत्र में संगलित होती है| 

अध्यावरण- प्रत्येक बीजांड में एक या दो अध्यावरण नामक संरक्षक आवरण होते हैं, जो विकसित हो रहे भ्रूण को सुरक्षा प्रदान करते हैं|

बीजांड द्वार- बीजांड द्वार, छोटे से रंध्र जैसी संरचना बीजांड के एक हिस्से में बनी होती है, जहाँ अध्यावरण अनुपस्थित रहता है|

बीजांडकाय- अध्यावरणी से घिरा हुआ कोशिकाओं का एक पुंज होता है, जिसे बीजांडकाय कहते हैं| केंद्रक की कोशिकाओं में प्रचुरता से आरक्षित आहार सामग्री होती है| 

भ्रूणकोश- मादा युग्मकोद्भिद एक पतली झिल्ली से ढकी होती है, जिसे भ्रूणकोश कहते हैं| यह बीजांडकाय में स्थित होता है|

5. आप मादा युग्मकोद्भिद के एकबीजाणुज विकास से क्या समझते हैं?

उत्तर

एक अकेले गुरूबीजाणु से भ्रूणकोश के बनने की विधि को एक-बीजाणुज विकास कहा जाता है| क्रियाशील गुरूबीजाणु के केंद्रक 8 अगुणितक न्युक्ली (केंद्रिकी) का गठन करने के लिए उत्तरोत्तर समसूत्री विभाजन करते हैं|

6. एक स्पष्ट एवं साफ़ सुथरे चित्र के द्वारा परिपक्व मादा युग्मकोद्भिद के 7- कोशिकीय, 8- न्युकिलयेट (केंद्रक) प्रकृति की व्याख्या करें|

उत्तर

क्रियाशील गुरूबीजाणु के क्रियाशील गुरूबीजाणु के केंद्रक समसूत्री विभाजन के द्वारा दो केंद्रकी बनाते हैं, जो विपरीत ध्रुवों को चले जाते हैं और 2- न्युकिल्येट भ्रूणकोश की रचना करते हैं| दो अन्य क्रमिक समसूत्री केन्द्रकीय विभाजन के परिणामस्वरूप 4- केंद्रीय (न्युकिल्येट) और तत्पश्चात 8- केंद्रीय (न्युकिल्येट) भ्रूणकोश की संरचना करते हैं| अभी तक जीवद्रव्यक विभाजन नहीं हुआ है| अब भित्ति कोशिका मादा युग्मकोद्भिद या भ्रूणकोश के संगठन का रूप लेती है| आठ में से 6- न्युक्लीआई भित्ति कोशिकाओं से घिरी होती हैं और कोशिकाओं में संयोजित रहते हैं| शेष बचे दो न्युक्लीआई ध्रुवीय न्युक्लीआई कहलाते हैं, जो अंडउपकरण के नीचे बड़े केंद्रीय कोशिका में स्थित होते हैं| बीजांडद्वारी सिरे पर तीन कोशिकाएँ एक साथ समूहीकृत होकर अंडउपकरण या समुच्चय का निर्माण करती हैं| इस अंड उपकरण के अंतर्गत दो सहायशिकाएँ तथा एक अंडकोशिका निहित होती है| तीन अन्य कोशिकाएँ निभागीय (कैलाजल) छोर पर होती हैं, प्रतिव्यासांत कहलाती है| वृहद केंद्रीय कोशिका में दो ध्रुवीय न्युक्लीआई होती हैं| इस प्रकार एक मादा युग्मकोद्भिद परिपक्व होने पर 8- न्युकिलीकृत वस्तुतः 7 कोशिकीय होता है| 

7. उन्मील परागणी पुष्पों से क्या तात्पर्य है? क्या अनुन्मीलिय पुष्पों में परपरागण संपन्न होता है? अपने उत्तर की सतर्क व्याख्या करें|

उत्तर

उन्मील परागणी पुष्प अन्य प्रजाति के पुष्पों के समान ही होते हैं, जिसके परागकोश और वर्तिकाग्र अनावृत होते हैं| अनुन्मीलिय पुष्पों में परपरागण संपन्न नहीं होता है क्योंकि ये कभी भी अनावृत नहीं होते हैं, जिसके कारण उनके परागकोश एवं वर्तिकाग्र एक दूसरे के संपर्क में नहीं आ पाते हैं| 

8. पुष्पों द्वारा स्व-परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्यनीति का विवरण दें|

उत्तर

पुष्पों द्वारा स्व-परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्यनीति हैं :

कुछ प्रजातियों में पराग अवमुक्ति एवं वर्तिकाग्र ग्राह्यता समकालिक नहीं होती हैं, जिससे स्वपरागण को रोका जा सकता है|

कुछ प्रजातियों में परागकोश एवं वर्तिकाग्र भिन्न स्थानों में अवस्थित होने के कारण पादप में पराग वर्तिकाग्र के संपर्क में नहीं आ पाते हैं| यह स्वपरागण को रोकती है| 

9. स्व अयोग्यता क्या है? स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुँच पाती है?

उत्तर

स्व अयोग्यता स्व-परागण रोकने का एक वंशागत प्रक्रम है जिसमें उसी पुष्प या उसी पादप के अन्य पुष्प से जहाँ बीजांड के निषेचन को पराग अंकुरण या स्त्रीकेसर में परागनालिका वृद्धि को रोका जाता है| पराग के रसायन तथा वर्तिकाग्र के बीच संपर्क के कारण स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक नहीं पहुँच पाती है|

10. बैगिंग (बोरावस्त्रावरण) या थैली लगाना तकनीक क्या है? पादप जनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है?

उत्तर

पुष्पों के वार्तिकाग्र को अवांछित परागों से बचाने के लिए इसके मादा जनन भागों को थैली से आवृत किए जाने की तकनीक बैगिंग या थैली लगाना तकनीक कहलाती है| यह तकनीक पादप जनन कार्यक्रम में उपयोगी है क्योंकि इसमें अपेक्षित पराग के द्वारा परागण किया जाता है तथा पुष्पों के वार्तिकाग्र को अवांछित परागों से बचाया जाता है|

11. त्रि-संलयन क्या है? यह कहाँ और कैसे संपन्न होता है? त्रि-संलयन में सम्मिलित न्युक्लीआई का नाम बताएँ|

उत्तर

त्रि-संलयन के अंतर्गत तीन अगुणितक न्युक्ली (केंद्रिकी) सम्मिलित होते हैं| यह भ्रूणकोश में स्थान लेते हैं| पराग नलिका में दो नर युग्मक होते हैं, जो बीजांडद्वार के माध्यम से बीजांड में प्रवेश करते हैं| इनमें से एक नर युग्मक अंड कोशिका के केंद्रक के साथ संगलित होने से एक द्विगुणित कोशिका युग्मनज (जाइगोट) की रचना होती है| दूसरे नर युग्मक केंद्रीय कोशिका में स्थित दो ध्रुवीय न्युक्ली (केंद्रिकी) से संगलित होकर त्रिगुणित (प्राथमिक भ्रूणकोश केंद्रक) बनाता है| 

12. एक निषेचित बीजांड में; युग्मनज प्रसुप्ति के बारे में आप क्या सोचते हैं?

उत्तर

एक निषेचित बीजांड में युग्मनज प्रसुप्ति, भ्रूणपोष के निर्माण के बाद भ्रूण का विकास होता है क्योंकि भ्रूणपोष विकासशील भ्रूण के लिए पोषण का स्रोत होता है| इस प्रकार युग्मनज भ्रूणपोष के निर्माण की प्रतीक्षा करता है|

13. इनमें विभेद करें-
(क) बीजपत्राधार और बीजपत्रोपरिक
(ख) प्रांकुर चोल तथा मूलाँकुर चोल
(ग) अध्यावरण तथा बीजचोल
(घ) परिभ्रूण पोष एवं फल भित्ति

उत्तर

(क) बीजपत्राधार और बीजपत्रोपरिक

बीजपत्राधार
बीजपत्रोपरिक
बीजपत्राधार में बीजपत्रों के स्तर से नीचे बेलनाकार प्रोटीन होती है|बीजपत्रोपरिक बीजपत्र के स्तर के ऊपर भ्रूणीय अक्ष की प्रोटीन होती है|
यह मूलांत सिरा या मूलज के शीर्षांत पर समाप्त होती है तथा मूल गोप द्वारा आवृत होती है|यह प्रांकुर या स्तंभ सिरे पर प्रायः समाप्त होती है|

(ख) प्रांकुर चोल तथा मूलाँकुर चोल

प्रांकुर चोल
मूलाँकुर चोल
बीजपत्रोपरिक में प्ररोह शीर्ष तथा कुछ आदि कालिक पर्ण होते हैं, जो एक खोखला-पर्णीय संरचना को घेरते हैं, जिसे प्रांकुर चोल कहते हैं|प्रशल्क के नीचले सिरे पर भ्रूणीय अक्ष में एक गोलाकार और मूल आवरण एक बिना विभेदित पर्त से आवृत होता है, जिसे मूलाँकुर चोल कहते हैं|

(ग) अध्यावरण तथा बीजचोल

अध्यावरण
बीजचोल
बीजांड को चारों ओर से घेरे संरक्षक आवरण को अध्यावरण कहते हैं|बीजचोल बीज के ऊपर सख्त संरक्षात्मक आवरण को कहते हैं|

(घ) परिभ्रूण पोष एवं फल भित्ति

परिभ्रूण पोष
फल भित्ति
अवशिष्ट उपस्थित बीजांडकाय परिभ्रूण पोष कहते हैं|अंडाशय की दीवार, फल की दीवार (छिलके) के रूप में विकसित होती है जिसे फलभित्ति कहते हैं|

14. एक सेव को आभासी फल क्यों कहते हैं? पुष्प का कौन-सा भाग फल की रचना करता है|

उत्तर

एक सेव को आभासी फल कहते हैं क्योंकि यह अंडाशय की जगह पुष्पासन से विकसित होता है| पुष्प में अंडाशय फल की रचना करता है|

15. विपुंसन से क्या तात्पर्य है? एक पादप प्रजनक कब और क्यों इस तकनीक का प्रयोग करता है?

उत्तर

पराग के प्रस्फुटन से पहले पुष्प कलिका से पराग कोश का निष्कासन विपुंसन कहलाता है| एक पादप प्रजनक इसका उपयोग इसके वर्तिकाग्र को अवांछित परागों से बचाने के लिए करता है| यह कृत्रिम संकरीकरण में उपयोगी है जहाँ अपेक्षित परागों की आवश्यकता होती है|

16. यदि कोई व्यक्ति वृद्धिकारकों का प्रयोग करते हुए अनिषेकजनन को प्रेरित करता है तो आप प्रेरित अनिषेक जनन के लिए कौन सा फल चुनते और क्यों?

उत्तर

प्रेरित अनिषेक जनन के लिए तरबूज, नींबू, नारंगी फल का चुनाव करना चाहिए क्योंकि ये फल बीजरहित होते हैं तथा ग्राहकों द्वारा इनकी माँग में वृद्धि होगी|

17. परागकण भित्ति रचना में टेपिटम की भूमिका की व्याख्या करें| 

उत्तर

लघुबीजाणुधानी के सबसे आंतरिक पर्त टेपिटम होती है| यह विकासशील परागकणों को पोषण देती है| यह परागकणों की सुयोग्यता पहचानने के लिए एंजाइम, हॉर्मोन तथा विशेष प्रोटीन स्रावित करता है| परिपक्व परागकण के बाहरी भाग पर परागण स्रावित करता है|

18. असंगजनन क्या है और इसका क्या महत्व है?

उत्तर

असंगजनन बिना निषेचन के बीज के अलैंगिक उत्पादन की प्रक्रिया है| 

महत्व :

• यह बीज उत्पादन की कम लागत वाली प्रभावी विधि होती है| 
• असंगजनन से तैयार की गई संकर बीजों का उपयोग कभी भी किया जा सकता है|
• पौधों के प्रजनन के लिए इसका बहुत अच्छा उपयोग होता है, जब किसी पादप के विशिष्ट लक्षणों को संरक्षित करना होता है|

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